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Updated: 05 मार्च, 2021 08:09 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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OTT प्लेटफॉर्म Sony LIV पर दिखाई गई वेब सीरीज 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' (Scam 1992: The Harshad Mehta Story) की बड़ी सफलता के बाद मेकर्स ने इसके दूसरे सीजन का ऐलान कर दिया है. एपलॉज एंटरटेनमेंट ने सोशल मीडिया पर बताया कि इसके सीक्वल का नाम 'स्कैम 2003: द क्युरियस केस ऑफ अब्दुल करीम तेलगी' (Scam 2003: Curious case Abdul Karim Telgi) होगा. इसमें स्टाम्प पेपर स्कैम के मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी की कहानी दिखाई जाएगी, जिसने देश के कई राज्यों में अपना धंधा जमाकर 20 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया था. पहले सीजन की तरह इस सीजन को भी हंसल मेहता ही निर्देशित करेंगे. इस वेब सीरीज की स्ट्रीमिंग अगले साल होगी.

एपलॉज एंटरटेनमेंट और हंसल मेहता एक के बाद एक जिस तरह कांग्रेस सरकार के शासन काल में हुए घोटालों पर वेब सीरीज बनाने का ऐलान कर रहे हैं, उसे देखकर तो भारतीय जनता पार्टी फूली नहीं समाई होगी. इन वेब सीरीज के जरिए कांग्रेसी सरकारों के समय में हुए घोटालों की कहानी दर्शकों के सामने रोचक अंदाज में पेश की जा रही है. जिससे दर्शकों का एंटरटेनमेंट तो हो ही रहा है, साथ ही साथ घोटालों और उनके पर्दाफाश होने की कहानी भी सामने आ रही है. ये सभी घोटाले करीब दो दशक पुराने हैं. नई पीढ़ी के लिए इनकी कहानी नई है. वरना इतिहास के पन्नों में दफन इन कहानियों को कौन जानता, यदि उसे वेब सीरीज के रूप में सामने नहीं लाया जाता. वैसे अपने देश में घोटालों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, सत्यम घोटाला, कोयला घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड डील स्कैम, बोफोर्स घोटाला आदि कांग्रेस शासन काल के काले दाग हैं.

1-650x400_030521033359.jpgहर्षद मेहता और अब्दुल करीम तेलगी घोटालों के बेताज बादशाह माने जाते हैं.

आइए सबसे पहले बात करते हैं 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' के बारे में. इसकी कहानी लोगों को बहुत पसंद आई है. इसे क्रिटिक चॉइस अवॉर्ड्स 2021 में बेस्ट वेब सीरीज का खिताब भी मिला है. इसकी कहानी की शुरूआत 500 करोड़ के बैंक फ्रॉड से होती है और भारत के प्रधानमंत्री को सवालों के घेरे में खड़ा करके खत्म हो जाती है. वेब सीरीज देबाशीष बसु और सुचेता दलाल की किताब द स्कैम पर आधारित है जो हर्षद मेहता के शेयर बाजार घोटाले पर लिखी गई है. बताते हैं कि हर्षद मेहता का बचपन मुश्किलों में बीता था. हर्षद भले ही साधारण परिवार से हो लेकिन उसके सपने काफी बड़े होते हैं. वह अपनी जिंदगी में साधारण नहीं रहना चाहता. जीवकोपार्जन के लिए हर्षद बैंक में क्लर्क का काम करता है. इसके साथ ही सड़क पर सामान भी बेचता है. यहीं काम करते हुए एक दिन वह शेयर बाजार की तरफ रुख करता है. जहां से उसके जीवन का नया अध्याय शुरू होता है.

घोटाले में सामने आया देश के PM का नाम

हर्षद मेहता शेयर की दुनिया में लंबी छलांग मारता है. शिखर पर पहुंच जाता है. लेकिन जैसा कि कहा जाता हैं कि शेयर बाजार एक जुआ है. जब तक किस्मत काम करती है, तब तक इंसान आगे बढ़ता है, किस्मत खराब हुई, तो धड़ाम से नीचे गिर जाता है. ऐसा ही कुछ हर्षद के साथ भी होता है. वह अर्श से फर्श पर आ जाता है. लेकिन हर्षद हार नहीं मानता. टाइम ही टाइम को बदल सकता है और टाइम को बदलने के लिए थोड़ा टाइम दीजिए. इसी सीख के साथ हर्षद अपने भाई अश्विन के संग नई शुरुआत करता है. बहुत जल्द अपने दिमाग के दम पर बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) का अमिताभ बच्चन बन जाता है. उसको 'बिग बुल' के नाम से लोग बुलाने लगते हैं. इसी बीच एक पत्रकार हर्षद मेहता की पोल खोल देता है. एक घोटाले का पर्दाफाश होता है, जिसमें एक प्रधानमंत्री का नाम सामने आता है. ये कोई और नहीं पी वी नरसिम्हा राव थे, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे.

इतना बड़ा घोटालेबाज था अब्दुल करीम तेलगी

अब बात करते हैं, 'स्कैम 2003: द क्युरियस केस ऑफ अब्दुल करीम तेलगी'. भारत में वैसे तो अभी तक कई घोटाले हुए हैं. इनमें से कई घोटालों का पर्दाफाश हो चुका है तो वहीं कई ऐसे भी रहे जो अभी तक परतो में ही दबे हैं. कुछ घोटाले ऐसे भी रहे जिन्होंने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. ऐसा ही एक घोटाला रहा स्टांप पेपर घोटाला. इस घोटाले में अब्दुल करीम तेलगी का नाम सामने आया जो सबसे बड़ा जालसाज था. उसकी इंसेफेलाइटिस यानि दिमागी बुखार के चलते मौत हो गई थी. अब्दुल करीम तेलगी एक रेलवे कर्मचारी का बेटा था. बेहद कम उम्र में ही अब्दुल करीम तेलगी को अपने पिता से दूर होना पड़ा. पिता की मौत के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी अब्दुल करीम तेलगी पर आ गई. गुजारे के लिए फल और सब्जी बेचना शुरू कर दिया. लेकिन बाद में उसने अपना दिमाग गलत कामों में लगाया और देखते ही देखते अब्दुल करीम तेलगी बहुत बड़ा घोटालेबाज बन गया था.

घोटाले में आया अफसरों और नेताओं के नाम

तेलगी पैसा कमाने के लिए सात साल के लिए सऊदी अरब गया था. वहां से आने के बाद जालसाज बन गया. नकली पासपोर्ट बनाकर लोगों को ठगने लगा. इसके बाद नकली स्टांप पेपर बनाने का काम भी शुरू कर दिया. इसे बीमा कंपनियों से लेकर बैंकों और विदेशी निवेशकों तक को बेच डाले. उसने करीब 10 अरब रुपये का घोटाला किया था. इसमें कई बड़े पुलिस अफसर, सरकारी कर्मचारी और राजनेता शामिल थे. घोटाले में तेलगी को साल 2006 में 30 साल के कारावास की सजा सुनाई गई. 202 करोड़ का जुर्माना लगाया गया. इस घोटाले में शामिल अब्दुल करीम तेलगी के सभी साथियों को 6-6 साल की सजा सुनाई गई थी. इस वेब सीरीज की कहानी पत्रकार संजय सिंह की किताब 'रिपोर्टर की डायरी' से ली गई है. स्टांप पेपर घोटाले पर 'मुद्रांक नामक एक फिल्म भी बनाई गई थी. 2008 में रिलीज होनी थी, लेकिन हो नहीं पाई. क्योंकि तेलगी ने इसकी रिलीज पर रोक लगाने के लिए केस फाइल कर दिया था.

बॉयोपिक फिल्मों और वेब सीरीज का क्रेज

आजकल बॉलीवुड में बॉयोपिक फिल्मों का बहुत क्रेज है. लेकिन कुछ फिल्में ऐसी भी है जो पूरी तरह बॉयोपिक न होकर सत्य घटना पर आधारित होती है. बॉलीवुड में एक कहावत है कि यहां किसी भी फिल्म को हिट करवाने का कोई फॉर्मूला नहीं है. लेकिन इतना तो सच है कि रटे-रटाए प्लॉट पर बनी ज्यादातर बॉलीवुड फिल्मों को औसत और एक सामान्य वर्ग के दर्शकों द्वारा ही पसंद किया जाता है. वहीं दूसरी तरफ लीक से हटकर या किसी सच्ची घटना पर बनी फिल्में बेशक, बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कामयाब न हो पाए लेकिन ऐसी खास फिल्में दर्शकों के दिलों-दिमाग पर लंबे समय तक छाई रहती है. अलीगढ़, भाग मिल्खा भाग, शाहिद, द डर्टी पिक्चर, रंगरसिया. इन सभी फिल्मों में एक बात सामान्य है और वो है, ये सभी फिल्में बॉयोपिक पर बनी हैं. इसी तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी यही फार्मूला ट्राई किया जाने लगा है. सच्ची घटनाओं पर आधारित रियलिस्टिक सिनेमा बनाया जा रहा है.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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