लता मंगेशकर के 9 गानों में जीवन के 9 रस!
काव्य शास्त्र में जीवन के नौ रसों का विवरण है. भारत रत्न लता मंगेशकर ने सभी रसों में बेशुमार गाने गाएं जो खूब लोकप्रिय भी हुए. आइए लता के ऐसे ही गानों के बारे में जानते हैं.
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लता मंगेशकर की अब स्मृतियां ही शेष हैं और उनके पीछे शेष रह गई उनकी मधुर आवाज जिसका कोई तोड़ नहीं है. एक महान गायक की अंतिम विदाई जिस तरह होनी चाहिए आज मुंबई के शिवाजी पार्क में उन्हें वैसी ही विदाई दी गई. 'भारत रत्न' को आखिरी श्रद्धांजलि देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं मौजूद थे. तीनों सेनाओं की मौजूदगी में उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदा किया गया. उनके इकलौते भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने मुखाग्नि दी. फिल्म जगत से अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान समेत तमाम दिग्गज उपस्थित थे. दुनियाभर के संगीत प्रशंसकों की ओर से लता को दी जा रही श्रद्धांजलियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
लता मंगेशकर 92 साल की थीं. उनके पीछे अब करीब 30 हजार से ज्यादा गाने हैं जिनमें उनकी मखमली आवाज की खुशबू शामिल है. यह खुशबू भारतीय संगीत जगत खासकर हिंदी फिल्म संगीत की अनमोल धरोहर के रूप में हमेशा मौजूद रहेगी. ना जाने कितने संगीतकारों के साथ उन्होंने काम किया. ना जाने कितनी अभिनेत्रियों को परदे पर अपनी आवाज दी और ना जाने कितने मेल सिंगर्स के साथ फ़िल्मी जुगलबंदी की. लता मंगेशकर ने हर तरह के गाने गाए. हर तरह के.
लता मंगेशकर.
काव्य शास्त्र में 9 रस -श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर रस, भयानक, वीभत्स, अद्भुत और शांत रस बताए गए हैं. लता ने सभी रसों में गाया और खूब गाया. अलग-अलग रसों में गाए लता के ये गाने हमारे बीच हमेशा रहेंगे. जीवन की तमाम हलचलों में हम इन्हें यदा कदा गुनगुना भी जाएंगे और हमें आभास भी नहीं होगा लता दी की मौजूदगी का.
जीवन के सभी रस घुले हैं लता मंगेशकर के गाने में
वैसे तो लता ने हाजारों गाने गाए हैं और उन्हें अलग करना महीनों का श्रमसाध्य काम है. मानवा जीवन में शामिल रहने वाला कोई ऐसा रस नहीं है जिसे उन्होंने अपनी आवाज में गाया ना हो. उदाहरण के लिए श्रृंगार रस को लें तो इसका भाव रति होता है. लता ने रति भाव में कई लोकप्रिय गाने गाए हैं. जैसे नागिन फिल्म का तन डोले मेरा मन डोले, मधुमती का चढ़ गयो पापी बिछुआ और ज्वेल थीफ का आसमां के नीचे प्रमुख रूप से शामिल है. ये फिल्म जगत के सदाबहार गाने हैं.
काव्य शास्त्र में हास्य रस का भाव हास परिहास होता है. इस भाव में लता ने संगम फिल्म में 'मैं का करूं राम मुझे बुड्ढा मिल गया और हम आपके हैं कौन में दीदी तेरा देवर दीवाना जैसे सैकड़ों गाने गाए जिन्होंने लोकप्रियता की बुलंदी हासिल की.
करुण रस का भाव शोक होता है जिसे हम सैड सॉंग भी कहते हैं. भारत रत्न के सैकड़ों गाने इस भाव में हमारे बीच मौजूद हैं और लोग उन्हें सुनने के साथ गुनगुनाते भी हैं. इनमें मासूम फिल्म का तुझसे नाराज नहीं जिंदगी, दिल अपना और प्रीत पराई का अजीब दास्तां हैं ये कहां शुरू कहां ख़त्म जैसे गाने शामिल किए जा सकते हैं. करुण रस में लता के गाए कई गाने किसी भी पत्थर दिल शख्स को रुला देने के लिए पर्याप्त हैं.
शांत रस का भाव निर्वेद या शोक होता है. स्वर कोकिला की फिल्म शोर का एक प्यार का नगमा है जैसे दर्जनों गानों को इसमे रखा जा सकता है. इसी तरह अद्भुत रस का भाव आश्चर्य होता है. मधुमती का सुपरहिट गाना मैं तो कबसे खड़ी उस पार को इसमें शामिल किया जा सकता है. शोक भाव में लता के दर्जनों सदाबहार गाने मौजूद हैं.
रौद्र-वीर रस में भी भारत रत्न ने गाए गाने
काव्य शास्त्र में रौद्र भी एक अहम रस है. इसका भाव क्रोध होता है. भला यह कैसे हो सकता है जिसका करियर आधी सदी से लंबा हो उन्होंने क्रोध भाव में गाने ना गाए हों. मेरा गांव मेरा देश का मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए और डॉन फिल्म का जिसका मुझे था इंतज़ार को इसमें शामिल किया जा सकता है.
वीर रस का भाव उत्साह होता है. इस रस में भारत रत्न की फिल्म लगान का गाना कोई हमसे जीत ना पाए बढ़े चलो और गाइड का गाना आज फिर जीने की तमन्ना को रखा जा सकता है. दोनों गानों में उत्साह का भाव झलकता है. इसी तरह भयानक रस का भाव भय होता है. लगान फिल्म का गाना ओ पालनहारे असल में एक लोकप्रिय भजन है जिसका भाव भय है. एक और रस है वीभत्स. भारत रत्न के कई गाने इस रस में भी मिल जाएंगे.
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