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Updated: 07 अगस्त, 2022 01:24 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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घरेलू हिंसा जैसे गंभीर विषय पर कई हिंदी फिल्में बन चुकी हैं. इस फेहरिस्त में 'दमन', 'लज्जा', 'मेहंदी', 'अग्निसाक्षी', 'प्रोवोक्ड' और 'थप्पड़' जैसी फिल्मों का नाम शामिल किया जा सकता है. समय के साथ फिल्मों में घरेलू हिंसा का स्वरूप बदलता रहा है. पहले के फिल्मों में महिलाओं के साथ होने वाले हिंसक बर्ताव-व्यवहार को दिखाया जाता था. इनमें डरी-सहमी महिलाएं सबकुछ सहती हुई नजर आती थीं. लेकिन बाद की फिल्मों में महिलाओं को पति के हिंसक बर्ताव के खिलाफ प्रतिकार करते हुए दिखाया गया. उदाहरण के लिए तापसी पन्नू की फिल्म 'थप्पड़' को देखा जा सकता है. इसमें नायिका अपने पति के एक थप्पड़ के जवाब में उसकी चूले हिला देती है. अब एक नई फिल्म रिलीज हुई है, जिसमें घरेलू हिंसा को एक नए तरीके से पेश किया गया है. इसमें हिंसा की शिकार महिला डरती और सहती नहीं है, न ही पति से अलग होकर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती है, बल्कि उसके साथ रहते हुए उसको वैसा ही सबक सिखाती है, जैसा उसके साथ बर्ताव किया गया है. इस फिल्म का नाम 'डार्लिंग्स' है, जो कि नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है.

जसमीत के रीन के निर्देशन में बनी फिल्म 'डार्लिंग्स' में आलिया भट्ट, शेफाली शाह, विजय वर्मा, रोशन मैथ्यू, राजेश शर्मा और विजय मौर्य जैसे कलाकार अहम रोल में हैं. 'पति पत्नी और वो', 'फोर्स 2' और 'फन्ने खां' जैसी फिल्मों की कहानी लिखने वाली जसमीत इससे पहले इरफान खान की फिल्म 'गुस्ताखियां' को निर्देशित कर चुकी हैं. उन्होंने 'डार्लिंग्स' फिल्म के जरिए लोअर मिडिल क्लास के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक परिस्‍थ‍ितियों के बीच घरेलू हिंसा की समस्‍या को करीब से, लेकिन एक नए अंदाज में दिखाने की कोश‍िश की है. इससे पहले शायद ही किसी फिल्म में इस तरह से इतने गंभीर विषय को ट्रीट किया गया है. फिल्म में हिंसा के बदले हिंसा की बात कही गई है. यहां सीधे यह कहने कोशिश की गई है कि यदि पति अपनी पत्नी के साथ हिंसक बर्ताव करता है, तो उसकी पत्नी के पास भी इस बात का अधिकार है कि वो उसको उसी तरह सबक सिखाए. हालांकि, ये बहस का विषय का विषय हो सकता है. क्योंकि कुछ लोग इसे कानून अपने हाथ में लेकर हिंसा को बढ़ावा देना भी कह सकते हैं. ये ठीक उसी तरह है, जैसे कि खून के बदले खून की मांग की जाती है.

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फिल्म की कहानी

फिल्म 'डार्लिंग्स' के टीजर में 'मेंढक और बिच्छू' की कहानी के जरिए हाइप क्रिएट किया था. उसके बाद ल़ॉन्च हुए ट्रेलर में रहस्य और रोमांच को एक नई ऊंचाई प्रदान की गई थी. लेकिन फिल्म देखने के बाद कहानी अलग ही स्तर पर नजर आती है. ये एक ऐसे विषय पर आधारित है, जिसके बारे में इससे पहले न तो किसी ने सोचा होगा न ही देखा होगा. अभी तक पति-पत्नी के रिश्तों पर आधारित कई फिल्में बन चुकी हैं. इनमें प्यार, तकरार, घरेलू हिंसा और तलाक जैसे विषय शामिल रहे हैं. लेकिन पहली बार पति बनाम पत्नी के जानलेवा फेसऑफ में ऐसी कहानी पेश की गई है, जिसमें दोनों ही खलनायक हैं. यह तय कर पाना मुश्किल होता है कि दोनों में गलत और सही कौन है. कहानी की शुरूआत बदरुनिशा (आलिया भट्ट) और हमजा शेख (विजय वर्मा) की लव स्टोरी से होती है. बदरु से निकाह करने के लिए हमजा रेलवे में टीसी की नौकरी शुरू कर देता है. इसके बाद दोनों का निकाह हो जाता है. शुरू में तो सब ठीक चलता है, लेकिन बाद में हमजा को शराब की लत लग जाती है. शराब के नशे में वो आए दिन बदरु के साथ मारपीट करता है.

हर रोज मारपीट से तंग बदरु वो हर कोशिश करती है, जिससे कि दाम्पत्य जीवन सुखी हो जाए. लेकिन हमजा की हरकतों में सुधार नहीं होता. उसका जुल्म दिन प्रति दिन बढ़ता जाता है. बदरुनिशा की मां शमशुनिस्सा अंसारी (शेफाली शाह) उससे कहती है कि वो हमजा को छोड़ दे, वरना जिंदगी नर्क बन जाएगी. लेकिन बदरु नहीं मानती, उसे लगता है कि एक दिन हमजा जरूर सुधर जाएगा और उसे पहले की तरह प्यार करने लगेगा. इसी बीच बदरू प्रेग्नेंट हो जाती है. गुड न्यूज से पूरा परिवार खुश हो जाता है. लेकिन एक रात शराब के नशे में हमजा अपनी पत्नी को बुरी तरह मारता-पिटता है. इसकी वजह से बदरु का मिसकैरिज हो जाता है. ये घटना उसे हमेशा के लिए बदल देती है. बदरु हमजा से बदला लेने का फैसला कर लेती है. नींद की गोलियां खिलाकर उसे घर में ही बंधक बना लेती है. इसके बाद अपनी मां की मदद से उसके साथ उसी तरह का हिंसक बर्ताव करती है, जिस तरह हमजा उसके साथ करता रहता था. अंत में मां-बेटी हमजा को मारने का फैसला करते हैं. क्या बदरु और उसकी मां हमजा की हत्या कर देंगे? जानने के लिए फिल्म देखनी होगी.

फिल्म की समीक्षा

'डार्लिंग्स' की कहानी जसमीत के रीन ने परवेज शेख और विजय मौर्या के साथ लिखी है. 'मेंढक और बिच्छू' की रोचक कहानी के जरिए आलिया भट्ट के किरदार बदरुनिशा को मेढ़क और विजय वर्मा के किरदार हमजा शेख को बिच्छू बताया-दिखाया गया है. इसमें कोई दो राय नहीं कि घरेलू हिंसा जैसे गंभीर विषय को लेखक त्रय ने बहुत ही रोचक और दिलचस्प अंदाज में पेश करने की कोशिश की है. इसमें चुटीले संवादों के जरिए हास्य पैदा किया गया है. ट्रेजेडी के बीच कॉमेडी का जबरदस्त तड़का लगाया गया है. लेकिन कहानी की सुस्त रफ्तार सारा मजा किरकिरा कर देती है. जसमीत का कसा हुआ निर्देशन कहानी को रफ्तार दे सकता था, लेकिन यहां निर्देशक चूक गई हैं. हालांकि, आलिया भट्ट और शेफाली शाह ने अपनी अलहदा अदाकारी से पूरी फिल्म को अपने कंधों पर उठा लिया है. मां-बेटी के किरदार में दोनों अभिनेत्रियों ने कमाल का काम किया है. दोनों की केमिस्ट्री भी गजब की लग रही है. एक फ्रेम में दोनों को देखना सुखद लगता है. विजय वर्मा और रोशन मैथ्यू ने भी अपने अभिनय से इस डार्क कॉमेडी में विविध रंग भरने की पूरी कोशिश की है.

आलिया भट्ट की अदाकारी वक्त के साथ निखरती जा रही है. फिल्म 'गूंगबाई काठियावाड़ी' में अपने बेहतरीन अभिनय के जरिए दर्शकों का दिल जीतने के बाद नेपोटिज्म को ओवरशैडो करके बहुत आगे बढ़ चुकी हैं. फिल्म-दर-फिल्म उनके अभिनय का स्तर बढ़ता जा रहा है. फिल्म 'गली बॉय' की सकीना से लेकर 'डार्लिंग्स' की बदरुनिशा तक, उनका सफर अद्भुत दिखता है. शेफाली शाह भी अद्भुत अभिनय के लिए जानी ही जाती हैं. 'दिल्ली क्राइम', 'ह्यूमन' और 'जलसा' जैसी वेब सीरीज में अपने अभिनय का जौहर दिखा चुकी अभिनेत्री को एक बार फिर किसी क्राइम थ्रिलर में देखने का आनंद शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. हमजा शेख के किरदार में विजय वर्मा का अभिनय प्रदर्शन उतना निखर नहीं पाया है. विजय को 'मिर्जापुर' के दूसरे सीजन में त्यागीजी के किरदार में नई पहचान मिली थी. उसके बाद 'ओके कंप्यूटर' जैसी फिल्म की वजह से उनको अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी मिली थी. यही वजह है कि इस फिल्म में उनसे उम्मीदें ज्यादा थीं. जुल्फी के किरदार में रोशन मैथ्यू ज्यादा प्रभावशाली लगे हैं. कासिम के किरदार में राजेश शर्मा के पास करने के लिए बहुत कुछ नहीं है.

फिल्म देखें या नहीं?

हमारे आसपास ऐसी बहुत औरते हैं, जो हर रोज घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं. लेकिन कोई भी बदरुनिशा की तरह हिम्मत नहीं जुटा पाती. ऐसी औरतों के लिए बदरुनिशा की कहानी हिम्मत और साहस का संचार करने वाली है. कम से कम जलालत भरी जिंदगी से निकलने में उनकी मदद जरूर करेगी. हालांकि, यहां बदरुनिशा के बदले के तरीके पर बहस की गुंजाइश भी बनती है. फिल्म 'डार्लिंग्स' के 'ट्रेजेडी में कॉमेडी' के साथ आलिया भट्ट-शेफाली शाह की अलहदा अदाकारी और कमाल की केमिस्ट्री इसे देखने लायक बनाती है.

iChowk.in रेटिंग: 5 में 3.5 स्टार

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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