New

होम -> सिनेमा

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 10 अक्टूबर, 2022 07:31 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

शाहरुख खान की तीन फ़िल्में चर्चा में हैं. पहली- यशराज कैम्पस के साथ- पठान. लगभग बनकर तैयार है और अगले साल जनवरी में रिलीज की जाएगी. दूसरी- एटली कुमार के निर्देशन में बन रही जवान है जिसे अगले साल रिलीज करने की योजना है. एक और फिल्म है डंकी- जिसे राजकुमार हिरानी बना रहे हैं. जिन मेकर्स की फ़िल्में जनवरी में आ रही हैं वे आक्रामक प्रमोशन करते नजर आ रहे. उदाहरण के लिए ओम राउत की आदिपुरुष भी जनवरी रिलीज ही है. फिल्म का टीजर आ चुका है. जबरदस्त विरोध दिख रहा है. लेकिन शाहरुख की फिल्मों का सीधा प्रमोशन नजर नहीं आ रहा. बल्कि वह स्मार्ट तरीके से दिख रहा. चीजें तैयार की जा रही फिर उससे उनकी फ़िल्में लिंक हो रही हैं.

असल में शाहरख भी बॉलीवुड के उन सितारों में शामिल हैं जिनकी फिल्मों के खिलाफ जबरदस्त बायकॉट दिखा था पहले पहल. जीरो के बाद पिछले चार साल से भले ही उनकी कोई फिल्म ना आई हो, मगर ऐसा कोई महीना नहीं दिखा है जब किंग खान का विरोध सोशल मीडिया पर ना हुआ हो. इसमें कोई शक नहीं कि बायकॉट कैम्पेन ने शाहरुख की छवि को बहुत नुकसान पहुंचाया है. सिर्फ शाहरुख ही नहीं बल्कि बॉलीवुड के तमाम निर्माताओं और एक्टर्स को भी बायकॉट कैम्पेन की वजह से नुकसान पहुंचा है. पठान वैसे भी राडार पर है. जब तब बायकॉय की बात दिख ही जाती है. हालांकि शाहरुख की टीम उनकी छवि बदलने पर जबरदस्त तरीके से काम कर रही है.

srkशाहरुख खान

सलमान खान की राह पर दिख रहे शाहरुख, पर देर हो चुकी है 

वो चाहे करण जौहर हों, आमिर खान हों या फिर शाहरुख खान- बॉलीवुड के तमाम सितारे दक्षिण के आधार का इस्तेमाल कर हिंदी बेल्ट में अपनी छवि दुरुस्त करने की कोशिश कर रहे हैं. कई चीजें हो रही हैं जिन्हें देखा जा सकता है. शाहरुख भी सलमान खान की तरह 'सेवाभाव' और करुणा का सहारा लेकर छवि दुरुस्त करने की कोशिश में देखे जा सकते हैं. जब सलमान खान के ऊपर मारपीट, धमकाने, शिकार, रोड रेजिंग जैसे गंभीर आरोप लगे उन्होंने भी अपनी सार्वजनिक छवि को सुधारने के लिए इसी तरह 'सेवाभाव' और 'करुणा' का सहारा लिया था. बीइंग ह्यूमन के जरिए उनके तमाम सामजिक कार्यों को नजीर के तौर पर पेश किया गया और एक उदार, मददगार और जमीन से जुड़े अभिनेता के रूप में उनकी छवि गढ़ी गई.

पिछले एक डेढ़ साल से शाहरुख को भी इसी तरह उदार और मददगार अभिनेता के रूप में पेश करने की कोशिशें हो रही हैं. इसी कवायद में ताजा उदाहरण चेन्नई में देखा जा सकता है जहां किंग खान ने अपनी फिल्म 'जवान' का लंबा शेड्यूल पूरा किया. शाहरुख ने एक ट्वीट कर दक्षिण के दिग्गज सितारों के साथ ना सिर्फ अपना एसोसिएशन दिखाया बल्कि उनकी मेहमाननवाजी की जमकर तारीफ़ भी की. और तमाम दिग्गजों का जवान के सेट पर आने के लिए शुक्रिया अदा किया. शाहरुख का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर लंबे वक्त तक ट्रेंड करता नजर आया. शाहरुख की पोस्ट को रीट्वीट करते हुए एटली कुमार ने जवाब दिया- "थैंक यूं सर. आपका यहां आना हमारे लिए सम्मान और खुशी की बात है. मेरे करियर का सबसे यादगार शेड्यूल रहा. आपने ये शूट चेन्नई में रखवाया. इसके लिए आपका ख़ास धन्यवाद. हजारों परिवारों को इससे फायदा पहुंचा. किंग हमेशा किंग होता है. सिर झुकाकर हम आपका सम्मान करते हैं. ढेर सारा प्यार सर. जल्द ही मुंबई में मिलते हैं सर."

एटली के ट्वीट में दो चीजें सबकुछ बता देती हैं

इस ट्वीट की दो जरूरी चीजों पर ध्यान दीजिए. एक- चेन्नई शेड्यूल शाहरुख की वजह से रखा गया. दूसरा- चेन्नई शेड्यूल की वजह से हजारों लोगों को लाभ मिला. अब सवाल है कि क्या चेन्नई में फिल्मों की शूटिंग नहीं हो रही थी जो शाहरुख के शेड्यूल की वजह से लोगों को काम मिलना संभव हो पाया? मुंबई, चेन्नई और हैदराबाद फिल्म नगरी है जहां कोविड के कुछ वक्त को छोड़ दिया जाए तो 12 महीने और 24 घंटे शूट का काम चलता ही रहता है. इन शहरों में शूट करने वाले किसी फिल्म मेकर ने कभी इस तरह नहीं लिखा कि शूट की वजह से हजारों लोगों को काम मिला. यह तो स्वाभाविक चीज है. यह कुल मिलाकर पीआर स्टंट है. अगर आपने गौर किया होगा तो आर्यन खान ड्रग केस के दौरान भी शाहरुख के करीबी लोगों की तरफ से इसी तरह का प्रचार नजर आ रहा था. शाहरुख के बॉडी डबल का इंटरव्यू काफी चर्चित रहा जिसमें उन्होंने बताया कि कोविड के वक्त किस तरह शाहरुख की वजह से हजारों लोगों को रोजगार मिला.

मजेदार यह भी है कि जो लोग रोजगार देने की कृपा से लहालोट हुए जा रहे हैं उन्हें यह भी नहीं पता कि बॉलीवुड में शाहरुख खान जैसे बड़े सितारों की वजह से फ़िल्में NRI हो गईं. शाहरुख की अधिकांश फ़िल्में विदेशों में शूट होती थीं. तो क्या यह नहीं माना जा सकता कि शाहरुख ने लंबे वक्त तक लोगों का रोजगार नहीं ख़त्म किया. कितना विरोधाभास है कि निजी नफा को भी जनकल्याणकारी मुद्दे के तौर पर पेश किया जाता है. बाकी कहीं किसी फिल्म के शूट से हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है तो इसका मतलब यह भी है कि कोई हजार लोगों के रोजगार के साथ अपना भी तो रोजगार कर रहा है. कोई एहसान नहीं कर रहा.

#शाहरुख खान, #जवान, #पठान, Shahrukh Khan, SRK, SRK Smart Campaign For Pathan And Jawan

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय