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Updated: 21 अप्रिल, 2022 04:06 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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हाल ही में गेरुआ कपड़े पहने जूनियर एनटीआर की तस्वीर सोशल मीडिया पर आई. वे हनुमान दीक्षा ले रहे थे. इससे पहले काले कपड़े पहने नंगे पैर राम चरण दिखाई दिए थे. बताया गया कि वे भगवान अयप्पा का 45 दिन का व्रत लिए हुए हैं. दक्षिण भारतीय फिल्मों के ये दोनों सुपरस्टार्स इन दिनों RRR मूवी के जरिए हिंदी पट्टी में जबर्दस्त फॉलो किए जा रहे हैं. ऐसे में इन सितारों का धार्मिक भक्तिभाव उन्हें न केवल पसंद आ रहा है, बल्कि उनके दिल में भीतर तक उतर जा रहा है. दक्षिण भारतीय फिल्‍मी सितारों का कर्मकांडी होना उत्तर भारत के आस्‍थावानों को पसंद आना इसलिए भी लाजमी है, क्‍योंकि ये दर्शक इ‍न दिनों बॉलीवुड के पाश्‍चात्यीकरण से तंग आ चुके थे.

इतना ही नहीं, इन दिनों हिंदुस्तान में हिंदुत्व और हिंदू अस्मिता की भावना चरम पर है. आजादी के बाद पिछले सात दशक से खुद को उपेक्षित समझ रहा ये वर्ग 90 के दशक के बाद से ही बेचैन था. उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति कई रूपों में पहले भी देखी जा चुकी हैं. लेकिन साल 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ जब केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी, तो ऐसी भावनाएं खुलकर सामने आने लगीं. क्योंकि समाज के साथ सत्ता बदल चुकी थी. लोगों पता चल गया था कि अब उनके विचारों को समझने वाली सरकार आ गई है.

ram-charan-650_041922085408.jpgफिल्म आरआरआर के लीड हीरो राम चरण काला परिधान पहने नंगे पैर दिखाई दिए, पता चला कि उन्‍होंने भगवान अयप्पा का व्रत लिया है.

कई बार सियासत जनभावनाओं को समझते हुए अपने अनुरूप उनका इस्तेमाल करती है. ऐसा हर दौर में हुआ है, जो कि इस वक्त भी हो रहा है. लेकिन देश में एक बड़ा वर्ग संतुष्ट नजर आ रहा है. उसे लगता है कि सियासत में उसके विचारों का सही प्रतिनिधि मिल गया है. मोदी और योगी को उसी प्रतिनिधि के रूप में देखा जा सकता है. दोनों नाम प्रतीक हो सकते हैं. सियासत के मोदी और योगी की तरह सिनेमा में भी लोगों को ऐसे सितारों की तलाश थी, जो उनकी भावनाओं और विचारों को रूपहले पर्दे पर व्यक्त कर सके. बॉलीवुड इसमें नाकाम रहा है.

सही मायने में कहे तो बॉलीवुड में 80 के दशक के बाद सिनेमा में तेजी से बदलाव आया. उसके बाद के फिल्मों में रोमांस के नाम पर कूड़ा परोसा गया. फिल्मों में ऐसी चीजें दिखाई गईं, जो कल्पना से भी परे रही हैं. इनसे लोगों का मनोरंजन तो हुआ, लेकिन वो खुद को कनेक्ट नहीं कर पाए. साल 1995 के बाद तो इससे भी बुरा दौर आ गया, जब फिल्मों में अंडरवर्ल्ड डॉन, माफिया और अपराधियों का महिमामंडन शुरू हो गया. ये ठीक है कि ये कहानियां भी इसी समाज से निकली हैं, लेकिन इसमें जिन किरदारों को हीरो बनाया गया, वो सभी समाज के दुश्मन रहे हैं.

दबे जुबान तो यहां तक कहा जाता है कि अंडरवर्ल्ड का पैसा बॉलीवुड में लगने लगा था, जिसके बाद जानबूझकर उनकी छवि को सकारात्मक करके पेश किया गया. लेकिन कहते हैं ना 'अति सर्वत्र वर्जयेत्'. अति करने से हमेशा बचना चाहिए. क्योंकि घड़ा जिस दिन भर जाता है, उस दिन थोड़ी भी असावधानी हुई तो फूट जाएगा. बॉलीवुड के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. जब ये सब हो रहा था, उस वक्त केबल टीवी के जरिए साउथ सिनेमा हिंदी पट्टी के हर घर में तेजी से अपनी जगह बना रहा था. उसके हीरो अपनी पहचान बना रहे थे.

इसी बीच साल 1995 में फिल्म 'बाहुबली' रिलीज हुई. पैन इंडिया रिलीज हुई इस फिल्म ने सारी दीवारें तोड़ दीं. पुराने मानकों की जगह नए मानक स्थापित किए. इस फिल्म की कहानी और सितारों के अभिनय ने हर वर्ग के दर्शकों का दिल जीत लिया. इस फिल्म ने साउथ सिनेमा को टीवी से निकालकर बड़े पर्दे पर पहुंचा दिया. रही सही कसर फिल्म के सीक्वल ने पूरी कर दी. 'बाहुबली 2' ने बॉक्स ऑफिस पर 1800 करोड़ रुपए की कमाई करके बॉलीवुड को झकझोर दिया. इसके बाद एक के बाद कई फिल्में रिलीज हुई, जिन्होंने पैन इंडिया फिल्म के कॉन्सेप्ट को बदल दिया.

कोरोना काल में जब बॉलीवुड अपनी आखिरी सांसे ले रहा था. उस वक्त भी साउथ की फिल्में बंपर कमाई कर रही थी. कहा गया कि हिंदी मार्केट सुस्त है. लेकिन तभी अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा: द राइज' रिलीज हुई, जिसने इस कठिन समय में भी 350 करोड़ रुपए का कारोबार करके सबकी आंखें खोल दी. इसमें 108 करोड़ रुपए की कमाई तो सिर्फ इसके हिंदी वर्जन से हुई है. इस फिल्म के बाद रिलीज हुई 'आरआरआर' और 'केजीएफ चैप्टर 2' ने बॉक्स ऑफिस पर कोहराम मचा दिया है. इन दोनों फिल्म की कमाई देख हर कोई हैरान है.

फिल्म 'आरआरआर' 1000 करोड़ क्लब में पहुंचने के लिए बेताब है, तो 'केजीएफ चैप्टर 2' रिलीज के बाद महज 5 दिनों में 500 करोड़ रुपए कमा चुकी है. 'केजीएफ' के हिंदी वर्जन ने भी कई रिकॉर्ड कायम किए हैं. 200 करोड़ क्लब में पहुंच चुके इसके हिंदी वर्जन ने ओपनिंग डे पर रिकॉर्ड 54 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था. हिंदी पट्टी में 'केजीएफ' के रॉकिंग स्टार यश, 'आरआरआर' के जूनियर एनटीआर और राम चरण, 'पुष्पा' के अल्लू अर्जुन सहित साउथ कई सितारे छाए हुए हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह इनकी अदाकारी के साथ इनकी सोच और वैचारिक आग्रह भी है.

'आरआरआर' की सफलता के बाद अयप्‍पा स्‍वामी के दर्शन के लिए सुपरस्टार राम चरण ने 41 दिनों का कठोर व्रत किया है. इस दौरान वो काले कपड़े पहने हुए नंगे पांव स्पॉट किए गए. बताया जाता है कि यह एक महाव्रत है, जो कि एक दक्ष‍िण भारतीय परंपरा है, जिसे अयप्‍पा दीक्षा कहते हैं. यह 41 दिनों तक चलती है. इसमें 41 दिनों अपना सबकुछ भगवान को समर्पित कर देते हैं. न चप्‍पल पहनते हैं, न नॉनवेज खाते हैं. सिर्फ जमीन पर सोते हैं. राम चरण के इस रूप ने हिंदी पट्टी वालों का दिल जीत लिया.

फिल्म 'आरआरआर' में राम चरण भगवान श्रीराम के रूप में नजर आए थे, जिसे बड़ी संख्या में दर्शकों ने पसंद किया था. उनके साथ ही उनके 'हनुमान' जूनियर एनटीआर भी भगवा रंग में रंगे नजर आए हैं. बताया जा रहा है कि एनटीआर ने फिल्म की सफलता को देखते हुए हनुमान दीक्षा ली है. सोशल मीडिया पर उनकी एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें वो भगवा रंग का कुर्ता-पायजामा पहने, गले में माला और माथे पर तिलक लगाए नजर आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि एक्टर ने करीब 21 दिनों तक नंगे पैर रहने का प्रण किया है.

इस दौरान नियमों का पालन करते हुए वो केवल सात्विक भोजन ही करेंगे. एनटीआर का ये रूप देखकर दक्षिण तो छोड़िए उत्तर भारत में बड़ी संख्या में लोग खुश हो रहे हैं. लोगों का मानना है कि फिल्म इंडस्ट्री में पहली बार उनकी भावनाओं का सम्मान हो रहा है. फिल्मी सितारों का ये रूप उनको मन को प्रशन्न कर रहा है. वरना अभी तक तो तुष्टिकरण के नाम पर बड़े-बड़े सितारे एक खास धर्म की बात करते नजर आए थे. हालांकि, कुछ लोग अभी भी यही मान रहे हैं कि ये सब समाज को तोड़ने वाला है.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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