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Updated: 15 मार्च, 2023 12:46 PM
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''मुझे चुनौतियां पसंद हैं. मैं टाइप्ड रोल नहीं करना चाहती. वह मुझे ही नहीं बल्कि दर्शकों को भी उबाऊ लगेंगी''...ये कहना है बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री रानी मुखर्जी का, जिन्होंने 1996 में फिल्म 'राजा की आएगी बारात' से अपने करियर की शुरूआत की थी. करीब 50 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकी रानी ने अनेक चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं वाली फिल्मों में काम किया है. इनमें 'मेंहदी', 'ब्लैक', 'युवा', 'नो वन किल्ड जेसिका', 'अईया', 'मर्दानी', 'हिचकी' और 'पहेली' जैसी फिल्मों के नाम प्रमुख हैं. इन फिल्मों में रानी की भूमिका ये साबित करती है कि वो एक सशक्त अभिनेत्री हैं, जो कठिन से कठिन किरदार को कर सकती हैं. इसी तरह का एक किरदार वो अपने आने वाली फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' में निभाने जा रही है, जो कि 17 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है.

फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' की कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है. इसमें रानी मुखर्जी ने एक मां का किरदार निभाया है, जो अपने दो बच्चों के लिए एक देश की सरकार और वहां की कानून व्यवस्था से लड़ जाती है. फिल्म में रानी अपने पति और दो बच्चों के साथ नॉर्वे में रहती हैं. लेकिन वहां कुछ समय बाद बाल सुरक्षा सेवाओं के लोग उनसे उनके बच्चों को छीन लेते हैं. उनसे बच्चों को लेकर फोस्टर केयर में रख दिया जाता है. इसके बाद रानी मुखर्जी की किरदार अपने बच्चों की कस्टडी हासिल करने के लिए नॉर्वे और भारत की अदालतों में केस लड़ती हैं. फिल्म में रानी की दमदार अदाकारी की हर कोई तारीफ कर रहा है. इसमें उनके अलावा अनिर्बान भट्टाचार्य, जिम सरभ और नीना गुप्ता जैसे कलाकार भी अहम रोल में हैं. फिल्म का निर्देशन आशिमा छिब्बर ने किया है.

650x400_031423074811.jpgरानी मुखर्जी की नई फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे' 17 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है.

सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग रानी मुखर्जी के दमदार अभिनय की तारीफ कर रहे हैं. उनकी सशक्त अभिनय के वजह से ही फिल्म देखने लायक बन गई है. ट्विटर पर एक यूजर हिमांशु असवाल ने लिखा है, ''फिल्म मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे का सबसे मजबूत पहलू, इसमें रानी की अभिनय है. उन्होंने अपने दम पर पूरी फिल्म को अपने कंधे पर उठा लिया है. इस फिल्म ने ये साबित किया है कि 'कंटेंट इज किंग', अच्छी कहानियां किसी तरह की नौटंकी की मोहताज नहीं होती हैं. वो खुद ब खुद दर्शकों को अपनी तरफ खींच लेती हैं. इसके लिए किसी तरह के मार्केटिंग या फिर प्रमोशन की भी जरूरत नहीं होती है. जाइए इसे जरूर देखिए.'' एक दूसरे यूजर ने इस फिल्म को पांच में से चार स्टार देते हुए इसे दिल छू लेने वाली फिल्म बताया है. उनका कहना है कि ये कहानी इमोशनल कर देती है.

फिल्मी बीट के लिए निती सुधा लिखती हैं कि बेहद भावुक कर देने वाली इस दिल झकझोर देने वाली कहानी में अभिनेत्री रानी मुखर्जी ने बेहतरीन अभिनय किया है. निती अपनी समीक्षा में लिखती हैं, ''सच्ची घटनाओं पर बनी फिल्मों का आकर्षण और प्रभाव काफी अलग होता है. यही वजह से है निर्माता और निर्देशक अक्सर इससे प्रेरित होते दिखते हैं. इस बार निर्माता निखिल आडवाणी और मधु भोजवानी एक ऐसी ही दिल झकझोरने वाली वास्तविक कहानी लेकर आए हैं, जिसने नॉर्वे में रह रहे एक भारतीय कपल की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी. रानी मुखर्जी जैसी दमदार अदाकारा जब पर्दे पर आती हैं तो उम्मीद भी बढ़ जाती है. मिसेज चटर्जी के किरदार में रानी बेहद शानदार नजर आई हैं. अनिर्बान भट्टाचार्य ने उनका बेहतरीन साथ दिया है. जिम सर्भ फिल्म को एक ऊंचाई देते हैं.''

इंडियन एक्सप्रेस में अपनी समीक्षा में अल्का साहनी ने लिखा है, ''यह हाई-वोल्टेज ड्रामा अपने बच्चों के लिए एक मां के अमर प्रेम के बारे में है. इसमें रानी मुखर्जी ने मुख्य नायिका देबिका चटर्जी का किरदार निभाया है. फिल्म साल 2011 में नार्वे में हुई एक सच्ची घटना पर आधारित है. इसमें नॉर्वेजियन चाइल्ड वेलफेयर सर्विस द्वारा सागरिका चक्रवर्ती को उसके दो बच्चों से अलग कर दिया गया था. इसके बाद देबिका ने सरकारों के खिलाफ अदालत में लंबी लड़ाई लड़ी थी. यह एक साधारण अप्रवासी महिला की कहानी है जो अपने बच्चों की कस्टडी पाने के लिए असाधारण लड़ाई लड़ती है. इस फिल्म की कहानी जितनी गहरी भावनात्मक है, उतनी ही कम मेलोड्रामा है. एक साधारण से किरदार में रानी ने असाधारण अभिनय किया है. ये फिल्म हमें एक मां की ताकत का अहसास दिलाती है.''

कोईमोई के लिए उमेश पुनवानी ने लिखा है, ''मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे फिल्म की कहानी सागरिका चक्रवर्ती की आत्मकथा द जर्नी ऑफ ए मदर से प्रेरित है. इस आत्मकथा को समीर सतीजा और राहुल हांडा के साथ आशिमा छिब्बर ने बड़ी खूबसूरती के साथ आत्मसाथ किया है. एक मां के दर्द को भावनात्मक रूप से व्यक्त करने का काम पटकथा द्वारा खूबसूरती से किया जाता है, जो रानी मुखर्जी के आश्चर्यजनक अभिनय प्रदर्शन पर बहुत अधिक निर्भर करता है. 'हिचकी' और 'मर्दानी' जैसी फिल्मों के बाद रानी मुखर्जी ने एक बार फिर साबित किया है कि वो न सिर्फ अच्छी स्क्रिप्ट चुन रही हैं, बल्कि उसके अनुरूप मजबूती से काम भी कर रही हैं. इस फिल्म में उन्होंने बहुत ही नेचुरल एक्टिंग की है. एक बंगाली वकील के किरदार में बालाजी गौरी ने तो कहर ढा दिया है. फिल्म अच्छी बन पड़ी है.''

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