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Updated: 06 नवम्बर, 2022 02:52 PM
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बाहुबली अपराधियों पर कई फिल्में बन चुकी हैं. इनमें 'वास्तव', 'गंगाजल', 'अपहरण', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'डैडी', 'कंपनी' जैसी फिल्मों और 'रंगबाज', 'रक्तांचल', 'क्रिमिनल जस्टिस' और 'मिर्जापुर' जैसी वेब सीरीज का नाम प्रमुख है. इनमें कई फिल्मों और सीरीज में यूपी और बिहार के बाहुबलियों की सच्ची कहानी दिखाई गई है. उदाहरण के लिए वेब सीरीज 'रक्तांचल' में पूर्वांचल के माफिया डॉन बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी, 'रंगबाज 3' में बिहार के माफिया नेता शहाबुद्दीन अंसारी की कहानी दिखाई जा चुकी है. इस कड़ी में एक नई वेब सीरीज 'खाकी: द बिहार चैप्टर' बिहार के बाहुबलियों और पुलिस के बीच शह-मात के खेल को पेश करती है. इसका निर्देशन भव धूलिया ने किया है, जबकि नीरज पांडेय क्रिएटर हैं.

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'स्‍पेशल ऑप्‍स' जैसी सीरीज बनाने वाले नीरज पांडे को 'ए वेडनेसडे', 'स्‍पेशल 26' और 'एमएस धोनी: द अनटोल्‍ड स्‍टोरी' जैसी दमदार फिल्मों के निर्माण के लिए जाना जाता है. सीरीज की कहानी अमित लोढ़ा की बेस्ट सेलर बुक 'बिहार डायरीज' पर आधारित है. 1998 बैच के आईपीएस अफसर अमित लोढ़ा की इस किताब में बिहार के कुख्यात गैंगस्टर सामंत प्रताप कुख्यात गैंगस्टर सामंत प्रताप की कहानी है, जिसे दुर्दांत अपराधी के रूप में जाना जाता है. हत्या, अपहरण, डकैती और नरसंहार करने वाले इस अपराधी के बारे में कहा जाता है कि वो इतना निर्दयी था कि एक एक हाथ से बच्चों के सिर को पकड़ता था और दूसरे हाथ से गोली मार देता था. उसने 24 घंटे में 15 लोगों की हत्या कर दी थी. उसके ऊपर सैकड़ों लोगों की हत्या का आरोप है. अमित लोढ़ा अपनी बिहार पोस्टिंग के दौरान उसका सामना किया था. उसे गिरफ्तार करने के लिए जो योजना बनाई उसे किताब में लिखा है.

Khakee The Bihar Chapter का ट्रेलर देखिए...

वेब सीरीज 'खाकी: द बिहार चैप्टर' में करण टैकर, अविनाश तिवारी, आशुतोष राणा, रवि किशन, अनूप सोनी, जतिन सरना, निकिता दत्ता, अभिमन्यु सिंह, ऐश्वर्या सुष्मिता और श्रद्धा दास जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. करण टैकर (पुलिस अफसर) और अविनाश तिवारी (गैंगस्टर) केंद्रीय भूमिकाओं में है. वेब सीरीज के 2 मिनट 16 सेकेंड के ट्रेलर की शुरूआत पुलिस और क्रिमिनल के बीच होने वाले शह-मात के खेल के परिचय के साथ होती है. वॉयस ओवर में कहा जाता है, ''पुलिस और क्रिमिनल, दो बिल्कुल अलग लोग, अलग-अलग रास्तों से खुलकर एक-दूसरे के सामने आ गए.'' इसके बाद पुलिस और गैंगस्टर्स के बीच भयानक लड़ाई और गोलीबारी को दिखाया जाता है. एक पुलिस अफसर और गैंगस्टर का जन्म कैसे होता है, इसे भी ट्रेलर में दिखाने की कोशिश की गई है. इसमें एक गैंगस्टर का डायलॉग है, ''यदि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना अपराध है, तो हां हम अपराधी हैं.''

ट्रेलर में 2000 से 2006 के बीच बिहार में कायम जंगलराज की कहानी पेश की गई है. उस वक्त अगड़ी जातियों के खिलाफ पिछड़ी जातियों ने जंग छेड़ रखा था. पिछड़ी जातियों का मानना था कि धन और हथियार के बल में अगड़ी जाति के लोगों ने उनपर बहुत जुल्म किया है. इसी वजह से पिछड़ी जाति का एक लड़का चंदन महतो बागी बन जाता है. अपनी एक गैंग तैयार करता है. इस गैंग के लोग अपने साथ किए गए जुल्म का बदला लेने के लिए लोगों का सामूहिक नरसंहार करने लगते हैं. लेकिन एक ईमानदार पुलिस अफसर गैंगस्टर के पीछे पड़ जाता है. वो ऐलान करता है कि बहुत जल्द चंदन महतो के आतंक से आजादी दिला देगा. लेकिन उसका एक सीनियर (आशुतोष राणा इस किरदार में हैं) कहता है, ''ये ईमानदारी, बिना किसी पक्षपता के काम करना, हिम्मत और बहादुरी, ये सब पुलिस विभाग का बहुत महंगा गहना है. इसे रोज रोज नहीं पहना जाता है.''

पुलिस विभाग के कार्यप्रणाली में राजनीतिक हस्तक्षेप, अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण, पुलिस विभाग की अंदरूनी राजनीति जैसे प्रमुख मुद्दों को इस सीरीज में बहुत बेबाकी से दिखाया गया है. पहली झलक में ये सीरीज बहुत दमदार लग रही है. सबसे बड़ी बात इसमें बेहतरीन कलाकारों की मौजूदगी है. इसके मेकर्स तो इस तरह की सीरीज बनाने के लिए जाने ही जाते हैं, लेकिन स्टारकास्ट शानदार है. 'स्‍पेशल ऑप्‍स' जैसी सीरीज में नजर आ चुके अभिनेता करण टैकर वर्दी में हमेशा जंचते हैं. ट्रेलर में भी जम रहे हैं. 'द गर्ल ऑन द ट्रेन', 'बुलबुल' और लैल मजनू जैसी फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता अविनाश तिवारी गैंगस्टर के किरदार में है. इन दोनों के अलावा आशुतोष राणा, रवि किशन, अनूप सोनी, जतिन सरना, निकिता दत्ता और अभिमन्यु सिंह जैसे मझे हुए कलाकार इस सीरीज में अहम किरदारों में हैं. इनकी मौजूदगी इसकी तस्दीक करती है कि सीरीज बेहतरीन होगी.

इस वेब सीरीज के बारे में क्रिएटर नीरज पांडे का कहना है, ''राज्य, राजनीति, पुलिस और अपराध का संयोजन इस वेब सीरीज का मूल है. इस सीज़न में हमने एक ऐसा नैरेटिव बनाने और दिखाने की कोशिश की है जो हर किसी के लिए परिचित है. हम 2000 के दशक की शुरुआत से ही बिहार के गढ़ से इस पुलिस और क्राइम सीरीज को को बनाना चाहते थे. डायरेक्‍टर निर्देशक भव धूलिया और उनकी साथी शीतल भाटिया की मदद से हमने इस कहानी को जीवंत रूप देने की कोश‍िश की है. मैं ओटीटी और नेटफ्ल‍िक्‍स का फैंन हूं. ऐसा इसलिए कि इस प्‍लेटफॉर्म पर कई तरह के कॉन्‍टेंट हैं और अलग-अलग जॉनर की कहानियां देखने को मिलती हैं. इसकी मेकिंग पर पिछले पांच साल से काम चल रहा था.''

लेखक

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