KGF 2 से मुकाबला नहीं, अपनी Jersey लेकर क्यों भागे शाहिद कपूर?
शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) की जर्सी (Jersey) ने केजीएफ (KGF 2) के ताप से बचने के लिए रिलीज डेट एक हफ्ते के लिए खिसका तो दी पर क्या इसे यश के तूफ़ान के आगे काफी माना जा सकता है. खतरा तो अभी भी है. आइए जानते हैं कैसे?
-
Total Shares
लगता तो यही है कि सिनेमा का जो तूफ़ान दक्षिण की पांचों इंडस्ट्री से निकलकर समूचे देश को अपनी गिरफ्त में लेने को बेकरार है, बॉलीवुड उसका मुकाबला करने की स्थिति में है ही नहीं. 14 अप्रैल को कन्नड़ सुपरस्टार यश की केजीएफ चैप्टर 2 रिलीज के लिए शेड्यूल थी. इसी तारीख पर शाहिद कपूर की स्पोर्ट्स ड्रामा जर्सी को भी आना था. जर्सी असल में तेलुगु में नानी की फिल्म का ही बॉलीवुड रीमेक है. जर्सी के निर्माताओं ने कॉपी फिल्म से केजीएफ 2 का मुकाबला करना ठीक नहीं समझा और अब मैदान छोड़कर भाग चुके हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर की जर्सी को एक हफ्ते के लिए पोस्टफोन कर दिया है. यह दूसरी बार जब फिल्म की आगे खिसकाया गया है. शाहिद-मृणाल की फिल्म 22 अप्रैल के दिन रिलीज होगी. साफ समझा जा सकता है कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह सिनेमाघरों में केजीएफ 2 जैसी मजबूत फिल्म का होना है. इससे पहले जर्सी को 31 दिसंबर 2021 को रिलीज होना था. लेकिन तब कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका में रिलीज टालना पड़ा था.
जर्सी ने खुद को मुकाबले से हटा लिया है.
जर्सी की डेट बदलने के पीछे KGF 2 वजह कैसे है
1. जर्सी और केजीएफ 2 की कोई तुलना नहीं है. यश की फिल्म पैन इंडिया रिलीज हो रही है. जबकि जर्सी हिंदी बेल्ट की फिल्म है. जाहिर सी बात है कि जर्सी कन्नड़ में रिलीज से पहले ही ब्लॉकबस्टर दख रही है. तमिल को छोड़कर साउथ की अन्य भाषाओं में भी फिल्म का बज स्केल के हिसाब से बेहतरीन नजर आ रहा है. तमिल में विजय की बीस्ट, केजीएफ से मुकाबले में बहुत आगे नजर आ रही है. बीस्ट 13 अप्रैल को आ रही है.
2. जर्सी को हिंदी दर्शकों को दिखने की तैयारी थी. मगर फिल्म अपने ही बेल्ट में केजीएफ के आगे पस्त दिख रही है. असल में दोनों फ़िल्में एक ही तारीख को शेड्यूल थीं. केजीएफ 2 की एडवांस बुकिंग रिलीज से पांच दिन पहले ही रिकॉर्ड बनाती दिख रही है. ट्रेड रिपोर्ट्स के मुताबिक़ ओपनिंग डे के लिए KGF 2 की एडवांस बुकिंग 8 करोड़ पर है. रिलीज तक इसके और आगे जाने की संभावना है. जर्सी की ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है. एडवांस बुकिंग से हिंदी बेल्ट में केजीएफ 2 के तूफ़ान की आहट को समझा जा सकता है.
3. यहां तक कि हिंदी बेल्ट में सबसे ज्यादा मुनाफा कंट्रीब्यूट करने वाले मुंबई और दिल्ली एनसीआर जैसे महानगरों में केजीएफ 2 की रिकॉर्ड बुकिंग हो रही है. मॉर्निंग शोज सुबह 6 बजे से दिखाए जाएंगे. हिंदी टेरिटरी में भी कुछ लोकेशंस पर टिकट 2000 तक के हैं बावजूद लोग खरीद रहे हैं.
4. साफ़ इशारा है कि जर्सी को अपने ही दर्शकों की टेरिटरी में स्क्रीन और शोकेसिंग के लिए जूझना पड़ रहा है. संभवत: जर्सी के मेकर्स ने जितनी अपेक्षा की हो, वह मिलता नहीं दिख रहा है. एग्जीबिटर तो उसी फिल्म को ज्यादा से ज्यादा शोकेस करेंगे- दर्शक जिसे देखने में रूचि ले रहे हों. रिलीज से पहले जर्सी के प्रति व्यापक रूचि नहीं दिख रही है. हो सकता है कि जर्सी अच्छी फिल्म हो. दर्शक ही ना मिलें तो कोई कर ही क्या सकता है.
5. केजीएफ चैप्टर वन के हिंदी वर्जन ने भी दर्शकों का जबरदस्त मनोरंजन किया था. फिल्म को जब हिंदी में रिलीज किया गया था किसी ने उसकी सफलता की उम्मीद नहीं की थी. मगर बिना तामझाम के केजीएफ 1 ने हिंदी बेल्ट में 44 करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी. जबकि बॉक्स ऑफिस पर "द ग्रेट शाहरुख खान" की जीरो थी. शाहरुख, अनुष्का और कटरीना जैसे सितारों से सजी जीरो में सबकुछ था- लेकिन केजीएफ 1 ने उसे पंचर कर दिया था.
केजीएफ 2 का भूत दूसरे हफ्ते भी जर्सी के पीछे रहेगा
1. केजीएफ 2 से एक हफ्ते की रिलीज का अंतर भी शाहिद कपूर के लिए भारी पड़ सकता है. ट्रेंड तो यही बता रहे हैं. असल में पिछले दिनों द कश्मीर फाइल्स के एक हफ्ते बाद अक्षय कुमार की बच्चन पांडे आई थी. बॉलीवुड के खिलाफ गुस्सा और कश्मीर फाइल्स की जबरदस्त चर्चा देखने को मिलीं. अक्षय की फिल्म ने पहले दिन हाफ शोकेसिंग के बावजूद जबरदस्त ओपनिंग तो हासिल कर ली लेकिन आगे टिक नहीं पाई. 6 दिन के अंदर सिर्फ 50 करोड़ के नीचे का कलेक्शन जुटा पाई और धराशायी हो गई थी.
आरआरआर के आगे जॉन अब्राहम की अटैक पार्ट 1 का तो और भी बुरा हाल हुआ था. अटैक ने भी आरआरआर से एक हफ्ते का गैप लिया था. मगर एसएस राजमौली के जादू के सामने जॉन की फिल्म 20 करोड़ कमाने में भी हांफ गई थी.
2. केजीएफ 2 के प्रति हिंदी दर्शकों की रुचि और मौजूदा रुझान आशंका साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि जर्सी का हाल भी बच्चन पांडे या अटैक जैसा हो सकता है. यश मनोरंजन करने में कामयाब रहें तो दूसरे हफ्ते में भी सिनमाघरों में जर्सी का दर्शक जुटा पाना असंभव होगा. वैसे भी जर्सी के लिए एक बड़ी चीज नकारात्मक है. हिंदी के दर्शक सेम टाइटल से आई मूल फिल्म को देख चुके हैं. नानी की फिल्म को काफी पहले ही हिंदी में डब करके टीवी पर कई मर्तबा दिखाया जा चुका है.
हालांकि रीमेक में थोड़ा बहुत फेरबदल किया जाता है मगर मूल कहानी तो वही ही है जिसे देखा जा चुका है. दर्शक केजीएफ 2 और बीस्ट जैसे फ्रेश एंटरटेनर की मौजूदगी में भला जर्सी को क्यों देखना चाहेंगे? जहां तक बात शाहिद की कबीर सिंह या साउथ की दूसरी रीमेक फिल्मों की सफलता का है तो उनकी कंडीशन जर्सी जैसी नहीं थी.
आपकी राय