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Updated: 03 जून, 2021 11:17 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत (Sushant Singh Rajput Death Mystery) के एक साल पूरे होने वाले हैं. पिछले साल 14 जून को बॉलीवुड का ये चमकता सितारा हमेशा के लिए ओझल हो गया. मुंबई स्थित उनके घर में रहस्यमयी हालत में उनकी डेड बॉडी मिली थी. पुलिस से लेकर सीबीआई और एनसीबी तक, कई जांच एजेंसियों ने केस की तहकीकात की, लेकिन नतीजा ढ़ाक के तीन पात रहा. एक्टर की मौत की गुत्थी आजतक कोई भी सुलझा नहीं पाया. यहां तक कि उनकी मौत के रहस्य को सुलझाने के लिए हो रही जांच नशाखोरी के पर्दाफाश के अंजाम तक ही पहुंच पाई. अब सुशांत की जिंदगी की कश्मकश और मौत के रहस्य पर बन रही फिल्मों पर नया बखेड़ा खड़ा हो गया. कोर्ट तक मामला पहुंच गया है. एक्टर के पिता केके सिंह इन फिल्मों पर बैन के साथ ही मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

दरअसल, सुशांत सिंह राजपूत के जीवन से प्रेरित दो फिल्में रिलीज होने के लिए तैयार है. पहली फिल्म 'न्याय: द जस्टिस' (Nyay: The Justice) और दूसरी 'सुसाइड या मर्डर: अ स्टार वॉज लॉस्ट' (Suicide or Murder: A star was lost) है. पहली फिल्म 11 जून को रिलीज होने वाली है. इसकी रिलीज को रोकने के लिए सुशांत के पिता केके सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. उनका कहना है कि उनके बेटे का नाम या उसकी पसंद को प्रस्तावित फिल्मों में इस्तेमाल करने से रोका जाए. फिल्म निर्माता स्थिति का लाभ उठाने के लिए इस तरफ की फिल्म बना रहे हैं. उन्हें अंदेशा है कि इस तरह की फिल्में, वेब सीरीज, किताबें या इंटरव्यू प्रकाशित हो सकती है, जो उनके बेटे या उनके परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती हैं. उन्होंने इसके लिए 2 करोड़ रुपये के मुआवजे की फिल्म निर्माताओं से मांग की है.

650_060321050208.jpgदिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के जीवन से प्रेरित दो फिल्में रिलीज होने के लिए तैयार है.

फिल्म 'न्याय: द-जस्टिस' के निर्देशक की तरफ से वकील चंदर लाल की दलील है कि इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत का नाम या उनकी पसंद को शामिल नहीं किया गया है. यह सुशांत की बायोपिक नहीं है. किसी को फिल्म बनाने से रोकना ठीक नहीं है. अभिव्यक्ति की आजादी संविधान में दी गई है. सुशांत एक सेलेब्रिटी थे और लोग जानना चाहते हैं कि उनके साथ क्या हुआ है. इतना ही नहीं फिल्म की रिलीज को बड़े स्तर पर प्रचारित किया जा चुका है, ऐसे में इसे रोकने पर कोई आश्वासन नहीं दे सकेंगे. हालांकि, कहा जा रहा है कि फिल्म कथित रूप से सुशांत के जीवन पर आधारित है. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, लेकिन फिल्म मेकर्स को चेतावनी दी गई है कि जबतक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तबतक वे फिल्म को रिलीज नहीं कर सकते हैं.

सुशांत पर केवल उनके पिता का ही हक नहीं है!

यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि सुशांत के पिता कृष्ण किशोर सिंह आखिर किसी फिल्म को बैन क्यों कराना चाहते हैं? उनको ऐसा क्यों लगता है कि फिल्म से सुशांत केस पर या उनके परिवार पर कोई प्रभाव पड़ेगा? जबकि फिल्म मेकर्स की तरफ से ऐसा कभी क्लेम नहीं किया गया है कि वो सुशांत सिंह राजपूत की बायोपिक बना रहे हैं. उनकी कहानी पब्लिक डोमेन में है. हर कोई उसके बारे में जानता है. मीडिया ने हर पहलू पर लिखा और बोला है. ऐसे में कौन सी बात है, जिससे केके सिंह को खतरा नजर आ रहा है? यह सौ फीसदी सच है कि किसी को भी फिल्म बनाने से रोकना संविधान के तहत दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा. जबतक कि उस अभिव्यक्ति से किसी की निजता का हनन नहीं होता. सुशांत पर फिल्म बने या न बने, इसे सिर्फ उनके पिता को तय करने का अधिकार नहीं होना चाहिए है. न ही उनके द्वारा दायर केस की वजह से फिल्म पर कोई प्रभाव पड़ना चाहिए.

फिल्म पर ऐतराज होगा तो फैंस खुद देंगे जवाब!

वैसे भी सुशांत सिंह राजपूत बिहार के पटना निवासी कृष्ण किशोर सिंह के बेटे से कहीं ज्यादा एक ऐसे सेलिब्रिटी थे, जिनके लाखों फैंस हैं. उनकी मौत के बाद सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक लोगों ने जैसे रिएक्ट किया, उससे साफ है कि वो केवल पिता के नहीं पब्लिक के भी हैं. उनके पिता के साथ हजारों-लाखों लोग सुशांत का सच जानना चाहते हैं. यदि किसी फिल्म में उनके जीवन से प्रेरणा लेकर कुछ दिखाया भी जा रहा है, तो उसे व्यक्तिगत रोकने की बजाए लोगों के बीच में जाने देना चाहिए. सुशांत के फैंस पर यकीन रखना चाहिए कि यदि उन फिल्मों में जरा भी कुछ गलत होगा, तो वे उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे. एक्टर के चाहने वाले आज भी उनके साथ हैं. सोशल मीडिया पर लगातार सुशांत का नाम जिस तरह से ट्रेंड होता है, उससे पता चलता है कि फैंस उनको भूले नहीं हैं. उनके लिए इंसाफ की आवाज बुलंद किए हुए हैं.

11 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होनी है फिल्म

'न्याय: द जस्टिस' फिल्म दिलीप गुलाटी के निर्देशन में बनी है, जिसे 11 जून को सिनेमाघरों में रिलीज किया जाना है. फिल्म में मुख्य किरदार जुबेर खान और श्रेया शुक्ला निभा रहे हैं. इनके साथ ही अमन वर्मा (ईडी के चीफ), असरानी (मोहिंदर सिंह का रोल कर रहे जुबेर खान के पिता), शक्ति कपूर (एनसीबी चीफ), आनंद जोग (मुंबई पुलिस कमिश्नर), सोमी खान (सेलेब्रिटी मैनेजर), अरुण बख्शी (बॉलीवुड फिल्ममेकर) और सुधा चंद्रन (सीबीआई चीफ) जैसे कलाकार भी शामिल हैं. वहीं, फिल्म 'सुसाइड या मर्डर: अ स्टार वॉज लॉस्ट' में सुशांत के हमशक्ल के नाम से टिकटॉक फेम सचिन तिवारी मुख्य भूमिका में हैं. विजय शेखर गु्ता की प्रोडक्शन हाउस वीएसजी बिंज तले बन रही इस फिल्म का निर्देशन शमिक मौलिक ने किया है. सचिन अपनी शारीरिक संरचना और हाव-भाव की वजह से सुशांत के हमशक्ल लगते हैं.

34 साल की उम्र में हुई सुशांत की रहस्यमयी मौत

14 जून 2020 की उस मनहूस सुबह जैसे ही ये खबर आई कि बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत अपने घर में मृत पाए गए हैं, तो सहसा किसी को विश्वास नहीं हुआ. क्योंकि किसी ने सोचा न था. कभी कल्पना भी नहीं की थी. रुपहले पर्दे पर जीवन की सीख देने वाले सुशांत हमेशा के लिए शांत हो जाएंगे. नैसर्गिक प्रतिभा के धनी सुशांत महज 34 साल की उम्र में जिस दर्दनाक अंदाज में जिंदगी को अलविदा गए, जो हैरतअंगेज मर्माहत कर देने वाला था. कुछ लोगों ने कहा कि खुदकुशी कर ली, लेकिन अपने जिदों पर जिंदगी की ख्वाबगाह को हकीकत के समंदर में तब्दील कर देने का माद्दा रखने वाले इस अभिनेता को आखिर कौन सा गम था, कौन सी तन्हाई थी, जो इतना अशांत कर गई कि खुदकुशी की राह चुन ली. पुलिस ने कहा कि खुदकुशी है, लेकिन के फैंस इस बात को मानने को तैयार न थे.

आत्महत्या और हत्या के बीच उलझी मौत की गुत्थी

सुशांत सिंह राजपूत का केस धीरे-धीरे आत्महत्या और हत्या के बीच झूलने लगा. आत्महत्या की थ्योरी बताने वालों का कहना था कि मुंबई के बांद्रा स्थित अपने घर पर मौत को गले लगाने से पहले सुशांत हमेशा की तरह शांत थे. सुबह उठने के बाद करीब नौ बजे जूस लिया और अपने बेडरूम में चले गए. काफी इंतजार के बाद बेचैन दोस्तों और नौकरों ने दरवाजा खटखटाया तो नहीं खुला. किसी अनहोनी की आशंका में डुप्लीकेट चाबी बनाने वाले को बुलाया गया. दरवाजा खुलते ही सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं. बेहद जिंदादिल, यारबाजी के लिए मशहूर सुशांत सिंह राजपूत फांसी के फंदे पर लटके मिले. बस फिर क्या था हाहाकार मच गया. मुंबई पुलिस ने आनन-फानन में जांच तो शुरू कि लेकिन घटना के अगले 40 दिन तक वो सिर्फ पूछताछ में ही उलझी रह गई. फिर सीबीआई से लेकर एनसीबी तक ने जांच किया.

सुशांत के फैंस आज भी लगा रहे हैं इंसाफ की गुहार

इस केस में लेकिन अंतत: क्या हुआ? एक कहावत है, 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया'. सुशांत सिंह राजपूत केस में भी अभी तक वही हुआ. पुलिस ने इसे खुदकुशी का केस बताया तो वहीं सुशांत की फैमिली और फैंस ने हत्या माना. सोशल मीडिया पर आए दिन 'जस्टिस फॉर सुशांत' या 'सुशांत के हत्यारों को फांसी दो' जैसे हैशटैग ट्रेंड होते रहते हैं. इस मामले में सीबीआई तो किसी नतीजे पर पहुंची नहीं, एनसीबी ने पूरा मामला ड्रग्स रैकेट पर केंद्रित कर दिया. कहां एक शख्स की मौत के रहस्य को सुलझाने की बात हो रही थी और लेकिन कहां जांच एजेंसियां नशाखोरी के रैकेट को सुलझाने में लग गईं. सीबीआई इस केस में क्या कर रही है, उसकी पड़ताल में क्या मिला, ये तो पता चला नहीं, लेकिन NCB ने ड्रग्स रैकेट के जाल को जरूर सामने रख दिया. अब नया बखेड़ा फिल्म पर हो रहा है. उसके पीछे भी पॉवर और पॉलिटिक्स ही नजर आ रही है. कोई बेटा समझ के हक जमा रहा है, तो कोई पब्लिक प्रॉपर्टी समझ के फिल्म बनाकर पैसे कमाना चाह रहा है. बस इंसाफ की बात कोई नहीं कर रहा है.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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