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Updated: 08 अप्रिल, 2022 01:10 PM
आईचौक
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अभी कुछ दिन पहले ही आईचौक ने अपने एक विश्लेषण में बताया था कि साल 2022 में कैसे मार्च और अप्रिल का महीना बॉलीवुड के लिए सबसे बेहतरीन साबित होने वाला है. मार्च में हिंदी बॉक्स ऑफिस ने हमारे अनुमानों से भी कहीं ज्यादा कमाई की है. इस तरह एक दिलचस्प रिकॉर्ड भी बना है. मार्च हिंदी सिनेमा के पिछले 10 साल के इतिहास में इकलौता महीना है जब टिकट खिड़की पर जमकर पैसों की बारिश हुई. महामारी और बंदी की वजह से साल 2020 और 2021 में सिनेमाघरों का कारोबार महीनों ठप था.

कोरोना महामारी की दो लहरों के जाने के बाद सिनेमाघर खोले गए और दीपावली पर अक्षय कुमार की सूर्यवंशी से पहली बार रौनक लौटती दिखी भी, लेकिन दिसंबर 2021 में कोरोना के नए वेरिएंट के शोर ने सिनेमाघरों को फिर डरा दिया गया. पाबंदियां तो थीं मगर इस बार सिनेमाघरों को राष्ट्रव्यापी बंदी नहीं थी. कुछ ही जगहों पर सिनेमा पूरी तरह से बंद रहें. इसका असर ये रहा कि निर्माताओं ने जनवरी में शेड्यूल फिल्मों को खुद ही हटा लिया और अच्छे दिन का इंतज़ार करने लगे.

tkfआरआरआर और द कश्मीर फाइल्स ने कमाई के कीर्तिमान बनाए हैं.

फरवरी से बदलने लगा था माहौल

आशंकाओं के घने काले बादल थे. लगा कि क्या 2022 भी पिछले दो सालों की तरह ही बर्बाद हो जाएगा. अच्छा ये रहा कि तीसरी लहर ने भयावह रूप नहीं दिखाया और जनवरी ख़त्म होते होते हालात सामन्य नजर आने लगे. फरवरी में गंगूबाई काठियावाड़ी की कामयाबी ने उम्मीद जगाई. लेकिन मार्च ने तो हिंदी बॉक्स ऑफिस के लिए करिश्मा की कर दिया. सबसे पहले 11 मार्च को विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में कश्मीर घाटी की दिल दहला देने वाली कहानी आई. यह कहानी घाटी में गैर मुस्लिमों के नरसंहार, उनके पलायन पर आधारित थी.

आजाद भारत के इतिहास की एक अमानवीय कहानी जिसे अब तक परदे में ढंककर रखा गया और कभी किसी ने बात तक करने की हिम्मत नहीं दिखाई. नतीजा यह रहा कि लोग सिनेमाघरों में टूट पड़े. चूंकि फिल्म को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा नेताओं ने भी प्रमोट किया इस वजह से भी यह एक आंदोलन के रूप में सामने आई है. हाल के वर्षों की एक ऐसी फिल्म जिसे देखने के लिए लोगों में होड़ मच गई, मानों हर कोई द कश्मीर फाइल्स का टिकट खरीदकर अपना विरोध जता रहा था और चुप रहने की वजहें पूछ रहा था.

10 साल में कभी मार्च महीने में 400 करोड़ नहीं कम पाया था हिंदी बॉक्स ऑफिस

मार्च के आखिर में एसएस राजमौली के निर्देशन में बनी आरआरआर भी रिलीज हुई. यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सच्ची दास्तान से प्रेरित कहानी है. मूल रूप से कन्नड़ में बनी फिल्म को हिंदी में भी रिलीज किया गया. हिंदी के दर्शक इसे भी देखने सिनेमाघरों में टूट पड़े. पहले हफ्ते में ही फिल्म ने 100 करोड़ से ज्यादा की कमाई का आंकड़ा पार कर लिया. मार्च में इन दोनों फिल्मों की कुल कमाई 455.83 करोड़ रुपये है. यह हिंदी बॉक्स ऑफिस के हाल हैं. 455.83 करोड़ में द कश्मीर फाइल्स का हिस्सा 238.28 करोड़ और आरआरआर के हिंदी वर्जन का हिस्सा 132.59 करोड़ है.

पिछले दस साल में हिंदी बॉक्स ऑफिस ने मार्च महीने में कभी इतनी ज्यादा कमाई नहीं कर पाई थी. इससे पहले सबसे ज्यादा कमाई साल 2019 के मार्च में हुई थी. तब अक्षय कुमार की केसरी, कार्तिक आर्यन की लुका छुपी और वरुण धवन की बदला ने मिलकर एक ही महीने में 384.70 करोड़ रुपये कमाए थे. इसमें बड़े कंट्रीब्यूटर के रूप में केसरी के 154.41 करोड़, लुका छुपी के 95 करोड़ और बदला के 87.99 करोड़ शामिल है. 2018 का मार्च भी हिंदी बॉक्स ऑफिस के लिए बेहतर था. बागी 2 166 करोड़, रेड 103.07 करोड़ और अन्य फिल्मों ने मिलकर 367.71 करोड़ कमाए थे. 2017 में भी मार्च में हिंदी 200 करोड़ से ज्यादा कमाई हुई थी. 116.6 के साथ वरुण धवन की बद्रीनाथ की दुल्हनिया सबसे बड़ी कंट्रीब्यूटर थी.

ऊपर बताए गए तीन सालों को छोड़कर देखें तो 2013 से लेकर अब तक किसी भी साल का मार्च ऐसा नहीं है जिसमें हिंदी टिकट खिड़की पर 175 करोड़ से ज्यादा की कमाई आई हो. मार्च ने हिंदी बेल्ट के सिनेमा कारोबार को लाजवाब कर दिया है. अब निगाहें अप्रैल पर हैं. अप्रैल में केजीएफ 2, जर्सी, बीस्ट समेत कई बड़ी फ़िल्में हैं और माना जा सकता है कि यह महीना ना सिर्फ लाजवाब होगा बल्कि ऐसे रिकॉर्ड भी बनाए जो मील का पत्थर साबित हो.

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