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Updated: 12 दिसम्बर, 2016 06:42 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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'हमे शादी नहीं करनी'! धर्मा प्रोडक्शन की आने वाली फिल्म ओके जानू के ट्रेलर में यही है श्रद्धा कपूर और आदित्य रॉय कपूर का पहला डायलॉग. ये जवाब तब दिया जाता है जब नसीर साहब पूछते हैं कि कहीं तुम दोनों ने शादी तो नहीं कर ली. ओके जानू का फर्स्ट लुक आने के बाद से ही इसके ट्रेलर का इंतजार हो रहा था. नई जोड़ी, नया लुक और एक नई कहानी. ट्रेलर मुंबई के एक लिव इन कपल की कहानी बताता है जिसमें दोनों अपने-अपने करियर के लिए भारत से बाहर जाने वाले हैं. श्रद्धा को पैरिस जाना होता है तो आदित्य अमेरिका जाना चाहते हैं.

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तो जी ट्रेलर देखकर क्या लगा?

- लुक्स को बहुत ही सरलता से आम मुंबईकर की तरह रखा गया है...

आदित्य और श्रद्धा दोनों के ही लुक में आम मुंबईकर की झलक दिखती है. साथ ही ट्रेलर में मुंबई की कई जगहें दिखाई गई हैं. फिल्म देखने का मन इसके कारण ही करने लगा.

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ट्रेलर के एक सीन का स्क्रीन शॉट

- लिव इन बेहतर है, लेकिन लव हो जाए तो?

ट्रेलर में लिव इन रिलेशनशिप के बारे में बताया गया है. फिल्म के दोनो लीड्स सिर्फ तब तक ही साथ रहना चाहते हैं जब तक उनका करियर डिफाइन नहीं हो जाता. इसके बाद वो एक दूसरे से अलग हो जाएंगे. लेकिन इसके बाद ट्रेलर में ट्विस्ट आता है जब दोनों लीड्स को एक दूसरे के प्रति लगाव हो जाता है. तो क्या वाकई दो लोगों को साथ रहने पर एक दूसरे से प्यार हो जाता है? या फिर ये सिर्फ लगाव होता है, या महज एक आदत. अब फिल्म में जो भी दिखाया जाए एक बात तो पक्की है कि दो लोग साथ रहते-रहते एक दूसरे के आदी हो जाते हैं.

- लिव इन या लव?

बेफिक्रे के जमाने में जहां कमिटमेंट फोबिक जनता है वहीं ऐ दिल है मुश्किल, बेफिक्रे और ओके जानू जैसी फिल्में ये साफ जाहिर कर रही हैं कि अब प्यार और रिलेशनशिप के मायने बदल गए हैं, लेकिन फिर भी अंत में एक मैसेज जरूर दिया जाता है कि अंत में प्यार हो ही जाता है. जहां एकदम रिलेशनशिप में आना ठीक नहीं वहीं कुछ हद तक कमिटमेंट फोबिया भी सही नहीं.

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आज के दौर में लिव इन रिलेशनशिप को बुरा नहीं कहा जा सकता. अगर कोई अपने करियर के लिए ज्यादा सोचता है तो इसमें भी कुछ बुरा नहीं है. लोग अलग होते हैं और उनकी जरूरतें भी अलग होती हैं. प्यार या करियर के बीच किसे चुने ये सवाल बड़ा है और शायद यही वजह है कि आजकल लिव इन का चलन ज्यादा है. लोग प्रैक्टिकल हो गए हैं और ये एक तरह से सही भी है. बढ़ते कॉम्पटीशन में सभी को आगे बढ़ना है, लोग दूसरे शहर जाते हैं, कम समय है सभी के पास. ऐसे में किसी को भी बंधी हुई रिलेशनशिप से घुटन हो सकती है. फिर भी अगर किसी को कोई सही पार्टनर मिलता है तब कमिटमेंट कर लेना सही फैसला ही होगा.

ट्रेलर कुछ नया लगा. पर कहानी को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन है. हो सकता है इस फिल्म में भी टिपिकल बॉलीवुड अंत हो जिसमें हीरो-हिरोइन को प्यार हो जाएगा, या कुछ नया हो. अब ये तो 13 जनवरी को फिल्म रिलीज होने पर ही पता चलेगा कि फिल्म कैसी है. जो भी हो एक बात तो पक्की है. बॉलीवुड अब एक नए ट्रेंड की ओर चल पड़ा है.

लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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