New

होम -> सिनेमा

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 09 फरवरी, 2021 07:40 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
  • Total Shares

राजीव कपूर का आज निधन हो गया. वह 58 साल के थे. उनको दिल का दौरा पड़ा था. राजीव कपूर (Rajiv Kapoor) कौन थे? क्या करते थे? यहां हम उनकी चर्चा क्यों कर रहे हैं? ऐसे तमाम सवाल आपके भी मन में उठ रहे होंगे. कपूर सरनेम से आपको थोड़ा बहुत तो अंदाजा हो गया होगा. राजीव कपूर हिन्दी सिनेमा के पहले फिल्मी परिवार 'कपूर खानदान' से ताल्लुक रखते थे. वह बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर (Raj Kapoor) के बेटे और ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) के भाई थे. वैसे अंतिम समय में गुमनामी के अंधेरे में जीने वाले राजीव कपूर की एक पहचान और थी, वो ये कि उन्होंने फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' (Ram teri ganga maili) में काम किया था. बतौर लीड एक्टर. इतना ही नहीं उन्होंने साल 1991 में मशहूर फिल्म 'हिना' प्रोड्यूस की थी. 1996 में फिल्म 'प्रेम ग्रंथ' के जरिए डायरेक्शन में कदम रखा. साल 1999 में 'आ अब लौट चलें' उनकी आखिरी प्रोडक्शन फिल्म थी, जिसके डायरेक्टर ऋषि कपूर थे.

untitled-1-650_020921071607.jpgबॉलीवुड के शोमैन राज कपूर के बेटे राजीव कपूर का निधन हो गया है.

महज एक साल के अंदर ही एक परिवार से दो भाइयों का असमय काल के गाल में समां जाना हर किसी को असहज कर रहा है. पहले 67 साल की उम्र में ऋषि कपूर कैंसर से जंग लड़ते हुए चले गए. अब महज 58 साल की उम्र में राजीव कपूर को हार्ट अटैक आ गया. कपूर फैमिली में असफल कलाकारों की जब भी चर्चा होती है तो सबसे पहला नाम राजीव कपूर का आता है. उन्होंने साल 1983 में 'एक जान हैं हम' फिल्म से डेब्यू किया था. लेकिन 1985 में राज कपूर के डायरेक्शन में बनी 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म में लीड रोल निभाया. यह फिल्म उस वक्त खूब चर्चा में रही. बॉक्स ऑफिस पर कई सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, लेकिन इसकी सफलता का सारा क्रेडिट फिल्म की एक्ट्रेस मंदाकिनी को मिल गया. फिल्म में खुद लीड एक्टर और पिता डायरेक्टर, इसके बावजूद क्रेडिट एक्ट्रेस को, ये बात राजीव कपूर को अंतिम समय तक कचोटती रही.

कपूर खानदान (kapoor Family) की सबसे प्रामाणिक जीवनगाथा लिखने वाली मधु जैन ने अपनी किताब 'कपूरनामा' में इस प्रकरण का विस्तार से जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म हिट होने के बाद राज कपूर और राजीव कपूर के बीच दूरियां बनने लगी थीं. राजीव का मानना था कि डायरेक्टर पिता ने उनके किरदार के साथ इंसाफ नहीं किया. उन्होंने मंदाकिनी के किरदार को अच्छे से पर्दे पर उतारा है. इसकी वजह से ही इस फिल्म का सारा क्रेडिट मंदाकिनी को मिल रहा है. 'राम तेरी गंगा मैली' सिर्फ राज कपूर और मंदाकिनी के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई. राजीव को इस फिल्म के हिट होने का कोई फायदा नहीं हुआ. इस फिल्म ने मंदाकिनी को रातों-रात स्टार बना दिया, लेकिन राजीव कपूर आगे नहीं बढ़ पाए. इस बात के लिए राजीव कपूर ने सारा दोष पिता राज कपूर पर डाल दिया. वह उनसे नाराज रहने लगे थे.

राज-ऋषि की छवि तले दबे रहे राजीव!

बताया जाता है कि फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' के बाद राज कपूर ने दोबारा कभी राजीव को लेकर कोई फिल्म नहीं बनाई. हालांकि, राजीव कपूर ने 'लवर ब्वॉय', 'हम तो चले परदेस', 'अंगारे', 'शुक्रिया' जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन बॉलीवुड में अपनी सशक्त पहचान बनाने में नाकाम रहे. कुछ फिल्म क्रिटिक्स का यह भी कहना है कि राजीव कपूर का हाल अभिषेक बच्चन जैसा था. जिस तरह अभिषेक बच्चन की तुलना उनके पिता के कद से की जाती है. उसी तरह राजीव की तुलना राज कपूर और ऋषि कपूर से की जाती रही. उनके सामने एक तरफ राज जैसा शोमैन था, तो दूसरी तरफ ऋषि जैसा चॉकलेटी छवि वाला हीरो, वह इन दोनों खांचों में फिट नहीं बैठ पाए. इसके अलावा अपनी अलग से कोई पहचान भी नहीं बना पाए. हालांकि, हिना और प्रेम ग्रंथ जैसी फिल्मों के जरिए उन्होंने बतौर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था.

whatsapp-image-2021-_020921072158.jpegफिल्म राम तेरी गंगा मैली में राजीव कपूर और मंदाकिनी

'राजीव कपूर भाग्यशाली नहीं थे'

शम्मी कपूर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि राजीव कपूर के करियर की शुरुआत बेहद गलत तरीके से हुई. वह शुरुआत से ही उनकी कॉपी करने की कोशिश किया करते थे. ऐसे में लोग उनको देखकर यह कहने लगते थे कि ये तो शम्मी कपूर है. राजीव कपूर भाग्यशाली नहीं थे. वह बतौर एक्टर बेहद अच्छे थे, लेकिन करियर आगे नहीं बढ़ पाया. उनको अपने पिता से भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया. साल 1988 में राज कपूर के निधन के बाद तो राजीव कपूर का हाल और भी बुरा गया. राजीव कपूर को लगा कि जब उन्हें अपने पिता की सबसे अधिक जरूरत थी तभी वह उन्हें छोड़कर चले गए. राज कपूर के खास दोस्त डॉक्टर नरेंद्र पांड्या ने राजीव कपूर की हालत बताते हुए कहा था- 'राज कपूर के निधन के एक हफ्ते बाद चिंपू (राजीव कपूर) मेरे पास आया. उसके सिर पर चोट लगी थी. वह कांप रहा था. अपना होश खो बैठा था.'

whatsapp-image-2021-_020921072303.jpegराजीव कपूर ने साल 1983 में 'एक जान हैं हम' फिल्म से डेब्यू किया था.

स्वभाव से बहुत शालीन थे राजीव

फिल्म एक्टर रजा मुराद राजीव कपूर के बारे में कहते हैं, 'हम एक दूसरे को 40 साल से ज्यादा समय से जानते थे. मैंने सबसे पहले उनके साथ 1980 में राहुल रवैल की फिल्म गुनहगार में काम किया था. उस फिल्म में राजीव राहुल रवैल के असिस्टेंट थे. राज कपूर के बेटे होने के बाद भी वह घमंडी नहीं थे. वह लोगों का काफी सम्मान करते थे. वह काम के दौरान सेट्स पर लोगों से घुलमिल जाते थे. जब हम 1982 में प्रेम रोग में काम कर रहे थे तो वह सेट पर काम कर रहे लोगों के साथ ही खाते थे. यहां तक कि उन्हीं के साथ सो भी जाते थे. वह फर्श की सफाई भी कर देते थे. राज कपूर ने राजीव को आम आदमी की तरह ट्रेनिंग दी थी. राजीव की तुलना में ऋषि कपूर बहुत गुस्सैल हुआ करते थे. प्रेम रोग के सेट पर अक्सर वह राजीव को डांट दिया करते थे. लेकिन राजीव छोटे भाई की तरह बहुत शालीनता से उनका गुस्सा झेल जाया करते थे.'

whatsapp-image-2021-_020921072351.jpegराजीव कपूर की फिल्म जबरदस्त, जिसमें सनी देओल और अमरीश पुरी भी थे.

#राजीव कपूर, #राजकपूर, #ऋषि कपूर, Rajiv Kapoor Death, Raj Kapoor, Rishi Kapoor

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय