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Updated: 26 जुलाई, 2021 05:09 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी की फिल्म 'शेरशाह' का ट्रेलर लॉन्च किया गया है. यह फिल्म कारगिल वॉर के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित है, जो साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में शहीद हो गए थे. विष्णु वर्धन द्वारा निर्देशित और धर्मा प्रोडक्शंस और काश एंटरटेनमेंट द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित फिल्म 'शेरशाह' में शिव पंडित, राज अर्जुन, प्रणय पचौरी, हिमांशु अशोक मल्होत्रा, निकितिन धीर, अनिल चरणजीत, साहिल वैद, शताफ फिगर और पवन चोपड़ा जैसे कलाकार भी अहम किरदार में हैं. इसे 12 अगस्त को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज किया जाएगा.

'या तो तिरंगा लहरा के आऊंगा या तिरंगे में लिपट कर आऊंगा, लेकिन आऊंगा जरूर'...फिल्म शेरशाह के ट्रेलर में नायक के इस डायलॉग को सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. किसी सैनिक के लिए उसके देश का राष्ट्रध्वज जान से भी ज्यादा प्रिय होता है. तिरंगा जवानों की आन-बान-शान है. सिद्धार्थ मल्होत्रा कैप्टन विक्रम बत्रा के किरदार में हैं. वो देश के प्रति एक सैनिक के कर्त्वयों पर बातें करते हुए नजर आते हैं. ढाई मिनट के इस वीडियो हमें सैनिक के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया और दिखाया गया है. व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों. एक तरफ दिखाया गया है कि किस तरह से विक्रम बत्रा ने जान की परवाह किए बिना पूरे साहस के साथ दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया. वहीं दूसरी तरफ उनके व्यक्तिगत जीवन पर भी फोकस किया गया है. सिद्धार्थ और कियारा के रोमांस के कुछ ग्लिम्प्स भी दिखाए गए हैं.

sid-650_072621044747.jpgसिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म 'शेरशाह' का ट्रेलर विक्की कौशल की फिल्म उरी की याद दिलाता है.

कारगिल विजय दिवस की सच्ची श्रद्धांजलि

फिल्म 'शेरशाह' के ट्रेलर में एक झलक देश के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजनेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी की भी दिखाई देती है. वो अपने भाषण में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए यह कहते नजर आते हैं, 'हम शांति की रक्षा के लिए शक्ति का प्रदर्शन करना जानते हैं'. महज कुछ सेकेंड के इस सीन के जरिए यह संदेश भी दिया गया है कि हमारे जवान तो बहादुर हैं ही, हमारे देश का नेतृत्व भी बहुत मजबूत रहा है, वरना कारगिल जैसे युद्ध को जीतना बहुत मुश्किल हो जाता यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति मजबूत नहीं होती. इसके लिए अटलजी जैसे कुशल और निडर राजनेता को श्रेय देना कारगिल विजय दिवस पर उनको सच्ची श्रद्धांजलि है.

फिल्म के शानदार और दमदार डायलॉग

किसी भी फिल्म में डायलॉग उसकी जान होते हैं. अच्छे डायलॉग न सिर्फ फिल्म मे समां बांधते हैं, बल्कि लोगों की जुबान पर चढ़कर फिल्म का मुफ्त प्रचार भी करते हैं. इस फिल्म में डायलॉग बहुत ही शानदार और दमदार हैं. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज होने वाली किसी फिल्म के डायलॉग जिस एहसास के साथ लिखे जाने चाहिए, वैसे ही फिल्म 'शेरशाह' के हैं, राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत. फिल्म का नायक कहता है, 'एक फौजी के रुतबे से बड़ा कोई रुतबा नहीं होता है, वर्दी की शान से बड़ी और कोई शान नहीं होती है, अपने देश से बड़ा कोई धर्म नहीं होता, 'हर फौजी का एक सपना होता है कि कम से कम एक बार वॉर में जाने का मौका मिले'.

प्रेम और बलिदान की सच्ची कहानी

फिल्म के बारे में धर्मा प्रोडक्शंस के करण जौहर ने कहा, 'शेरशाह, एक युद्ध नायक के पराक्रम, प्रेम और बलिदान की सच्ची कहानी है, जिसकी अदम्य भावना और बहादुरी ने हमारे देश को इतने कठिन युद्ध में जीत दिलाई थी. उनका बलिदान अमूल्य है. उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है.' फिल्म शेरशाह कैप्टन विक्रम बत्रा के साहस और शौर्य को दिखाती है. साल 1999 के कारगिल युद्ध में उनके अमूल्य बलिदान का सम्मान करती है. पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल की लड़ाई में 'शेरशाह' कैप्टन विक्रम बत्रा का कोडनेम था, जिसके प्रति ईमानदार रहते हुए उनकी बहादुरी और बलिदान ने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी.

फिल्म से दिलचस्प जिंदगी की दास्तान

कैप्टन विक्रम बत्रा के असली जिंदगी की कहानी किसी फिल्म से भी ज्यादा दिलचस्प है. कारगिल युद्ध में जाने से पहले कैप्टन बत्रा अपने घर छुट्टी पर आए हुए थे. इसी दौरान अपनी प्रेमिका डिंपल चीमा के साथ मनसा देवी घूमने गए थे. मंदिर में परिक्रमा के दौरान उन्होंने प्रेमिका का दुपट्टा पकड़कर बधाई हो 'मिसेज बत्रा' कहा था. 'द लव स्टोरी ऑफ विक्रम बत्रा' में उनकी प्रेमिका ने खुलासा किया है कि जब उनको कारगिल युद्ध जाने का बुलावा आया, तो वो बहुत खुश और उत्साहित थे. वो अपनी प्रेमिका से बहुत प्यार करते थे. कहा जाता है कि वॉर में जाने से पहले विक्रम बत्रा ने अपना अंगूठा काटकर उससे निकले खून से अपनी प्रेमिका की मांग भरी थी.

पाकिस्तान में भी विक्रम बहुत पॉपुलर हैं

कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के किस्से भारत में ही नहीं सुनाए जाते, पाकिस्तान में भी विक्रम बहुत पॉपुलर हैं. पाकिस्तानी आर्मी भी उन्हें शेरशाह कहा करती थी. विक्रम बत्रा के बारे में उनके एक साथी जवान ने बताया था कि एक बार पाकिस्तानी घुसपैठिये लड़ाई के दौरान चिल्लाए, 'हमें माधुरी दीक्षित दे दो. हम नरमदिल हो जाएंगे'. इस बात पर कैप्टन विक्रम बत्रा मुस्कुराए और अपनी AK-47 से फायर करते हुए बोले, 'लो माधुरी दीक्षित के प्यार के साथ' और कई सैनिकों को मार गिराया. विक्रम बत्रा की 13 JAK रायफल्स में 6 दिसम्बर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जॉइनिंग हुई थी. दो साल के अंदर ही वो कैप्टन बन गए.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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