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Updated: 28 मार्च, 2022 07:47 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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फिल्म RRR कमाल कर रही है. बॉक्स ऑफिस पर बम्पर कमाई कर रही है. 550 करोड़ के बजट में बनी ये फिल्म 25 मार्च को रिलीज हुई थी, लेकिन महज तीन दिन में ही फिल्म ने 450 करोड़ रुपए की कमाई करके नया रिकॉर्ड बना दिया है. फिल्म जिस रफ्तार से बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कर रही है, उसे देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी कमाई 2000 करोड़ रुपए के पार जा सकती है. यदि ऐसा हुआ तो ये भारतीय सिनेमा इतिहास में मील का एक पत्थर साबित होगा. 'आरआरआर' की शानदार सफलता का सबसे बड़ा श्रेय उसके निर्देशक एसएस राजामौली को जाता है. 'बाहुबली' जैसी बेहतरीन फिल्म देकर भारतीय सिनेमा की दशा और दिशा बदलने वाले राजामौली हिट फिल्मों की गारंटी के लिए जाने जाते हैं. राजामौली एक ऐसे डायरेक्टर हैं जिनकी फिल्मों में काम करने वाला एक्टर भी सुपरस्टार बन जाता है. लेकिन राजामौली महज एक दिन में इस मुकाम पर नहीं पहुंचे हैं.

राजामौली की इस सफलता के पीछे उनकी वर्षों की कड़ी तपस्या है. उनकी दूरगामी सोच है. जब 'बाहुबली' फिल्म का निर्माण हो रहा था, उस वक्त उन्होंने खुद को और फिल्म की पूरी टीम को पांच साल के लिए कैद कर लिया था. उन्होंने इन फिल्मों के लिए करीब 380 दिनों तक लगातार शूटिंग की थी, जो कि किसी भी बड़ी हॉलीवुड फिल्म को बनाने में लगने वाले दिनों से डबल की संख्या है. किसी फिल्म के लिए इतना समर्पण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले किसी भी निर्देशक में नहीं देखा गया है. यह वजह है कि राजामौली की फिल्में इतिहास रचती हैं. बॉक्स ऑफिस पर नित-नए रिकॉर्ड बनाती हैं. वरना एक निर्देशक की साख पर 550 करोड़ रुपए दांव लगाने के लिए हिम्मत की जरूरत होती है. लेकिन दांव लगाने वाले को भी पता होता है कि उनकी फिल्म में लगने वाली एक पाई-पाई की वसूली हो जाएगी. इसके बाद जो मुनाफा आएगा, वो हर किसी को हैरान कर देने वाला होगा.

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आइए जानते हैं कि हिंदुस्तान के ब्लॉकबस्टर डायरेक्टर कैसे बने SS राजमौली...

1. फैंटेसी की दुनिया में सिनेमा की रचना

फैंटेसी की दुनिया हर किसी को लुभाती है. फैंटेसी के जरिए एक अलौकिक संसार का निर्माण किया जाता है. राजामौली इसी अलौकिक संसार में अपने सिनेमा की रचना करने के लिए जाने जाते हैं. उनकी फिल्म 'बाहुबली' को ही ले लीजिए. इसमें दिखाया गया महिष्मति साम्राज्य का वास्तविकता से कुछ भी लेना-देना नहीं है. लेकिन राजमौली ने जिस तरह इस साम्राज्य की रचना की है, वो वास्तविक ही प्रतीत होता है. इसी तरह उनकी फिल्म 'मगधीरा' में भी फैंटेसी की दुनिया देखने को मिलती है. इस फिल्म का नायक अपनी प्रेमिका के लिए अकेले 100 योद्धाओं से लड़ता है और उसे बचाते बचाते मारा जाता है. उसके 400 वर्षों के बाद वह फिर से जन्म लेता है. इस जन्म में एक बार फिर दोनों प्रेमी-प्रेमिका मिलते हैं और उनको अपने पिछले जन्म की कहानी याद आ जाती है. बताते चलें कि फैंटेसी एक काल्पनिक सोच है, जिसका कोई वास्तविक रूप नहीं होता. एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना जो शायद ही कभी वास्तविक जीवन में संभव हो. यह सोच किसी के भी दिमाग के एक कोने में मौजूद रहकर जागती आंखों से सपने देखने के लिए मजबूर करती है.

2. पौराणिक किरदारों की काल्पनिक कहानी

राजामौली की ज्यादातर फिल्में पौराणिक किरदारों की काल्पनिक कहानी पर आधारित हैं. उनकी दो ब्लॉकबस्टर फिल्मों 'बाहुबली' और 'आरआरआर' की कहानी देख लीजिए. फिल्म 'बाहुबली' महाभारत की कहानी से प्रेरित है. जिस तरह महाभारत में साम्राज्य के लिए कौरवों और पांडवों में युद्ध होता है. उसी तरह इस फिल्म में बाहुबली (प्रभास) और भल्लालदेव (राणा दग्गुबत्ती) के बीच लड़ाई होती है. इसमें राजमाता शिवगामी का किरदार कुंती और कटप्पा का किरदार भीष्म से प्रेरित है. फिल्म 'आरआरआर' की कहानी रामायण से प्रेरित है. इसमें अल्लूरी सीताराम राजू (राम चरण) का किरदार श्रीराम, सीता (आलिया भट्ट) का किरदार माता सीता और भीमा (एनटीआर जूनियर) का किरदार हनुमान से प्रेरित है. इस तरह पौराणिक किरदारों की काल्पनिक कहानी पर रचे गए सिनेमा के जरिए राजामौली दर्शकों को अपनी फिल्म से कनेक्ट कर लेते हैं. लोगों को उनकी फिल्में बहुत पसंद आती हैं.

3. भव्य सेट, अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल

बॉलीवुड में संजय लीला भंसाली को भव्य फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है. लेकिन राजामौली इस मामले में उनसे बहुत आगे निकल चुके हैं. फिल्म में भव्य सेट और अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने के मामले में वो हॉलीवुड फिल्मों को टक्कर दे रहे हैं. उनकी फिल्म बाहुबली का सेट ही याद कर लीजिए. हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में बने इस फिल्म के सेट पर पानी की तरह पैसा बहाया गया था. 15 एकड़ हिस्से में 'बाहुबली' का सेट लगाया गया था. फिल्म के पहले पार्ट में महिष्मति साम्राज्य का सेट बनाने में 28 करोड़ रुपए का खर्च आया था. सीक्वल में उसी सेट पर कुछ नए एलीमेंट्स को जोड़कर कई सीन फिल्माए गए. इसके अलावा एक नए साम्राज्य का सेट भी तैयार किया गया, जिसके प्रोडक्शन डिजाइन का खर्च 35 करोड़ रुपए आया था. इस सेट को 500 लोगों ने करीब 50 दिन में तैयार किया था. उनकी हालिया रिलीज फिल्म 'आरआरआर' के एक सीन को फिल्माने में ही करोड़ों रुपए लगा दिए गए, जहां हिंदुस्तानी लोगों का हुजूम अंग्रेज अफसरों का विरोध कर करता है. राजामौली फिल्मों में वीएफएक्स का खूब इस्तेमाल करते हैं.

4. पटकथा और निर्देशन पर मजबूत पकड़

किसी भी फिल्म की जान उसकी पटकथा में बसती है. यदि मजबूत और कसी हुई पटकथा लिखी गई है, तो फिल्म के बेहतर होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसके बाद निर्देशक का रोल महत्वपूर्ण हो जाता है. यदि पटकथा के अनुरूप निर्देशक ने अपना काम जिम्मेदारी से कर लिया तो फिल्म हिट होनी तय है. बहुत हद तक कलाकारों का प्रदर्शन निर्देशक की कुशलता पर निर्भर करता है. राजामौली की सबसे बड़ी खासियत ये है कि वो अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले खुद लिखते हैं. इसके साथ ही निर्देशन भी करते हैं. ऐसे में स्क्रिप्ट को समझते हुए डायरेक्शन करना उनके लिए आसान होता है. इसके साथ ही वो अपने फिल्म के कलाकारों से बेहतरीन अभिनय करवाने में भी सफल रहते हैं. यही वजह है कि उनकी फिल्मों में काम करने वाले स्टार रिलीज के बाद सुपरस्टार बन जाते हैं. इसे राजामौली का कमाल ही कहा जाएगा. उनकी बेहतरीन फिल्म मेकिंग को श्रेय जाएगा.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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