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Updated: 15 मई, 2021 06:47 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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कहते हैं उम्र के साथ किरदार बदलता चला जाता है. लेकिन ये हीरोइन आज भी वही मनमोहिनी है. उम्र के 54वें पड़ाव में भी मुस्कुराती वही चहक, शख्सियत में वही शोखी, अदाओं में वही खनक और धमक. करीब तीन दशक तक फिल्म इंडस्ट्री में इसी रुतबे के साथ राज किया. लेकिन बात अब भी ऐसी है कि चाहने वालों का दिल एक आहट से ही धक-धक करने लगे. जी हां, हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड की 'धक-धक गर्ल' माधुरी दीक्षित की, जिनका आज जन्मदिन है. 15 मई 1967 को मायानगरी मुंबई में पैदा हुई एक्ट्रेस 54 वर्ष की हो चुकी हैं. इतना लंबा अरसा ग्लैमर की दुनिया में काम करने वाले किसी भी शख्सियत के लिए बेहद अहम होता है.

बॉलीवुड की परंपरा और चलन पर गौर करें, तो एक एक्टर से ज्यादा एक्ट्रेस के लिए फिल्म इंडस्ट्री में लंबे समय तक बतौर हिरोइन टिकना मुश्किल होता है. एक्टर तो 50 क्या 60 साल की उम्र तक जवान रहता है, लेकिन एक्ट्रेस को वक्त के साथ परदे पर अपना किरदार बदलना पड़ता है. लेकिन माधुरी दीक्षित को देख तो उम्र भी जैसे अपना असर दिखाने से हिचक जाती है. बेशक वो फिल्मों में एक लंबे अंतराल के बाद सक्रिय हुई हैं, लेकिन हुनर की मिसालें इतनी, माधुरी आज भी औरों के लिए एक कसौटी हैं. उनका डांस. उनका नाज-ओ-अंदाज और इसकी बदौलत दिल थामे लाखों-करोड़ों दीवाने. इस पर ये खूबसूरत हीरोइन तो आज भी इतराती है.

mamata-brother-650_051521060308.jpgबॉलीवुड एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित आज भी अपने हुनर और समर्पण के साथ नई पीढ़ी के लिए मिसाल हैं.

माधुरी दीक्षित मुंबई में पैदा हुईं और वहीं पली-बढ़ी, ऐसे में भला मायानगरी की 'माया' से कैसे अंजान रह सकती थीं. उनको बचपन से ही डांस का बहुत शौक था. आठ साल की उम्र में उन्होंने कथक सीखना शुरू कर दिया. कुछ ही दिनों में प्रोफेशनल कथक डांसर बन गईं. महज 9 साल की उम्र में उनको बतौर कथक डांसर स्कॉलरशिप मिल गई. उसी वक्त पहली बार उनके शानदार डांस परफॉर्मेंस के बारे अखबारों में भी छाप, लिखा गया- 'This Little Girl Stole The Show'. यहीं से माधुरी की दशा और दिशा दोनों बदल गई. उनको डांस में अपना भविष्य नजर आने लगा. इसके बाद धीरे-धीरे माधुरी अदाकारी के मायावी मुहावरे का पर्याय बन गईं.

1984 में राजश्री प्रोडक्शन के बनैर तले बन रही फिल्म 'अबोध' के जरिए माधुरी ने बॉलीबुड में अपना डेब्यू किया. उस वक्त उनकी उम्र महज 17 साल की थी. यह फिल्म तो बहुत नहीं चली, लेकिन माधुरी के अभिनय की जमकर तारीफ हुई. इन सबके बावजूद सफलता अभी कोसों दूर थीं. साल 1985 से लेकर 1987 तक लगातार 9 फिल्मों के फ्लॉप होने के बाद जब लगा कि करियर खत्म होने वाला है, तभी उनकी अदाओं का 'तेजाबी' असर साल 1988 में आई फिल्म 'तेजाब' में दर्शकों के सिर चढ़कर बोलने लगा. फिल्म के एक, दो, तीन गाने के साथ 9 फिल्मों में सहमी सी दिखने वाली ये हीरोइन जैसे अपनी इमेज तोड़ने को बेचैन दिख रही थी.

जबरदस्त डांस, बिंदास एक्सप्रेशन

मनमोहक डांस के साथ बिंदास भाव-भंगिमाओं का ऐसा बेजोड़ मेल देख फिल्म तेजाब के डायरेक्टर एन चंद्रा भी दंग रह गए. कोरियोग्राफर सरोज खान ने तो उसी दिन कह दिया था- ये लड़की आगे चलकर बॉलीवुड की सबसे बड़ी 'डांस दीवा' बनेगी. तेजाब का ये गाना सिर्फ उस फिल्म की तस्वीर ही नहीं, बल्कि तबतक 9 फिल्में करने के बावजूद बी-ग्रेड हिरोइन माने जाने वाली माधुरी का किरदार भी बदल देने वाला था. हालांकि वो ट्रेंड कथक डांसर थीं. लेकिन फिल्मी अंदाज में ऐसे बोल्ड स्टेप्स और वो भी भरी पब्लिक के सामने, माधुरी तो ये सुनकर ही घबरा गईं. लेकिन हार नहीं मानी. शूटिंग से पहले 15 दिन तक रिहर्सल की. हर रोज 10 घंटे पसीना बहाती रहीं.

डांस के साथ जैसे माधुरी की सिनेमाई छवि को एक किरदार मिल गया. इसके साथ माधुरी हर फिल्मी लटके, झटकों और ठुमकों को अपने रंग में रंगती चली गई. अपनी रौ में बहती माधुरी हर युवा दिल की धड़कन बन गईं. फिल्म 'बेटा' का गाना धक-धक करने लगा...तो इतना लोकप्रिय हुआ कि माधुरी इसके बाद 'धक-धक गर्ल' कही जाने लगीं. डांस के साथ सेंसुआलिटी की कसौटी पर माधुरी एक पैमाना बन गईं, जिस पर खरा उतरना खुद माधुरी के लिए चुनौती बनने वाला था. माधुरी के सामने चुनौती सिर्फ एक अदाकारा के तौर पर अपनी पहचान बनाने की नहीं थी, बल्कि उस दौर की दो बड़ी अभिनेत्रियों श्रीदेवी और रेखा के बीच जगह भी बनानी थी.

श्रीदेवी और रेखा का जादू बेमिसाल अदाकारी के साथ बेहतरीन नृत्य की बदौलत सबके सिर चढ़कर बोलता था. वो जादू माधुरी को अपने हुनर में समेटना था. अपनी अदाओं में बिखेरना था. माधुरी गीत दर गीत जोखिम उठाती गईं. डांस को लेकर माधुरी की लगन और छवि के हिसाब से हर फिल्म में उनके लिए नए सिचुएशन लिखे जाने लगे. गाने बनने लगे. जैसे साल 1990 में आई फिल्म 'सैलाब' का गाना, हमको आजकल है इंतजार...परदे पर फिल्माया गया ऐसा कोली डांस था, जिसमें हीरोइन के बाल पूरे गाने में खुले रहे. गाने का मुखड़ा भी हीरोइन कभी नहीं गाती. लेकिन माधुरी के साथ ये प्रयोग भी शाहाकार साबित हुआ. गीत यादगार बन गया.

मासूमियत के साथ बेमिसाल अदाकारी

समय के साथ माधुरी दीक्षित में निखार आता गया. डांस के साथ अदाकारी भी निखरती चली गई. चेहरे पर मासूमियत और अदाओं में मदमस्त शोखी गीतों के बोल में उतरती चली गई. नृत्य के रंग में एक बार जो अपने किरदार में आती, तो फिर लय नहीं टूटती. वो चाहे डिस्को हो या फिर फॉक सॉन्ग. माधुरी के अंदाज में सबकुछ सहज होता गया. लेकिन फिल्म 'खलनायक' का गाना, चोली के पीछे क्या है...उनको मुश्किल में डाल दिया. गाने के द्विअर्थी बोल से लेकर उत्तेजक डांस का मसला सेंसर बोर्ड के साथ महिला आयोग तक पहुंच गया. विवाद बढ़ा, लेकिन माधुरी अपने फैसले पर अडिग रहीं. हां, इसके बाद गानों के चुनाव को लेकर संजीदा जरूर हो गईं.

यही संजीदगी माधुरी को एक संपूर्ण अभिनेत्री बनाने में मदद करती है. लेकिन ग्लैमर की दुनिया और नंबर-1 अभिनेत्री की दौड़ में ये संजीदगी क्या इतनी आसान होती है? हिंदी सिनेमा की 'लेडी अमिताभ' कही जाने वाली माधुरी दीक्षित अकेली ऐसी हीरोइन हैं, जिनके नाम पर फिल्म बनी है. 2003 में आई वो फिल्म थी 'मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं'. साल 2003 में जब माधुरी मुंबई छोड़ अमेरिका चली गईं, तब सिनेमा की दुनिया ने उनकी मौजूदगी को कुछ ऐसे याद किया था. जिस मायानगरी में हर किसी का सपना अमिताभ बच्चन जैसा बनने का होता है, वहां एक लड़की माधुरी दीक्षित बनने का ख्वाब बुन रही थी.

साल 2011 में एक मशहूर मैगजीन ने सर्वे कराया. इसमें माधुरी 36 फीसदी वोट के साथ मोस्ट डिजायरेबल एक्ट्रेस चुनी गई थी. जबकि उस मुकाबले में ऐश्वर्या और काजोल से लेकर आज के दौर की करीना कैटरीना जैसी अभिनेत्रियां शामिल थी. वो जलवा आज भी कायम है. उम्र के 54वें साल में भी. इस सफर का असल आगाज होता है 90 के दशक से. वो साल 1990 था. परदे की दुनिया तब प्रेम कहानियों से सराबोर थी. आमिर खान उन्हीं कहानियों में से एक के कामयाब हीरो बन चुके थे. उस दौर में दूसरे रोमांटिक हीरो सलमान भी थे. मगर दोनों को माधुरी दीक्षित का साथ मिलते ही परदे प्रेम का समीकरण बदलने लगा.

समय के साथ किरदारों में विविधता

पहले आमिर खान के साथ फिल्म 'दिल' और उसके एक साल बाद सलमान खान के साथ फिल्म 'साजन'. दोनों फिल्में सुपरहिट रही और कामयाबी का सेहरा हीरो से ज्यादा हीरोइन के सर पर बंधा. ये पहली बार नहीं हो रहा था. लेकिन सिनेमा की दुनिया में कुछ नया होने का इशारा जरूर कर गया था. दरअसल माधुरी के रूप में बढ़ते ग्लैमर और मनमोहक अदाकारी के इशारे पहले ही मिलने लगे थे. फिल्म तेजाब के बाद रामलखन, प्रेम प्रतिज्ञा और परिंदा जैसी फिल्मों से माधुरी ने फिल्मी पंडितों की राय बदलनी शुरु कर दी थी. यकीन नहीं हो रहा था ये वही माधुरी थी, जो दयावान नाम की फिल्म में बेहतर अदाकारी के बावजूद लोगों के तंज सुन रही थी.

साल 1990 में उन्हें फिल्म दिल के लिए बेस्ट एक्ट्रेस के फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया. लेकिन उस खिताब से पहले माधुरी कई ऐसी फिल्में साइन कर चुकी थी जो उन्हें कामयाबियों के बीच भी नाकामी के कठघरे में खड़ा करने वाली थी. 'कानून अपना अपना' और 'इज्जतदार' जैसी फिल्में माधुरी ने सिर्फ इसलिए साइन कर ली थी, क्योंकि इसमें दिलीप कुमार थे. 'पाप का अंत' जैसी फिल्मी हेमा मालिनी की मौजूदगी देखकर की. इन दोनों फिल्मों में माधुरी जैसी एक्ट्रेस के लिए करने को कुछ खास नहीं था. जबकि उन दिनों कुछ फिल्मी जानकार माधुरी को सुपरस्टार श्रीदेवी से भी बेहतर बताने लगे थे. तब ये बात क्या शुरु हुई, माधुरी का किरदार ही बदल गया.

उस दौर में 'चांदनी' और 'चालबाज' जैसी फिल्मों के साथ श्रीदेवी स्टारडम के पहले पायदान पर थीं, तो माधुरी 'दिल', 'बेटा' और 'साजन' जैसी फिल्मों के साथ कामयाबी के शिखर की तरफ बढ़ रहीं थीं. ये दोनों वो हिरोइन थीं, जिनके फलसफे में कामयाबी के लिए हीरो की दरकार कतई नहीं थी. माधुरी ने तो 1991 में आई फिल्म साजन से ही साबित कर दिया. फिल्म में संजय और सलमान के बीच माधुरी का किरदार अलग रंग में निखरा. रुतबा ऐसा, कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को उनके आगे झुकना पड़ा. डिस्ट्रीब्यूटर्स नहीं चाहते थे फिल्म में हिरोइन सलमान को छोड़ हैंडिकैप्ड संजय को अपना जीवनसाथी चुने. तब माधुरी डायरेक्टर और राइटर के बचाव में सामने आई थी.

बेहतरीन डांसर ऐसे बनी 'स्टाइल दीवा'

अदाकारी ने खुद पर यकीन करना सिखाया, तो किरदारों ने अंदाज बदलना. माधुरी अब सिर्फ डांस के लिए मशहूर नहीं थी, बल्कि स्टाइल दीवा बन चुकी थी. वो भी अपने डिजाइन किए हुए कस्ट्यूम के साथ. ये बात माधुरी के दीवाने भी नहीं जानते होंगे, 90 के दशक में अपनी तकरीबन हर फिल्म में माधुरी अपने लिबास खुद तय करती थी. साजन से लेकर, संगीत, याराना, खलनायक और दिल तो पागल है तक. दिल तो पागल है में यश चोपड़ा हालांकि मनीष मलहोत्रा को बतौर डिजाइनर साइन किया था. लेकिन माधुरी के कस्ट्यूम उनकी अपनी पसंद के मुताबिक तय किए गए. माधुरी के सहज अंदाज का जादू था. अपने किरदारों के रूप में जो पहना वो फैशन बन गया.

अफेयर और कंट्रोवर्सी से यूं बनाई दूरी

दिलचस्प ये भी कम नहीं कि इतने दीवानों के बीच माधुरी की असल जिंदगी मुहब्बत के अफसानों से अछूती ही रही. माधुरी बॉलीवुड की गिनी चुनी हीरोइनों में शामिल हैं, जिनका सफर गॉसिप्स से भरे अफेयर और कंट्रोवर्सी से दूर ही रहा. 90 के दशक में एक किस्सा जरूर सामने आया था. माधुरी संघर्ष के दिनों में संजय दत्त के करीब मानी जा रही थीं. ऐसी तमाम सुर्खियां उस दौर के मैगजीन में छपती. दोनों के रोमांस का सिलसिला साल 1989 में आई फिल्म 'थानेदार' से शुरु हुआ था. तब संजय दत्त शादीशुदा थे, लेकिन पत्नी ऋचा शर्मा के साथ संबंध ठीक नहीं था. खलनायक की शूटिंग तक ये माना जाने लगा कि संजय दत्त माधुरी से रिश्तों को वाजिब नाम देंगे.

इस वजह से टूटा संजय दत्त संग रिश्ता

संजय दत्त अपनी पत्नी ऋचा शर्मा को तलाक देने का मन बना चुके थे. लेकिन इसी दौरान खबर आई उनको कैंसर है. संजय ने इरादा बदल दिया. दूसरी खबर आई 1993 में जिसके बाद माधुरी का भी इरादा पहले जैसा नहीं रहा. संजय दत्त मुंबई बम धमाकों में गिरफ्तार कर लिए गए. माधुरी का नायक जमाने की नजरों में खलनायक बन गया. इस घटना से माधुरी इतनी आहत हुई कि जेल में बंद संजय से मिलने तक नहीं गई. हालांकि, जेल से बाहर आने के बाद भी संजय दत्त और माधुरी ने 'महानता' नामक एक अधूरी फिल्म जरूर पूरी की, लेकिन दोनों का रोमांस अब परदे तक ही सीमित था. दोनों के बीच रिश्ते अब पहले जैसे नहीं रह गए थे.

जब अचानक ले लिया शादी का फैसला

साल 1999 में जब माधुरी ने एनआरआई डॉक्टर श्रीराम नेने से शादी का फैसला किया, तब तक बतौर अभिनेत्री माधुरी का कद ऐसा था, कि तमाम डायरेक्टर उनके लिए एक बड़ी फिल्म का खाका खीच रहे थे. उनमें यश चोपड़ा और संजय लीला भंसाली जैसे बड़े डायरेक्टर्स शामिल थे. भंसाली देवदास में माधुरी के साथ काम करने का ख्वाब पांच साल से सजाए हुए थे. चंद्रमुखी के किरदार के लिए संजय जब माधुरी के पास गए, तब तक माधुरी शादी का फैसला कर चुकी थी. इसकी वजह से माधुरी चंद्रमुखी का रोल करने में हिचक रही थी. डर था शादी के बाद शायद इस किरदार के साथ इंसाफ नहीं कर पाएंगी. लेकिन संजय के भरोसे ने उन्हें हौसला दिया.

नई पीढ़ी के लिए भी मिसाल हैं माधुरी

माधुरी दीक्षित आज भी अपने उसी हुनर और समर्पण के साथ नई पीढ़ी के लिए मिसाल हैं. चाहने वालों के प्यार के लिए शुक्रगुजार तो सिनेमा की नई पीढ़ी की कद्रदान भी. खासतौर पर रणबीर कपूर और रितिक रौशन जैसे हीरो की मुरीद हैं माधुरी. हीरो ही नहीं, आज की हीरोइनों के आत्मविश्वास पर गुमान करती हैं माधुरी. प्रियंका चोपड़ा से लेकर दीपिका पादुकोण और आलिया भट्ट जैसी हीरोइन में अपना अक्स देखती हैं. उम्र के इस पड़ाव पर माधुरी खुद भी वो अक्स तराशने की कोशिश में भी जुटी हुई हैं. वो मंच है डांस रियलिटी शो के साथ अपनी खुद की डांस एकेडमी. माधुरी यहां थिरकती हैं तो जमाने का दिल आज भी धक-धक करता है.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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