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Updated: 04 नवम्बर, 2022 09:33 PM
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स्टार किड्स की जब भी बात की जाती है, तो जान्हवी कपूर का नाम सबसे पहले आता है. 2018 में फिल्म 'धड़क' से अपना करियर शुरू करने वाली इस एक्ट्रेस पर हमेशा से आरोप लगता रहा है कि मां श्रीदेवी के नाम के सहारे और पिता बोनी कपूर के दम पर उनको फिल्मों में काम मिलता रहा है. लेकिन फिल्म दर फिल्म अपने अभिनय में सुधार करके उनमें जो निखार आया है, वो काबिले तारीफ है. 2020 में रिलीज हुई 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' में अपने सशक्त अभिनय से उन्होंने साबित कर दिया कि नेपोटिज्म के सहारे भले ही उनको फिल्म इंडस्ट्री में पांव टिकाने की जगह मिल गई है, लेकिन आगे का रास्ता वो अपने दम पर तय करने वाली है. इसकी झलक उनकी नई फिल्म 'मिली' में भी दिख गई है. इस फिल्म में जान्हवी कपूर ने कमाल का काम किया है. उनको फिल्म का हीरो कहना कोई अतिश्योक्तिन नहीं होगा.

'मिली' नेशनल अवॉर्ड विनर मलयाली फिल्म 'हेलेन' की हिंदी रीमेक है. इसका निर्देशन डायरेक्टर मथुकुट्टी जेवियर ने किया है. मुख्यत: मलयालम सिनेमा में काम करने वाले मथुकुट्टी को फिल्म 'हेलेन' के लिए 67वां नेशनल अवॉर्ड मिला था. फिल्म 'मिली' की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है. इस सर्वाइवल थ्रिलर में जान्हवी कपूर लीड रोल में हैं. उनके अलावा सनी कौशल, मनोज पहवा, हसलीन कौर और संजय सूरी जैसे कलाकार भी अहम किरदारों में हैं. फिल्म में एक लड़की मिली की कहानी दिखाई गई है, जो कि अपने पिता के साथ रहती है. लेकिन उसके सपने बड़े हैं. वो कनाडा जाकर पढ़ाई करना चाहती है. पिता मन मारकर उसे भेज भी देते हैं. लेकिन इसी बीच एक ऐसी घटना घटती है, जो मिली और उसके पिता की दुनिया बदल देती है. यही घटना फिल्म की कहानी का आधार है, जिसमें अलग-अलग किरदार हैं.

650x400_110422085834.jpgमलयाली फिल्मकार मथुकुट्टी जेवियर ने फिल्म मिली के जरिए अपना हिंदी डेब्यू किया है.

सोशल मीडिया पर फिल्म 'मिली' को लेकर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. सभी लोग जान्हवी कपूर के अभिनय की तारीफ कर रहे हैं. फिल्म समीक्षक भी इसकी सराहना कर रहे हैं. स्क्रिप्ट, स्क्रीनप्ले, एक्टिंग, डायरेक्शन और म्युजिक हर डिपार्टमेंट ने अपना काम बखूबी किया है. मथुकुट्टी जेवियर ने इस फिल्म के जरिए अपना हिंदी डेब्यू किया है, लेकिन पहली फिल्म में ही उन्होंने साबित कर दिया है कि वो साउथ की तरह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी अहम योगदान देने वाले हैं. फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसके संगीत में दिख रही है. इसमें एआर रहमान और जावेद अख्तर की जोड़ी की मौजूदगी ही इस बात की तस्दीक कर रही है कि संगीत अच्छा है. फिल्म में एआर रहमान ने संगीत दिया है, जबकि गाने के बोल जावेद अख्तर ने लिखे हैं. इसके गाने ''जीना होगा, जीना होगा''...के सुर में रहमान की झलक साफ नजर आ रही है.

ट्विटर पर एक यूजर बृंदा प्रसाद ने लिखा है, ''फिल्म मिली को देखना एक सुखद अनुभव रहा. इसमें दिखाया गया है कि आंतरिक शक्ति ही सब कुछ है. जान्हवी कपूर ने एक बार फि अपने दमदार अभिनय से खुद को साबित किया है. उन्होंने इन आरोपों की हवा भी निकाल दी है कि किसी बड़ी सेलिब्रिटी के बेटी होने की वजह से उनको फिल्मों में काम मिल रहा है. बल्कि अपने बेहतरीन परफॉर्मेंस के जरिए नई पीढ़ी की अभिनेत्रियों में आगे की लाइन में खड़ी दिखती हैं. बोनी कपूर और उनकी पूरी टीम को शुभकामनाएं.'' कोना वेंकेट लिखते हैं, ''मिली एक अच्छी तरह से निष्पादित की गई रोमांचक फिल्म है, जो दर्शकों को अचंभित करने वाली है. इसमें एक छोटे शहर की कामकाजी लड़की के किरदार में जान्हवी कपूर ने जो काम किया है, वो असाधारण है. बहुत दिनों बाद किसी हिंदी फिल्म में एआर रहमान का संगीत सुनना सुखद लग रहा है.''

बॉलीवुड हंगामा ने अपनी समीक्षा में लिखा है, ''फिल्म मिली में जान्हवी कपूर ने एक और शानदार परफॉर्मेंस दी है. फिल्म दूसरे हाफ में कम संवाद होने के बावजूद वो एक्सप्रेसिव लगी हैं. पहले हाफ में भी वह प्रभावशाली हैं. सनी कौशल दिलकश हैं और सेकेंड हाफ में उभर कर सामने आते हैं. मनोज पाहवा फिल्म का अहम हिस्सा है. अपने अभिनय के जरिए फिल्म में समां बांधते हैं. संजय सूरी (इंस्पेक्टर रवि प्रसाद) एक कैमियो में शानदार लगे हैं. ए आर रहमान ने निराश किया है. उनका संगीत खराब है. एक भी गाना ऐसा नहीं है, जिसमें रहमान की छाप नजर आ रही हो. हालांकि, बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है, जो सीन दर सीन प्रभाव डालता है. सुनील कार्तिकेयन का छायांकन साफ-सुथरा है. अपूर्व सोंधी का प्रोडक्शन डिजाइन बेहतरीन स्तर का है. लोरवेन स्टूडियो का वीएफएक्स अच्छा है. मोनिशा आर बलदावा का संपादन भी बढ़िया है.''

फिल्म पत्रकार रेखा खान 5 में से 3 स्टार देते हुए लिखती हैं, ''इसमें कोई शक नहीं कि निर्देशक माथुकुट्टी रोजमर्रा की एक नॉर्मल सिचुएशन को एक ऐसी हॉरर स्थिति में बदल देते हैं, जहां पल-पल इस बात की उत्सुकता बनी रहती है कि बर्फ के उस कुएं में मिली सर्वाइव करने के लिए क्या हथकंडे अपनाएगी और वो जो युक्ति आजमाएगी, क्या वो उसकी जान बचाने के लिए सिद्ध होंगे? फिल्म के फर्स्ट हाफ का नरेटिव काफी सिंपल और सोबर है, सेकंड हाफ के बाद कहानी ट्विस्ट और टर्न के साथ आगे बढ़ती है और जैसे-जैसे कोल्ड स्टोरेज में मिली की जद्दो-जहद बढ़ती जाती है. मिली के सर्वाइव करने के रास्ते थोड़े सीमित नजर आते हैं, यहां निर्देशक और ड्रामा और आतंक पैदा कर सकते थे. यद्यपि फिल्म जातिगत भेदभाव, पुलिस के उदासीन और रिवेंजफुल रैवये के साथ-साथ छोटे शहर की मानसिकता जैसे मुद्दों को भी समेटती है. कई दृश्यों का दोहराव देखने को मिलता है. अभिनेत्री के रूप में जाह्नवी कपूर मिली जैसे मासूम, मिलनसार, आदर्शवादी और सर्वाइवल इंस्टिंक्ट रखने वाली लड़की के रुप में खूब जंचती हैं.''

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