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Updated: 17 अक्टूबर, 2021 04:44 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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शुजित सिरकार की फिल्म 'सरदार उधम' बदले की एक ऐसी कहानी है, जिसमें बदला लेने वाले का हित व्यक्तिगत नहीं होता. यह एक देशभक्त नौजवान की वीरगाथा है, जो अनाथ होते हुए भी जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने लंदन तक चला जाता है. उसके बाद हंसते हुए फांसी के फंदे पर झूल जाता है. जब भी क्रांतिकारियों की कहानियां कही और सुनी जाती हैं, तो सबसे पहले शहीद भगत सिंह का जिक्र आता है, लेकिन बहुत कम लोगों को पहले पता था कि उनकी तरह एक सरदार और भी था, जिसने ब्रिटिश हुकूमत से विरोध दर्ज कराने के लिए उनके ही घर में घुसकर गोली चलाई थी. जिस तरह अंग्रेजों को सचेत करने के लिए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम धमाका किया था, उसी तरह उधम सिंह ने लंदन स्थित कैक्‍स्‍टन हॉल में माइकल ओ डायर को गोली मारकर एक कड़ा संदेश दिया था.

यदि आप टिपिकल देशभक्त‍ि वाली फिल्‍मों को देखने के शौकीन हैं, तो ये फिल्म शायद आपको निराश कर सकती हैं. यदि आप कोई मनोरंजक बायोपिक या थ्रिलर जॉनर की फिल्म समझकर इसे देखने की योजना बना रहे हैं, तो रहने दीजिएगा. क्योंकि 'सरदार उधम' लीक से हटकर बनाई गई फिल्म है. इस बनाने में निर्देशक शुजित सिरकार को 25 साल लग गए. इतने लंबे समय बाद वो अपने दिल की सबसे करीबी फिल्म को अमली जाना पहना पाए. लेकिन कहते हैं ना देर आए दुरुस्त आए. कुछ ऐसे ही शुजित ने एक ऐसी फिल्म बनाई है, जो भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर साबित होगी. पैट्रियोटिक और बायोपिक जॉनर में अभी तक इस तरह के क्लासिक सिनेमा का इंतजार था. ऊपर से विकी कौशल जैसे अभिनेता का इस फिल्म में होना, सबूत है कि सरदार के किरदार को बहुत मजबूती से पर्दे पर पेश किया गया है.

650_101721041217.jpgशुजित सिरकार के निर्देशन में बनी फिल्म 'सरदार उधम' में विकी कौशल लीड रोल में हैं.

फिल्म 'सरदार उधम' अतीत और वर्तमान के बीच टहलती है. इसमें ब्रिटिश शासन काल के हिंदुस्तान और इंग्लैंड को दिखाया गया है. इस सेट तैयार करना भी किसी चुनौती से कम नहीं रहा है. इस फिल्म में 19 वीं सदी का अमृतसर और लंदन क्रिएट करने के लिए दुनियाभर से टेक्निशियन हायर करने पड़े. उस सदी की इमारतें, गाड़ियां आदि को क्रिएट किया गया. इंडिया के अलावा रशिया, इंग्लैंड, पौलेंड, हंगरी और बाकी देशों के तकनीशियनों ने तब का पूरा समां क्रिएट किया, जो कि फिल्म में बखूबी दिखाई भी देता है. इसके साथ ही फिल्म में जोशिले भाषण या डायलॉग नहीं है, बल्कि एक ऐसे नौजवान को दिखाया गया है, जो चुपचाप अपना काम करता है. वो अपने दिल के जख्म हर किसी को नहीं दिखाता, लेकिन जो सोचता है, उसे पूरा करता है. यहां शुजित ने भी यह समझने और समझाने की कोशिश की है कि उसने 'क्यों' किया, न कि इस बात में उलझे हैं कि उसने कैसे किया. उस नौजवान की मनोस्थिति को सिनेमा में उतारना ही शुजित की सबसे बड़ी सफलता माना जाना चाहिए.

फिल्म पीकू और विक्की डोनर जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले शुजित सिरकार 'वीरता' या 'स्वतंत्रता' पर दूरदर्शी नजर रखते हैं. फिल्म 'सरदार उधम सिंह' में उनका नायक किसी हीरो जैसा नहीं लगता. वो उस व्यक्ति या उसके देश से भी नफरत नहीं करता था जिसने नरसंहार किया था. बल्कि उसकी लड़ाई ब्रिटिश विचारधारा के खिलाफ थी, जो दूसरों की स्वतंत्रता का दमन करती थी. 2 घंटे 40 मिनट की इस फिल्म में शुजीत हमें एक ऐसे जिद्दी आदमी से मिलाते हैं, जो अपने मिशन को पूरा करने के लिए कठिन से कठिन तरीके अपनाता है. गैर कानूनी तरीके से दूसरे देश में जाता है. वहां अपने लक्ष्य की खोज करता है. उसे पूरा करने के लिए छह साल का लंबा वक्त लगाता है. इस दौरान उसे कई ऐसे काम भी करने पड़ते हैं, जो अजीबोगरीब हैं. लेकिन अंतत: वो अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफलता हासिल करता है.

इस फिल्म में सरदार उधम सिंह का रोल पहले दिवंगत अभिनेता इरफान खान करने वाले थे, लेकिन उनके खराब स्वास्थ्य को देखते हुए बाद में विकी कौशल को साइन किया गया. शूजित ने विकी पर भरोसा जताया, जिस पर वो सौ फीसदी खरे उतरे हैं. फिल्म मसान और उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अभिनय की उनमें नैसर्गिक प्रतिभा है. फिल्म में उनके किरदार के जीवन के तीन चरण दिखाए गए हैं. पहला 19 साल का उधम सिंह, जिसके सामने नरसंहार होता है, जिसकी टीस उसके दिल मे जख्म बनकर हमेशा दर्द देती है. उसके बाद दूसरा नौजवान उधम, जो बदले की भावना लिए लंदन चला जाता है. वहां एक जुनूनी जासूस की तरह जलियांवाला बाग नरसंहार के जिम्मेदार माइकल ओ डायर की तलाश करता है. तीसरा, एक क्रांतिकारी की तरह ओजपूर्ण उधम जो भरी सभा में माइकल ओ डायर को गोली मार देता है. उसे जब पुलिस पकड़ती है, तो वो मुस्कराता है. फिल्म में विकी ने अपने मजबूत मानसिक स्थिति का परिचय दिया है.

फिल्म में विकी कौशल के अलावा अमोल पाराशर, बनिता संधू, शॉन स्कॉट, स्टीफेन होगेन, किर्स्टी एवर्टन संग कई भारतीय और विदेशी कलाकारों ने काम किया है. बनिता संधू का काम अच्छा है. भगत सिंह के किरदार में अमोल पाराशर भी अच्छे हैं. डायरेक्‍टर शुजित सरकार को डीओपी अवीक मुखोपाध्‍याय, आर्ट डायरेक्‍टर प्रदीप जाधव के साथ साथ कॉस्‍ट्यूम डायरेक्‍टर और बैकग्राउंड स्‍कोर करने वाले का सधा हुआ साथ मिला है. इसके साथ ही रिसर्च, आर्ट डायरेक्शन, सिनेमैटोग्राफी और म्यूजिक भी शानदार है. कुल मिलाकर, शुजित सिरकार के निर्देशन में बनी विकी कौशल स्टारर फिल्म 'सरदार उधम' ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी एक बेहतरीन फिल्म है, जो आज से बहुत आगे का सिनेमा प्रतीत होता है. ऐसी फिल्मों को सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि एक बेहतरीन सिनेमा को समझने के लिए देखा जाना चाहिए. विकी कौशल के अभिनय के मुरीद उनकी अदाकारी का एक नया स्तर देख पाएंगे. शुजित एक उम्दा निर्देशक क्यों माने जाते हैं, ये भी समझ आ जाएगा.

Sardar Udham Movie का ट्रेलर... 

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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