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Updated: 06 जून, 2016 08:22 PM
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पिछले साल जब देश में पोर्न बैन को लेकर बहस छिड़ी तो ब्रिटिश मॉडल सोफिया हयात ने ट्विटर पर अपनी न्यूड तस्वीर डाल कर हंगामा मचा दिया था. तब किसे मालूम था कि सोफिया एक और सनसनीखेज काम करके सबको चौंका दिया. और वो भी ऐसा जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की होगी. बोल्ड और सुर्खियों में रहने वाली सोफिया हयात नन बन गई हैं!

मतलब, साध्वी. तमाम सांसारिक और शारीरिक इच्छाओं से कहीं दूर अब वह अध्यात्म और धर्म के रास्ते पर चलने की बात कर रही हैं. कहती हैं, अब उनमें सेक्स की इच्छा नहीं. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सामने अपने ब्रेस्ट इंप्लांट्स दिखाकर बोलती रहीं कि वो कितनी नकली जिंदगी जी रही थीं.

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 पत्रकारों को ब्रेस्ट इंप्लांट्स दिखातीं सोफिया

सोफिया ने पत्रकारों को बताया कि इस बार भारत आने से पहले उन्होंने अपने ब्रेस्ट इंप्लांट्स निकलवा लिए थे. वो यही नहीं रूकी और एक थैले से निकालकर उसे सभी को दिखाया भी.

देखिए, ये वीडियो जब सोफिया ने पत्रकारों को दिखाए अपने ब्रेस्ट इंप्लांट्स

अब सेक्स की इच्छा नहीं!

सोफिया बताती हैं कि उन्होंने अच्छी सेक्स लाइफ को जीया. उनके बॉयफ्रेंड रहे हैं. लेकिन पिछले साल जुलाई के बाद उन्होंने महसूस हुआ अब सब कुछ वैसा नहीं रहा. उन्हें कभी सेक्स की इच्छा नहीं होती. बकौल सोफिया, मैंने जुलाई-2015 के बाद से सेक्स नहीं किया है, क्योंकि कभी इच्छा ही नहीं हुई.'

मुस्लिम परिवार में जन्म हुआ फिर बन गईं ईसाई....

सोफिया पहले के कई इंटरव्यू में इस बात का जिक्र कर चुकी हैं कि उनके घर में क्या माहौल था. वह बचपन में जब भी स्कूल या कहीं और से देर से घर लौटतीं तो उनके अब्बा उन्हें खूब पीटते थे. कई बार बेल्ट से और कई बार तब तक जब तक खून न निकलने लगे. उनके पिता सोफिया की मां और उनकी दूसरी बहनों के साथ भी मारपीट करते थे.

जाहिर है, एक रुढ़िवादी मुस्लिम परिवार से आकर बोल्डनेस की नई मिसाल बन जाना और फिर ईसाई धर्म अपनाते हुए नन की जिंदगी की ओर रूख करना, अपने आप में बेहद हैरान करने वाली बात है.

चकाचौंध वाली दुनिया में और भी हैं ऐसी कहानियां

वैसे, सोफिया हृदय परिवर्तन की कोई एक मात्र मिसाल नहीं हैं. पिछले साल 1994 की मिस इंडिया की फाइनलिस्ट बरखा मदान के बौद्ध भिक्षु बन जाने की खबर आई थी. ऐसे ही 1990 की आशिकी फेम अनु अग्रवाल का अध्यातम की ओर झुकाव भी सबको चौंका गया.

कभी बॉलीवुड के सबसे हॉट और महिलाओं के बीच बेहद लोकप्रिय रहे विनोद खन्ना का 80 के दौर में ओशो की ओर झुकाव की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं. कहा जाता है कि जब विनोद ने ओशो का सानिध्य हासिल किया, तब वे अपने करियर के चरम पर थे और अमिताभ बच्चन जैसे स्टार को टक्कर देने लगे थे. लेकिन उन्होंने सब छोड़छाड़ कर अध्यात्म का रूख करना जरूरी समझा.

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 ओशो के आश्रम में विनोद खन्ना (साभार- ओशोवर्ल्ड.कॉम)

ऐसी भी कहानियां है कि 1980 में विनोद खन्ना अमेरिका चले गए और वहां स्वामी विनोद भारती के नाम से ओशो के आश्रम में रहने लगे. वहां वह आश्रम में माली का काम करते और जूठे बर्तन भी साफ किए. जिंदगी के उस दौर का असर उनकी निजी जिंदगी पर भी पड़ा और उनकी पहली शादी टूट गई. 1990 में उन्होंने दूसरी शादी की.

ये कहानियां कहीं न कहीं चरम और फिर उससे विरक्ति का उदाहरण हैं. वैसे सवाल भी हैं कि ये सोफिया का एक पब्लिसिटी स्टंट था या फिर वाकई उनके प्रशंसकों को सोफिया को इसी रूप में देखने की आदत डाल लेनी चाहिए!

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