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Updated: 19 सितम्बर, 2022 04:56 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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डर के बाद हम रोमांच महसूस करते हैं. बाहर का डर हमारे भीतर के डर को कम करता है. हमें उसके प्रति मजबूत करता है. जैसे कि किसी समस्या पर जीत उसका सामना करके हासिल की जा सकती है, उसी तरह डर पर विजय उसका सामना करके ही पाया जा सकता है. मशहूर मनोवैज्ञानिक बिल हैरबी का कथन बिल्कुल सच है. डर के साथ होने वाले रोमांच को महसूस करने के लिए ही लोग हॉरर सिनेमा देखते हैं. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली फिल्म की कैटेगरी 'हॉरर कॉमेडी' ही है. पहले बी और सी ग्रेड की फिल्में हॉरर होती थी, लेकिन वक्त के साथ इसमें बदलाव आया है. बॉलीवुड के बड़े सितारे भी अब हॉरर फिल्में करते हैं. इसलिए ऐसी फिल्मों की संख्या तेजी बढ़ी है. इसी फेहरिस्त में एक नई वेब सीरीज 'दहन: राकन का रहस्य' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है.

विक्रांत पवार के निर्देशन में बनी वेब सीरीज 'दहन: राकन का रहस्य' में टिस्‍का चोपड़ा और सौरभ शुक्ला लीड रोल में हैं. उनके साथ राजेश तैलंग, मुकेश तिवारी, अंकुर नैयर, रोहन जोशी और लहर खान जैसे कलाकार भी अहम किरदारों में हैं. इस सुपरनैचुरल हॉरर वेब सीरीज की कहानी निसर्ग मेहता, शिवा बाजपेयी और निखिल नायर ने लिखी है. इस सीरीज में ये दिखाने की कोशिश की गई है कि विकास की रफ्तार को अंधविश्वास के जरिए प्रभावित किया जा सकता है. कुछ लोग अंधविश्वास का अपने निजी हित में फायदा उठाते हैं. वो लोगों को डराते हैं. उनको बरगलाते हैं. विकास की बात करने वालों के खिलाफ भड़काते हैं. इसके लिए जरूरत पड़ने पर जादू, टोने और तंत्र-मंत्र का भी इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि ऐसा करने में उनका खुद का फायदा होता है. हर गांव-कस्बों में इस तरह के लोग मिल जाते हैं.

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Dahan Raakan Ka Rahasya की कहानी

राजस्थान के एक काल्पनिक गांव शैलासपुरा, जिसको मुर्दों की धरती कहा जाता है. वहां ऐसी मान्यता है कि सदियों पहले एक मायावी ने शैलासपुरा गांव के लोगों को श्राप दिया था. उस मायावी की आत्मा गांव के पास एक पहाड़ी में कैद की गई है. यदि वो आत्मा बाहर आई तो हर तरफ तबाही मचा देगी. शैलासपुरा प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है. वहां की पहाड़ियों में प्राकृतिक खजाना छिपा है. इसमें कीमती खनिज और रसायन हैं, जो मेडिकल साइंस की दुनिया में क्रांति ला सकते हैं. एक प्राइवेट कंपनी सरकार की अनुमति से वहां माइनिंग का काम शुरू करना चाहती है. लेकिन स्थानीय लोग इसके लिए तैयार नहीं है. जबकि कहा जाता है कि वहां माइनिंग होने से गांव के लोगों की किस्मत पलट सकती है. उनकी तरक्की के दरवाजे-खिड़कियां खुल सकते हैं. लेकिन गांववाले डरे हुए हैं.

गांव के लोगों का डर है कि खुदाई की वजह से यदि मायावी जाग गया तो गांव और आस-पास के इलाके में तबाही आ जाएगी. लाशों के ढेर लग जाएंगे. गांव का प्रमुख स्वरूप (सौरभ शुक्ला) इस माइनिंग का सबसे ज्यादा विरोध करते हैं. सूबे की सरकार एक तेजतर्रार महिला आईएएस अफसर अवनि राउत (टिस्का चोपड़ा) को प्रशासनिक अधिकारी बनाकर वहां भेजती है. अविन को माइनिंग की जिम्मेदारी दी जाती है. वो गांव के सरपंच से मिलती है. लोगों को समझाती है. लेकिन कोई तैयार नहीं होता. प्रमुख गांव के लोगों से कहता है, ''अब मायावी आवेगो...अब मायावी आवेगो...अब मायावी आवेगो''. यह कहकर वो लोगों को लगातार डराने का काम करता है. लेकिन अविन पुलिस बल के सहारे माइनिंग का काम शुरू कर देती है. लेकिन प्रोजेक्ट स्थल पर हर दिन कोई न कोई अनहोनी होती है.

अजीबो-गरीब घटनाएं होने लगती हैं. कई लोगों की मौत हो जाती है. पत्रकार डीएम से सवाल करते हैं कि यदि इन सबके पीछे मायावी नहीं है, तो क्या है. आखिर इस तरह की घटनाएं क्यों और कैसे हो रही है. खुद अवनि को भी इसके पीछे की वजह समझ में नहीं आती. क्या सच में किसी मायावी शक्ति का इन घटनाओं से संबंध है? क्या प्रमुख की बातें सही हैं कि माइनिंग की वजह से मायावी जग चुका है और तबाही मचाने के लिए आ रहा है? इन सभी रहस्यों को यदि जानना है तो इसके लिए वेब सीरीज देखनी होगी.

Dahan Raakan Ka Rahasya की समीक्षा

9 एपिसोड की वेब सीरीज 'दहन: राकन का रहस्य' एक शापित भूमि की अप्रत्याशित सवारी पर ले जाने का एक प्रयास है, जहां विश्वास-अविश्वास, तथ्य-अंधविश्वास और अच्छाई-बुराई समाहित हो जाते हैं. दहन का मुख्य प्लॉट अंधविश्वास और तथ्यों के बीच लड़ाई पर आधारित है. लेकिन प्लॉट विशिष्ट पात्रों और उनके सबप्लॉट्स के साथ बहुस्तरीय भी है. निर्देशक विक्रांत पवार के साथ लेखकों की टीम ने बढ़िया काम किया है. साधारण कहानी होते हुए भी असाधारण है, जो हर पल रोमांच महसूस कराती रहती है. सिनेमैटोग्राफी एग्रेड सिनेमा की याद दिलाती है. वीएएफक्स का भी बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है. कई हॉरर सीन वीएफएक्स की मदद से बेहद डरवाने बन पड़े हैं. हर एपिसोड आपकी धारणाओं को तोड़ देगा और आपको इसके विकास के साथ एक आश्चर्यजनक मोड़ देगा. सीरीज एक शॉकिंग नोट पर शुरू होती है और अंत भी उसी तरह से हैरतअंगेज है.

वेब सीरीज के कलाकारों के अभिनय प्रदर्शन की जहां तक बात है तो सभी ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है. सबसे बेहतरीन टिस्का चोपड़ा और सौरभ शुक्ला लगे हैं. मुकेश तिवारी और राजेश तैलंग की उपस्थिति भी सराहनीय है. एक महिला आईएएस अफसर जो अपनी व्यक्तिगत जिंदगी से परेशान है, वो अंधविश्वास और उसके पोषकों से लड़ते हुए किस तरह विकास कार्यों को रफ्तार देती है, उसे टिस्का ने अवनी के किरदार में सुंदर तरीके से पेश किया है. गांव के प्रमुख के किरदार में सौरभ शुक्ला की मौजूदगी सीरीज का सबसे मजबूत पक्ष है. उनकी संवाद अदायगी सीरीज को जीवंत कर देती है. अंकुर नैयर, रोहन जोशी और लहर खान ने अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है. यदि आपने साल 2018 में रिलीज हुई हॉरर फिल्म 'तुम्बाड' देखी है और उसी तरह का रोमांच एक बार फिर देखना चाहते हैं, तो आपको ये सीरीज जरूर देखनी चाहिए.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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