New

होम -> सिनेमा

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 15 जून, 2020 03:28 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

मौत को किसी ने ‘खूबसूरत कविता’, किसी ने ‘जिंदगी की सबसे बड़ी हकीकत’ तो किसी ने ‘सार्वभौमिक बहस’ जैसे शब्दों की परिधि में समेटने की कोशिश की है. सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी (Sushant Singh Rajput Suicide) ने भी लोगों के बीच बहस छेड़ दी है कि भला कौन सी ऐसी मजबूरी आन पड़ी थी जो अच्छा खासा फिल्मी करियर, वेल सेटल्ड लाइफ और स्वर्णिम भविष्य का दामन छोड़ सुशांत ने आत्महत्या का रास्ता चुना. बीते रविवार दोपहर मुंबई के बांद्रा स्थित फ्लैट में सुशांत सिंह राजपूत की लाश और उनके गले पर फंदे के निशान देख लोग इस तरह घुटन में हैं कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि ये क्या हो गया. यह हाल सिर्फ सुशांत के करीबी लोगों या चाहने वालों का ही नहीं, बल्कि हर उस सख्स का है, जिसने कला और कलाकार की कद्र की है. सुशांत की मौत ने सोशल मीडिया पर एक बार फिर वो बहस छेड़ दी है, जिसे बॉलीवुड की कड़वी सच्चाई माना जाता है. नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद. राजनीति में भाई-भतीजावाद चलता है और फिल्म की भाषा में नेपोटिजम (Nepotism).

दरअसल, सुशांत की मौत के बाद सोशल मीडिया पर लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और इसकी जद में आए हैं करण जौहर. साथ ही आलिया भट्ट और शाहरुख खान जैसे कलाकारों को भी कोसा जा रहा है. सोशल मीडिया पर पुराने वीडियो शेयर हो रहे हैं, जिसमें शाहिद कपूर और शाहरुख खान अवॉर्ड शो के दौरान हजारों दर्शक और बॉलीवुड स्टार्स के सामने सुशांत की खिल्ली उड़ाते दिख रहे हैं. एक वीडियो में करण जौहर और आलिया भट्ट ‘सुशांत कौन’ बोल-सुन हंसते दिख रहे हैं. और फिर धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर नेपोटिज्म का मुद्दा उछलता है. ऐसा मुद्दा, जो समय दर समय बॉलीवुड की हकीकत बयां करने के साथ ही बड़े स्टार्स और बड़े प्रोडक्शन हाउस के मालिकों की नींद हराम करता है. कारण ये है कि जो बंदा संघर्ष की सीढ़ियां पार करते-करते अच्छे मुकाम पर पहुंचता है और फिर व्यवस्था उसके साथ बुरा करती है तो यह क़ुद्रतन बेमानी लगती है.

सुशांत सिंह की खुदकुशी के पीछे सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है और जो बात सामने आ रही है, वो यह है कि सुशांत पिछले कुछ महीनों से काफी परेशान थे और मेंटल हेल्थ बैलेंस करने के लिए दवा का सहारा ले रहे थे. अब बात आती है कि ऐसा क्या हुआ था सुशांत के साथ? फिर ये बात भी सामने आई और कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि सुशांत सिंह राजपूत को छिछोरे फिल्म की सफलता के बाद 7 ऑफर मिले, जो बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाउस से थे, लेकिन बीते 6 महीने में ये सारे मौके उनके हाथ से चले गए. इन प्रोडक्शन हाउस ने सुशांत के साथ काम करने से मना कर दिया. कांग्रेस दिग्गज संजय निरूपम ने ऐसा दावा करते हुए ट्वीट किया और कहा कि फिल्म इंडस्ट्री की निष्ठुरता एक अलग लेवल पर काम करती है, इसी निष्ठुरता ने एक प्रतिभावान कलाकार को मार डाला.

यहां तक कि कुछ रिपोर्ट, जो कि सोशल मीडिया पर देखी गई हैं, उनमें ये कहा गया है कि यशराज प्रोडक्शन, धर्मा प्रोडक्शन, साजिद नाडियाडवाला, टी-सीरीज, सलमान खान प्रोडक्शन, दिनेश वीजन, बालाजी फिल्म्स जैसे बड़े प्रोडक्शन हाउस ने सुशांत को अपनी फिल्म में कास्ट करने से इनकार कर दिया है. हालांकि, यह खबर अपुष्ट है. लेकिन इन सबके बीच सोशल मीडिया पर जो बहस छिड़ी है, उसमें लोग इन प्रोडक्शन हाउस और करण जौहर को कोसते हुए कह रहे हैं कि जब सुशांत मुश्किल वक्त में थे, तब किसी ने उनका साथ नहीं दिया और न हाल जानने की कोशिश की, और अब घड़ियाला आंसू बहा रहे हैं. करण जौहर और आलिया भट्ट को ट्रोल करते हुए लोग कह रहे हैं कि इनलोगों ने एक स्मॉल टाउन बॉय को कभी इज्जत नहीं दी.

सोशल मीडिया पर नेपोटिज्म का मुद्दा बीते 24 घंटों से लोगों की जुबां पर है. लोग सुशांत की खुदकुशी के पीछे नेपोटिजम को बड़ी वजह बता रहे हैं, जिसकी वजह से एक ऐसे कलाकार से अच्छे-अच्छे फिल्म प्रोजेक्ट दूर होते गए. जिसने बॉलीवुड में बिना गॉडफादर के अपनी मेहनत से ऐसा मुकाम हासिल किया, जो छोटे शहर के लड़के लिए आसान तो बिल्कुल नहीं है. इस नेपोटिज्म की आग में कितने कलाकारों का करियर ऐसा झुलसा कि वे दोबारा खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और दुनिया उन्हें भूलती चली गई.

उल्लेखनीय है कि सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बाद बॉलीवुड समेत तमाम जगत के लोगों ने सोशल मीडिया पर एक बड़े स्टार्स को खोने का दर्द साझा किया और संवेदनाएं जाहिर कीं. इन संवेदनाओं के शब्द ग्लानि, मदद न कर पाने की विवशता, अनजानी मजबूरी, समय काल के तेजी से भागने की हकीकत जैसे भावों से भरे हुए थे. करण जौहर ने खुद पर अनजाना दोष मढ़ते हुए लिखा कि काश, मैं तुम्हारे मुश्किल वक्त में साथ दे पाता. आलिया ने भी सुशांत के जाने का ग़म जाहिर कियाा. लेकिन अब सोशल मीडिया पर पुराने वीडियो और फोटो शेयर कर लोग करण और आलिया को कोस रहे हैं और कह रहे हैं कि नेपोटिज्म का लबादा ओढ़े ये लोग ढोंगी है और इन्होंने कइयों की जिंदगी बर्बाद कर दी.

नेपोटिज्म बॉलीवुड की हकीकत कहें या फसाना, पर अस्तित्व में तो है. दरअसल, बॉलीवुड से ही नेपोटिज्म की बात उठती है. कंगना रनौत करण जौहर के शो में ही करण पर नेपोटिज्म का आरोप लगाती हैं और कहती हैं कि वो बड़े-बड़े स्टार्स को तो मौका देते हैं, लेकिन जो संघर्ष करते हुए छोटे शहरों से यहां पहुंचे है और टैलेंटेड भी हैं, उनकी बड़े प्रोडक्शन हाउस में कद्र नहीं होती. बीते अप्रैल में एक ऐसा ही कलाकार इरफ़ान खान दुनिया को अलविदा कह गया. इरफ़ान को नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से निकलने के 15 साल बाद फिल्म मिली थी, तब तक वह अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे. एक नहीं, ऐसे ढेरों उदाहरण हैं, जो अदाकारी की दुनिया में जलवा बिखेर सकते थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला या शायद दिया नहीं गया. आज सुशांत के बहाने उन सभी कलाकारों को याद किया जा रहा है.

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय