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Updated: 05 मार्च, 2022 08:26 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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रिश्ते हमारे जीवन की फसल हैं. इन्हें जैसे सींचा जाएगा, वैसी पैदावार देंगे. यह सच है कि रिश्तों पर गम और खुशी की मार पड़ती रहती है, लेकिन जरूरी ये है कि इन सबके बावजूद इसकी सुरक्षा की जाए. क्योंकि रिश्ते कच्चे धागों के समान होते हैं, जो कई वर्षों में मजबूत होते हैं. एक छोटी सी गलती की वजह से टूट कर बिखर जाते हैं. जब रिश्ते टूटते हैं, तो बहुत दर्द होता है. यदि वक्त रहते समझदारी से काम लिया जाए, तो रिश्तों की डोर मजबूत बने रह सकती है. रिश्तों की इसी अहमियत पर प्रकाश डालती एक वेब सीरीज 'सुतलियां' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हुई है. स्मॉल टाउन फिल्म्स के बैनर तले बनी इस वेब सीरीज का निर्देशन श्री नारायण सिंह ने किया है. इसमें आयशा रजा मिश्रा, विवान शाह, शिव पंडित, प्लाबिता बोरठाकुर, सुनील सिन्हा, निहारिका लायरा दत्त, दिशा अरोड़ा, विवेक मुशरान, निखिल नागपाल और इनायत सूद अहम किरदारों में हैं.

1_650_030522022508.jpgओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हुई वेब सीरीज 'सुतलियां' रिश्तों की असली परिभाषा बताती है.

"बरसों की गांठे हैं, उलझेंगी तो सही. बस थोड़ा वक्त और थोड़ा प्यार, ये सुतलियां दोबारा खूबसूरत लगने लगेंगी"...वेब सीरीज 'सुतलियां' का ये डायलॉग उसकी कहानी बयान करता है. आज के दौर में जब रिश्तों में दूरियां आ चुकी हैं. पहले पढ़ाई और बाद में नौकरी की वजह से बच्चे परिवार से दूर रहने लगे हैं. ऐसे में रिश्तों को बचाए रखने के लिए ज्यादा जतन करना पड़ता है. इस वेब सीरीज में भी तीन भाई-बहन अपने परिवार से दूर रहकर जीवकोर्पाजन कर रहे होते हैं. रमनी (प्लाबिता बोरठाकुर) बंगलुरू के एक बैंक में काम करती है, रमन (विवान शाह) एक सोशल एक्टिविस्ट है और राजन (शिव पंडित) अपना बिजनेस करता है. जिस कोरोना काल में हर आम-ओ-खास परेशान था, उसी तरह इनका परिवार भी मुसीबतों से गुजरा है. इन बच्चों के पिता की कोविड की वजह से मौत हो जाती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से तीनों अपने पिता के अंतिम संस्कार तक में नहीं पहुंच पाते.

लॉकडाउन खत्म होने का बाद दिवाली की छुट्टी में तीनों अपने घर भोपाल जाकर अपनी मां सुप्रिया चंदेल (आयशा रजा मिश्रा) के साथ समय बिताने का फैसला करते हैं. इधर, उनकी मां सुप्रिया अभी भी अपने पति की मौत के बाद अपनी दिन-प्रतिदिन की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए संघर्ष कर रही है. उसे किराना स्टोर के मालिक त्रिलोक उर्फ लोकी (सुनील सिन्हा) और उसकी बेटी दीपानिता (निहारिका लायरा दत्त) जैसे पड़ोसियों से मदद मिलती है. लेकिन अंदर से वह अकेली है और अपने बच्चों से भी परेशान है, क्योंकि वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं आए थे. सुप्रिया ने अपना पूरा जीवन अपने पति पर निर्भर होकर बिताया है, लेकिन अब पति के नहीं रहने पर अपना खुद का बिजनेस करना चाहती है. इसके लिए वो हाथ से बने मैक्रैम बिजनेस 'सुतलियां' लॉन्च करके आत्मनिर्भर बनना चाहती है. दिवाली के मेले से अपना बिजनेस शुरू करने की उसकी योजना है.

''हमें लगता है कि जिंदगी को हम प्लान कर रहे हैं, जैसा हम सोचते वैसा हो रहा है, लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? सही बात तो ये है कि जिंदगी हमें प्लान कर रही होती है''...सुप्रिया चंदेल अपने बहू से जब ये बात कहती है, तो सच में लगता है कि हम सब कितने भ्रम में जीते हैं. क्षणभंगुर जीवन को अगले 60 साल तक के लिए प्लान करने लगते हैं. लेकिन जिंदगी अपने हिसाब से चलती है, हमें लगता है कि हम उसे अपने हिसाब से चला रहे हैं. घर पहुंचे रमनी, रमन और राजन को बहुत जल्दी समझ में आ जाता है कि कभी अपने पति पर पूरी तरह निर्भर रहने वाली उनकी मां अपनी आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रही है. उनको उनके जीवन का लक्ष्य मिल चुका है. वो किसी भी हाल में इससे समझौत नहीं करना चाहती. हालांकि, बच्चे मां को अपने हिसाब जीने के लिए कहते हैं, लेकिन वो नहीं मानती. घर और प्रॉपर्टी बेचकर उनके साथ जाने से मना कर देती है.

वेब सीरीज के सभी किरदार रीयल लगते हैं. परिवार की मुखिया के रूप में आयशा रज़ा को शो रनर कहा जा सकता है. सभी को अपनी मानसिक पीड़ा समझाने की उनमें अद्भुत कला है. अभिनेता शिव पंडित एक बिजनेसमैन के किरदार में नेचुरल लगते हैं, जो अपने कर्ज का भुगतान करने के लिए अपने परिवार की जमीन बेचने को तैयार है. उनकी पत्नी के किरदार में दिशा अरोड़ा और बेटे रक्ष के किरदार में स्वस्तिक तिवारी अपनी उपस्थिति का एहसास कराते हैं. बेहद सुलझी और समझदार रमनी के किरदार में प्लाबिता बोरठाकुर प्रभावशाली लगती हैं, जो अपनी मां के व्यवहार को अजीब मानती हैं. क्योंकि उसकी मां अपने पति की मौत के बाद खुद को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रही हैं. अपने ही दुनिया में रहने वाला रमन का किरदार विवान शाह ने बखूबी निभाया है. सुनील सिन्हा, विवेक मुशरान, निखिल नागपाल और इनायत सूद ने अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है.

वेब सीरीज 'सुतलियां' की कहानी सुदीप निगम और अभिषेक चटर्जी ने लिखी है. लेखन टीम ने पटकथा की सरल और सीधा रखा है, जो इस आठ एपिसोड की सीरीज की यूएसपी है. एपिसोड की लंबाई भी छोटी रखी गई है, 20 से 30 मिनट तक, जो इसे बोझिल होने से बचाता है. बीच-बीच में आने वाला सुरीला संगीत मन को सुकून देता है. सही मायने में कहें तो 'सुतलियां' एक सीरीज से ज्यादा एक परिवार की अहमियत समझाने की ईमानदार कोशिश है. इसमें कहा गया है, ''सुख दुख में एक-दूसरे के काम आने का नाम ही फैमिली है'' और ''घर वह है, जहां दिल हमेशा रहता है''. कुल मिलाकर, 'सुतलियां' एक बेहतरीन वेब सीरीज है, जिसे जरूर देखा जाना चाहिए. पूरे परिवार के साथ बैठकर देखना चाहिए.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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