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Updated: 25 अप्रिल, 2022 01:06 PM
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क्या क्रिकेट की कहानियां अब दर्शकों को प्रभावित नहीं कर पा रही हैं. पिछले कुछ महीनों के दौरान रणवीर सिंह की 83 और शाहिद कपूर की जर्सी का फ्लॉप हो जाना तो यही साबित करता है. दोनों फ़िल्में हर लिहाज से नाकाम साबित हुई. जबकि भारत में क्रिकेट को सिनेमा के बाद सबसे ज्यादा बिकने वाली चीजों में शुमार किया जाता है. यहां तो सिनेमा और क्रिकेट दोनों साथ था. दोनों फ़िल्में बढ़िया बजट में बनी थीं. 83 किसी तरह निर्माण लागत का आधा वसूल कर पाई और जर्सी पहले दो दिन में जिस तरह हाफ गई है, बजट का आधा भी वसूल करने में उसे दिक्कत होगी.

इन दो फिल्मों के फ्लॉप होने के बाद क्रिकेट की उन कहानियों पर प्रश्नचिन्ह लगता दिख रहा है जो निर्माणाधीन हैं. इस वक्त बॉलीवुड में करीब सात बड़े प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. क्रिकेट की ओरिजिनल कहानियों पर बनी फिल्मों की रिकॉर्डतोड़ सफलता के बाद निर्माता इन फिल्मों को बनाने के लिए आगे आए थे. वर्ना तो बॉलीवुड लंबे समय तक स्पोर्ट्स कहानियों से परहेज ही करता दिखता है. उसने कभी कभार स्पोर्ट्स फ़िल्में बनाई हैं. ज्यादातर कहानियां बड़े क्रिकेटर्स के जीवन पर आधारित हैं. और इनमें चोटी के एक्टर काम भी कर रहे हैं.

tapasi-pannu-650_042422074547.jpgअनुष्का शर्मा और तापसी पन्नू.

इन दिग्गज क्रिकेटर्स पर बन रही हैं फ़िल्में

बॉलीवुड क्रिकेट की जिन सात कहानियों पर काम कर रहा है उनमें- पहली कहानी तापसी पन्नू स्टारर शाबास मिठू है. यह फिल्म भारतीय महिला टीम की दिग्गज खिलाड़ी मिताली राज की बायोपिक है. अनुष्का शर्मा भी झूलन गोस्वामी की बायोपिक चकदा एक्सप्रेस कर रही हैं. रणवीर सिंह भी सौरव गांगुली के जीवन पर बन रही एक फिल्म कर रहे हैं. जान्हवी कपूर और राजकुमार भी क्रिकेट आधारित मिस्टर एंड मिसेज माही में नजर आने वाले हैं. क्रिकेट कोच की भूमिका में अभिषेक बच्चन को लेकर भी एक प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इन फिल्मों के अलावा कार्तिक आर्यन भी क्रिकेट पर बन रही एक फिल्म में नजर आ सकते हैं. चर्चा है कि इसके लिए वे काफी तैयारियां कर रहे हैं.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि फिल्मों का भविष्य क्या होगा? निश्चित ही क्रिकेट पर आधारित दो फिल्मों का हश्र बहुत बुरा है. जबकि इससे पहले पिछले दो दशक में लगान, एमएस धोनी:  अनटोल्ड स्टोरी, इकबाल, चैन कुली की मैन कुली, सचिन, फरारी की सवारी और जन्नत जैसी फिल्मों ने जबरदस्त कारोबार किया. इन फिल्मों की सफलता ने ही बॉलीवुड में क्रिकेट की कहानियां बनाने के बंद दरवाजे खोले. अब उन दरवाजों पर फिल्मों की असफलता से कुंडी लगती नजर आ रही है. आखिर इसकी वजह क्या है?

असफलता से बॉलीवुड को सबक लेने की जरूरत

इसकी वजह तलाशते हैं तो क्रिकेट की जिन कहानियों को दर्शकों ने नकार दिया उनमें वह भावना ही नजर नहीं आई जो इस विषय की फिल्मों की स्पिरिट है. उदाहरण के लिए 83 क्रिकेट में भारत के सबसे महान पलों पर बनाई गई फिल्म है. लेकिन उसकी कहानी में दर्शकों को थ्रिल मिला ही नहीं. फिल्म कई बार मूल मकसद से भटकी नजर आती है. कहानी ढीली है और कई गैर जरूरी प्रसंग फिल्म पर लाड दिए गए. नतीजा सामने है. ठीक इसी तरह शाहिद की जर्सी में भी वो स्पिरिट नहीं दिखती जो नानी की मूल तेलुगु फिल्म में नजर आई थी. मूल फिल्म में प्रेरणा और संघर्ष की इच्छा देखने लायक है. शाहिद की फिल्म का नतीजा बताने की जरूरत नहीं है. हालांकि इसी दौरान ओटीटी पर ही आई बायोपिक ड्रामा कौन प्रवीण तांबे ने जरूर खूब सुर्खियां बटोरी और क्रिकेट पर बनने वाले सिनेमा को लेकर उम्मीद जिंदा रखा है.

श्रेयस तलपड़े का स्टारडम बहुत बड़ा नहीं है. बावजूद कौन प्रवीण तांबे की बुनावट ने हर देखने वाले को सरहाना के लिए मजबूर किया. बॉलीवुड क्रिकेट आधारित जो फ़िल्में बना रहा है उनकी पकड़ बहुत मजबूत रहेगी तभी वह दर्शकों को प्रभावित करने में सक्षम होगी. ऐसा नहीं होगा तो भले ही देश में क्रिकेट को धर्म की तरह पूजा जाता हो, उसके सिनेमाई नतीजे निकलकर सामने नहीं आएंगे. चूंकि फ़िल्में अभी मेकिंग प्रोसेस में हैं तो यह उम्मीद करना चाहिए कि मेकर्स 83 और जर्सी की नाकामी से मिले सबक का ध्यान रखेंगे और फिल्मों को मास एंटरटेनर बनाने की कोशिश करेंगे.

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