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Updated: 30 अक्टूबर, 2022 03:03 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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''कितना कुछ टूटने लगता है, शरीर और मन के अंदर, घर में और घर के बाहर, जब घर का अकेला कमाऊ मुखिया, बीमार पड़ता है, वक्त ठहर जाता है''...बीमारी और उसके प्रभाव को बताने के लिए अर्पण कुमार की कविता की ये चंद लाइने काफी हैं. बीमारी अक्सर इंसान को तोड़ देती है. इंसान ही नहीं उसके साथ मौजूद पूरे परिवार को बुरी तरह से प्रभावित करती है. ऐसे हालात में बीमार के साथ उसके परिजनों को भी प्रेरणा की जरूरत होती है. बॉलीवुड में ऐसी कई फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें गंभीर बीमारियों पर आधारित कहानियां पेश की गई हैं. इनमें 'गजनी', 'आनंद', 'हिचकी', 'पीकू', 'तारे जमीन पर', 'माय नेम इज खान' और 'शुभ मंगल सावधान' जैसी फिल्मों का नाम प्रमुख है. इसी तरह की एक वेब सीरीज 'झांसी' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है, जिसमें एमनेसिया नामक बीमारी को दिखाया गया है.

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आइए बॉलीवुड की उन फिल्मों के बारे में चर्चा करते हैं, जो गंभीर बीमारियों पर बनी हैं...

1. फिल्म- गजनी

बीमारी- एमनेसिया

कहां देख सकते हैं- Zee5

प्रेरणा क्या मिलती है- प्रेम में बहुत ताकत होती है, जो इंसान को असंभव कार्य भी करने के लिए प्रेरित करती है.

2008 में रिलीज हुई फिल्म 'गजनी' एमनेसिया से ग्रसित एक शख्स संजय सिंघानिया की जिंदगी पर आधारित है. इस किरदार को आमिर खान ने निभाया था. फिल्म 2005 में रिलीज हुई तमिल फिल्म की हिंदी रीमेक है, जिसका निर्देशन ए.आर मुरुगदोस ने किया है. इसमें आमिर खान के साथ असिन, जिया खान, टीनू आनन्द, प्रदीप रावत, खालिद सिद्दकी मुख्य भूमिका में हैं. एक बड़ी कंपनी का मालिक संजय सिंघानिया कल्पना (असीन) नामक एक मॉडल से प्रेम करता है. उसकी प्रेमिका को नहीं पता कि वो इतना बड़ा आदमी है. संजय अपनी पहचान छुपाकर उसके साथ रहता है. लेकिन एक दिन जानलेवा हमले में वो अपनी यादाश्त खो देता है. उसकी प्रेमिका की हत्या हो जाती है. इतना ही नहीं शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस का शिकार भी हो जाता है. हर 15 मिनट में उसकी यादाश्त चली जाती है. इसके बावजूद वो अपने दुश्मनों से एक-एक करके बदला लेता है.

2. फिल्म- माय नेम इज खान

बीमारी- एस्पर्गर सिंड्रोम

कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो

प्रेरणा क्या मिलती है- किसी गंभीर बीमारी के साथ भी उपलब्धि हासिल की जा सकती है.

करण जौहर के निर्देशन में बनी फिल्म 'माय नेम इज खान' एस्पर्गर सिंड्रोम नामक बीमारी पर आधारित है. इस बीमारी के शिकार लोग समाज में घुलना-मिलना ज्यादा पसंद नहीं करते. उन्हें दूसरों से बात करने में परेशानी होती है. किसी एक ही चीज को करते रहते हैं. एक ही बात को बार-बार दोहराते हैं. इस सिंड्रोम में बातचीत करने में समस्या होने के साथ-साथ भाषा ज्ञान का भी सही तरह से विकास नहीं हो पाता है. बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने इस बीमारी से पीड़ित शख्स की भूमिका निभाई थी. 'माई नेम इज रिजवान खान एंड आई एम नाट अ टेरेरिस्ट' यानी 'मेरा नाम रिजवान खान है और मैं आतंकवादी नहीं हूं' फिल्म के ये डॉयलाग बहुत मशहूर हुआ था. इस किरदार के लिए शाहरुख खान को बेस्ट एक्टर का फ़िल्म फेयर अवार्ड भी मिला था. इसमें अमेरिका में 9/11 की घटना के बाद मुस्लिमों के साथ होने वाले बर्ताव पर प्रकाश डाला गया.

3. फिल्म- शुभ मंगल सावधान

बीमारी- इरेक्टाइल डिसफंक्शन

कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो

प्रेरणा क्या मिलती है- पुरुषों में भी सेक्शुअल समस्याएं होती हैं. इनके बारे में बात करना जरूरी है.

साल 2017 में रिलीज हुई फिल्म शुभ मंगल सावधान की कहानी इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानि पुरुषों में होने वाले गुप्त रोग पर आधारित है. दरअसल, कुछ पुरूषों में संतोषजनक संभोग के लिए लगातार पर्याप्त इरेक्शन नहीं होता है, जिसे इरेक्टाइल डिसफंक्शन कहा जाता है. इसे नपुंसकता भी कहा जाता है. यह पुरुषों से संबंधित एक बड़ी समस्या है, लेकिन इसके बारे में बात करने पर आज भी लोग डरते हैं. इस फिल्म में आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर लीड रोल में हैं. आयुष्मान खुराना के किरदार मुदित को यही बीमारी होती है. शादी के बाद जब उसकी पत्नी सुंगधा को इसके बारे में पता चलता है, तो वो उसका साथ देती है. वास्तविक जिंदगी में हमने इस बीमारी की वजह से कई घरों को टूटते हुए देखा है. कई संबंधों को अवैध होते हुए भी देखा जाता है. इसलिए समय रहते इसके समाधान की जरूरत है.

4. फिल्म- तारे जमीन पर

बीमारी- डिस्लेक्सिया

कहां देख सकते हैं- नेटफ्लिक्स

प्रेरणा क्या मिलती है- बच्चों को समझना बहुत जरूरी है. उनकी रुचि के क्षेत्र में उनको आगे बढ़ाना चाहिए.

साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म 'तारे जमीन पर' की कहानी डिस्लेक्सिया नामक डिसऑर्डर पर आधारित है. इस फिल्म को हर मां-बाप और टीचर को जरूर देखना चाहिए. हर बच्चे को एक ही तराजू में तौलने वाला हमारा एजुकेशन सिस्टम स्पेशल बच्चों की जरूरत और अहमियत को नज़रअंदाज़ कर देता है. इस फिल्म में ईशान अवस्थी (दर्शील सफारी) डिस्लेक्सिया डिसऑर्डर से पीड़ित है. उसे पढ़ाई में ध्यान लगाने और विषयों को समझने में दिक्कत आती है. लेकिन जब उसे अपनी पसंद और रुचि का काम यानि ड्रॉइंग मिलता है, तो उसे मन से करता है. उसकी इस समस्या को उसके टीचर रामशंकर निकुंभ (आमिर ख़ान) समझ जाते हैं और उसे उसकी रुचि की दिशा में ही आगे बढ़ाते हैं. इस फिल्म को आमिर खान और अमोल गुप्ते ने मिलकर निर्देशित किया था. इसे कई फिल्म पुरस्कार भी मिले थे.

5. फिल्म- आनंद

बीमारी- कैंसर

कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो

प्रेरणा क्या मिलती है- 'जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं', यह फिल्म सीखाती हैं कि ज़िन्दगी के हर लम्हे को खुलकर जीना चाहिए.

12 मार्च 1971 में सुपरस्टार राजेश खन्ना और महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म 'आनंद' रिलीज़ हुई थी. इसे मशहूर डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी ने निर्देशित किया था. इस फिल्म में आज से 40 साल पहले कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी की खौफनाक कहानी लोगों के सामने पेश की गई थी. इसमें राजेश खन्ना ने आनंद नामक शख्स का किरदार निभाया है, जो ब्लड कैंसर पीड़ित होता है. अमिताभ बच्चन ने एक डॉक्टर का रोल किया है. यह जानते हुए भी कि कैंसर की बीमारी की वजह से उनकी मौत निश्चित है, जिंदगी के प्रति आनंद का नजरिया खूब पसंद किया गया था. बिगबी की एक सख्त और फिर बाद में दोस्त बन जाने वाले डॉक्टर के तौर पर खूब तारीफ हुई थी. इतना ही नहीं इस फिल्म ने लोगों को कैंसर के बारे में सुनने, समझने और बात करने के लिए प्रेरित किया. इससे पहले लोग बीमारी के प्रति उतने गंभीर नहीं थे.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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