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Updated: 26 मार्च, 2022 10:51 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' इस वक्त बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है. फिल्म ने रिलीज के 15वें दिन 4.50 करोड़ रुपए की कमाई करते हुए कुल 210 करोड़ रुपए कमा लिए हैं. इस तरह फिल्म ने बॉलीवुड की कई फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इनमें सलमान खान की मशहूर फिल्म 'बजरंगी भाईजान' और रणबीर कपूर की फिल्म 'संजू' और विक्की कौशल सबसे ज्यादा चर्चित फिल्म 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' शामिल है. 'द कश्मीर फाइल्स' की 15वें दिन की कमाई की तुलना में 'बजरंगी भाईजान' 4.11 करोड़, 'संजू' ने 4.42 करोड़ रुपए, 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' ने 4.40 करोड़ की कमाई की थी. इस तरह महज 14 करोड़ रुपए में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कोहराम मचा रखा है.

'द कश्मीर फाइल्स' के कोहराम के बीच एसएस राजामौली की फिल्म RRR की सुनामी देखने को मिल रही है. राम चरन, एनटीआर जूनियर, श्रिया सरन, अजय देवगन, आलिया भट्ट स्टारर इस फिल्म ने अपने ओपनिंग डे पर ही बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के बने-बनाए कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए हैं. इस फिल्म के जरिए राजामौली ने अपनी ही फिल्म 'बाहुबली 2' की कमाई का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. फिल्म ने ओपनिंग डे पर वर्ल्डवाइड 223 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया है, जिसमें 20 करोड़ रुपए हिंदी बेल्ट से कमाए है. इसकी तुलना में अक्षय कुमार की फिल्म 'बच्चन पांडे' ने 13 करोड़, रणवीर सिंह की फिल्म '83' ने 13 करोड़ और आलिया भट्ट की 'गंगूबाई काठियावाड़ी' ने 11.50 करोड़ की ही कमाई की थी.

RRR से पहले साउथ सिनेमा की फिल्म 'पुष्पा: द राइज' ने भी हिंदी बेल्ट में जमकर कमाई की थी. इस फिल्म ने 100 करोड़ से अधिक का कलेक्शन केवल हिंदी वर्जन से किया था, जबकि उसके मुकाबले उस वक्त रिलीज बॉलीवुड की कई फिल्मों को अपनी लागत निकालने के लिए भी तरसना पड़ा था. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वो क्या कारण है, जिनकी वजह से बॉलीवुड की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर पाई-पाई को मोहताज हैं, जबकि साउथ की फिल्म करोड़ों-अरबों का कारोबार करते हुए नित-नए रिकॉर्ड बना रही हैं. इन सबके बीच 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी बॉलीवुड फिल्म भी है, लेकिन इसका विषय, ट्रीटमेंट और इसकी ऑडिएंश बिल्कुल है. ऐसे में बॉलीवुड को हिंदी बेल्ट का मिजाज समझने की जरूरत है.

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RRR और The Kashmir Files जैसी फिल्मों की सफलता की आठ वजहें...

1. 'लार्जर दैन लाइफ' फिल्मों का निर्माण

बॉलीवुड में 80 के बाद के दशक में फॉर्मूला बेस्ड फिल्में बनाने का चलन रहा है. बहुत कम फिल्म मेकर्स हैं, जिन्होंने रिस्क लेकर लीक से हटकर फिल्म बनाया है. जिन्होंने रिस्क लिया, उनके फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हैं. लेकिन ज्यादातर फिल्में बॉलीवुड परंपरा की ही रही हैं. पहले दर्शकों के पास ऑप्शन कम था, इसलिए उनको मजबूरी में ऐसी फिल्में देखनी पड़ती थी. लेकिन साल 2015 के बाद के समय में तेजी से बदलाव आया है, जिससे सिनेमा भी प्रभावित हुआ है. एक तरफ 'बाहुबली' जैसी 'लार्जर दैन लाइफ' फिल्म रिलीज हुई, तो दूसरी तरफ सिनेमा डिजिटल युग में प्रवेश किया. इस दौरान लोगों को ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर ओरिजनल कंटेंट देखने को मिला, जिसने उनका टेस्ट बदल दिया.

इसके बाद से ही बॉलीवुड फिल्मों की हालत खराब होने लगी, क्योंकि दर्शक साउथ की फिल्में और वेब सीरीज देखना ज्यादा पसंद करने लगे हैं. इसी दौर में राजमौली एक बार फिर एक जबरदस्त फिल्म 'आरआरआर' लेकर आए हैं. 'लार्जर दैन लाइफ' फिल्मों के निर्माण के लिए मशहूर राजामौली अपनी जबरदस्त सिनेमैटोग्राफी के लिए जाने-पहचाने जाते हैं. उनकी फिल्में एक अनोखी दुनिया में ले जाती हैं. फिल्म आरआरआर में भी केके सेंथिल कुमार की कसी हुई सिनेमैटोग्राफी और विशाल सेट फिल्म को बहुत ज्यादा भव्य बना रहे हैं.

2. विषय और कहानी का सटीक चुनाव

बॉलीवुड में ज्यादातर घिसे-पिटे विषय और बे-सिर पैर की कहानी पर फिल्में बनाई जाती रही हैं. जिस दौर में जैसा सिनेमा हिट होता है, बॉलीवुड के मेकर्स उसी के इर्द-गिर्द कहानी बुनने लगते हैं. कई बार जबरन की लिखी कहानी में बड़े नाम वाले कलाकारों को लेकर फिल्में बना दी जाती हैं. उनका मानना है कि स्टार वैल्यू से फिल्म चल जाएगी. पहले ऐसा होता भी था, लेकिन इस दौर में यह संभव नहीं है. दर्शक पहले की तुलना में ज्यादा स्मार्ट हो गए हैं. उनका चयन देखकर इस बात को बखूबी समझा जा सकता है.

उदाहरण के लिए 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म को ही देख लेते हैं. यह फिल्म 'कश्मीर समस्या' पर बनी है, जिस पर पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं. लेकिन जो सफलता विवेक अग्निहोत्री की इस फिल्म को मिली है, वैसी सफलता शायद ही किसी दूसरी फिल्म को मिली हो. फिल्म ने 15 दिन के अंदर 200 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार कर लिया है. क्योंकि इसकी कहानी ने लोगों का दिल छू लिया है. उनके दिल को झकझोरा है. इस वजह से लोग बिना किसी प्रमोशन के बड़ी संख्या में फिल्म को देखने जा रहे हैं. इसी तरह 'आरआरआर' एक ऐतिहासिक घटना पर आधारित फिल्म है, जिसकी कहानी पौराणिक है. इसमें रामायण के भाव के साथ स्वतंत्रा के लिए किए गए संघर्ष का स्वर शामिल है.

3. दर्शकों की भावनाओं का ख्याल

बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में दर्शकों की भावनाओं को बिना समझे परोस दी जाती हैं. मेकर्स अपनी सोच और विचार के अनुरूप फिल्में बनाने में यकीन रखते हैं. इसके विपरीत ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और साउथ की फिल्में दर्शकों की पसंद के अनुरूप होती हैं. जैसा कि समाज और सिनेमा एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं. इसे देखते हुए कई फिल्म मेकर्स समझ चुके हैं कि दर्शकों को किस तरह की फिल्में चाहिए. इस वक्त देश में राष्ट्रवाद का स्वर प्रधान है. इसलिए राष्ट्रवादी विषय पर बनने वाली फिल्में लोग ज्यादा देख रहे हैं. उदाहरण के लिए 'द कश्मीर फाइल्स' कश्मीरी पंडितों को पलायन और हिंदूओं के नरसंहार की दर्दनाक दास्तान पर बनी है. 90 के दशक में हुई इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में फिल्म के जरिए जानने के बाद लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं. दूसरी तरफ फिल्म 'आरआरआर' में भी श्रीराम, हनुमान और सीता की कहानी देखने को मिल रही है.

4. कलाकार नहीं किरदार पर फोकस

बॉलीवुड में एक लंबा दौर रहा है, जब बड़े कलाकारों को ध्यान में रखकर फिल्मों का निर्माण हुआ है. फिल्म मेकर्स सबसे पहले स्टारकास्ट खासकर लीड एक्टर और एक्ट्रेस का चुनाव करते थे, फिर उनके अनुरूप फिल्म की कहानी गढ़ी जाती थी. उसके बाद उस पर फिल्म बनाया जाता था. दर्शक भी अपने स्टार की फिल्में देखने के लिए सिनेमाघरों में उमड़ पड़ते थे. लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और साउथ फिल्म इंडस्ट्री ने इस मिथक को तोड़ दिया कि केवल बड़े स्टार की फिल्में ही चलती हैं. उदाहरण के लिए फिल्म 'बाहुबली' को ले लीजिए.

ये फिल्म जब रिलीज हुई, तो उस वक्त हिंदी पट्टी में प्रभास को कोई जानता तक नहीं था. लेकिन फिल्म की कहानी और भव्यता ने इतना लोकप्रिय किया कि इसका हर पात्र अमर हो गया. प्रभास, राणा दग्गुबाती, अनुष्का शेट्टी और राम्या कृष्णन जैसे कलाकार रातों-रात हिंदी दर्शकों के लिए स्टार बन गए. 'बाहुबली' किरदार तो भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर हो चुका है. इसी तरह 'द कश्मीर फाइल्स' भी किसी नामचीन कलाकार की वजह से नहीं बल्कि अपनी कहानी और उनके किरदारों की वजह से सुपरहिट हुई है.

5. खोखली पब्लिसिटी के भरोसे नहीं चलती फिल्म

फिल्म 'बाहुबली' की अपार सफलता के बाद बड़े बजट की फिल्में बनने लगीं. पहले महज 20 से 50 करोड़ की फिल्में बनती थीं, अब 400 से 500 करोड़ रुपए की फिल्में बनने लगी हैं. फिल्म के बजट में एक बहुत बड़ा हिस्सा प्रमोशन का होता है. फिल्म प्रमोशन के लिए मेकर्स की तरफ से कई पीआर एजेंसियां हायर की जाती हैं. इसके अलावा फिल्म की स्टारकास्ट और डायरेक्टर पूरे देश में घूम-घूमकर अपनी फिल्म का प्रचार करते हैं. सोशल मीडिया पर फिल्म की रिलीज से एक साल पहले ही कैंपेन शुरू कर दिया जाता है.

फिल्म के टीजर-ट्रेलर लॉन्च के नाम पर बज्ज क्रिएट किया जाता है. इसके बाद भी बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ देती हैं. लेकिन कोई फिल्म बिना किसी प्रमोशन के अपनी लागत के 15 गुना अधिक कमाई कर ले, ये कोई सपने में भी नहीं सोच सकता. फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' ने ऐसा कर दिखाया है. 14 करोड़ रुपए में बनी फिल्म ने 210 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया है. फिल्म 250 करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है. यह माउथ पब्लिसिटी की वजह से संभव हुआ है, जो वास्तविक प्रचार है, बिना खर्च के.

6. खान तिकड़ी के दिन बीत गए

एक जमाना था, जब खान तिकड़ी की बॉक्स ऑफिस पर तूती बोलती थी. शाहरुख खान, आमिर खान और सलमान खान की फिल्में रिलीज होते ही बॉक्स ऑफिस पर कोहराम मचा देती थीं. लेकिन अब खान तिकड़ी के दिन बीत गए हैं. उनकी बढ़ती उम्र और दर्शकों की समझदारी की वजह से फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पाई-पाई को मोहताज हो रही हैं. शाहरुख खान की हालत तो ये है कि साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म जीरो की भयंकर असफलता के चार साल बाद वो साल 2023 में रूपहले पर्दे पर दिखाई देंगे. उनकी फिल्म पठान 25 जनवरी, 2023 में रिलीज होगी. इधर, सलमान खान के सितारे भी ठीक नहीं चल रहे हैं. उनकी फिल्म 'राधे' की ऐसी भद्द पिटी है कि वो अपनी आखिरी फिल्म 'अंतिम' में भी उसके दाग नहीं धो पाए हैं. आमिर खान अपनी आने वाली फिल्म लाल सिंह चड्ढा के भरोसे बैठे हैं, लेकिन दर्शकों के मिजाज को देखते हुए उसकी सफलता के चांस कम ही हैं..

7. पहले नेपोटिज्म का दाग धोना होगा

बॉलीवुड के खिलाफ दर्शकों में गुस्सा भरा पड़ा है. हिंदी पट्टी के दर्शक बॉलीवुड फिल्मों का बायकॉट करने में लगे हुए हैं. सोशल मीडिया पर नजर दौड़ाकर देख लीजिए, हर दूसरा यूजर बॉलीवुड फिल्मों के खिलाफ लिखता हुआ मिल जाएगा. इसकी सबसे बड़ी वजह है दर्शकों के भरोसे का टूटना और बॉलीवुड का एक्सपोज होना. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत के बाद बॉलीवुड का जो घिनौना चेहरा सामने उसने लोगों का दिल तोड़ दिया. मायानगरी की चकाचौंध के पीछे की इस काली दुनिया को दर्शक स्वीकार नहीं कर पा रहे थे. नेपोटिज्म और ड्रग्स के बीच उलझी बॉलीवुड का असली चेहरा देखने के बाद लोग उनसे घृणा करने लगे हैं. उनका मानना है कि करण जौहर और आदित्य चोपड़ा जैसे कई मठाधीश भाई-भतीजवाद का बढ़ावा देते हैं. बॉलीवुड सितारों के बच्चों को मौका देते हैं. बाहरी कलाकारों के सपनों को रौंद देते हैं. बॉलीवुड को सबसे पहले ये दाग धोना होगा.

8. साहसी फिल्में बनानी होंगी

सच कहने के लिए साहस की जरूरत होती है. काल्पनिक दुनिया में कोई भी जी सकता है, लेकिन यथार्थ पर आधारित संसार में रहने के लिए जिगर चाहिए. सच बोलने और दिखाने के लिए हिम्मत चाहिए, जो बॉलीवुड के मेकर्स में बहुत कम देखने को मिलता है. यहां कोई रिस्क नहीं लेना चाहता. जनता को बेवकूफ बनाकर हर कोई पैसे बनाना चाहता है. लेकिन विवेक अग्निहोत्री ने ये साबित किया है कि रिस्क लेकर भी फायदा कमाया जा सकता है. सच दिखाकर पैसे कमाया जा सकता है.

उनकी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' कश्मीर समस्या पर आधारित है, लेकिन उनका दावा है कि कश्मीरी पंडितों के साथ जो जुल्म 90 के दशक में हुआ था, उसे उन्होंने ज्यों का त्यों दिखाया है. यही वजह है कि दर्शक उनके दिखाए सच को पसंद कर रहे हैं, उसकी माउथ पब्लिसिटी कर रहे हैं. इसकी परिणति बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के रूप में देखने को मिल रही है. अब समय आ गया है कि ऐसे ही सिनेमा का निर्माण किया जाए जो गलत को गलत और सही को सही दिखाया जाए.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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