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Updated: 24 अप्रिल, 2022 07:55 PM
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शाहिद कपूर-मृणाल ठाकुर और पंकज कपूर की फिल्म के साथ वही हुआ, बार बार जिसकी आशंका जताई जा रही थी. शुक्रवार को ट्रायल मुकाबले में ही बॉलीवुड की साउथ रीमेक जर्सी, दक्षिण की ओरिजिनल केजीएफ 2 के सामने पस्त हो गई. शाहिद की फिल्म को लेकर आगे की संभावनाएं अब किंतु-परंतु में ही नजर आएंगी. ये होता तो नहीं होता और ये किया जाता तो ऐसा होता टाइप. यश और संजय दत्त की एक्शन थ्रिलर दूसरे हफ्ते के पहले दिन भी मजबूत बनी हुई है. फिल्म के हिंदी वर्जन ने शुक्रवार को भी 11.56 करोड़ का जबरदस्त बिजनेस निकालने में सफल रही.

फिल्म क्रिटिक और ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के मुताबिक़ हिंदी वर्जन ने अबतक 280.19 करोड़ कमा लिए है और इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि दूसरे शनिवार को ही ही हिंदी वर्जन 300 करोड़ क्लब में शामिल हो जाए. शनिवार में कुछ कसर बाकी रह गया तो रविवार को केजीएफ 2, 300 करोड़ की कमाई का बेंचमार्क पार ही कर जाएगी. इस तरह हिंदी सिनेमा के इतिहास में सबसे तेज 300 करोड़ कमाने वाली फिल्म बनना पूरी तरह से निश्चित है. केजीएफ 2 के सामने बॉलीवुड की फ्रेश स्पोर्ट ड्रामा जर्सी उम्मीद के मुताबिक़ भी कमाई नहीं कर पाई.

कहां तो संभावना थी कि जर्सी पहले दिन 5 से 7 करोड़ के रेंज में कलेक्शन निकाल लेगी. मगर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री ट्रैकर रमेश बाला के मुताबिक़ शाहिद की फिल्म ने मात्र 4 करोड़ नेट कारोबार किया है. केजीएफ 2 के होने के बावजूद जर्सी को हिंदी बेल्ट में करीब 2000 से ज्यादा स्क्रीन्स मिलने की बात सामने आई थी. स्क्रीन्स के मुकाबले का कलेक्शन इतना साबित करने के लिए पर्याप्त है कि फ़िल्मी कारोबार निर्माताओं और एग्जीबिटर्स की अपेक्षाओं पर पानी फेरता नजर आ रहा है. इसके साइड इफेक्ट भी हैं. जबकि जर्सी के निर्माताओं ने बिल्कुल आख़िरी वक्त में अपनी फिल्म की रिलीज एक हफ्ता खिसका ली थी. ताकि केजीएफ 2 से कोई क्लैश ना हो. 

जर्सी में क्षमता नहीं है बॉलीवुड के दुर्लभ चमत्कार दोहराने की

आईचौक ने इस स्टोरी से ठीक पहले जर्सी और केजीएफ 2 का कारोबारी विश्लेषण किया था. इसमें हिंदी बॉक्स ऑफिस पर मौजूदा तस्वीर की आशंका जताई गई थी. यह भी कहा गया था कि अगर पहले दिन अपेक्षाओं पर जर्सी खरी नहीं उतरी तो आगे उसका संभलना असंभव है. क्योंकि बॉलीवुड के अब तक के इतिहास में यह दुर्लभ किस्म का मामला रहा है जब रिलीज के तुरंत बाद किसी फिल्म को दर्शकों ने नकार दिया हो और उसके कुछ दिन बाद उसी फिल्म को देखने दर्शक सिनेमाघरों में टूट पड़े हों. कुछ विश्लेषक तीसरी कसम, शोले और परदेस को लेकर ऐसा ही दावा करते नजर आते हैं. इन फिल्मों ने सिनेमाघरों में वक्त लिया. लेकिन जब चलीं तो सिनेमाघर निकलने वाले हर दर्शक की पहली पसंद थीं.

जर्सी के लिए ऐसा करिश्मा तो असंभव ही है और उसकी सबसे बड़ी वजह नानी स्टारर फिल्म के डब वर्जन का हिंदी चैनलों पर कई बार प्रीमियर होना है. जर्सी का वर्ड ऑफ़ माउथ खराब है. बड़ी समीक्षाओं में भी फिल्म कमजोर नजर आ रही है. यानी पहले दिन शाहिद कपूर की फिल्म को जो स्क्रीन मिले हैं वीकएंड तक उसे बरकरार रख पाने में मुश्किल होगी. थियेटर एग्जीबिटर शायद फिर से जर्सी की स्क्रीन्स/शोकेसिंग घटाकर उसकी जगह केजीएफ 2 को दिखाना पसंद करें. बिजनेस का सीधा नियम है- जो लोग देखना चाहेंगे, वही बेंचा जाएगा.

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केजीएफ चैप्टर 2

रनवे 34 और हीरोपंती 2 को बदलनी होगी रणनीति

दूसरी ओर केजीएफ 2 निकट भविष्य में द कश्मीर फाइल्स की तरह दिन बीतने के साथ मजबूत ही दिख रही है. यश की फिल्म का हिंदी बेल्ट में दक्षिण की ही आरआरआर से भी ज्यादा बिजनेस करना उसे और बूस्ट कर रहा है. केजीएफ 2 के बिजनेस की तुलनाएं भी आरआरआर से देखने को मिल रही हैं. जर्सी 29 अप्रैल को आ रही अजय देवगन-अमिताभ बच्चन की रनवे 34 और टाइगर श्राफ की हीरोपंती 2 के लिए भी केस स्टडी है. आपस का क्लैश दोनों नई फिल्मों को नुकसान तो पहुंचा ही सकता है, उनपर केजीएफ 2 का साया भी रहेगा.

देखना होगा कि तीसरी लहर के बाद के ट्रेंड में रनवे 34 और हीरोपंती 2 के निर्माता अपनी फिल्म की भलाई के आक्रामक प्रचार की वो कौन सी रणनीति अपनाते हैं जो लोगों के मन से मेल खाती हो. फिल्मों का कैम्पेन अगर लोगों के मन से मेल खाता नहीं रहा तो दोनों का बॉक्स ऑफिस पर डूबना ज्यादा असंभव नहीं होगा.

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