New

होम -> सिनेमा

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 20 जून, 2022 10:08 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
  • Total Shares

बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स को पता नहीं ये बात क्यों नहीं समझ आ रही है कि अब फिक्स फॉर्मूले पर फिल्में बनाने से काम नहीं चलने वाला है. एक तरफ साउथ सिनेमा बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाए हुए हैं, दूसरी तरफ बॉलीवुड रीमेक और बायोपिक फिल्मों से मोहभंग नहीं कर पा रहा है. इसकी वजह से लगातार असफलता का स्वाद चख रहा है. फिल्में फ्लॉप ही नहीं डिजास्टर साबित हो रही हैं. इस फेहरिस्त में एक नई फिल्म शामिल हो गई है. जी हां, बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी और अभिमन्यु दासानी स्टारर फिल्म 'निकम्मा' को सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया है, जो कि तेलुगु फिल्म 'मिडिल क्लास अब्बाई' की हिंदी रीमेक है। सोनी पिक्चर्स इंटरनेशनल और साबिर खान फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म में शर्ली सेतिया, अभिमन्यु सिंह और सचिन खेडेकर भी लीड रोल में हैं. फिल्म की कहानी वेणु श्रीराम, साबिर खान और सनमजीत सिंह तंवर ने लिखी है.

फिल्म 'निकम्मा' के बारे में समीक्षकों और दर्शकों की ओर से जबरदस्त नकारात्मक समीक्षा देखने को मिल रही है. फिल्म की कहानी घिसी-पिटी बताई जा रही है. पटकथा कमजोर है. 'हीरोपंती' और 'बागी' जैसी बेहतरीन फिल्मों का निर्देशक साबिर खान रीमेक फिल्म के निर्देशन में चूक गए हैं. बॉलीवुड में कमबैक की लगातार कोशिश कर रही अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और फिल्म के लीड एक्टर अभिमन्यु दासानी ओवर एक्टिंग के शिकार हो गए हैं. विक्रम गोखले, सचिन खेडेकर, समीर सोनी जैसे मझे हुए कलाकारों के होने के बावजूद अभिनय के मोर्चे पर भी फिल्म मात खा जाती है. अभिनेता अभिमन्यु सिंह को निगेटिव किरदारों के लिए जाना जाता है. लेकिन इस फिल्म में वो भी बेअसर दिख रहे हैं. दबंग माफिया नेता के किरदार में बनावटी लग रहे हैं. फिल्म में एक भी ऐसी कोई वजह नहीं है, जिसके लिए कीमती समय और पैसा खर्च करके सिनेमाघरों में जाने की जरूरत है.

untitled-1-650_061822105454.jpgबॉलीवुड फिल्म 'निकम्मा' तेलुगु फिल्म 'मिडिल क्लास अब्बाई' की हिंदी रीमेक है.

इंडियन एक्सप्रेस में शुभ्रा गुप्ता ने लिखा है. ''2.5 घंटे की फिल्म निकम्मा को देखना किसी यातना से कम नहीं है. इस दौरान फिल्म से ज्यादा बॉलीवुड के भविष्य को लेकर चिंता होती रही. एक तरफ साउथ की मेकर्स नए कॉन्सेप्ट और फ्रेश कंटेंट पर आधारित फिल्में ला रहे हैं, दूसरी तरफ बॉलीवुड अभी नकल में लगा हुआ है. रीमेक के सहारे अपनी दुकान चमकाने की कोशिश कर रहा है. यदि पहले पता होता कि नए हीरो और नई फिल्म के नाम पर यदि ऐसा परोसा जाएगा, तो इससे अच्छा घर पर रहना था. इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे हमने पहली बार देख हो. सबकुछ वैसा ही जैसा पहले बॉलीवुड की मसाला फिल्मों में देखने को मिलता रहा है. बाइक रेस, फाइट सीन, एक हीरो की गुंडों के साथ लड़ाई और नाचना-गाना. समझ नहीं आता कि ऐसी फिल्म के जरिए शिल्पा शेट्टी जैसी कलाकार ने कमबैक के लिए कैसे सोचा, जिसे देखने के बाद बॉलीवुड की चिंता होने लगती है.''

टाइम्स ऑफ इंडिया की फिल्म पत्रकार उपमा सिंह लिखती हैं, ''साबिर खान की इस फिल्‍म की सबसे बड़ी समस्‍या ये है कि इसमें सब कुछ ऊपर-ऊपर से खोखला सा लगता है, क्योंकि स्क्रीनप्ले में गहराई नहीं है. किरदारों की डिटेलिंग पर भी मेहनत नहीं की गई है, इस वजह से आप उनसे जुड़ नहीं पाते. उस पर करीब ढाई घंटे की ये फिल्म काफी खींची हुई भी लगती है. अभिमन्यु दासानी ओवरऐक्टिंग का शिकार हो गए हैं. उन्हें अपनी मां भाग्यश्री की परछाई से बाहर आना है, तो अपने क्राफ्ट पर और ज्यादा मेहनत करनी होगी. अवनि के रूप में शिल्पा शेट्टी अच्छी लगी हैं. उन्होंने अपनी भूमिका को ईमानदारी से निभाया है. शर्ली सेतिया सिर्फ क्यूट लगी हैं. विलन के रूप में अभिमन्यु सिंह जमते हैं. यदि आप दामली शहर बताकर लखनऊ का इमामबाड़ा, घंटाघर, हजरतगंज और लखनऊ यूनिवर्सिटी जैसी मशहूर इमारतें दिखाएंगे, तो कहानी पर भरोसा वैसे भी नहीं होने वाला है.''

अमर उजाला में वरिष्ठ फिल्म समीक्षक पंकज शुक्ला ने लिखा है, ''कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा, कैटेगरी की फिल्म निकम्मा करीब ढाई घंटे के समय की ऐसी बर्बादी है जिसका दोष सिर्फ और सिर्फ इस फिल्म से पहले इसके धुआंधार प्रचार को ही दिया जा सकता है. ये फिल्म निकम्मा की पटकथा की ही कमजोरी है कि शिल्पा शेट्टी और अभिमन्यु दासानी के अलावा बाकी कलाकार भी कोई असर नहीं छोड़ पाते हैं. शर्ली सेतिया के डेब्यू लायक ये फिल्म है नहीं और अभिमन्यु सिंह के पास बतौर अभिनेता अब कुछ नया दिखाने लायक बचा नहीं है. फिल्म के बाकी कलाकार भी बस टाइमपास सा करते ही दिखते हैं. फिल्म का संगीत इसकी एक और बड़ी कमजोरी है. रीमिक्स गाने निकम्मा किया इस दिल ने का असर भी सिनेमा हॉल से बाहर निकलने के बाद बाकी नहीं रह जाता. फिल्म समय और पैसे दोनों की बर्बादी है, इसे सिनेमाघरों में ना देखना ही बेहतर है.''

सोशल मीडिया पर भी ज्यादातर लोग फिल्म के बारे में नकारात्मक प्रतिक्रिया ही दे रहे हैं. ट्विटर पर एक यूजर अनमोल जामवाल ने लिखा है, ''मुझे तो ये हैरानी हो रही है कि साउथ की एक हिट और पॉपुलर फिल्म 'मिडिल क्लास अब्बाई' की हिंदी रीमेक बनाने की जरूरत ही क्या थी. पूरी फिल्म यूट्यूब तक पर मौजूद है. फिल्म में अभिमन्यु दासानी को देखना असहज करता है.'' आकाश पाटिल अभिनेता अभिमन्यु दासानी को ट्विटर पर टैग करते हुए लिखते हैं, ''भाई तुमने ये फिल्म क्यों कर दी. ये पूरी तरह से टॉर्चर है. सिनेमा हाल में बैठकर 2.5 घंटे झेलने से बेहतर था कि मैं इंटरवल के बाद ही भाग निकला. तुमको एक्टिंग के लिए अभी मेहनत करने की जरूरत है. ऐसे नहीं हो पाएगा.'' सिद्धार्थ पेंढारकर भी फिल्म देखने के बाद बहुत दुखी होकर लिखते हैं, ''मैंने फिल्म निकम्मा देखी. ये साउथ मूवी की रीमेक है, जो यूट्यूब पर उपलब्ध है. सीन दर सीन कॉपी किया गया है.''

Nikamma फिल्म का ट्रेलर देखिए...

नीचे फिल्म 'निकम्मा' को लेकर आई लोगों की प्रतिक्रिया को पढ़ सकते हैं...

#निकम्मा, #फिल्म समीक्षा, #शिल्पा शेट्टी, Nikamma Twitter Review, Nikamma Public Review, Nikamma Review

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय