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Updated: 11 जून, 2021 11:09 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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साल 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों की पृष्ठभूमि पर लिखे गए मशहूर लेखक सत्य व्यास (Satya Vyas) के बेहतरीन उपन्यास 'चौरासी' (Chaurasi) पर आधारित वेब सीरीज 'ग्रहण' (Grahan) का ट्रेलर लॉन्च हो चुका है. 8 एपिसोड की इस सीरीज को 24 जून को ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज़्नी प्लस हॉटस्टार (Disney+ Hotstar) पर रिलीज किया जाएगा. 'ग्रहण' एक मासूम प्रेम कहानी, एक झिझोड़ने वाली मिस्ट्री और कई भावनाओं का जाल है, लेकिन इसकी गहराई में एक सच छिपा है. लेकिन कहते हैं ना एक सच के पीछे कई झूठ भी छिपे होते हैं. ये वेब सीरीज ऐसे ही झूठ और उसके पीछे छिपे रहस्य को परत-दर-परत उजागर करने का काम करती है.

'ब्लैक फ्राइडे' और 'सलीम लंगड़े पे मत रो' जैसी फिल्मों दमदार अदाकारी दिखा चुके अभिनेता पवन मल्होत्रा और फिल्म 'मुक्काबाज' और 'लाल कप्तान' फेम एक्ट्रेस जोया हुसैन के साथ इस सीरीज में अंशुमान पुष्कर, वमिका गब्बी, टीकम जोशी और सहीदुर रहमान प्रमुख किरदारों में नज़र आएंगे. इसका निर्देशन रंजन चंदेल ने किया है, जबकि शैलेंद झा शो रनर हैं, निर्माण जार पिक्चर्स ने किया है. 8 कड़ियों में बंधी वेब सीरीज 'ग्रहण' के जरिए इसके मेकर्स 84 के सिख विरोधी दंगों की दर्दनाक दास्तान दर्शकों के सामने ला रहे हैं. इसमें तीन दशक के अंतराल की दो कहानियां हैं, जो एक सच से बंधी हैं. इसी सच, झूठ और उनके रहस्य से पर्दा 24 जून को उठेगा.

1_650_061121094843.jpgवेब सीरीज 'ग्रहण' में अभिनेता पवन मल्होत्रा और एक्ट्रेस जोया हुसैन मुख्य भूमिकाओं में हैं.

'ग्रहण' की कहानी की एक छोटी सी झलक

वेब सीरीज 'ग्रहण' की कहानी एक युवा महिला आईपीएस अफसर के ईद-गिर्द घूमती है. जैसा कि पहले से ही पता है कि इसमें साल 1984 में हुए दंगों की कहानी दिखाई गई है, तो इसी की जांच कई वर्षों बाद दोबारा शुरू कराई जाती है. हालांकि, इस जांच के पीछे सियासी मंतव्य है, लेकिन इस जांच टीम की इंचार्ज अमृता सिंह (जोया हुसैन) इसे गंभीरता से लेती है. दंगों की जांच के लिए पुलिस टीम एक्टिव हो जाती है. इसी दौरान एक दंगाई की तस्वीर पुलिस के हाथ लगती है. उसे देखते ही अमृता सन्न रह जाती है. वो तस्वीर किसी और कि नहीं बल्कि उसके पिता गुरसेवक (पवन मल्होत्रा) की होती है. इसके बाद अमृता को अपना बचपन याद आता है.

झारखंड के बोकारो शहर में एसपी सिटी के पद पर तैनात इस महिला आईपीएस अफसर को याद आता है कि कैसे उसके पिता अपनी जवानी के दिनों में किसी फिल्मी हीरो की तरह हेयर स्टाइल रखते थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पूरी पहचान बदल दी थी. अमृता अपने पिता के पास जाकर उनका सच जानना चाहती है, लेकिन गुरसेवक कुछ भी बताने से इंकार कर देते हैं. पता नहीं कौन सा ऐसा राज है जिसे सीने में छिपाए पिता अपनी बेटी से सच नहीं बता पा रहा. आखिर वो क्या सच है, जिसे गुरसेवक ने अपनी बेटी और ज़माने छिपा रखा है और अभी भी उसे उजागर नहीं करना चाहता. इन सवालों के जवाब तो वेब सीरीज रिलीज़ होने के बाद ही मिलेंगे.

बाप-बेटी की दिल दहलाने वाली दास्तान

'ग्रहण' वेब सीरीज हिंसक अतीत के साथ बाप-बेटी की दिल दहला देने वाली दास्तान है. इसका हीरो है 60 साल का एक पिता (पवन मल्होत्रा) और हीरोइन है एक युवा लड़की (जोया हुसैन), जो पुलिस अफसर भी है. फिल्म या वेब सीरीज में पवन मल्होत्रा और जोया हुसैन ने अक्सर साइड रोल ही किया है, लेकिन इस बार उनको केंद्रीय किरदार मिला है, जिसमें दोनों ने अपनी बेहतरीन अदाकारी से जान डाल दिया है. एक पिता निर्दोष होते हुए भी कैसे अपने पर लगे दोष झूठला नहीं पाता, एक बेटी अपने पिता को कभी दोषी नहीं मान पाती, उसे अपने रिश्ते और फर्ज के बीच कैसे संघर्ष करना पड़ा, इन सभी भावों को दोनों कलाकारों ने बखूबी प्रकट किया है.

वास्तव में 'ग्रहण' उस भावनात्मक उथल-पुथल के बारे में है, जो दंगों की जांच के बीच व्यक्तिगत हो जाती है. दर्शक इसको अमृता के किरदार के जरिए देख सकते हैं. सभी पात्रों की पारस्परिक गतिशीलता, उनका बरताव और बारीक लेखन ही इसे डिजिटल दुनिया के किसी अन्य शो से बिल्कुल अलग बनाता है. अपनी वास्तविक भावनाओं को कैद करते हुए कहानी पात्रों के बीच जिस तरह से चलती है, वो वेब सीरीज के समग्र आकर्षण को बढ़ाती है. बतौर लीड कलाकार हॉटस्टार की इस सीरीज़ के साथ अपना डिजिटल डेब्यू करने के लिए तैयार जोया हुसैन ने एक महिला पुलिस अफसर के किरदार को जीवंत कर दिया है. IPS अमृता सिंह जहन में जिंदा रह जाती है.

'ग्रहण' उपन्यास 'चौरासी' पर आधारित

'बनारस टॉकीज' और 'दिल्ली दरबार' जैसी बेहतरीन पुस्तकें लिखने वाले सत्य व्यास जाने-माने लेखक हैं. ऐसा बहुत कम होता है, जब किसी फिल्म या वेब सीरीज की पहचान उसके लेखक से होती है. इससे पहले चेतन भगत के साथ ऐसा हो चुका है. उन्हीं की तरह वेब सीरीज 'ग्रहण' की पहचान भी उसके लेखक से हो रही है. वैसे हिंदी साहित्य के लिए ये सुखद समय है. 'ग्रहण' उपन्यास 'चौरासी' पर आधारित है. ये ऐसा उपन्यास है, जो दिल धड़काने और सांसें थामने का काम एक साथ करता है. चौरासी के सिख विरोधी दंगों पर हिन्दी में संभवतः यह पहला ही उपन्यास है, जो बहुत कम शब्दों में उस हिंसा का आंखों-देखा हाल सुनाने में सफल होता है.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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