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Updated: 18 जून, 2021 03:42 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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अमेजन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर रिलीज हुई विद्या बालन (Vidya Balan) और मुकुल चड्ढा (Mukul Chadda) की फिल्म शेरनी (Sherni) दहाड़ रही है. फिल्म समीक्षकों की सकारात्मक समीक्षा के बीच यूजर्स की तरफ से भी शानदार रेटिंग मिल रही है. ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इस फिल्म को रिलीज हुए अभी महज 24 घंटे भी नहीं हुए हैं, लेकिन IMDb यूजर्स ने इसे 10 में से 7.7 रेटिंग दे दी है. पिछले कुछ घंटों से रेटिंग में लगातार इजाफा भी हो रहा है. अनुमान है कि 'मैन वर्सेज़ एनिमल' की इस कहानी को यूजर्स द्वारा अधिकतम रेटिंग से नवाजा जा सकता है. इससे साफ पता चलता है कि लोगों को फिल्म बहुत पसंद आ रही है.

विद्या बालन की फिल्म 'शेरनी' बिना किसी शोर-शराबे और हंगामे के एक मुद्दे की बात करती है. उस मुद्दे पर किस तरह राजनीति की जाती है, उसमें राजनेताओं और नौकरशाहों की मिलीभगत कैसे होती है, इसे फिल्म में बहुत ही सटीक तरीके से दिखाया गया है. सरकारी महकमों की लचर कार्यशैली, सरकारी मुलाजिमों और सियासत का गठजोड़, किसी जानवर की जान के लिए इंसानी नजरिया और इंसानी जान के लिए सियासी रवैया, सबकुछ बहुत सादगी और बारीकी से दिखाया गया है. बॉलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेस विद्या बालन का तो कहना ही क्या, एक लेडी फॉरेस्ट अफसर के किरदार में उनका नॉन-ग्लैमरस लुक कहीं से भी बनावट का अहसास नहीं कराता है.

sherni-full-movie-le_061821024647.jpgकिरदार कोई भी हो, फिल्म की कहानी कैसी भी हो, विद्या बालन अपनी अदाकारी से जान डाल देती हैं.

एक IMDb यूजर तुलसीदास ने फिल्म को 10 रेटिंग देते हुए लिखा हैं, 'अमित मसुरकर (फिल्म निर्देशक) ने एक बार फिर खुद को साबित कर दिखाया है. फिल्म को इस साल के ऑस्कर नॉमिनेशन के लिए भेजा जाना चाहिए. इसमें निश्चित रूप से अवॉर्ड हासिल करने की क्षमता है. इसकी प्रामाणिकता और नयापन इसे लीक से हटकर बनाता है. फिल्म देखते हुए आप उनकी दुनिया का एक खास हिस्सा बन जाएंगे. हर सीन बेहतरीन है, आपको पलक झपकाने तक का मौका नहीं देता. हर किरदार की बारीक डिटेलिंग की गई है. सभी कलाकारों ने शानदार काम किया है; खासकर विद्या बालन, विजय राज, मुकुल चड्ढा और बृजेंद्र कला की अदाकारी जबरदस्त है.'

कहानी धीमी, लेकिन कसी हुई है

अरुण कुमार लिखते हैं, 'प्रकृति और रूढ़िवादी विचारों के बारे में शेरनी एक कमाल की फिल्म है. यदि आप धरती मां से प्यार करते हैं और चाहते हैं कि हमारे जंगल फलें-फूलें, तो आपको यह फिल्म पसंद आएगी. विद्या बालन के शानदार अभिनय, शानदार फोटोग्राफी और एक खूबसूरत संदेश के लिए इस फिल्म को जरूर देखा जाना चाहिए. इस शानदार फिल्म के लिए विद्या बालन और टीम को धन्यवाद.' इस यूजर ने भी फिल्म को 10 में से 10 रेटिंग दी है. वहीं, 7 रेटिंग देते हुए मधुकर लिखते हैं, 'जंगल, व्यंग्य और विद्या बालन की एक्टिंग इस फिल्म में आकर्षित करती है, लेकिन कहानी कई बार धीमी हो जाती है, हालांकि हमें बांधे रखती है.'

ये IMDb रेटिंग क्या है?

IMDb किसी फिल्म, टीवी प्रोग्राम, होम वीडियो, वीडियो गेम्स और डिजिटल स्ट्रीमिंग कंटेंट की सूचनाओं से जुड़ा एक ऑनलाइन डेटाबेस का प्लेटफॉर्म है. इस पर संबंधित कंटेट से जुड़ी कास्ट, प्रोडक्शन क्रू, बायोग्राफी, संक्षिप्त कहानी, ट्रिविया, फैन और समीक्षकों के रिव्यू के साथ ही रेटिंग करने का ऑप्शन भी है. यहां रजिस्टर्ड यूजर्स संबंधित कंटेंट को 1 से 10 पॉइंट देकर रेट करते हैं. यूजर्स के लिहाज से रेटिंग पॉइंट के आधार पर किसी फिल्म के प्रभाव को आंका जा सकता है. इसके अलावा यूजर्स की पसंद और ट्रेंड के हिसाब से यह वेबसाइट फिल्म या वेब शो के सजेशन्स भी देती है. हर फिल्म के आगे, रिलीज़ डेट, टोटल समय और उसका जॉनर लिखा होता है.

अमित का निर्देशन कमाल का है!

इस तरह विजय सेतुपति की फिल्म मास्टर (Master), प्रियंका चोपड़ा की फिल्म द व्हाइट टाइगर (The White Tiger), मोहनलाल की दृश्यम (Drishyam) और धनुष की कर्णन (Karnan) की तरह विद्या बालन की शेरनी दर्शकों की पसंदीदा फिल्म बन गई है. इस फिल्म में विद्या के साथ ही शरत सक्सेना, विजय राज, इला अरुण, बृजेंद्र काला, नीरज काबी और मुकुल चड्ढा प्रमुख भूमिकाओं में हैं. इसकी स्क्रिप्ट आस्था टिकू ने लिखी है और डायलॉग यशस्वी मिश्रा के हैं. फिल्म को निर्देशित किया है भारत की ओर से ऑस्कर के लिए भेजी गई फिल्म 'न्यूटन' के लेखक और निर्माता अमित वी मसुरकर ने, जिनका कसा हुआ निर्देशन कमाल का है.

फिल्म शेरनी की कहानी क्या है?

फिल्म शेरनी की कहानी लेडी फॉरेस्ट अफसर विद्या विंसेंट (विद्या बालन) के इर्द-गिर्द घूमती है. एक जंगल में टाइगर का आतंक बढ़ जाता है. उसके आसपास के इलाके लोग उसकी वजह से परेशान है. टाइगर आए दिन लोगों का शिकार करता है. फॉरेस्ट अफसर विद्या विंसेंट को इस मिशन पर वन विभाग भेज देता है. वहां जाने पर विद्या को पता चलता है कि यहां तो जानवरों के साथ साथी अफसरों और उनकी पुरुषवादी सोच से भी भिड़ना है. एक महिला अफ़सर के आने पर बाकी के स्टाफ़ में खुसर-पुसर शुरू हो जाती है. उधर गांव वाले एक के बाद एक टाइगर द्वारा की जा रही हत्या से परेशान हैं. उनका गुस्सा वन विभाग पर फूट पड़ता है. भीड़ स्टाफ की गाड़ियां जला देती है. कुछ दिनों बाद एक टाइगर को मार गिरा दिया जाता है. लेकिन अब नए सवाल उठ खड़े होते हैं. क्या मारा गया टाइगर वाकई आदमखोर था या उसे सिर्फ प्रमोशन पाने और भीड़ का गुस्सा शांत करने के लिए बलि चढ़ा दिया गया? इन सवालों के जवाब फिल्म देखने के बाद ही आपको मिलेंगे.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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