Samrat Prithviraj: इन चार वजहों से फ्लॉप होने की ओर है अक्षय कुमार की फिल्म
हिंदुस्तान के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जिंदगी पर आधारित हिस्टोरिकल ड्रामा फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' की बॉक्स ऑफिस पर रफ्तार बहुत धीमी हो चुकी है. रिलीज के बाद पहले वीकेंड में 39 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाली फिल्म दूसरे हफ्ते के पहले दिन ही धाराशाई नजर आई. फिल्म ने अभी तक कुल 49 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया है.
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डॉक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में बनी अक्षय कुमार की फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होने की ओर बढ़ रही है. एक तरह कार्तिक आर्यन की फिल्म 'भूल भुलैया 2' रिलीज के तीसरे हफ्ते में भी जमकर कमाई कर रही है, वहीं दूसरी ओर अक्षय कुमार की फिल्म की कमाई लगातार घटती जा रही है. फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' का कुल कलेक्शन अभी तक 49 करोड़ रुपए ही हुआ, जबकि 'भूल भुलैया 2' वर्ल्डवाइड 200 करोड़ रुपए की कमाई को पार कर चुकी है. 250 करोड़ तक कमाई होने का अनुमान है.
हिंदुस्तान के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जिंदगी पर आधारित हिस्टोरिकल ड्रामा फिल्म से हर किसी को बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं. 300 करोड़ रुपए निवेश करने वाले मेकर्स को लगा कि 1000 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई हो सकती है, वहीं दर्शकों को 'आरआरआर' और 'केजीएफ चैप्टर 2' के बाद एक भव्य फिल्म देखने का इंतजार था. लेकिन हर किसी की उम्मीदों पर पानी फिर चुका है. फिल्म की कमाई की रफ्तार देखकर तो ये लग रहा है कि ये कंगना रनौत की फिल्म 'धाकड़' की तरह डिजास्टर साबित होने वाली है.
यशराज फिल्म्स के बैनर तले बन रही इस फिल्म में सुपरस्टार अक्षय कुमार महान योद्धा पृथ्वीराज चौहान का किरदार कर रहे हैं. उनके साथ संजय दत्त, मानुषी छिल्लर, सोनू सूद, आशुतोष राणा और साक्षी तंवर भी मुख्य भूमिकाओं में नजर आने वाले हैं. इस फिल्म का डायरेक्शन डॉक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने किया है. बताया जा रहा है कि डॉक्टर साहब ने इस फिल्म के लिए 18 साल तक रिसर्च किया है. लेकिन फिल्म देखने के बाद उस रिसर्च का असर कहीं नजर नहीं आ रहा है. दर्शक बहुत ज्यादा मायूस नजर आ रहे हैं.

इन चार वजहों से फ्लॉप होने की ओर है अक्षय कुमार की फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज'...
1. नाम बड़े और दर्शन छोटे
''नाम बड़े और दर्शन छोटे''...काका हाथरसी की हास्य कविता की इस लाइन के बहुत अहम मायने हैं. इस पर हिस्टोरिकल ड्रामा फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' सटीक बैठती है. इस फिल्म की रिलीज से पहले जिस तरह का माहौल बनाया गया, उसे देखने के बाद ऐसा लग रहा था कि ये 'बाहुबली' और 'आरआरआर' से भी बड़ी भव्य फिल्म साबित होगी. लेकिन सिनेमाघर में जाकर देखने वाले दर्शकों के लिए फिल्म 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया' साबित हुई. इस फिल्म की रिलीज से पहले देश के गृहमंत्री अमित शाह, कई बड़े केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी आईटी सेल के कार्यकर्ताओं को दिखाया गया. इसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित पूरी सरकार के लिए एक स्पेशल शो रखा गया.
इतना ही नहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को भी फिल्म दिखाई गई. फिल्म को हिंदुस्तान के अंतिम हिंदू सम्राट की वीरगाथा को रूप में प्रचारित किया गया. लेकिन प्रमोशन से फिल्में हिट नहीं होती है. आज के दौर में फिल्म के कंटेंट में दम होना जरूरी है. ये बात अक्षय कुमार शायद समझ नहीं पाए हैं. 300 करोड़ के बजट में बनी फिल्म 100 करोड़ रुपए भी कमाए जाए तो गनीमत समझिए. इसी तरह की बीमारी का शिकार कंगन रनौत भी हुई हैं. 100 करोड़ में बनी उनकी फिल्म 'धाकड़' महज 5 करोड़ का कारोबार ही कर पाई है. साउथ सिनेमा की सुनामी के बीच धाकड़ डिजास्टर फिल्म साबित हुई है. अभी हालत देखकर तो यही लग रहा है कि 'सम्राट पृथ्वीराज' भी डिजास्टर होगी.
2. किरदारों के हिसाब से कलाकारों का चयन न होना
फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' कास्टिंग किरदारों के हिसाब से सटीक नहीं हो पाई है. किसी फिल्म की सफलता में किरदारों के हिसाब से कलाकारों का चयन अहम माना जाता है. यही वजह है कि कास्टिंग डायरेक्टर्स की डिमांड पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है. फिल्म का निर्देशन डॉक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी जैसे धुरधंर फिल्म मेकर ने किया है, लेकिन वो कास्टिंग में चूक गए हैं. फिल्म का ट्रेलर जब लॉन्च हुआ, तभी से लोगों को अक्षय कुमार में बाला नजर आने लगा था. उस वक्त अक्षय को लेकर सोशल मीडिया पर खूब मीम्स भी वायरल हुए थे. पृथ्वीराज चौहान के किरदार में अक्षय को लेना ही फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी है. कड़क और शुद्ध हिंदी का उच्चारण करना उनके लिए हमेशा से चुनौती रही है.
अक्षय कुमार ने एक राजा की आन, बान और शान के हिसाब से खुद को ढ़ालने की कोशिश की है, लेकिन उस अंदाज में संवाद अदायगी नहीं कर पाए हैं. आवाज व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा होता है. यदि उनकी जगह सोनू सूद को सम्राट का किरदार दिया गया होता, तो निश्चित रूप से उनसे बेहतर प्रदर्शन किए होते. चंद्रबरदाई के किरदार में सोनू ठीक ठाक लगे हैं. उनके जैसे कलाकार के लिए अब ऐसे किरदार शोभा नहीं देते हैं. संजय दत्त अब नायक की जगह खलनायक ज्यादा अच्छे लगते हैं. फिल्म 'केजीएफ चैप्टर 2' में उनके अभिनय प्रदर्शन को देखकर जितनी खुशी हुई थी, उतनी ही ज्यादा निराशा इस फिल्म में काका कन्ह के रोल में देखकर होती है. विश्व सुंदरी रह चुकी मानुषी छिल्लर कहीं से भी राजकुमारी संयोगिता नहीं लग रही हैं. बस एक कलाकार ने अपने किरदार में सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, वो मानव विज हैं, जो फिल्म में मोहम्मद गोरी बने हैं.
3. 18 साल की रिसर्च, लेकिन 42 दिन में शूटिंग
फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' की कहानी पृथ्वीराज चौहान के राजकवि चंदबरदाई की किताब 'पृथ्वीराज रासो' पर आधारित है. उनकी एक रचना 'मत चुके चौहान' आज भी बहुत लोकप्रिय है. इस कविता की रचना 12वीं सदी में चन्द्रबरदाई ने की थी. उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को संबोधित करते हुए लिखा था, ''चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान!'' चंदरबरदाई के इशारे के सहारे सम्राट गोरी की हत्या कर देते हैं. फिल्म का निर्देशन डॉक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने किया है. डॉक्टर साहब को मशहूर टीवी सीरियल 'चाणक्य' के लिए जाना जाता है. इसके बाद उन्होंने साल 2003 में रिलीज हुई भारत-पाक बंटवारे पर आधारित फिल्म 'पिंजर' का भी निर्देशन किया था.
डॉक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी को पौराणिक किरदारों के फिल्मांकन में महारथ हासिल है. कहा जा रहा है कि इस फिल्म की शूटिंग से पहले उन्होंने 18 साल तक इस पर रिसर्च किया था. वो सम्राट की ऐसी कहानियां सामने लाना चाहते थे, जो न तो किताबों में दर्ज हैं, न ही किसी को पता हैं. लेकिन अपनी इतनी कड़ी मेहनत के बाद भी उन्होंने फिल्म को महज 42 दिनों में ही शूट कर लिया. यही जल्दीबाजी फिल्म पर भारी पड़ी है. इस फिल्म की शूटिंग पर उनको समय देना चाहिए था. कोई भी कालजयी फिल्म बनने में लंबा वक्त लेती है. उसके लिए हर किसी में समर्पण की भावना होनी चाहिए. फिल्म 'बाहुबली' और 'अवतार' इसकी बानगी हैं. एसएस राजामौली ने जब बाहुबली पर काम शुरू किया तो उन्होंने सेट के अंदर ही पूरी यूनिट को पांच साल तक के लिए बंद कर दिया. किसी भी कलाकार या यूनिट के सदस्यों को उस दौरान किसी दूसरी फिल्म में काम करने की मनाही थी.
पांच साल तक सैकड़ों लोग फिल्म बाहुबली के लिए कड़ी मेहनत करते रहे. तब जाकर फिल्म जब रिलीज हुई तो इतिहास बन गया. इसके कलाकार रातों-रात पैन इंडिया स्टार बन गए. राजामौली देश के दिग्गज निर्देशकों में शुमार हो गए. फिल्म ने रिकॉर्डतोड़ कमाई कर डाली. उसी तरह जेम्स कैमरून ने फिल्म अवतार की रिलीज के बाद उसके सीक्वल को बनाने में 10 साल का वक्त लगा दिया, क्योंकि उस समय वैसी तकनीक नहीं थी, जिससे वो अंडरवॉटर फिल्म को शूट कर सकें. समर्पण ऐसा चाहिए होता है. लेकिन अक्षय कुमार के बारे में सभी जानते हैं कि वो एक साल में तीन से चार फिल्में करते हैं. वो किसी भी फिल्म को जल्दी शूट करके दूसरे की शूटिंग करने लगते हैं. उनकी इसी जल्दीबाजी की वजह से फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' को इतना बड़ा नुकसान हुआ है. अभी लोग उनके बच्चन पांडे के किरदार को भूल भी नहीं पाए थे कि वो सम्राट पृथ्वीराज बनकर आ गए.
4. साउथ बॉक्स ऑफिस पर सूखा
'सम्राट पृथ्वीराज' जिस दिन रिलीज हुई उसी दिन कमल हासन-विजय सेतुपति की फिल्म 'विक्रम' और आदिवी शेष की फिल्म 'मेजर' रिलीज हुई थी. तीनों ही फिल्में पैन इंडिया हिंदी, तमिल, तेलुगू में रिलीज हुई हैं. ऐसे में बॉक्स ऑफिस पर मुकाबला दिलचस्प हो गया. कमल हासन, विजय सेतुपति और अक्षय कुमार की फैन फॉलोइंग से हर कोई वाकिफ है. लेकिन साउथ के सितारों को जितना क्रेज हिंदी बेल्ट में है, उतना क्रेज बॉलीवुड का साउथ में नहीं है. यही वजह है कि अक्षय कुमार की फिल्म साउथ बॉक्स ऑफिस पर कमाई नहीं कर पाई है. इस फिल्म ने रिलीज के पहले दिन हिंदी वर्जन से 10.66 करोड़ का कलेक्शन किया, जबकि तमिल और तेलुगू से 2-2 लाख रुपए हासिल हुए. इसी तरह पहले वीकेंड में हिंदी से 39 करोड़ रुपए मिले, तो तमिल और तेलुगू से 5-6 लाख रुपए ही हासिल हुए हैं. इसकी तुलना में साउथ की फिल्में हिंदी बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्डतोड़ कमाई करती हैं.

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