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Updated: 21 मार्च, 2023 06:36 PM
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हम सभी जानते हैं कि मानव विकास में विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान है. आज हमारे आसपास जितनी सुख सुविधाएं मौजूद हैं, उनका श्रेय हमारे वैज्ञानिकों का जाता है. भारत के विकास में तीन वैज्ञानिकों का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है. इसमें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' कहे जाने वाले देश के महान वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा, अंतरिक्ष में स्वदेशी सैटेलाइट भेजने का सपना साकार करने वाले वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई और मिसाइल मैन कहे जाने वाले वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम प्रमुख है. इन तीनों की जिंदगी और उनके विजन पर आधारित एक वेब सीरीज 'रॉकेट बॉयज' पिछले साल फरवरी में रिलीज हुई थी. इसका दूसरा सीजन अब 'रॉकेट बॉयज 2' ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रहा है, जिसमें पहले सीजन की कहानी को आगे बढ़ाया गया है.

अभय पन्नू के निर्देशन में बनी इस वेब सीरीज में जिम सरभ, इश्वाक सिंह, रेजिना कसांड्रा, सबा आजाद, दिब्येंदु भट्टाचार्य, रजित कपूर, टी एम कार्तिक, अर्जुन राधाकृष्णन, नमित दास और चारु शंकर जैसे कलाकार अहम किरदारों में मौजूद हैं. इस सीरीज में जिम सरभ ने डॉ. होमी जहांगीर भाभा, इश्वाक सिंह ने डॉ. विक्रम साराभाई और अर्जुन राधाकृष्णन ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का किरदार निभाया है. तीनों कलाकार अपने-अपने किरदारों में बिल्कुल परफेक्ट नजर आ रहे हैं. खास करके जिम सरभ और इश्वाक सिंह ने तो पहले सीजन की तरह दूसरे में भी कमाल का काम किया है. मृणालिनी साराभाई के किरदार में रेजिना कैसेंड्रा जितनी खूबसूरत लगी हैं, उतनी ही मजबूती से उन्होंने अपने किरदार को पेश किया है, जिसकी सीरीज में डिमांड भी है. उनके किरदार की कहानी एक अलग ट्रैक पर चलती है.

650x400_031923043349.jpgसाइंस फिक्शन थ्रिलर 'रॉकेट बॉयज 2' ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रहा है.

वेब सीरीज 'रॉकेट बॉयज 2' की कहानी अभय पन्नू और कौसर मुनीर ने लिखी है. कौसर एक बेहतरीन पटकथा और संवाद लेखक के साथ गीतकार भी हैं. उन्होंने इस सीरीज के सारे संवाद लिखे हैं, जो कि बहुत प्रभावी हैं और ध्यान आकर्षित करते हैं. इस सीरीज की कहानी सच्ची घटनाओं पर आधारित है, लेकिन इसे रोचक बनाने के लिए सिनेमाई स्वतंत्रता ली गई है. फिक्शन का सहारा लिया गया है. पहले सीजन में दिखाया गया था कि कैसे डॉ. होमी जहांगीर भाभा और डॉ. विक्रम साराभाई के विचार और विजन अलग होने की वजह से उनके रास्ते अलग हो जाते हैं. भाभा देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए एटम बम बनाना चाहते थे, जबकि साराभाई लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करना चाहते थे. इसे लेकर दोनों के बीच मतभेद था, लेकिन दोनों एक-दूसरे का सम्मान बहुत करते थे.

दूसरे सीजन की शुरूआत 1962 के युद्ध के बाद से होती है, जब भारत चीन से हार चुका था. हमारे देश के कुछ हिस्से पर भी चीन ने कब्जा कर लिया था. ऐसे में डॉ. होमी जहांगीर भाभा न्यूक्लियर बम बनाने के अपने प्रोग्राम को तेज कर देते हैं. लेकिन अमेरिका सहित चीन और पाकिस्तान इस प्रोग्राम पर नजर बनाए हैं. भाभा की टीम में कुछ लोग ऐसे हैं, जो पैसों की लालच में अमेरिकन खुफिया एजेंसी सीआईए के लिए काम करते हैं. सीआईए को जब पता चलता है कि भाभा न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने की दिशा अपना काम तेज कर दिए हैं, तो वो उनको और एक दूसरे वैज्ञानिक रजा को मारने की कोशिश करते हैं, लेकिन किस्मत से दोनों बच जाते हैं. इधर, साराभाई थुंबा में अपनी टीम के साथ सैटेलाइट लॉन्च करने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन उनको सफलता नहीं मिल पाती हैं. इसकी वजह से सरकार उनके बजट में कटौती कर देती है.

ऑडिट ऑफिसर डॉ. विक्रम साराभाई से कहता है, ''सर हम 62 की लड़ाई हार चुके हैं. पाकिस्तान की सेना सीमा पर खड़ी है. ऐसे में आप ही बताइए कि डिफेंस बजट कहां खर्च करना चाहिए? सेन पर या फिर रॉकेट उड़ाने पर?'' इस साराभाई बिना कोई जवाब दिए अपने विजन पर काम करने लगते हैं. उनका मानना है कि स्पेस में सैटेलाइट लॉन्च होने से लोगों की जिंदगी आसान हो जाएगी. उनके टेलीविजन के जरिए सही सूचनाएं मिलेंगी. मौसम का पूर्वानुमान होगा, जिससे प्राकृतिक आपदा से बचने में मदद मिलेगी. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम उनके विजन को पूरा करने में जी जान से मदद करते हैं. कलाम अपने गुरू साराभाई से कहते हैं, ''हर एक काम है धोखा, हर एक काम है खेल, की जिंदगी में तमाशा बहुत जरूरी है.'' वैज्ञानिको के अपने विजन पूरा करने की इस लड़ाई के बीच साराभाई की पत्नी मृणालिनी की लड़ाई अलग स्तर पर चल रही होती है. अपने निजी जिंदगी से नाखुश मृणालिनी बच्चों को कथक नृत्य सीखाती है. वो महिलाओं के स्वतंत्र अस्तित्व में यकीन करती है. अपने हक के लिए लड़ती है.

क्या डॉ. होमी जहांगीर भाभा, डॉ. विक्रम साराभाई और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अपने विजन को पूरा करने में कामयाब होंगे? कैसे उनके विजन के रास्ते में आने वाली रुकावटों पर वो विजय प्राप्त करते हैं? कैसे मृणालिनी साराभाई महिलाओं के सम्मान और हक के लिए अपनी लड़ाई लड़ती है? ये सब जानने के लिए ये वेब सीरीज देखनी होगी, जो कि बहुत ज्ञानवर्धनक, रोचक और दिलचस्प है. यकीनन इसे देखने के बाद आपको आनंद आने वाला है. क्योंकि इसमें अपने देश के विकास यात्रा की झलक दिखती है. सिद्धार्थ रॉय कपूर , मोनिषा आडवाणी और मधु भोजवानी ने इस सीरीज का निर्माण किया है. उन्होंने तकनीकी टीम बहुत मजबूत बनाई है. सिनेमैटोग्राफी से लेकर एडिटिंग तक में बहुत मेहनत से काम किया गया है. सिनेमैटोग्राफर हर्षवीर ओबेरॉय की तारीफ होनी चाहिए. उन्होंने पूरे शो में शैडोज के बेहतरीन इस्तेमाल से बेहतरीन फ्रेम्स बनाए हैं. लाइटिंग भी बहुत अपीलिंग है. विजुअल्स में ब्लू और येलो कलरटोन के हल्के शेड का इस्तेमाल शो के टाइम पीरियड को सूट करता है. इसकी खूबसूरती को बढ़ाता है.

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