New

होम -> सिनेमा

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 13 नवम्बर, 2022 06:42 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
  • Total Shares

'कश्मीर' बॉलीवुड का पसंदीदा विषय रहा है. कई फिल्मों में कश्मीर की वादियों में हीरो-हिरोईन को रोमांस करते हुए देखा जा सकता है. 60 के दशक में ऐसी कई फिल्में बनी हैं, जिनमें रोमांस का स्वर प्रधान रहा है. इनमें 'कश्मीर की कली', 'जब जब फूल खिले' और 'नूरी' जैसी फिल्मों में कश्मीर की रोमांटिक, शांत और प्राकृतिक छवि को प्रदर्शित किया गया है. हरी-भरी पहाड़ियां, घास के मैदान, कल-कल बहती नदियां और प्रकृति छटा फिल्म की जान हुआ करती थी. लेकिन समय के साथ जब कश्मीर बदला, तो फिल्मों में उसकी कहानी भी बदल गई. रोमांस की जगह आतंकवाद और उनसे जुडी़ गतिविधियों ने ले लिया. 90 के दशक के बाद सिनेमा में कश्मीर की छवि भी बदल गई.

इसके बाद 'रोजा', 'मिशन कश्मीर', 'फिजा और 'फना' जैसी फिल्में रिलीज हुई, जिनमें आतंकवाद को दिखाया गया. इस साल रिलीज हुई फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' बहुत ज्यादा चर्चा में रही थी, जिसमें घाटी में हिंदूओं के नरसंहार को दिखाया गया है. इसे लोगों ने बहुत पसंद किया है. इसी तरह कश्मीर के मुद्दे पर आधारित एक नई वेब सीरीज 'तनाव' सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही है. इजरायली शो 'फौदा' के इस आफिशियल इंडियन अडैप्टेशन का निर्देशन सुधीर मिश्रा ने किया है. इसमें मानव विज, अरबाज खान, एकता कौल, सुमित कौल, रजत कपूर, सत्यदीप मिश्रा, वलुचा डीसूजा और जरीना वहाब जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इसमें कश्मीर के अंदरूनी मसलों के बारे में दिखाया गया है.

650x400_111222081502.jpg

Tanaav Web Series की कहानी

वेब सीरीज 'तनाव' की कहानी कश्मीरी आतंकवाद, अलगाववाद, आर्मी और स्पेशल टास्क ग्रुप की गतिविधियों पर आधारित है. सीरीज की शुरूआत कश्मीर के एक प्रोफेसर को उठाने के साथ होती है, जिसे स्पेशल टास्क ग्रुप के लोग उठाकर ले जाते हैं. वहां इंटेलीजेंस चीफ मलिक (रजत कपूर) प्रोफेसर से आतंकी एक्टिविटी के बारे में जानकरी मांगते हैं. प्रोफेसर की बेटी के अच्छे इलाज का लालच देकर उससे जानकारी मांगते हैं. प्रोफेसर बताता है कि कुख्यात आतंकवादी उमर रियाज उर्फ पैंथर (सुमित कौल) अभी जिंदा है. उसके बारे में दावा किया गया था कि टास्क फोर्स के कबीर फारुकी (मानव विज) ने एक ऑपरेशन के दौरान मार गिराया था. इस ऑपरेशन के बाद कबीर एसटीजी छोड़कर अपना बिजनेस करने लगता है.

पैंथर के जिंदा होने की खबर एसटीजी को परेशान कर देती है. एसटीजी का एक सीनियर अफसर विक्रांत राठौर (अरबाज खान) कबीर फारुकी के घर जाकर उसे इसकी सूचना देता है. उसे वापस टास्क फोर्स ज्वाइन करके पैंथर को दोबारा मारने में सहयोग करने के लिए कहता है. कबीर की पत्नी विक्रांत के जाने के बाद उसे समझाती है और दोबारा ज्वाइन करने से मना करती है. लेकिन कबीर नहीं मानता. वो टास्क फोर्स एक बार फिर ज्वाइन कर लेता है. इधर पैंथर के छोटे भाई की शादी होती है. टास्क फोर्स को सूचना मिलती है कि इसमें वो आतंकवादी भी शरीक होगा. इसके बाद विक्रांत, कबीर के साथ पूरी टास्क फोर्स उसे पकड़ने की योजना बनाती है. पैंथर के घर वेश बदलकर टास्क फोर्स के लोग पहुंच जाते हैं.

इसी दौरान एक शख्स को टास्क फोर्स के लोगों पर शक हो जाता है. वो उन्हें घर के अंदर ले जाकर पूछताछ करने लगता है. इसी दौरान कबीर उन पर फायरिंग कर देता है. इसके बाद दोनों तरफ से फायरिंग होने लगती है, जिसे सुनकर पैंथर आने से पहले ही वहां से भागने लगता है. इस फायरिंग में उसके छोटे भाई को गोली लग जाती है, जो ऑन द स्पॉट मर जाता है. इसके बाद टास्क फोर्स के लोग वहां से भागने लगते हैं. रास्ते में कबीर को पैंथर दिख जाता है. वो गाड़ी से उतरकर उसका पीछा करने लगता है. उसे गोली मार देता है, लेकिन पैंथर वहां से भागने में कामयाब रहता है. इसके बाद एक फिर उसे पकड़ने की मुहिम शुरू हो जाती है. अंत में क्या होता है, ये जानने के लिए सीरीज देखनी चाहिए.

Tanaav Web Series की समीक्षा

किसी सिनेमा या सीरीज का अडैप्टेशन करना बहुत मुश्किल काम होता है. क्योंकि किसी दूसरे परिस्थिति में बुनी गई कहानी को एक नई परिस्थिति में नए मिजाज के हिसाब से ढालना इतना आसान नहीं होता. लेकिन यहां 'तनाव' वेब सीरीज के मेकर्स सफल साबित होते हैं. इजरायली शो 'फौदा' की कहानी हिंदुस्तान पृष्ठभूमि पर रचने वाले ईशान त्रिवेदी और सुधीर मिश्रा ने अपना बेहतरीन काम किया है. 'फौदा' में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच के मतभेद और तनाव को दिखाया गया है, जबकि इसमें कश्मीर में व्याप्त आतंकवाद और अलगाववादियों के गतिविधियों के बारे में बताया और दिखाया गया है. इसके साथ ही घाटी में ऑर्मी और इंटेलीजेंस के ऑपरेशन को विस्तार से दिखाया गया है.

''मौत से ज्यादा खौफ के साए में जीना इंसान को खोखला कर देता है. कब जिएंगे ऐसे. कब तक?'' वेब सीरीज में इस तरह के कई संवाद बहुत प्रभावी बन पड़े हैं. सुधीर मिश्रा का निर्देशन भी काबिले तारीफ है. मूल रूप से पटकथा लेखर रहे सुधीर को 'जाने भी दो यारो', 'इस रात की सुबह नहीं', 'धारावी', 'हज़ारों ख्वाइशें ऐसी', 'चमेली' और 'खोया खोया चांद' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है. सह निर्देशक के रूप में उनका साथ सचिन ममता कृष्ण ने भी बखूबी दिया है. 12 एपिसोड की इस सीरीज में जबरदस्त रोमांच है. जो हर अगले एपिसोड को देखने के लिए मजबूर करता है. इतना ही नहीं किरदारों की मानसिक स्थिति को पकड़ने के लिए क्लोज-अप शॉट्स का बहुत होशियारी से उपयोग किया गया है.

वेब सीरीज के सभी किरदार पटकथा के अनुकूल बिल्कुल फिट हैं. चाहे वो एसटीजी प्रमुख विक्रांत (अरबाज खान) और उनकी टीम के सदस्य तोशी (साहीबा बाली), उदय (सत्यदीप मिश्रा), दानिश (आर्यमन सेठ), कुणाल (अर्सलान गोनी), मुनीर (अमित गौर) और बिलाल (रॉकी रैना) हों या इंडियन इंटेलिजेंस ग्रुप के चीफ मल्लिक (रजत कपूर), ये सभी किरदार कहानी में रोमांच बनाने में मदद करते हैं. अलगाववादी नेता उमर रियाज ऊर्फ पैंथर (सुमीत कौल), उसकी मां (ज़रीना वहाब), पत्नी ज़ैनब (वलूचा डी सूसा), दाहिना हाथ जुनैद (शशांक अरोड़ा), मीर साहब (एम के रैना), इदरीस (मीर सरवर) अन्य सभी किरदारों ने लोगों की विभिन्न विचारधाराओं के बीच संतुलन को दर्शाने का अच्छा काम किया है.

इस वेब सीरीज में लीड किरदार कबीर फारुकी किरदार कर रहे मानव विज ने शानदार काम किया है. पुलिस अफसर का किरदार जैसे उनके लिए ही बना है. वो ज्यादा सीरीज या सिनेमा में ऐसे ही किरदारों में नजर आते हैं. मेन विलन उमर रियाज के किरदार में सुमित कौल ने भी बेहतरीन अभिनय किया है. अपनी बेहतरीन अदाकारी से उन्होंने अपने किरदार में जान डाल दी है. एक आतंकवादी, एक भाई, पति और पिता के रूप में उनके अलग-अलग इमोशन दिखते हैं. उनके अलावा अरबाज खान, एकता कौल, रजत कपूर, सत्यदीप मिश्रा, वलुचा डीसूजा और जरीना वहाब ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है. कुल मिलाकर, यदि आप कश्मीर पर आधारित कुछ अलग देखना चाहते हैं, तो इसे जरूर देख सकते हैं.

iChowk.in रेटिंग: 5 में से 3 स्टार

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय