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Updated: 28 जनवरी, 2023 05:30 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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पुलिसवालों की जिंदगी पर कई फिल्में बन चुकी हैं. इसमें 'शूल', 'सत्या' और 'गंगाजल' जैसी फिल्मों का नाम प्रमुख है. लेकिन ओटीटी के विस्तार के साथ कॉप बेस्ड वेब सीरीज बड़ी संख्या में बनाई जा रही है. इसकी दो वजहें हैं. पहला, ये कि पुलिस वालों की जिंदगी पर आधारित कहानियां रोमांचक होती हैं, जो दर्शकों को बहुत पसंद आती हैं. दूसरा, ये कि ऐसी कहानियां बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं. यही वजह है कि हर साल हर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आपको ऐसी वेब सीरीज बहुतयात देखने को मिल जाएंगी. 'द फैमिली मैन', 'दिल्ली क्राइम', 'आरण्यक', 'पाताल लोक', 'भौकाल', 'रंगबाज: डर की राजनीति', 'खाकी: द बिहार चैप्टर' जैसी सीरीज की सफलता, इस बात की गवाह है कि ऐसी कहानियां लोग खूब पसंद कर रहे हैं. इसी कड़ी में एक नई सीरीज 'जांबाज हिंदुस्तान के' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही है.

जगरनॉट प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी वेब सीरीज 'जांबाज हिंदुस्तान के' में रेजिना कैसैंड्रा, मीता वशिष्ठ, गायत्री शंकर, दीपिका देशपांडे अमीन, सुमित व्यास और चंदन रॉय लीड रोल में हैं. इस सीरीज में हमारे पुलिस के वीर जवानों के अदम्य साहस, त्याग और बलिदान की कहानी को दिखाया गया है. इसमें दिखाया गया है कि किस तरह पुलिसकर्मियों और अफसरों को अपनी ड्यूटी की वजह से अपनी व्यक्तिगत जिंदगी कुर्बान करनी पड़ती है. उनके कर्तव्य की वजह से उनका पूरा परिवार सफर करता है. लेकिन इसके बावजूद हिंदुस्तान के जांबाज अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान की फिक्र तक नहीं करते हैं. उनके लिए नेशन फर्स्ट होता है. उसके बाद फैमिली का नंबर आता है. इस सीरीज की कहानी नीरज उधवानी, आशीष पी वर्मा और अखिलेश जायसवाल ने लिखी है, जबकि निर्देशन श्रीजित मुखर्जी ने किया है.

1_650_012823042508.jpgवेब सीरीज 'जांबाज हिंदुस्तान के' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही है.

वेब सीरीज 'जांबाज हिंदुस्तान के' की कहानी के केंद्र में अभिनेत्री रेजिना कैसैंड्रा की किरदार काव्या अय्यर है, जो कि एक आईपीएस अफसर है और नॉर्थ ईस्ट राज्य मेघालय में तैनात है. उसका पति समीर गुप्ता (वरुण सोबती) एक आईएएस अफसर होता है. दोनों की शादी के 5 साल हो चुके हैं. उनका एक छोटा बच्चा रेयांश भी है. लेकिन काव्या और समीर अपनी काम की वजह से एक-दूसरे से दूर होते जा रहे हैं. नौबत तलाक तक पहुंच जाती है. समीर चाहता है कि उसका बच्चा अपनी मां के साए में डर डर कर ना रहे. क्योंकि काव्या को अक्सर उग्रवादियों और आतंकियों से सामना करना पड़ता है. उसकी वजह से उसका परिवार भी खतरे में रहता है. काव्या की मां उसके साथ रहकर रेयांश की देखभाल करती है. लेकिन यहां एक बार फिर वही सवाल खड़ा होता है कि एक महिला अपने परिवार की देखभाल के साथ नौकरी नहीं कर सकती है.

इधर एक ऑपरेशन के दौरान काव्या अय्यर को पता चलता है कि नॉर्थ ईस्ट का एक सबसे खतरनाक आतंकी सीमा पार बांग्लादेश से बड़ी मात्रा में आरडीएक्स मंगा रहा है. वो लोग सीमेंट की शक्ल में आरडीएक्स को हिंदुस्तान के कोने कोने में भेजने की योजना पर काम कर रहे हैं. काव्या को टिप मिलती है कि वो आतंकी एक गांव में छिपा है. इसलिए वो अपने सीनियर की ऑफिशियल परमिशन के बिना ही वहां ऑपरेशन के लिए टीम लेकर चली जाती है. इस मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग मारे जाते हैं. इस वजह से काव्या को स्पेंड करके पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में भेज दिया जाता है. दूसरी तरफ एनआईए की टीम को एक ब्लास्ट की जांच सौंपी जाती है, जिसमें मेघालय के सीएम की हत्या कर दी जाती है. एनआईए की टीम को माहिरा रिजवी (मीता वशिष्ठ) लीड करती है, जो कि एक तेज तर्रार अफसर के रूप में जानी जाती हैं.

होम मिनिस्ट्री की एक मीटिंग में समीर गुप्ता मिनिस्टर को बताता है कि सबसे पहले काव्या अय्यर ने ही आरडीएक्स केस की जानकारी दी थी. इस पर मिनिस्टर माहिरा से कहता है कि वो काव्या को अपनी टीम में शामिल कर ले, ताकि केस सॉल्व करने में आसानी हो सके. न चाहते हुए भी माहिला को काव्या को अपनी टीम में लेना पड़ता है. लेकिन वो हर वक्त उसे ताना मारती रहती है. उसे एनआईए के नियम के तहत काम करने के लिए कहती है. लेकिन काव्या का तो अपना स्टाइल है. फिर भी माहिरा के कहने पर वो एक आईटी एक्सपर्ट चंदन के साथ काम करने लगती है. दोनों सोशल मीडिया के जरिए उन आतंकियों का पता लगाना शुरू करते हैं, जो कि आरडीएक्स का इस्तेमाल करके नेताओं की जान ले रहे हैं. इस दौरान एक अहम खुलासा होता है, जो कि पूरे मामले की दिशा मोड़ देता है. इससे जानने के लिए सीरीज देखनी होगी.

वेब सीरीज 'जांबाज हिंदुस्तान के' की कहानी रोमांचक नहीं कही जा सकती, लेकिन रेजिना कैसैंड्रा ने अपनी दमदार अदाकारी से जान डाल दी है. एक आईपीएस अफसर के किरदार में उनको देखना अच्छा लगता है. उनकी बॉडी, बॉडी लैंग्वेज, बोलने का तरीका, सबकुछ एक पुलिस अफसर की तरह है. एक खुद्दार पत्नी और मजबूर मां के रूप में जब वो सामने आती है, तो उनका अलग ही अवतार देखने को मिलता है. तमिल और तेलुगू फिल्मों में मुख्य रूप से काम करने वाली रेजिना को हिंदी वेब सीरीज 'शूरवीर' और 'रॉकेट ब्वॉज' में देखा गया गया है. उन्होंने हिंदी सिनेमा में महिला पुलिस अफसर का रोल तो पक्का कर लिया है. आने वाले वक्त में उनको इस तरह कई किरदार करते हुए देखा जा सकता है. माहिरा रिजवी के किरदार में मीता वशिष्ठ ने परफेक्ट काम किया है. किरदार को हिसाब से उनका व्यवहार जमता है. आतंकी के किरदार में सुमित व्यास पहले तो समझ नहीं आए हैं, लेकिन आखिरी के दो एपिसोड में उनका किरदार उभरा है. मासूम चेहरे के पीछे छिपे आतंकी को दिखाने में वो कामयाब रहे हैं.

'पंचायत' फेम चंदन इस सीरीज में भी उसी नाम से हैं. पहले तो उनको एक नए किरदार में देखकर पचाना मुश्किल हो रहा था. लेकिन कुछ एपिसोड के बाद लगा कि चंदन पंचायत सचिव के अलावा भी दूसरे किरदार शिद्दत से निभा सकते हैं. 'पंचायत' से मिली उनकी प्रसिद्धी को इस सीरीज में भी भुनाया गया है. बरुण सोबती सीमित भूमिका में हैं, लेकिन जब भी आते हैं, अच्छा करते हैं. इस सीरीज की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें महिलाओं को सशक्त भूमिका में दिखाया गया है. पुरुष उनके सहयोगी किरदारों में हैं. चाहे वो काव्या और माहिरा के रूप में पुलिस अफसर हो या फिर आतंकी के किरदार में गायत्री. इसके लिए श्रीजित मुखर्जी धन्यवाद के पात्र हैं. उन्होंने एक ज्ञात कहानी को भी अपने मजबूत निर्देशन के जरिए देखने योग्य बना दिया है. कम से कम इतना जरूर कि आप इसे एक बार देखना शुरू करेंगे तो देखते चले जाएंगे. नॉर्थ ईस्ट के प्राकृतिक दृश्य बहुत खूबसूरती से फिल्माए गए हैं. कोच्ची से जयपुर तक के लोकेशन आकर्षित करते हैं. कुल मिलाकर, एक देखने लायक वेब सीरीज है.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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