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Updated: 20 जून, 2022 04:29 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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हम जब परिवार की कल्पना करते हैं, तो हमारे सामने एक ऐसा समूह दिखता है, जिसमें माता-पिता और उसके बच्चे शामिल होते हैं. समय के साथ परिवार की परिभाषा, संस्कृति और संस्कार में तेजी से बदलाव आ रहा है. एक वक्त जब लोग संयुक्त परिवार में रहते थे. घर पर माता-पिता और बच्चों के अलावा, दादा-दादी, चाचा-चाची आदि एक साथ रहा करते थे. लेकिन अब एकल परिवार का चलन हो गया है. परिवार एकल होने की वजह से हर कोई अकेला हो गया है. हर कोई अपनी जिंदगी की जंग खुद लड़ रहा है. किसी के बारे में सोचने के लिए किसी के पास वक्त नहीं है. यही कारण है कि परिवार में हर सदस्य साथ होते हुए भी एक साथ नहीं है. परिवार की कुछ इसी तरह की कहानी को लेकर वेब सीरीज 'मासूम' आई है. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही इस वेब सीरीज के जरिए अभिनेता बोमन ईरान और समारा तिजोरी ने अपना डिजिटल डेब्यू किया है.

मिहिर देसाई के निर्देशन में वेब सीरीज 'मासूम' आयरिश साइकोथ्रिलर 'ब्लड' का एडेप्टेशन है. इसमें बोमन ईरानी, समारा तिजारी, मंजरी फडणीस, वीर राजवंत सिंह, उपासना सिंह और मनुर्षि चड्ढा जैसे कलाकार लीड रोल में हैं. फिल्म का क्रिएशन गुरमीत सिंह और कहानी का लेखन सतकाम त्रिपाठी ने किया है. गुरमीत सिंह और मिहिर देसाई की जोड़ी ने 'मिर्जापुर' जैसी कल्ट वेब सीरीज बनाई है. ऐसे में उम्मीद थी कि 'मासूम' में भी उसी तरह का रहस्य और रोमांच देखने को मिलेगा. लेकिन सीरीज देखने के बाद निराशा हाथ लगी है. कहां 'मिर्जापुर' और कहां 'मासूम', दोनों सीरीज के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती है. इसकी सबसे बड़ी वजह कमजोर कहानी का होना है. पटकथा में कसावट के बिना बेहतरीन सिनेमा का निर्माण संभव नहीं है. कहानी ही दर्शकों को बांधने में सबसे ज्यादा मदद करती है. यहां दोनों बातों की कमी खलती है. निर्देशक ने भी बहुत ज्यादा जहमत नहीं उठाई है.

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Masoom Web series की कहानी

वेब सीरीज 'मासूम' की कहानी डॉ. बलराज कपूर (बोमन ईरानी) और उनकी सबसे छोटी बेटी सना (समारा तिजोरी) के ईर्द-गिर्द घूमती है. डॉ. कपूर का भरा-पूरा परिवार है. वो अपनी पत्नी और तीन बच्चे के साथ पंजाब के एक कस्बे में रहते हैं. वहां अपना नर्सिंग होम चलाते हैं. सना की दिल्ली में नौकरी लग जाती है. बड़ी बेटी (मंजरी फडणीस) की कस्बे में ही टीचर की नौकरी करने लग जाती है. बेटा (वीर राजवंत सिंह) अपने पिता के काम में हाथ बंटाता है. एक दिन अचनाक डॉक्टर कपूर की पत्नी गुणवंत (उपासना सिंह) पैरालाइज्ड हो जाती हैं. उनका इलाज कराया जाता है, लेकिन वो बिस्तर से उठ नहीं पाती हैं. उनको लेकर बलराज बहुत तनाव में रहते हैं. इसी बीच गुणवंत की मौत हो जाती है. बताया जाता है कि बेड से गिरने की वजह से उनकी नाक टूट गई, जिसकी वजह से ज्यादा खून निकलने से उनकी मौत हो गई. सना दिल्ली से घर आती है. उसे अपनी मां की मौत सामान्य नहीं लगती.

सना को शक हो जाता है कि उसकी मां को जानबूझकर मरवाया गया है या हत्या की गई है. वो मां के अंतिम संस्कार से पहले ही तहकीकात शुरू कर देती है. डॉ. कपूर को जब इसकी भनक लगती है, तो वो उसे समझाते हैं कि शांति पूर्वक अंतिम संस्कार हो जाने दे, लेकिन सना मानती नहीं है. वो लोगों से पूछताछ करती रहती है. यहां तक कि अपने पिता का पीछा भी करती है. धीरे-धीरे उसे अपने पिता पर शक होने लगता है. उसे ये भी लगता है कि उसकी मां की मौत की वजह उसके भाई-बहन भी जानते हैं, लेकिन वो उससे इसके बारे में झूठ बोल रहे हैं. इसी बीच उसके सामने एक ऐसा खुलासा होता है, जिसे जानने के बाद वो सन्न रह जाती है. उसे पता चलता है कि नर्सिंग होम में काम करने वाली एक महिला के साथ उसके पिता के अवैध संबंध हैं. इसके बाद तो वो निश्चित हो जाती है कि उसकी मां की हत्या की गई है. क्या सना अपने मां के हत्यारे तक पहुंच जाएगी, जानने के लिए वेब सीरीज देखनी होगी.

Masoom Web series की समीक्षा

कहते हैं कि उपजाऊ जमीन पर यदि ठीक से मेहनत कर दी जाए, तो फसल शानदार होती है. वैसे ही जैसे कि रीमेक और एडेप्टेशन के दौरान सिनेमा के साथ होता है. ऐसी फिल्मों और वेब सीरीज के हिट होने की संभावना सबसे अधिक होती है. लेकिन कई बार लापरवाही की वजह से दूसरे मिट्टी की फसल को किसी दूसरे मिट्टी में उगाने की कोशिश असफल साबित होती है. जैसे कि दूसरे देश के सिनेमा की कहानी को हिंदुस्तानी बैकग्राउंड में ढालने की कोशिश में 'मासूम' वेब सीरीज के मेकर्स असफल साबित हुए हैं. वेब सीरीज के क्रिएटर गुरमीत सिंह और निर्देशक मिहिर देसाई इस बार असर दिखाने में उतने ज्यादा कामयाब नही हो पाए हैं. छह एपिसोड की ये वेब सीरीज पहले एपिसोड में रोमांच जगाने में सफल तो रहती है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, बिखरती जाती है. परिवार केवल पवित्र ही नहीं होता, इसकी एक स्याह हकीकत भी हो सकती है. सीरीज का ये संदेश तो समझ में आता है, लेकिन उसके पीछे की मंशा समझ में नहीं आती. बैकग्राउंड स्कोर बेहतर है. पंजाब के गावों की सुंदरता को दिखाने के लिए वेब सीरीज की सिनेमैटोग्राफी पर थोड़ी मेहनत करनी चाहिए थी.

जहां तक कलाकारों के अभिनय प्रदर्श की बात है, तो बोमान ईरानी की प्रतिभा के बारे में हर सिनेप्रेमी जानता है. उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता का सौ फीसदी इस्तेमाल करते हुए सीरीज को संभालने की पूरी कोशिश की है. बलराज कपूर के किरदार में उन्होंने एक डॉक्टर, पिता, पति और प्रेमी को सहजता के साथ जिया है. सना के किरदार में समारा तिजोरी ने बहुत मेहनत की है. ये उनकी डेब्यू सीरीज है. उनके पिता दीपक तिजोरी तो सिनेमा बहुत ज्यादा नहीं चल पाए, लेकिन बेटी के लक्षण अच्छे दिख रहे हैं. यदि वो ऐसे ही मेहनत करती रहीं, तो लंबी रेस का घोड़ा साबित हो सकती हैं. उपासना सिंह को बहुत दिनों बाद देखना अच्छा लगता है. कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो में बुआ का किरदार निभाने वाली उपासना कॉमेडी रोल में ज्यादा अच्छी लगती है. यही वजह है कि गुणवंत के किरदार में उतनी सहज नहीं लगती. एक बीमार और लाचार पत्नी के किरदार के लिए दूसरे कलाकार को ही लिया जाना चाहिए था. कुल मिलाकर, वेब सीरीज 'मासूम' उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई है. इसे औसत श्रेणी की सीरीज कहा जा सकता है. यदि आपके पास करने के लिए कुछ न हो तभी इसे देखें.

iChowk.in रेटिंग: 5 में से 2.5 स्टार

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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