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Updated: 26 अक्टूबर, 2022 07:47 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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हिंदू धर्म में मान्यता है कि हर इंसान को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है. जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा फल इसी जिंदगी में उसको मिलता है. आध्यात्म में यह बात भी कही गई है कि जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल काटोगे. ईश्वर इंसानों के कर्मों का हिसाब-किताब जरूर करता है. इसी तरह की मान्यता पर आधारित कहानी पर बनी फिल्म 'थैंक गॉड' देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. इंद्र कुमार के निर्देशन में बनी फैंटेसी कॉमेडी फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा, अजय देवगन, रकुल प्रीत सिंह, सीमा पहवा, कीकू शारदा और सानंद वर्मा जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कुछ लोग फिल्म को बहुत ज्यादा एंटरटेनिंग बता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग फिल्म देखने के बाद निराश नजर आ रहे हैं. फिल्म समीक्षकों की राय भी इसे लेकर बंटी हुई है.

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ट्विटर की जनता का क्या कहना है?

ट्विटर पर एक यूजर निशांत लिखते हैं, ''ईमानदारी से कहूं तो थैंक गॉड औसत से भी नीचे की फिल्म है. अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा की कॉमिक टाइमिंग बहुत कमजोर है. सीजी के किरदार में अजय देवगन अच्छे लगे हैं. लेकिन इतना हमें एंटरटेन के लिए काफी नहीं है. स्क्रीन प्ले बहुत तेज है, जिसकी वजह से हम सिद्धार्थ के किरदार से कनेक्ट नहीं कर पाते. फिल्म हमारी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई है.'' दूसरे यूजर आशुतोष राज मेहता फिल्म को पांच में से एक स्टार देते हुए निराशाजनक बता रहे हैं. वो लिखते हैं, ''फिल्म बर्दाश्त करने लायक नहीं है. किसी फिल्म में पहली बार अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा एक साथ आ रहे हैं, ये जानने के बाद हम सभी उत्साहित थे. हमे लगा कि एक बेहतरीन मनोरंजक फिल्म देखने को मिलेगी, लेकिन निराशा हाथ लगी है. फिल्म कहानी इसकी सबसे बड़ी कमोजरी नजर आ रही है.''

फिल्म 'थैंक गॉड' की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए ऐश्वर्या लिखती हैं, ''अद्भुत फिल्म. इसने मेरा दिन बना दिया. फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा और रकुल प्रीत सिंह बहुत अच्छे लग रहे हैं. दोनों ने बेहतरीन अभिनय प्रदर्शन किया है. अजय देवगन की उपस्थिति फिल्म में चार चांद लगाने का काम करती है.'' एक यूजर ने लिखा है, "मैं सभी को थैंक गॉड देखने का सुझाव दूंगा क्योंकि यह फिल्म एक सामान्य फिल्म की तुलना में बहुत अलग और कहीं अधिक मनोरंजक है. फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने शानदार काम किया है.'' अभिनव ने फिल्म को पांच में से चार स्टार देते हुए लिखा है, ''थैंक गॉड देखने लायक पैसा वसूल फिल्म है. इसमें इमोशन के बीच अच्छा संदेश दिया गया है. सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपने इमोशन को बहुत अच्छे से व्यक्त किया है. अजय देवगन ने हमेशा की तरह कमाल का काम किया है. रकुल प्रीत सिंह का अभिनय औसत कहा जा सकता है.''

गूगल मूवी रिव्यू में क्या लिखा है?

गूगल मूवी रिव्यू में समित केलकर ने लिखा है, ''अध्यात्म को हल्के और हास्यपूर्ण तरीके से दो घंटे में जिस तरह से पेश किया गया है, वो काबिले तारीफ है. शानदार ढंग से निर्देशित, अच्छे से निष्पादित इस फिल्म में जिंदगी के खेल को आधुनिक तरीके से दिखाया गया है. बहुत अच्छी फिल्म है. कॉमेडी के बीच एक शानदार संदेश भी देती है. मानवता ईश्वर का मार्ग है. थैंक गॉड.'' स्नेहा भदौरिया लिखती हैं, ''यह एक अच्छी पारिवारिक कॉमेडी फिल्म है. इसे देखकर मजा आ गया. नोरा फतेही अपने परफॉर्मेंस से आग लगा देती है. यदि परिवार के साथ कोई फिल्म देखने की योजना बना रहे हैं, तो इसे जरूर देखें.'' फिल्म को देखने के बाद निराश स्वयं प्रसाद लिखते हैं, ''इस फिल्म को देखकर अपने पैसे बर्बाद मत करें. इस साल की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्म होने वाली है. मुझे तो यही नहीं समझ आ रहा है कि इस फिल्म को बनाया क्यों गया है.''

फिल्म एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं?

वरिष्ठ फिल्म पत्रकार पंकज शुक्ल लिखते हैं, ''फिल्म की कहानी में एक बात अच्छी ये है कि ये इस बात के लिए दर्शकों को प्रेरित करती है कि जो मिला है उसके लिए ईश्वर का शुक्रगुजार होना जरूरी है. इसमें एक कमर्शियल हिंदी सिनेमा के सारे मसाले डालने की निर्देशक इंद्र कुमार ने काफी कोशिश की है लेकिन अपने विचार में ये फिल्म 'ब्रूस आलमाइटी' की तो कभी 'सॉर्टे कुगलर' से प्रेरित दिखती है. उधार का ये विचार कुछ देर तक तो दर्शकों को लुभाता है लेकिन फिल्म जैसे जैसे आगे बढ़ती है मौलिकता का अभाव दर्शकों को बांधकर रख नहीं पाता. एक अच्छे विचार को एक संपूर्ण मनोरंजक फिल्म में न तब्दील कर पाना ही फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है. सिनेमाघरों तक दर्शकों को लाने के लिए इंद्र कुमार ने स्पेशल इफेक्ट्स से भव्यता लाने की कोशिश की है, लेकिन पटकथा साथ नहीं देती. सही मायने में 'थैंक गॉड' बॉक्स ऑफिस पर धमाका करने से चूक गई है.''

फिल्म समीक्षक प्रशांत जैन लिखते हैं, ''स्वर्ग-नरक और यमदूत पुरानी हिंदी फिल्मों में खूब दिखे हैं. लेकिन 'थैंक गॉड' में काफी अरसे बाद इस कॉन्सेप्ट को रुपहले पर्दे पर उतारा गया है. इस बार इसका अंदाज थोड़ा बदला हुआ है. इसमें स्वर्ग-नरक और यमदूत भी आधुनिक हो गए हैं. इंद्र कुमार ने फिल्म से एक अलग तरह का सिनेमा रचने की कोशिश की है और वह इसमें कुछ हद तक कामयाब भी हुए हैं. फिल्म की शुरुआत धीमी है, लेकिन धीरे धीरे रफ्तार पकड़ लेती है. इंटरवल से पहले फिल्म में कई कॉमिक सीन खूब हंसाते हैं. सेकेंड हॉफ में इमोशनल टच के साथ जिंदगी से जुड़े तमाम सबक भी सिखाती है. अजय देवगन ने अच्छा काम किया है. सिद्धार्थ मल्होत्रा ने फिल्म के सबसे महत्वपूर्ण किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाया है. रकुल प्रीत सिंह बेहद खूबसूरत लगी हैं. उन्होंने अपने छोटे से रोल को संजीदगी से निभाया है. नोरा फतेही का आइटम नंबर जोरदार है.''

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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