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Updated: 11 फरवरी, 2022 07:29 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूर्वांचल का बहुत अहम स्थान है. बात जब पूर्वांचल की आती है तो यहां कि सियासत और जुर्म के बीच गठजोड़ की सुर्ख लाल तस्वीर नजर आने लगती है. सही मायने में कहें तो राजनीति और अपराध का कॉकटेल पूरे देश में सबसे पहले यही से बनना शुरू हुआ था. इसकी पृष्ठभूमि 80 और 90 के दशक में बनकर तैयार हुई थी, जब यहां होने वाले गैंगवार की खबरें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनती थीं. उस वक्त पूर्वांचल की सियासत में चार लोगों का नाम बहुत प्रमुखता से लिया जाता था. इसमें बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी, माफिया डॉन मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह और कृष्णानंद राय का नाम प्रमुख है. इनमें मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह के बीच खूनी अदावत की कहानी आज भी हर किसी के जुबान पर है. इसी कहानी पर आधारित वेब सीरीज 'रक्तांचल' का दूसरा सीजन ओटीटी प्लेटफॉर्म एमएक्स प्लेयर पर स्ट्रीम हो रहा है. इस वेब सीरीज को देखने के बाद राजनीति के 'रक्त चरित्र' को बखूबी समझा जा सकता है.

रीतम श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी वेब सीरीज 'रक्तांचल' में निकितिन धीर, क्रांति प्रकाश झा, सौंदर्या शर्मा, आशीष विद्यार्थी, दयाशंकर पांडेय, चितरंजन त्रिपाठी और रोंजिनी चक्रवर्ती जैसे कलाकार अहम रोल में हैं. यूपी में जारी विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच इस वेब सीरीज की पंचलाइन ''रणनीति नहीं, अब राजनीति होगी'' खूब हिट हो रही है. मेकर्स द्वारा चुनावी माहौल के बीच वेब सीरीज को रिलीज करने का एक मकसद विधानसभा चुनाव को भुनाना भी है. वैसे भी इस वेब सीरीज के दोनों मुख्य किरदार वसीम खान और विजय सिंह वास्तविक जीवन से प्रेरित हैं. इनका सियासी रसूख आज भी बरकरार है. इन दोनों ही किरदारों की कहानी बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी और माफिया डॉन बृजेश सिंह के इर्द-गिर्द घूमती है. जेल बंद होते हुए भी मुख्तार अंसारी इस चुनाव में भी सक्रिय हैं. उनको समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही भारतीय सुहलदेव समाज पार्टी ने मऊ से टिकट दिया है. बृजेश सिंह भी एमएलसी हैं.

raktanchal-164370929_021122012729.jpgवेब सीरीज 'रक्तांचल 2' में निकितिन धीर, क्रांति प्रकाश झा, करण पटेल और माही गिल लीड रोल में हैं.

वेब सीरीज 'रक्तांचल' के दूसरे सीजन की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पहले की खत्म हुई थी. विजय सिंह (क्रांति प्रकाश झा) को गोली मारने के बाद वसीम खान (निकितिन धीर) का एकछत्र राज हो जाता है. वो अपने गैर-कानूनी धंधों के साथ राजनीति भी करने लगता है. इधर, मुंबई में एक बहुत बड़ा गैंगवार होता है, जिसमें तीन अपराधियों को अस्पताल में सरेआम भून दिया जाता है. इसमें अचानक विजय सिंह का नाम सामने आता है. इसके बाद लोगों को पता चलता है कि वो जिंदा है. दरअसल, घायल विजय को स्थानीय विधायक और गृहमंत्री रामानंद राय (आशीष विद्यार्थी) अपने संरक्षण में रखकर इलाज कराता है. उसे चार साल तक लोगों की नजरों से छुपाकर रखता है. उसके कहने पर विजय मुंबई जाकर इस हत्याकांड को अंजाम देता है. इसके बाद वो अपने परिवार के सामने भी आता है. परिवार के लोग उसे जिंदा देखकर बहुत खुश होते हैं. विजय रामानंद राय की भतीजी रोली राय (सौंदर्या शर्मा) से प्यार करता है. इसलिए दोनों की शादी कर लेते हैं.

विजय और वसीम की कहानी के समानांतर एक दूसरी कहानी लखनऊ में चल रही होती है. वहां एक महिला राजनेता सरस्वती देवी (माही गिल) सूबे के मुख्यमंत्री का विश्वास हासिल करने के बाद उनको धीमा जहर देकर मारने की कोशिश करती है, ताकि वो उनकी जगह सत्ता हासिल कर सके. इस खेल में उसका साथ वसीम खान भी देता है, ताकि रामानंद के राजनीतिक रसूख को खत्म कर सके. इसी वजह से एक साजिश के तहत रामानंद राय से गृहमंत्री पद छीनकर सरस्वती देवी वसीम खान को दे देती है. इससे आहत होकर रामानंद वसीम से बदला लेने के लिए विजय को भड़काता है. इसी बीच मुख्यमंत्री का निधन हो जाने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाता है. उनकी जगह लेने के लिए सरस्वती देवी, रामानंद राय और वसीम खान के बीच जंग शुरू हो जाती है. बहुमत हासिल करने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त और छीना-छपटी शुरू होती है. इसी बीच विजय को पता चलता है कि उसकी पत्नी के माता-पिता की हत्या रामानंद ने ही कराई है, तो वो उनके खिलाफ हो जाता है.

इन सभी कहानियों के बीच एक कहानी मुंबई पुलिस के एसीपी हिमांशु की भी है. मुंबई में हुए हत्याकांड के बाद हिमांशु को पता चलता है कि इसमें विजय सिंह का हाथ है, तो वो जांच के लिए वाराणसी चला आता है. यहां रहकर इस केस से जुड़े हर व्यक्ति से पूछताछ करता है. उसकी तफ्तीश अपने गति से लगातार जारी रहती है. उसका एकमात्र लक्ष्य विजय सिंह को जिंदा या मुर्दा पकड़ना होता है. इसके लिए वो साम, दाम, दंड और भेद हर तरह के हथकंडे अपनाता है. अब यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि क्या एसीपी हिमांशु विजय को गिरफ्तार कर पाता है? सरस्वती देवी, रामानंद राय और वसीम खान के बीच मुख्यमंत्री बनकर सत्ता कौन हासिल करता है? रामानंद राय की हकीकत जानने के बाद विजय सिंह उनके साथ क्या सलूक करता है? क्या विजय सिंह अपने जानी दुश्मन वसीम खान से बदला ले पाता है? क्या सरस्वती देवी की महत्वाकांक्षा पूरी हो पाती है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आपको वेब सीरीज रक्तांचल का दूसरा सीजन देखना होगा.

इस वेब सीरीज के सभी प्रमुख किरदार किसी न किसी राजनीतिक या आपराधिक व्यक्ति की जिंदगी से प्रेरित है. जैसे कि पहले ही बताया गया कि वसीम खान का किरदार मुख्तार अंसारी से, जबकि विजय सिंह का किरदार बृजेश सिंह से प्रेरित है. तीसरा अहम किरदार रामानंद राय का है, जिसे आशीष विद्यार्थी निभा रहे हैं, जो दिवंगत विधायक कृष्णानंद राय की याद दिलाता है. चौथा लेकिन सबसे अहम किरदार महिला राजनेता सरस्वती देवी का है, जिसे माही गिल कर रही हैं. यह किरदार बसपा सुप्रीमो मायावती से प्रेरित है. उसका आउटफिट और बॉडी लैंग्वेज मायावती से मिलता-जुलता है. इन सभी किरदारों को गढ़ने में निर्देशक रीतम श्रीवास्तव की मेहनत साफ नजर आती है. उन्होंने किसी भी व्यक्ति का नाम लिए बिना किरदारों के जरिए उसकी पहचान साबित कर दी है. एक कुशल निर्देशक की यही खूबी उसके सिनेमा को दूसरों से अलग करती है. हालांकि, दूसरा सीजन पहले जैसा रोमांचक नहीं बन पाया है. फिर भी एक बार देखने बैठे तो आखिरी एपिसोड तक देखते चले जाएंगे.

वेब सीरीज में विजय सिंह के किरदार में अभिनेता क्रांति प्रकाश झा हमेशा की तरह शानदार लगे हैं. उनकी एक्टिंग, डायलॉग डिलीवरी और बॉडी लैंग्वेज सबकुछ ऐसा है मानो सामने विजय नहीं बृजेश सिंह मौजूद हैं. वैसे भी क्रांति लंबी रेस के घोड़े हैं. इससे पहले योग गुरु बाबा रामदेव के जीवन पर आधारित टीवी शो 'स्वामी एक संघर्ष' और बॉलीवुड फिल्म 'एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' में भी नजर आ चुके हैं. वसीम खान के किरदार में निकितिन धीर औसत लगे हैं. शरीर से तो वो अपने किरदार में फिट बैठते हैं, लेकिन बॉडी लैंग्वेज और फेस एक्सप्रेशन में मात खा जाते हैं. कई जगह तो गुस्से में भी उनके डायलॉग ऐसे लगते हैं, जैसे कि वो मजाक कर रहे हैं. चेहरे पर वो रौब नहीं दिखता, जो एक माफिया डॉन या बाहुबली नेता में होता है. रामानंद राय के किरदार में आशीष विद्यार्थी, सरस्वती देवी के किरदार में माही गिल, रोली राय के किरदार में सौंदर्या शर्मा जंच रही हैं. एसीपी हिमांशु के किरदार में करण पटेल की मेहनत नजर आती है. वो अलग से उभर कर सामने आते हैं.

कुल मिलाकर, पॉलीटिकल क्राइम थ्रिलर 'रक्तांचल' मनोरंजक वेब सीरीज है. यदि आप उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल में राजनीति और अपराध के गठजोड़ को समझना चाहते हैं. सरकार और सत्ता में अपराधियों की भागीदारी कैसे होती है, ये देखना चाहते हैं, तो ये आपके लिए उपयुक्त वेब सीरीज है. इसे इस वीकेंड बिंज वॉच कर सकते हैं.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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