New

होम -> सिनेमा

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 31 अगस्त, 2021 10:37 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
  • Total Shares

समाज की तरह हमारा सिनेमा भी तेजी से बदल रहा है. अब ये मायानगरी की गलियों से निकलकर ओवर-द-टॉप (OTT) हो चुका है. यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर आने के बाद सिनेमा का स्वरूप तेजी से बदल रहा है. एक वक्त था जब सिनेमा में नामचीन सितारे मायने रखते थे, लेकिन अब कलाकार साइड हो चुके हैं, सिनेमा का विषय मुख्य हो चुका है. इस वक्त सच्ची घटनाओं पर आधारित घोटालों और अपराध की कहानियों को ओटीटी (ओवर-द-टॉप) स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर ज्यादा दर्शक मिल रहे हैं. सोनीलिव पर प्रसारित वेब सीरीज 'स्कैम 1992- द हर्षद मेहता', प्राइम वीडियो पर प्रसारित 'मिर्जापुर' से लेकर 'द फैमिली मैन' तक देख लीजिए आपको दर्शकों की बदलती पसंद का अंदाजा हो जाएगा. इन वेब सीरीज की सफलता इसी से साबित होती है कि इनके कई सीजन बनाने पड़े हैं. इसके बाद भी दर्शक अगले सीजन का इंतजार कर रहे हैं.

अमेजन प्राइम वीडियो पर वेब सीरीज 'मिर्जापुर' साल 2018 में रिलीज हुई थी. इसे लोगों इतना पसंद किया कि उनकी डिमांड को देखते हुए अगले सीजन मिर्जापुर 2 को साल 2020 में रिलीज किया गया. इसके बाद मिर्जापुर के तीसरे सीजन की तैयारी भी शुरू हो चुकी है. इसी तरह सेनीलिव पर पिछले साल वेब सीरीज 'स्कैम 1992- द हर्षद मेहता' रिलीज की गई थी. घोटालों पर आधारित इस वेब सीरीज को लोकप्रियता देखते हुए अब इसके भी अगले सीजन की घोषणा कर दी गई है, जो 'स्कैम 2003' के नाम से रिलीज की जाएगी. डिस्कवरी+ ने हाल ही में सफेदपोश अपराध पर एक वेब सीरीज 'मनी माफिया' को लॉन्च किया है. नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज 'दिल्ली क्राइम' और 'बैड बॉय बिलियनेयर्स' के प्रीमियर के बाद दो अन्य क्राइम सीरीज बहुत जल्द स्ट्रीम होने वाली हैं. इनके लिए जरूरी रिसर्च वर्क किया जा रहा है.

mirzapur_650_083021052045.jpgमिर्जापुर, द सेक्रेड गेम्स और द फैमिली मैन जैसी वेब सीरीज की सफलता ओटीटी का स्वाद बताती है.

अप्लॉज एंटरटेनमेंट के सीईओ समीर नायर जो कि स्कैम 1992 जैसी वेब सीरीज का समर्थन करते हुए कहते हैं कि सिर्फ बदनामी से ज्यादा, दर्शकों को सच्ची जीवन की कहानियों की ओर आकर्षित किया जा सकता है. जब किसी सिनेमा को अच्छे से बनाकर, उसमें सटीक विवरण का समावेश कर, अवधि संदर्भ, प्रोडक्शन वैल्यू और परफॉर्मेंस पर ध्यान देते हुए इस तरह की कहानियों को पेश किया जाता है, तो वो रोमांचक बन जाता है, जिसे देखने में दर्शकों को भी मजा आता है. इतना ही नहीं इस तरह के सिनेमा देखने से दर्शक सीखते हैं और भविष्य में होने वाले नुकसान के प्रति सचेत और सावधान रहते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी अपराध, वित्त, व्यापार, मातृभूमि सुरक्षा, सशस्त्र बलों आदि से जुड़ी वास्तविक जीवन की कहानियों पर सिनेमा बनाने के लिए हमेशा तैयार रहती है. क्योंकि ये विषय दर्शकों को लुभाते हैं.

लोगों को क्राइम-स्कैम जॉनर का सिनेमा है पसंद

एमएक्स प्लेयर के चीफ कंटेंट अफसर गौतम तलवार कहते हैं कि घोटाले की कहानियां एक बहुत ही आकर्षक शैली का निर्माण करती हैं. वह कहते हैं, 'क्राइम और स्कैम जॉनर का सिनेमा पसंद करने वाले दर्शकों को यह जानने में दिलचस्पी रहती है कि क्राइम कैसे होता है, उसके पीछे की मॉडस अपरेंडी क्या होती है. किन मानसिकता के शिकार लोग क्राइम करते हैं. पुलिस कैसे इन अपराधियों का भंडाफोड़ करती है? बॉलीवुड में क्राइम जॉनर के नाम पर अंडरवर्ल्ड को पेश किया जाता रहा है, लेकिन ओटीटी उससे कई कदम आगे बढ़कर सच्चे जीवन की घटनाओं पर आधारित कहानियों पर सिनेमा बना रहा है.' एमएक्स प्लेयर पर ही 'आश्रम' जैसी वेब सीरीज के दो सीजन प्रसारित किए जा चुके हैं. इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक शख्स दुनिया की नजरों में संत बना हुआ है, लेकिन जरायम की दुनिया का हर अपराध करता है. वो लड़कियों से रेप से लेकर अपने भक्तों को नपुशंक बनाने तक का काम करता है. कहा जाता है कि इसकी कहानी बाबा राम रहीम से प्रेरित है.

ओटीटी के 80 फीसदी दर्शक 35 साल से कम हैं

ऑल्ट बालाजी की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रेवेन्यू एंड मार्केटिंग) दिव्या दीक्षित का कहना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को देखने वाले दर्शकों में करीब 80 फीसदी की उम्र 35 साल से कम है. इस जेनरेशन के लोग बिंग वॉच कंटेंट देखना बहुत अधिक पसंद करते है. इसलिए इनके लिए सस्पेंस और मिस्ट्री जॉनर का सिनेमा पेश किया जाता है. इस तरह हम फेंस-सिटर्स को सब्सक्राइबर में बदलने में कामयाब हो जाते हैं.' दिव्या बताती है कि ऑल्ट बालाजी की आगामी पेशकश वेब सीरीज फेरी है, जो प्रवेश परीक्षा में होने वाले घोटाले पर आधारित है. इसके अलावा वेब सीरीज रक्तांचल का अगला सीजन भी बहुत जल्द रिलीज किया जाएगा. यह वेब सीरीज पूर्वांचल में माफिया राज पर आधारित है. इसमें मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह के बीच हुए गैंगवार को दिखाया गया है. इन दोनों की बीच गैंगवार की कहानी खूब पसंद की गई है.

क्राइम जॉनर के लिए व्यापक रिसर्च की जरूरत

ओटीटी सच्ची अपराध कहानियों के साथ भारतीय परिदृश्य में अपराध, अपराधियों और समाज के मनोविज्ञान में गोता लगा रहा है. हालांकि कन्वर्सेशन्स विद अ किलर: द टेड बंडी टेप्स, ऑपरेशन वर्सिटी ब्लूज़, द रिपर और द वैनिशिंग एट द सेसिल होटल जैसे इंटरनेशनल क्राइम सीरीज भी यहां लोकप्रिय रहे हैं. नेटफ्लिक्स पर बहुत जल्द क्राइम जॉनर के दो बड़े वेब सीरीज देखने को मिलने वाले हैं. इनमें 'क्राइम स्टोरीज़: इंडिया डिटेक्टिव्स' है, जो बैंगलोर सिटी पुलिस की जांच की कहानियों पर आधारित है और दूसरा 'हाउस ऑफ सीक्रेट्स: बुराड़ी डेथ्स' है, जो साल 2018 में दिल्ली के बुराड़ी में एक परिवार के 11 सदस्यों की रहस्यमयी मौत पर आधारित है. वैसे क्राइम की कहानियां दिखाना उतना आसान नहीं होता, जितना दिखता है. इसके लिए व्यापक रिसर्च की जरूरत होती है. क्योंकि इसमें कानूनी पक्ष सीधे तौर पर जुड़ा होता है.

ओटीटी पर कंटेंट ही किंग है, बाकी सब साइड में

इसमें कोई दो राय नहीं है कि ओटीटी पर कंटेंट ही किंग है. यहां किसी भी वेब सीरीज और फिल्म की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसके कंटेंट में कितना दम है. वरना सलमान खान जैसे सुपरस्टार की फिल्म 'राधे' ओटीटी पर औंधे मुंह नहीं गिर जाती. ओटीटी पर ऑरिजनल कंटेंट की डिमांड तेजी से बढ़ी है. फिक्की की मीडिया एवं एंटरटेनमेंट पर आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में ओटीटी पर ऑरिजनल कंटेंट डिमांड डबल हो जाएगी. साल 2020 में नेटफ्लिक्स पर नॉन फिक्शन कंटेंट में 250, डॉक्यूमेंट्री में 100, फिक्शन में 370 व किड्स टाइटल में 100 फीसदी से ज्यादा का ग्रोथ देखा गया. बीते साल नेटफ्लिक्स पर सबसे ज्यादा फिल्में देखने वाला देश भारत था. इतना ही नहीं पिछले साल मार्च से जुलाई के दौरान लॉकडाउन में भारत में ओटीटी पेड सबस्क्राइबर्स में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

किस जॉनर का सिनेमा सबसे ज्यादा है पसंद?

पेड सबस्क्राइबर्स की संख्या 2.22 करोड़ से बढ़कर 2.9 करोड़ तक पहुंच गई. ये बढ़त बताती है कि आने वाले कुछ वर्षों में ओटीटी तेजी से बढ़ने वाला है. ओटीटी पर बढ़ते सबस्क्राइबर्स को दखेते हुए मेकर्स द्वारा लगातार बेहतरीन फिल्मों और वेब सीरीज पर काम हो रहा है. ये बात तो समझ में आ गई, लेकिन दर्शक किस तरह की फिल्में या वेब सीरीज देखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं, ये बड़ा सवाल है? इसका जवाब जानने से पहले ये जानना ज्यादा जरूरी है कि कोई फिल्म या वेब सीरीज के कितने जॉनर होते हैं. जॉनर यानि फिल्म निर्माण की शैली. सिनेमा का विषय, पात्र, पात्रों की विशेषताएं, घटनाए, प्रसंग, उद्देश्य, क्लाइमैक्स, संघर्ष और तनाव की स्थितियां कौन सी है, उससे जॉनर तय होता है. इसका सीधा अर्थ शैली, ढंग, पद्धति, स्टाइल, रीति और प्रकार है. दर्शक जिस जॉनर को ज्यादा पसंद करते हैं, उसमें सिनेमा की बाढ़ आ जाती है. क्राइम थ्रिलर, एक्शन, हॉरर, एक्शन, मिस्ट्री और कॉमेडी सिनेमा के प्रचलित जॉनर हैं, जिनमें ज्यादार सिनेमा का निर्माण होता है और दर्शक पसंद करते हैं.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय