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Updated: 14 मई, 2023 05:44 PM
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देशभक्ति की कहानियां लोगों को बहुत लुभाती हैं. यही वजह है कि इन कहानियों पर आधारित फिल्मों की सफलता की दर बहुत अधिक होती है. खासकर हिंदुस्तान और पाकिस्तान पर आधारित फिल्मों को तो बहुत पसंद किया जाता है. 'बॉर्डर', 'द गाजी अटैक', 'राजी', 'अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों' और 'भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया' जैसी फिल्मों की बॉक्स ऑफिस पर सफलता इस बात की गवाह है. इसी कड़ी में एक नई फिल्म 'आईबी71' 12 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. इस स्पाई थ्रिलर में एक इंटेलिजेंस अफसर के किरदार में विद्युत जामवाल ने जबरदस्त हाई-ऑक्टेन एक्शन सीन किए हैं. सच्ची घटनाओं पर आधारित इस फिल्म की कहानी रोचक है.

संकल्प रेड्डी द्वारा निर्देशित फिल्म 'आईबी71' में विद्युत जामवाल, अनुपम खेर, विशाल जेठवा, अश्वथ भट्ट, दलीप ताहिल, डैनी सुरा, सुरवत जोशी और दिवाकर ध्यानी अहम भूमिका में हैं. फिल्म के निर्देशनक संकल्प रेड्डी इससे पहले भारत-पाक युद्ध पर आधारित एक फिल्म 'द गाजी अटैक' बना चुके हैं. ये फिल्म लोगों को बहुत पसंद आई थी. इसकी कहानी भारत-पाक के बीच समंदर के अंदर हुए युद्ध पर आधारित है. वहीं, 'आईबी71' इंटेलिजेंस अफसर के खुफिया मिशन पर आधारित है, जो पाकिस्तान में घुसकर उसके इरादों को नेस्तनाबूत कर देता है. इस किरदार को विद्युत जामवाल ने निभाया है. इसमें उन्होंने जबरदस्त एक्शन और एक्टिंग की है.

650x400_051323073423.jpgविद्युत जामवाल की फिल्म 'आईबी71' 12 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है.

फिल्म 'आईबी71' के बारे में समीक्षकों और दर्शकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. फिल्म को लेकर समीक्षक दो धड़ों में बंटे हुए हैं. एक पक्ष इसे बेहतरीन फिल्म बता रहा है, तो दूसरा इसे बोरिंग फिल्म बता रहे हैं. लेकिन दर्शक एक सुर में फिल्म की तारीफ कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर फिल्म के पक्ष में सकारात्मक माहौल दिख रहा है. ट्विटर पर एक यूजर प्रशांत कुमार ने लिखा है, ''ऑल द बेस्ट मेरे हीरो और टीम आईबी71. आपकी कड़ी मेहनत और जुनून निश्चित रूप से इसे सुपरहिट मूवी बनाएगी. हर तरफ से आने वाली सभी सकारात्मक समीक्षाओं को देखकर अच्छा लग रहा है. निश्चित रूप से ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाल करेगी.''

आदित्य राज कौल लिखते हैं, ''विद्युत जामवाल और अनुपम खेर की फिल्म आईबी71 बेहद रोमांचक है. इसकी कहानी साल 1971 में हाशिम कुरैशी द्वारा कश्मीर में श्रीनगर से लाहौर तक जाने वाले जहाज गंगा हाइजैकिंग पर आधारित है. यह फिल्म भारत की खुफिया एजेंसियों और उसके अधिकारियों को एक श्रद्धांजलि है, जिनके अविश्वसनीय बहादुरी को न तो कभी नोटिस किया गया, न ही कभी मान्यता मिली है. विद्युत और अनुपम दोनों ने असाधारण अभिनय किया है.'' अश्विनी कुमार ने लिखा है, ''आईबी71 भारत के उन गुमनाम योद्धाओं की कहानी है, जिन्हें अपनी वीरता, बलिदान का श्रेय कभी नहीं मिला. आश्चर्य से भरी एक अविश्वसनीय सच्ची कहानी.''

फिल्म पत्रकार प्रियंका नेगी ने लिखा है, ''आईबी71 के हीरो विद्युत जामवाल ने पहली बार अपने एक्शन से ज्यादा अपने अभिनय पर फोकस किया है. फिल्म में विशाल जेठवा भी हैं. उनका खतरनाक रूप दर्शक 'मर्दानी' में चुके हैं. 'सलाम वेंकी' के बाद से विशाल उन उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करते नहीं दिख रहे हैं, जो उन्होंने प्रशंसकों को दे रखी है. अनुपम खेर अपने चिर परिचित अंदाज में हैं. ऐसी फिल्मों में उनकी भूमिका के खांचे तय कर दिए गए हैं और वह अभिनय भी उसी हिसाब से कर देते हैं. फिल्म एक्शन थ्रिलर तो है लेकिन इसमें निर्देशक संकल्प रेड्डी ने विद्युत की ऊर्जा को बांधकर रखा है. उन्होंने विद्युत की मेधा को हीरो बनाने की कोशिश की है. फिल्म औसत से थोड़ी बेहतर है. संपादन, बैकग्राउंड म्यूजिक और स्पेशल इफेक्ट्स प्रभावी हैं. यदि इसका प्रचार प्रसार ढंग से किया जाता तो अच्छा कारोबार कर सकती थी.''

श्वेतांक लिखते हैं, ''इस फिल्म की कहानी ही हीरो है. आपको अलग से किसी को हीरो बनाने की ज़रूरत नहीं पड़ती. ये पिक्चर ठीक वैसा ही करती है. मगर ऐसा लगता है कि कुछ कमी है. फिल्म का फर्स्ट हाफ कहानी को सेट करने में खर्च हो जाता है. इसलिए वहां फिल्म के साथ जुड़ाव महसूस नहीं कर पाते. क्योंकि वो सब ऊपर-ऊपर से होता है. फिल्म अपना सारा बारूद सेकंड हाफ के लिए बचाकर रखती है. परफॉरमेंस में इस फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी हैं विशाल जेठवा. उन्होंने दो हाइजैकर्स में से एक, कासिम का रोल किया है. दिलचस्प बात ये है कि ये फिल्म के विलन भी हैं और कॉमिक रिलीफ भी. विशाल ने कश्मीरी लहजा बढ़िया पकड़ा. आईबी71 एक अच्छी कोशिश है. ना ही ये फिल्म राष्ट्रवाद को हथियार की तरह इस्तेमाल करती है, न ही पाकिस्तान को विलेन बनाती है. औसत और अच्छी फिल्म के बीच झूलती रह जाती है.''

फिल्म समीक्षक प्रशांत जैन ने लिखा है, ''आईबी 71 के डायरेक्टर संकल्प रेड्डी इससे पहले 'गाजी अटैक' जैसी जोरदार फिल्म बना चुके हैं. लेकिन अफसोस कि इस बार वह पहले जैसा दम नहीं दिखा पाए. बेशक उन्होंने एक रोमांचक खुफिया मिशन पर फिल्म बनाने की कोशिश की, लेकिन कमजोर कहानी और स्क्रीनप्ले के कारण वह उतना प्रभाव नहीं छोड़ पाए. फिल्म की कहानी आदित्य शास्त्री ने लिखी है, जिसमें तमाम कमियां नजर आती हैं, वहीं स्क्रीनप्ले खुद संकल्प ने अपने पांच साथियों के साथ मिलकर लिखा है. इंटरवल से पहले संकल्प ने घटनाक्रम को समझाने की कोशिश की, लेकिन सेकंड हाफ में पाकिस्तान की धरती पर कई ऐसी बचकानी घटनाएं घटती हैं, जो दर्शकों को हैरानी में डाल देती हैं. विद्युत जामवाल ने फिल्म में ठीकठाक काम किया है. अनुपम खेर हमेशा की तरह अपने रोल में जमे हैं, तो विशाल जेठवा व अश्वथ भट्ट ने अपने रोल में जान डाल दी है.''

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