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Updated: 14 अगस्त, 2020 08:59 PM
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भारतीय वायु सेना की पहली महिला पायलट गुंजन सक्सेना की जिंदगी पर आधारित जान्ह्वी कपूर की फ़िल्म गुंजन सक्सेना: द करगिल गर्ल का लंबे समय से इंतजार था. नेटफ्लिक्स पर गुंजन सक्सेना के दस्तक देने के साथ ही यह इंतजार खत्म हो गया है. धर्मा प्रोडक्शंस के और जी स्टूडियो के बैनर तले न्यू कमर शरण शर्मा के निर्देशन में बनी यह फ़िल्म गुंजन सक्सेना के हौसले और देश के लिए कुछ करने के जज्बे के साथ ही एक पिता-बेटी के खूबसूरत रिश्ते की कहानी है, जिसमें पिता बेटी के सपनों में रंग भरने के लिए उसे पुरुष प्रधान समाज में अपने बलबुते बहुत कुछ करने का साहस भरता है. गुंजन सक्सेना कहानी है एक लड़की के संघर्ष की, जिसमें उसे पल-पल महसूस होता है कि वह जो करने जा रही है, वह कर पाएगी कि नहीं? लेकिन संघर्ष और हौसलों का दामन थामे गुंजन सक्सेना कुछ ऐसा करती है कि लोग उसे करगिल गर्ल के नाम से जानते हैं.

नेटफ्लिक्स पर रिलीज गुंजन सक्सेना फ़िल्म कुछ खास है, जिसमें आपको भले जान्ह्वी कपूर कभी-कभी गुंजन सक्सेना के किरदार में थोड़ी कम जंचे, लेकिन पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी, विनीत कुमार सिंह और मानव विज जैसे कलाकार इतने बेहतरीन लगे हैं कि यह फ़िल्म देखने लायक बन पड़ी है. एक लड़की के पायलट बनने के सपने और इस सपने को पूरा करने में उसकी हर पल मेहनत को नवोदित शरण शर्मा ने बेहद खूबसूरती से बड़े पर्दे पर पेश किया है, जिसमें इमोशन और एक्शन भी है. शरण शर्मा ने गुंजन सक्सेना के रूप में जान्ह्वी कपूर से खूब मेहनत करवाई है, जिसकी झलक आपको फ़िल्म में जरूर दिखती है. गुंजन सक्सेना के पिता के रूप में पंकज त्रिपाठी और भाई के रूप में अंगद बेदी इतने सपोर्टिव दिखे हैं कि आप दुआ करने लगते हैं कि हर लड़की को ऐसा पिता और भाई मिले, जो उसे वो करने की आजादी दे, जो वो करना चाहती है. फ्लाइट में विंडो सीट पर बैठने के लिए भाई से झगड़ने वाली गुंजन सक्सेना कैसे कड़ी मेहनत करके एक दिन फाइटर प्लेन उड़ाती है और देश में अपना नाम रोशन करती है, इसकी दास्तां गुंजन सक्सेना: द करगिल गर्ल देखने लायक फ़िल्म है.

तो ये है गुंजन सक्सेना फ़िल्म की कहानी

लड़कियों को लड़कों से कमतर आंकने की प्रवृति इस पुरुष प्रधान समाज की हकीकत और हर घर की कहानी है. ‘तुम ये नहीं कर सकती हो, ये लड़कों का काम है और तुममें ताकत और संघर्ष करने की क्षमता नहीं है’. ये सारे कथन लड़कियों को कमतर आंकने के लिए अक्सर मां-पिता, भाई या समाज उसके सामने कहते नजर आते हैं. लेकिन लखनऊ की आर्मी फैमिली में पली-बढ़ी गुंजन सक्सेना को उसकी फैमिली ने हमेशा सपोर्ट किया और उसे सपने देखने की आजादी दी. हालांकि भाई और मां ने एक बार को जरूर कहा कि पायलट बनना आसान काम नहीं है. गुंजन सक्सेना लखनऊ से दिल्ली निकलकर एक फ्लाइंग क्लब में एडमिशन कराती है और पायलट बनने की ट्रेनिंग लेती है. ट्रेनिंग के साथ ही ग्रैजुएशन पूरी करने के बाद उसकी असली जिंदगी तब शुरू होती है, जह काफी जद्दोजहद के बाद गुंजन सक्सेना का शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत ट्रेनी पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना में चयन होता है. गुंजन सक्सेना ट्रेनिंग के लिए उधमपुर स्थित एयर फोर्स ट्रेनिंह सेंटर पहुंचती है और वहां देखती है कि 1000 लड़कों के बीच वह एकमात्र लड़की है, जिसका चयन ट्रेनी पायलट के रूप में एयर फोर्स में हुआ है. ट्रेनिंग सेंटर में लाख डांट-फटकार और बेइज्जती के साथ ही भेदभाव झेलने के बाद भी गुंजन सक्सेना हिम्मत नहीं हारती है और आखिरकार कड़ी मेहनत से वह अपने अधिकारियों को खुश करने में सफल होती है. ऐसे वक्त में उसके पिता और भाई उसका हर पर हौसला बढ़ाते हैं और कहते हैं कि वह जो करने जा रही है, उसमें निडरता और हौसले की जरूरत होती है उसे साहसी और मजबूत बनना है.

गुंजन सक्सेना रोते-हंसते हर मुश्किलों का सामना करती है और अपनी ट्रेनिंग पूरी करती है. वह दौर 1990 का था, जब भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद के कारण युद्ध के हालात बन गए थे और साल 1999 में युद्ध शुरू हो जाता है. जमीन के साथ ही हवा में भी लड़ी गई इस लड़ाई में एयरफोर्स अधिकारी गुंजन सक्सेना को श्रीविद्या राजन के साथ चीता हेलिकॉप्टर के पायलट के रूप में नियुक्त करते हैं. पूरे युद्ध के दौरान गुंजन सक्सेना घायल भारतीय जवानों को बेस कैंप तक लाने, सैनिकों को रसद पहुंचाने और दुश्मनों का मुंहतोड़ जवाब देते दिखती हैं और फिर दुनिया उन्हें करगिल गर्ल के नाम से जानती है. बाद में शौर्य च्रक विजेता गुंजन सक्सेना की शादी हो जाती है और वह बेंगलुरु में अपने पति के साथ शादीशुदा जिंदगी जीती दिखती है. यह कहानी एक महिला के संघर्ष और हौसले की है, जिसमें चुनौतियां तो हैं ही, परिवार का विश्वास और समर्थन भी है. सच्ची घटना पर आधारित फ़िल्म गुंजन सक्सेना: द करगिल गर्ल काफी इंस्पिरेशनल है और यह लड़िकयों को सपने देखने के साथ ही उसे पूरा करने का हौसला देती है. ऊपर से करगिल वॉर की कहानी, ऐसे में दर्शकों का जुड़ाव तो इस फ़िल्म से होगा ही. निखिल मेहरोत्रा के साथ शरण शर्मा ने गुंजन सक्सेना की जिंदगी को खूबसूरत तरीके से कलमबद्ध किया है, जिससे फालतू का कुछ भी नहीं है.

एक्टिंग और डायरेक्शन

गुंजन सक्सेना के किरदार में ढलने के लिए जान्ह्वी कपूर ने काफी मेहनत की है और उन्होंने इमोशन और एक्शन सीन्स की बारीकियों पर बेहतरीन काम किया है. गुंजन सक्सेना आर्मी फैमिली से थीं, ऐसे में उनके पिता और भाई भी सेना में अच्छी पोजिशन में थे. पंकज त्रिपाठी और अंगद बेदी जान्ह्वी कपूर के पिता और भाई की भूमिका में बेहतरीन लगे हैं. वहीं एयरफोर्स अधिकारी के रूप में मानव विज और विनीत कुमार सिंह का काम भी इतना अच्छा है कि आपकी नजरें उनपर थम जाती हैं. कुल मिलाकर सभी प्रमुख किरदारों का काम अच्छा है. बस जान्ह्वी कपूर को देखकर कभी-कभी लगता है कि उनमें एक्टिंग की वैसी मैच्यूरिटी नहीं आई है और अभी और मेहनत करनी है. कुछ सीन्स में जान्ह्वी कपूर कमजोर दिखी हैं, लेकिन इमोशनल सीन्स में जान्ह्वी ने काफी अच्छा काम किया है. करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस की फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर की भूमिका निभाने वाले डेब्यू डायरेक्टर शरण शर्मा ने क्या खूब काम किया है. गुंजन सक्सेना की कहानी को उन्होंने बेहतरीन अंदाज में बिना किसी काल्पनिकता के पर्दे पर पेश किया है, जिसे देखकर आपको अच्छा लगता है. एक्शन के साथ ही इमोशन और फैमिली ड्रामे को उन्होंने खूबसूरती से संवारा है. सिनेमैटोग्राफर आ. डी ने करगिल वॉर के साथ ही एरियल शॉट्स को बेहतरीन तरीके से कैप्चर किया है. आरिफ शेख की एडिटिंग पर आप गर्व करते हैं कि उन्होंने एक भी सीन फालतू या बोझिल नहीं रखे.

 
 
 
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My cricketing heroes - Dhoni, Ganguly & Kohli have always said a captain is only all good as the team. The same goes in film making too. A film and a director can only be as good as the team. I have been very fortunate to get the chance to work with not only some of the most talented people in the business but also with some of the best people I have met in my life. Each person on this team is a filmmaker & a unique creative voice in their own right. The love, passion, positivity and energy each and every person has brought to the process has been critical. Each person on the team has taken complete ownership of the film. For the last 3 years we have all experienced the joy of getting the chance to make this film and now we look forward to sharing it with the rest of the world. As my cricket role model - Sachin Tendulkar wisely said - Now its the time for the bat to do the talking! See you on @netflix_in at 12.30pm tomorrow. Special thanks to my friends and family who watched the rough cut of the film and gave their valuable inputs.

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जान्ह्वी कपूर की फ़िल्म देखने की खास वजह

गुंजन सक्सेना: द करगिल गर्ल को देखने की कई वजहें हैं. एक तो यह कि यह भारत की पहली महिला पायलट की असली कहानी पर आधारित फ़िल्म है, जिसमें फैमिली ड्रामा भी है, पायलट बनने का ख्वाब बुनने वाली एक लड़की का संघर्ष है एक पिता-बेटी का कहानी, जिसमें प्यार और हौसलों की भरमार है. इस फ़िल्म को आप जान्ह्वी कपूर के साथ ही पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी, विनीत कुमार सिंह और मानव विज जैसे कलाकारों के लिए देखें. बहुत दिनों बाद धर्मा प्रोडक्शंस ने एक ऐसी फ़िल्म बनाई है, जो इमोशनल और इंस्पायरिंग है. डायरेक्टर शरण शर्मा की खूबियों के लिए यह फ़िल्म देखें और आखिर में इसलिए देखें कि गुंजन सक्सेना फ़िल्म में एक्शन, इमोशन, पैशन और साहस के साथ ही बहुत कुछ है, जिससे आप जुड़ाव महसूस करेंगे.

 
 
 
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30th August 2018. The first meeting. @gunjansaxena123 @janhvikapoor #gunjansaxena #thekargilgirl

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