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Updated: 19 फरवरी, 2023 04:03 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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समाज के कई गंभीर और संवेदनशील विषयों पर सिनेमा का निर्माण किया जाता है. राजनीति और अपराध की दुनिया के लोगों के गठजोड़ के बीच सबसे ज्यादा आम आदमी सफर करता है. इन दोनों के बीच पिसता रहता है. यही से नक्सलवाद सहित कई तरह के अपराधों का जन्म होता है. दिलचस्प बात ये है कि इन सबकी कड़ी आपस में जुड़ी हुई होती है. देश में गुमशुदा लोगों की कड़ी भी कहीं ना कहीं जाकर इस सिरे से जुड़ती है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने देश में हर दिन हजारों लोग गायब हो रहे हैं, जबकि हर दूसरे मिनट एक शख्स लापता हो रहा है. दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में तो हर दिन 60 से 100 लोग गायब हो रहे हैं. बच्चों के मामले में ये आंकड़ें ज्यादा भयावह हैं. पिछले पांच वर्षों के दौरान बच्चों के गायब होने के 3.4 लाख से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं. लेकिन इन गुमशुदा लोगों में से कितने लोग मिलते हैं? उनके गायब होने के पीछे की साजिश क्या होती है? इन्हीं सवालों को समटे हुए एक फिल्म 'लॉस्ट' रिलीज की गई है.

फिल्म 'लॉस्ट' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो चुकी है. इसका निर्देशन 'पिंक' फेम फिल्म मेकर अनिरुद्ध रॉय चौधरी ने किया है. इसमें यामी गौतम, पंकज कपूर, राहुल खन्ना, तुषार पांडे, पिया बाजपेयी, नील भूपलम, कौशिक सेन और जोगी मलंग जैसे कलाकार अहम भूमिका में हैं. फिल्म की कहानी, पटकथा और संवाद श्यामल सेनगुप्ता और रितेश शाह ने लिखी है. रितेश शाह बॉलीवुड के नामचीन लेखक हैं.

उन्होंने 'मंदारी', 'कहानी', 'एयरलिफ्ट', 'रेड', 'नमस्ते इंग्लैंड', 'नमस्ते लंदन', 'कहानी 2' और 'कमांडो 2' जैसी फिल्मों के लिए काम किया है. लेकिन शाह और सेनगुप्ता की जोड़ी यहां चूक गई है. उम्मीदों के विपरीत इतनी उलझी हुई और कमजोर पटकथा लिखी गई है कि यामी गौतम की सारी मेहनत पर पानी फिर गई है. यामी ने हमेशा की तरह बेहतरीन अभिनय प्रदर्शन किया है. 'ऊरी', 'सरकार 3', 'काबिल', 'बदलापुर' और 'अ थर्सडे' जैसी फिल्मों में सशक्त भूमिकाएं निभाने वाली अभिनेत्री ने साबित कर दिया है कि अपने कंधों पर वो किसी फिल्म को सफल कराने का मादा रखती हैं.

650x400_021923025454.jpgयामी गौतम और पंकज कपूर स्टारर फिल्म 'लॉस्ट' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो चुकी है.

फिल्म की कहानी के केंद्र में दो पात्र हैं. विधि साहनी (यामी गौतम) और ईशान भारती (तुषार पांडेय). ईशान एक थिएटर एक्टिविस्ट है. वो नुक्कड़ नाटकों के जरिए सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेता रहता है. अंकिता चौधरी (पिया बाजपेयी) एक छोटे न्यूज चैनल में एंकर हैं. ईशान और अंकिता एक-दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. इसी बीच राज्ये के शक्तिशाली मंत्री वर्मन (राहुल खन्ना) की नजर अंकिता पर पड़ती है. वो उसे इस्तेमाल करने के लिए तरह-तरह के लालच देने लगता है.

पहले उसकी जॉब अपनी कंपनी में लगवाता है, उसके बाद उसे रहने के लिए फ्लैट देता है. अंकिता इन वजहों से ईशान से किनारा करने लगती है. एक रात ईशान उससे मिलने के लिए उसके फ्लैट में आता है, उसके बाद गायब हो जाता है. ईशान की बहन और बहनोई उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज करवाते हैं. लेकिन कुछ दिनों बाद खबर आती है कि ईशान किसी नक्सली संगठन में शामिल हो कर काम कर रहा है. उल्टे उसके परिजनों से पूछताछ शुरू हो जाती है.

विधि साहनी (यामी गौतम) एक न्यूज पोर्टल में क्राइम रिपोर्टर है. उसका थाने आना-जाना है. वहीं उसकी मुलाकात ईशान की बहन से होती है. ईशान के गायब होने की कहानी सुनने के बाद विधि को समझ में आ जाता है कि ये मामला जितना आसान दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा उलझा हुआ है. वो ईशान की तलाश में जुट जाती है. इस दौरान उसके नाना (पंकज कपूर) उसे गाइड करते हैं. वह एक आदर्श आदमी है जो अपनी नातिन को सच के रास्ते पर चलने के साथ साथ समय-समय पर उसके हिम्मत भी बनते हैं.

इधर, इस केस के तार धीरे-धीरे मंत्री वर्मन से जुड़ने लगते हैं. वो विधि के पीछे अपने गुंडे लगा देता है, जो उसके घर और ऑफिस की रेकी करते हैं. उसके बाद उसे जान से मारने की धमकी भी देते हैं. इसी बीच विधि के हाथ ईशान और अंकिता का एक फॉर्म लग जाता है, जिसे उन्होंने कोर्ट मैरिज के लिए रजिस्ट्रार के ऑफिस में जमा किया होता है. इसके बाद क्या विधि सच्चाई का पर्दाफाश कर पाती है? क्या ईशान का पता चल पाता है? जानने के लिए फिल्म देखनी होगी.

फिल्म 'लॉस्ट' केवल एक शख्स के गुमशुदगी की कहानी भर नहीं है. इसमें एक साथ कई मुद्दों को पिरोया गया है. जैसे कि नक्सलवाद, भ्रष्‍टाचार, लिंगभेद, जातिवाद, राजनीति, अपराध और पारिवारिक कलह. एक साथ इन सारे मुद्दों को लेकर चलने की वजह से निर्देशक अनिरुद्ध रॉय चौधरी लड़खड़ाते हुए नजर आते हैं. फिल्म की कहानी की पृष्ठभूमि कोलकाता में बुनी गई है, ऐसे में जाहिर सी बात है कि सभी पात्र और उनके संवादों पर बंगाली परिवेश का असर होना चाहिए. लेकिन ऐसा कहीं-कहीं नजर आता है.

एक भी ऐसे संवाद नहीं हैं, जिसे फिल्म देखने के बाद याद रखा जा सके. इतना नहीं पटकथा अपने ट्रैक से इतर भटकती हुई नजर आती है, जिसकी वजह से रहस्य और रोमांच तो छोड़िए दिलचस्पी भी बहुत मुश्किल से बनती है. फिल्म देखते वक्त बार बार मोबाइल के नोटिफिकेशन की तरफ ध्यान ज्यादा है, जो बताता है कि कहानी बेदम है. इसका सबसे मजबूत पहलू यामी गौतम और पंकज कपूर का सशक्त अभिनय है. यदि आप इन दोनों कलाकारों के फैन हैं, तो इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं.

iChowk रेटिंग: 5 में से 2 स्टार

#लॉस्ट, #यामी गौतम, #फिल्म समीक्षा, Yami Gautam, Pankaj Kapur, Aniruddha Roy Chowdhury

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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