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Updated: 29 अगस्त, 2020 02:12 PM
ओम प्रकाश धीरज
ओम प्रकाश धीरज
  @om.dheeraj.7
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डिज्नी हॉटस्टार (Disney Hotstar) पर आलिया भट्ट और संजय दत्त की प्रमुख भूमिका वाली फिल्म सड़क 2 रिलीज हो गई है. यकीन मानें कि काफी दिनों बाद इतनी बोझिल और असहनीय फ़िल्म देखी है, जिसमें आलिया भट्ट और संजय दत्त जैसे बड़े स्टार्स की भारी फजीहत हो रही है. इससे पहले सलमान खान और बॉबी देओल की फ़िल्म रेस 3 देखी थी. सड़क 2 के बारे में ये बोलने में बिल्कुल गुरेज नहीं है कि यह उनके करियर की सबसे खराब फ़िल्म है. ऊपर से सुशांत सिंह राजपूत मौत के बाद जिस तरह लोग नेपोटिज्म डिबेट को लेकर आलिया से नाराज हैं, उसी का सिला है कि सड़क 2 फ़िल्म को IMDB पर महज 1.1 रेटिंग मिली है, जो कि फ़िल्म इतिहास में अब तक की सबसे कम रेटिंग पाने वाली फ़िल्म है. एक तो सड़क 2 की कहानी में झोल ही झोल, ऊपर से सभी कलाकारों की ओवर एक्टिंग और फिर महेश भट्ट का रिया प्रकरण. यह फिल्म किसी भी पैमाने पर सराहनायोग्य नहीं है और आखिर में फ़िल्म देखने के बाद आपको खुद से चिढ़ होती है कि काश कुछ और देख लेता सवा दो घंटे में. कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि महेश भट्ट की निर्देशक के रूप में वापसी इतनी फीकी है कि आप कह उठेंगे कि इससे अच्छा महेश भट्ट फ़िल्म न ही बनाते. महेश भट्ट सड़क 2 को न तो सस्पेंस और थ्रिलर बना सके और न ही फैमिली ड्रामा, ऐसे में यह मेलोड्रामा से ज्यादा कुछ नहीं लगती.

सड़क 2 साल 1991 में रिलीज महेश भट्ट की फ़िल्म सड़क की सिक्वल है. अगर सड़क से तुलना करें तो सड़क 2 उसके 10 फीसदी भी नहीं है. न ही एक्टिंग और स्टोरी में और न ही म्यूजिक के लिहाज से यह फ़िल्म किसी भी रूप में दर्शकों का दिल जीतने में सफल होती है. सड़क 2 में आलिया भट्ट बिल्कुल ही निष्प्रभावी दिखी हैं. वहीं संजय दत्त को भी इमोशनल दिखाने के चक्कर में महेश भट्ट ने उनसे ओवर एक्टिंग करवा ली. आदित्य कपूर अपनी लगभग सभी फ़िल्मों की तरह इस फिल्म में भी मजनु मुद्रा में ही नजर आए हैं, जिसे देखकर दर्शक भयंकर बोर हो जाएंगे. बात रही सड़क 2 के विलेन की तो लगता है कि खुद महेश भट्ट भी देखकर चकरा गए होंगे कि आखिरकार किसे विलेन मानें, मकरंद देशपांडे को या जीशू सेनगुप्ता को. सड़क 2 में जिस तरह महेश भट्ट ने सदाशिव अमरापुरकर को महारानी बनाकर दर्शकों के सामने पेश किया था, उसकी रत्ती भर झलक भी सड़क 2 में नहीं दिखी है, जिससे भारी निराशा होती है.

सड़क 2 की कहानी में बिल्कुल दम नहीं

किसी भी कहानी की शुरुआत अगर प्रभावी ढंग से होती है और लोगों को उसके पीछे की हकीकत का अंदाजा भी होता है तो आगे की बात समझने में आसानी होती है. लेकिन सड़क 2 में ऐसा नहीं होता. आर्या (आलिया भट्ट) अचानक से प्रकट होती है और वह ज्ञान प्रकाश (मकरंद देशपांडे) नामक स्वयंभू गुरु का बड़ा सा पोस्टर जला देती है. बाद में उसे आश्रम के लोग पकड़ लेते हैं और हॉस्पिटल लेकर जाते हैं, जहां उसे आर्या की सौतेली मां नंदिनी (प्रियंका बोस) पागल बताने की कोशिश करती है. आर्या को लगता है कि उसकी सौतेली मां ने ज्ञान प्रकाश के साथ मिलकर उसकी मां की हत्या कर दी है. आर्या की हालत देखकर उसका पिता (जीशू सेनगु्प्ता) काफी परेशान है. इसी बीच कहानी में रवि किशोर (संजय दत्त) की एंट्री होती है, जो पत्नी पूजा (पूजा भट्ट) के हादसे में मौत होने के बाद काफी परेशान है और आत्महत्या की कोशिशें कर चुका है. रवि का दोस्त उसे अस्पताल ले जाता है और मानसिक बीमारी के डॉक्टर से दिखाता है. लेकिन संजय दत्त डॉक्टर से बहस कर घर वापस आ जाता है. उस रात एक बार फिर वह आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा होता है, तभी वहां आर्या आ जाती है और उसे कैलाश की तरफ ले जाने को बोलती है, जिसकी बुकिंग उसने 3 महीने पहले पूजा से कराई थी. रवि विवश होकर आर्या को लेकर चल देता है और रास्ते में आर्या के बॉयफ्रेंड विशाल को जेल से पिक करता है.

आर्या के पैसों पर उसके पिता और सौतेली मां की नजर होती है और वो लोग चाहते हैं कि आर्या के 21वें जन्मदिन से पहले उसकी किसी न किसी तरह हत्या कर दी जाए. इस बीच विशाल के बारे में भी पता चलता है कि वह आर्या को मारने के मकसद से ही उसके साथ है. क्या रवि आर्या को मुसीबतों से बचा पाता है और ज्ञान प्रकाश का क्या होता है? इसी उलझती दास्तां को लेकर महेश भट्ट ने एक फ़िल्म बना दी और उसे सड़क 2 का नाम दिया. पर असलियत में सड़क 2 में गड्ढ़े ही गड्ढ़े हैं और उसमें दर्शकों की उम्मीदें हादसे का शिकार हो जाती है. महेश भट्ट ने सुहरिता सेनगुप्ता के साथ बेहद बेकार स्टोरी लिखी है. साथ ही इसके स्क्रीनप्ले में भी इतनी खामियां हैं कि आपका दिमाग झल्ला जाता है.

एक्टिंग और डायरेक्शन

21 साल बाद निर्देशन में वापसी करने वाले 71 वर्षीय महेश भट्ट ने सड़क 2 के नाम पर कांड कर दिया है, जो कि उनकी बेटी आलिया भट्ट के फ़िल्मी करियर के लिए मनहूसियत साबित होगी. बेकार कहानी पर महेश भट्ट का बेहद साधारण निर्देशन और सभी कलाकारों की ओवर एक्टिंग के कारण यह फ़िल्म साल 2020 की कुछ बेहद घटिया फ़िल्मों में गिनी जाएगी, जिसके लिए कुछ अच्छा बोलना समुंदर में मोती ढूंढने के बराबर है. महेश भट्ट एक बेहद प्रभावशाली निर्माता-निर्देशक हैं, लेकिन शायद 21 वर्षों के दरमियां वह निर्देशन की शैली में बदलाव और दर्शकों का मिजाज भांपना भूल गए. सड़क 2 के किरदारों की अदाकारी की बात करें तो सिर्फ संजय दत्त को देखकर ही थोड़ा सुकून का भाव जगता है, बाकी आलिया भट्ट और आदित्य रॉय कपूर को देखकर गुस्सा और हंसी, दोनों भाव एक साथ आते हैं. आलिया आर्या के किरदार में बेहद बचकानी लगी हैं और आदित्य भावविहीन. विलेन के रूप में मकरंद देशपांडे और गुलशन ग्रोवर को देखकर मन में सवाल उठता है कि क्या वाकई इन दोनों कलाकारों की फ़िल्म में जरूरत थी या बस ऐसे ही महेश भट्ट ने दो ऐसे किरदार रख लिए, जिनसे उनकी फ़िल्म सड़क 2 की और भद पिटे. सड़क 2 में जीशू सेनगुप्ता और प्रियंका बोस की एक्टिंग ठीक-ठाक है. बाकी मोहन कपूर को देखकर लगता है कि उन्हें फ़िल्मों से इतर थिएटर में एक्टिंग की बारीकियां खीखने की जरूरत है. कुल मिलाकर निर्देशन के साथ ही अदाकारी के मामले में भी सड़क 2 फिसड्डी है.

फ़िल्म में देखने लायक कुछ है भी या नहीं?

सड़क 2 साल 2020 की कुछ बेहद प्रतीक्षित फ़िल्मों से से एक थी और महेश भट्ट-आलिया भट्ट की इस फ़िल्म से काफी उम्मीदें थीं. लेकिन सारी की सारी उम्मीदें धराशायी हो गई हैं और यह फ़िल्म मन में एक बुरे सपने की तरह घर कर गई है कि क्या वाकई यह महेश भट्ट जैसे अनुभवी निर्देशक और संजय दत्त-आलिया भट्ट जैसे बेहद टैलेंटेड कलाकारों की फ़िल्म है? सड़क 2 में देखने लायक कुछ भी खास नहीं है और आप देखना चाहें तो यह जोखिम उठाने के लिए आप खुद उत्तरदायी हैं. 29 साल पहले आई फ़िल्म सड़क म्यूजिक के लिहाज से भी सुपरहिट थी, लेकिन सड़क 2 में तो ढंग के गाने भी नहीं हैं और न ही संगीत. अगर आप इस हफ्ते कुछ अच्छा देखने की ख्वाहिश रखते हैं तो एमएक्स प्लेयर पर प्रकाश झा और बॉबी देओल की वेब सीरीज आश्रम रिलीज हुई है, वो देख लें. आश्रम आप फ्री में देख सकते हैं.

लेखक

ओम प्रकाश धीरज ओम प्रकाश धीरज @om.dheeraj.7

लेखक पत्रकार हैं, जिन्हें सिनेमा, टेक्नॉलजी और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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