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Updated: 29 अक्टूबर, 2022 09:20 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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सिनेमा दुनिया भर में मनोरंजन का बेहद लोकप्रिय साधन है. समाज पर सिनेमा का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है. इसलिए तो फिल्मों को समाज का आइना कहा जाता है. सिनेमा समाज को सीख देता है. समाज की गूढ़ समस्याओं को सबके सामने लाता है. अपराध, अंधविश्वास, भ्रष्टाचार, घरेलू हिंसा और राजनीति जैसे तमाम सामाजिक विषयों के साथ कई गंभीर बीमारियों पर भी फिल्में बनाई जा चुकी हैं. बीमारियों पर बनी फिल्मों की फेहरिस्त में 'गजनी', 'आनंद', 'हिचकी', 'पीकू', 'तारे जमीन पर', 'माय नेम इज खान' और 'शुभ मंगल सावधान' का नाम प्रमुख है. इस कड़ी में एक नई वेब सीरीज 'झांसी' डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम की गई है, जो कि एमनेसिया नामक बीमारी पर आधारित है.

ट्राइबल हॉर्स एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी वेब सीरीज 'झांसी' का निर्देशन थिरु कृष्णमूर्ति ने किया है. इसमें अंजलि, आदर्श बालकृष्ण, चांदिनी चौधरी, राज अरुण और संयुक्ता होर्नाडी जैसे तेलुगू सिनेमा के कलाकार अहम किरदारों में हैं. इस एक्शन थ्रिलर वेब सीरीज का निर्माण मूलरूप से तेलुगू भाषा में किया गया है, लेकिन इसे हिंदी, तमिल, कन्नड़, मलयालम और बंगाली भाषा में डब करके रिलीज किया गया है. तेलुगू और तमिल सिनेमा के लिए मुख्य रूप से काम करने वाली एक्ट्रेस अंजलि इस वेब सीरीज के जरिए अपना ओटीटी डेब्यू कर रही हैं. एमनेसिया जैसी बीमारी से पीड़ित एक महिला के किरदार में उन्होंने कमाल का काम किया है. उनके रूप में एक नया ओटीटी का स्टार मिल गया है.

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Jhansi Web series की कहानी

वेब सीरीज 'झांसी' की कहानी महिता/झांसी (अंजलि) की जिंदगी पर आधारित है. महिता एक पुलिस अफसर होती है. वो अपने बच्चे के साथ जीप में बैठकर यात्रा कर रही होती है. रास्ते में घना जंगल आता है, जहां उसके ऊपर कुछ लोग हमला कर देते हैं. बच्चे को एक जगह लिटाकर वो दुश्मनों का डटकर मुकाबला करती है. कई अपराधियों को मौत के नींद सुला देती है, लेकिन एक गुंडा उसे धक्का देकर वॉटर फॉल में गिरा देता है. पानी में बहते हुए वो दूर निकल जाती है. रास्ते में गांव के कुछ लोग उसे देखकर बाहर निकालते हैं. उसके बारे में पूछताछ करने लगते हैं. लेकिन पता चलता है कि उसकी मेमोरी लॉस हो चुकी है. वो अपनी पिछली जिंदगी के बारे में सबकुछ भूल चुकी है.

''किसी की भी जिंदगी की सबसे बड़ी सजा है, उसको अपनी पहचान के बारे में पचा न हो''...सीरीज का ये संवाद महिता का दर्द बयां करता है, जो कि अब नए नाम और पहचान के साथ जीने लगती है. उसका नाम झांसी रख दिया जाता है. झांसी नए लोगों के बीच रहने लगती है. इसी बीच हैदराबाद से केरल घूमने आए सम्राट (आदर्श बालकृष्ण) की बेटी मेहा एक हादसे में बाल बाल बचाई जाती है. इसका श्रेय झांसी को जाता है. झांसी के बारे में जब सम्राट को पता चलता है, तो वो उसे लेकर हैदराबाद आ जाता है. वहां सम्राट के चाचा जो कि एक डॉक्टर हैं, उनकी देखरेख में झांसी का ईलाज होने लगता है. इधर झांसी और माही एक-दूसरे के साथ मजबूत बंधन में बंध जाते हैं. झांसी माही को प्यार करती है.

इस तरह झांसी और माही के बीच मां-बेटी का रिश्ता बन जाता है. इसे देखकर सम्राट बहुत खुश होता है. वो झांसी से प्यार करने लगता है. तीनों एक परिवार की रह रहे होते हैं. ऐसे में सम्राट झांसी से शादी करके पत्नी बनाना चाहता है, लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं होती. उसके जिंदगी में एक अजीब सी ऊपापोह की स्थिति बनी रहती है. वो कई बार शून्य हो जाती है. अपनी पुरानी जिंदगी और पहचान को याद करने की कोशिश करती है, जिसकी धुंधली तस्वीर कई बार उसे दिखाई देती है. ''कोई बुरा सपना आता है, तो हमें चेहरे याद नहीं रहते, सिर्फ फिलिंग याद रह जाती है, वो भी फिलहाल उसी फेज से गुजर रही है''...ये संवाद झांसी की वास्तविक स्थिति बयां करता है. क्या झांसी अपनी पुरानी जिंदगी को याद कर पाएगी? क्या वो अपने दुश्मनों से बदला ले पाएगी, जिनकी वजह से उसका ये हाल हुआ है? इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए वेब सीरीज देखनी होगी.

Jhansi Web series की समीक्षा

पिछले कुछ वक्त से महिला प्रधान फिल्मों और वेब सीरीजों के आने से भारतीय सिनेमा को काफी फायदा हुआ है. 'झांसी' उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम करती है. इसमें सरप्राइज पैकेज के रूप में तेलुगू एक्ट्रेस अंजलि की मौजूदगी है. लंबे समय से साउथ सिनेमा में काम कर रही अंजलि ने पहली बार ओटीटी के लिए काम किया है. ये उनकी पहली वेब सीरीज है, जिसे कई हिंदी सहित कई भाषाओं में एक साथ रिलीज किया गया है. अपनी दमदार अदाकारी ने उन्होंने हर किसी हैरान कर दिया है. एमनेसिया जैसी बीमारी से पीड़ित एक महिला के दीन-हीन स्वरूप के प्रकट करने के साथ ही उनका एक्शन अवतार भी देखते ही बन रहा है. सीरीज में जबरदस्त एक्शन सीक्वेंस है, जिनमें अंजलि ने जान डाल दी है.

एक बेहद क्यूट और प्यारी बच्ची बार्बी के किरदार में बाल कलाकार चांदिनी चौधरी ने भी बेहतरीन काम किया है. झांसी को दिलो जान से प्यार करने वाली एक सुंदर सी लड़की के किरदार में उनको स्क्रीन स्पेस भले ही तुलनात्मक रूप से कम मिला है, लेकिन जितना भी मिला है, वो छा गई हैं. हो सकता है कि सीरीज के अगले सीजन में उनके किरदार को विस्तार दिया जाए. सम्राट के किरदार में आदर्श बालकृष्ण भी अच्छे लगे हैं. पहली पत्नी की मौत के बाद अपनी छोटी बच्ची के लिए मां की खोज में उनकी मासूमियत देखते बनती है. एक पिता और प्रेमी दोनों ही रूपों में वो अच्छे लगे हैं. इनके अलावा राज अरुण और संयुक्ता होर्नाडी ने भी अपने-अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है.

इस वेब सीरीज में एक्शन और इमोशन को बहुत ही संतुलित ढंग से पेश किया गया है. इसके लिए सीरीज के निर्देशक थिरु कृष्णमूर्ति बधाई के पात्र हैं. साल 2010 में तमिल फिल्म थीराधा विलायट्टू पिल्लै से अपना करियर शुरू करने वाले थिरू का ये पहला पैन इंडिया तेलुगू प्रोजेक्ट है, जिसमें वो सफल साबित हुए हैं. सीरीज के पहले सीजन में छह एपिसोड हैं- ग्लिच, मैन फ्रॉम द पास्ट, द डार्क बॉक्स, अदर मर्डर, द विजिलेंट और बिल्लू क्लब. पहले से आखिरी एपिसोड तक रोमांच बना रहता है. थोड़ी सी स्क्रीनप्ले में कसावट की गुंजाइश थी, यदि इस पर काम कर लिया गया होता, तो इसे बेहतरीन वेब सीरीज की श्रेणी में रखा जा सकता है. कुल मिलाकर, देखने लायक एक अच्छी सीरीज है.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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