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Updated: 30 अक्टूबर, 2022 07:00 PM
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तारक मेहता का उलटा चश्मा देश के सबसे लोकप्रिय शोज में से एक है. असित कुमार मोदी के क्रिएशन में सोनी टीवी का यह शो पिछले 14 सालों से लगातार प्रसारित हो रहा है. शो के साथ कई लोगों का बचपन, जवानी की दहलीज तक पहुंचा है और कई जवानी की दहलीज से बुढापे की तरह बढ़े हैं. दर्शकों के निजी जीवन में तमाम उतार चढ़ाव आते रहे बावजूद यह शो टिका हुआ है और अभी भी टेलीकास्ट हो रहा है. हालांकि अबतक की यात्रा में कई पुराने कलाकार शो छोड़कर जा चुके हैं. कुछ ने क्रिएटिव डिफरेंस, कुछ अन्य वजहों और एक दो कलाकारों का निधन हो जाने की वजह से किरदारों को दूसरे एक्टर्स के साथ रिप्लेस करना पड़ा है. शैलेश लोढ़ा शो के सबसे अहम किरदारों में से एक थे. हाल ही में सचिन श्राफ ने उन्हें रिप्लेस किया है.

शैलेश लोढ़ा पिछले 14 साल से लगातार शो के साथ बने रहे. अगर कहा जाए इसी शो ने शैलेश को पहचान दी तो गलत नहीं होगा. दिलीप जोशी (जेठा लाल), अमित भट्ट (चंपक चाचा), तनुज महाशब्दे (अय्यर), मुनमुन दत्ता (बबिता), मंदार चंदवडकर (आत्माराम), सोनालिका जोशी (माधवी), अंबिका रंजनकर (कोमल), कुश शाह (गोली), समय शाह (गोगी), श्याम पाठक (पोपटलाल) और शरद सांकला (अब्दुल नवाब) जैसे कलाकारों को छोड़ दिया जाए तो बाकी आधे कलाकार अब तक बदले जा चुके हैं. उन्हें दूसरे कलाकारों ने रिप्लेस भी कर दिया है. सिर्फ दया बेन का किरदार निभाने वाली दिशा वकानी को अभी तक रिप्लेस नहीं किया गया है. दिशा वकानी को शो छोड़े लंबा वक्त बीत चुका है. उनका सबसे जरूरी किरदार है. उनके शो छोड़ने की असल वजह क्या थी और उन्हें क्यों रिप्लेस नहीं किया गया है- रहस्य आज तक साफ़ नहीं हो पाया है.

TMKOCतारक मेहता का उल्टा चश्मा. फोटो- IMDb से साभार.

तो निर्माताओं से मतभेद की वजह से बाहर हुए शैलेश

खैर, शैलेश लोढ़ा भी तारक मेहता का उलटा चश्मा के पिलर की तरह थे. उन्होंने शो क्यों छोड़ा यह बात तो साफ़ नहीं हुई है मगर उन्होंने संकेतों में दिल का दर्द बयान किया है. एक इंटरव्यू में उन्होंने 'कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता' शेर के जरिए शो से हटने की वजहों की तरह इशारा करना चाहा. हालांकि इस बारे में कोई डिटेल साझा नहीं की. लेकिन इससे पता चल जाता है कि शैलेश शो नहीं छोड़ना चाहते थे. जरूर कुछ चीजें थीं जिसकी वजह से निर्माताओं से उनकी अनबन हुई और उन्हें बाहर निकलना पड़ा. उनसे जब शो छोड़ने की वजह पूछी गई तो कुछ भी साफ़ साफ़ नहीं बताया. हां, इस बारे में भविष्य में कुछ बताने का संकेत जरूर दिया. शैलेश ने कहा- "वो एक इमोशनल इडियट हैं और यदि आप 14 साल तक कहीं पर काम करते हैं तो उससे इमोशनली रूप से जुड़ तो जाएंगे ही."

पुराने किरदारों की भरपाई में अड़चन क्या रही?

सचिन श्राफ ने शैलेश को रिप्लेस कर उनकी जगह भरने की कोशिश करते दिखते हैं. मगर, शैलेश भी शो के दर्शकों की आदत बन चुके हैं. उनकी कमी साफ़ महसूस होती है. इससे पहले नट्टू का किरदार निभाने वाले घनश्याम नायक का निधन हो गया था. उनकी जगह किरण भट्ट को जरूर लाया गया, मगर अभी तक घनश्याम नायक वाली टाइमिंग मिसिंग है. इसी तरह कवि कुमार आजाद का निधन होने के बाद निर्मल सोनी ने उनकी जगह ली. चूंकी निर्मल सोनी पहले भी शो में दिखते रहे- समय के साथ वह सेट हो चुके हैं. मगर अन्य किरदार अभी भी अटपटे लग रहे हैं. सोढी और अंजलि भाभी के नए रिप्लेसमेंट भी वैसे रंग में नजर नहीं आते, जो पहले दिखता था.

कई नए किरदारों के आ जाने से शो में कुछ छूटा-छूटा नजर आता है. कायदे से होना यह चाहिए था कि किरदारों के बदलने के साथ शो में नए किरदारों के लिए कुछ दिलचस्प ट्विस्ट बनाए जाते जो दर्शकों को नए किरदारों के साथ आत्मसात करने में मदद करते और उन्हें जमने का मौका मिलता. मगर अभी तक नए किरदारों को लेकर ऐसा कोई प्लाट नहीं दिखा जो उन्हें देश के सबसे पुराने शो में सेट करता दिखे. कहानियों के फ्रेम में अभी भी वही जेठालाल और आत्माराम भिड़े पर फोकस नजर आ रहा है. अगर निर्माता रिप्लेस किरदारों को केंद्र में रखकर कुछ प्लाट क्रिएट करते तो दर्शकों को देश के सबसे पुराने शो में जो अटपटापन नजर आ रहा है- वह जर्क नहीं दिखता.  

दया बेन को लाने का यह सही समय है

तारक मेहता के उलटा चश्मा में दिशा वकानी के शो छोड़ने के बाद से अब तक दया बेन को रिप्लेस नहीं किया जा सका है. कई बार खबरें आई कि दिशा की शो में वापसी होगी. कहा गया कि दिशा की वापसी की उम्मीद में मेकर्स ने उनके किरदार को रिप्लेस नहीं किया है. मगर एक लंबा वक्त बीत जाने के बावजूद ना तो दिशा वकानी की वापसी हुई और ना ही उनकी जगह किसी और को लाया गया. वैसे शो के मेकर्स के लिए यह सही समय है कि दया बेन के कैरेक्टर को वापस लाया जाए. नए कलाकार भी लिए जा सकते हैं. सिर्फ यही वह कैरेक्टर है जो तमाम चीजों को पटरी पर ला सकता है. वैसे भी तारक मेहता की कहानियां अनंत काल तक ख़त्म होने वाली नहीं हैं. लेकिन 14 साल बाद अब समय आ गया है कि इसे थोड़ा और तरोताजा किया जाए.

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