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Updated: 29 अक्टूबर, 2022 03:26 PM
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इसमें कोई संदेह नहीं कि घमंड में चूर बॉलीवुड फिलहाल घुटनों पर आ चुका है. बॉलीवुड के बड़े-बड़े निर्माताओं को जिन बड़बोले हिंदी सितारों के स्टारडम पर भरोसा हुआ करता था, वह पिछले कुछ महीनों में लगातार असफलताओं की वजह से चकनाचूर हो गया है. बॉलीवुड के बड़े निर्माता कारोबारी साख बचाने के लिए अब दक्षिण में शरणागत दिखते हैं. उन्हें लगता है कि दक्षिण के सितारों को जिस तरह हिंदी बेल्ट में हाथोंहाथ लिया गया है, कास्ट करने भर से टिकट खिड़की पर उनकी फिल्मों की नैया पार लग जाएगी. इस दिशा में लाइगर, ब्रह्मास्त्र और लाल सिंह चड्ढा जैसी फ़िल्में नजर भी आईं. दक्षिण के सितारों के जरिए फिल्मों के प्रमोशन की रणनीति भी दिखी. मगर टिकट खिड़की पर उसका नतीजा क्या रहा, शायद ही बताने की जरूरत है.

इस बीच बॉलीवुड से दो दिलचस्प चर्चाएं मौजूदा दौर के हालात समझाने के लिए पर्याप्त हैं. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक जावेद अख्तर के बेटे फरहान अख्तर का बैनर राकेश ओमप्रकाश मेहरा के निर्देशन में महाभारत से कर्ण की कथा को केंद्र में रखकर एक भव्य फिल्म बनाने की तैयारी में है. कहा जा रहा कि कर्ण की मुख्य भूमिका के लिए यश को ऑफर मिला है. एक और चर्चा है कि करण जौहर की ब्रह्मास्त्र 2 में देव की भूमिका के लिए भी यश को अप्रोच किया जा रहा है. ब्रह्मास्त्र 2 बनेगी या नहीं या इसका काम कब शुरू होगा यह बात की बात है मगर कास्टिंग को लेकर ऐसी चर्चाओं की कमी नहीं है.

yash-brahmastra_650_102822080018.jpgकेजीएफ़ 2 में यश.

इससे पहले कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया कि ब्रह्मास्त्र 2 में देव की भूमिका रणवीर सिंह करेंगे. हालांकि यह चर्चा तब आई थी जब सिनेमाघरों में फिल्म शुरुआती हफ़्तों में थी, माना जा सकता है कि तब ऐसी चर्चाओं का मकसद ब्रह्मास्त्र 2 को बनाने ना बनाने से कहीं ज्यादा फिल्म के पक्ष में नई-नई चर्चा तैयार करने का पीआर हथकंडा था. क्योंकि कई हफ़्तों के बाद ब्रह्मास्त्र 2 को लेकर मामला अब तक ठंडा ही दिखा है. वैसे यश की कास्टिंग को लेकर करण जौहर की सफाई भी आ चुकी है. उन्होंने कहा है कि केजीएफ फेम स्टार यश और ब्रह्मास्त्र को लेकर जो कुछ कहा जा रहा है वह महज अफवाह भर है और कुछ नहीं. टाइम्स से इंटरव्यू में जौहर ने यह भी कहा कि ब्रह्मास्त्र 2 के लिए अभी उन्होंने किसी स्टार से संपर्क नहीं किया है.

जब यश को कास्ट नहीं किया जा रहा फिर चर्चाओं का मकसद क्या हो सकता है?

अब सवाल है कि जब यश को कास्ट नहीं किया जा रहा तो इन चर्चाओं का मकसद क्या है? कई मकसद हो सकते हैं जिसमें से एक तो यही कि यश के नाम के जरिए फ्रेंचाइजी बज बनाया जा रहा है. ब्रह्मास्त्र से यश के जुड़ने की चर्चा भर ने खबरों को सोशल मीडिया पर ट्रेंड करा दिया. यश का स्टारडम ही ऐसा है कि ब्रह्मास्त्र और कर्ण से जुड़ी सैकड़ों खबरें दिख रही हैं. ट्रेंडिंग टॉपिक तो बन ही गया. बॉलीवुड में पीआर का यह हथकंडा पुराना है. ब्रह्मास्त्र 2 के बनने की जब प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, तभी से है. रिलीज के बाद दूसरे पार्ट की तारीखें भले ना अनाउंस की गई हों, मगर निर्माताओं ने आधिकारिक रूप से कभी यह नहीं कहा कि वे फ्रेंचाइजी को आगे नहीं बनाएंगे. बल्कि पहली फिल्म के निर्माण से पहले तीन पार्ट में बनाने की बातें ही कही गईं. इसी तरह फरहान का बैनर कर्ण बना रहा है. कर्ण की पहले चर्चा नहीं हुई. लेकिन यश की वजह से समूचे देश ने जान लिया कि फरहान अख्तर कर्ण बना रहे हैं.

जहां तक चर्चाओं के शुरू होने का सवाल है यह असल में बॉलीवुड की प्रतिष्ठित वेबसाइट पिंकविला की वजह से है. पिंकविला ने सूत्रों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि ब्रह्मास्त्र 2 और कर्ण के लिए यश को ऑफर मिला है. भारतीय सिनेमा के लिए यह मामूली खबर नहीं थी. आज की तारीख में यश का स्टारडम आसमान पर है. उनकी केजीएफ फ्रेंचाइजी ने टिकट खिड़की के मायने बदल दिए. खैर, दोनों प्रोजेक्ट में यश की कास्टिंग की चर्चा से एक बात पूरी तरह साफ़ है कि प्रोजेक्ट पर काम करने की इच्छा है और उसके पक्ष में माहौल बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है. ब्रह्मास्त्र पर तो करण जौहर की सफाई आ चुकी है, हो सकता है कि कर्ण को लेकर भी चीजें साफ़ हों.

पीआर के मामले में उस्ताद है बॉलीवुड, अब दक्षिण के भरोसे ही जिंदा होने की कोशिश

इसे फिलहाल पीआर हथकंडा ही मानना चाहिए. इसलिए कि फिल्म बनने से पहले फ्रेंचाइजी के प्रति लोगों की दिलचस्पी बने और फिलहाल यश से बेहतर नाम और क्या हो सकता है जिन्हें देश के कोने-कोने से बच्चा बच्चा पहचानने लगा है. बॉलीवुड के कुछ सितारों को कास्ट करने का मतलब है कि फिल्म का बायकॉट शुरू हो जाना और आज की तारीख में बॉलीवुड का कोई निर्माता नहीं चाहेगा कि उसकी फिल्म का विरोध किया जाए. दावे से नहीं कहा जा सकता कि यह पीआर हथकंडा ही है मगर बॉलीवुड में पहले पीआर एजेंसियां इस तरह की चर्चाओं को तैयार करते दिखी हैं. कई विवाद भी खड़े किए जाते हैं और उनके जरिए भी फिल्म का प्रमोशन होता है. तमाम उदाहरण गिनाए जा सकते हैं.

यश की कास्टिंग को लेकर हो रही चर्चा की दूसरी बड़ी बात यह भी है कि बॉलीवुड के निर्माताओं को अब अपने सितारों से बहुत उम्मीद नहीं है. जिस तरह बड़े बड़े तीस मारखां सितारों की फ़िल्में पिछले कुछ महीनों में धराशायी हुई हैं- निर्माता बॉलीवुड सितारों से नाउम्मीद हैं और दक्षिण के सितारों की तरफ ललचाकर ताक रहे हैं. हालांकि इस फ्रंट पर भी वे नाकाम साबित हुए हैं. उदाहरण के लिए लाइगर में करण जौहर ने विजय देवरकोंडा को कास्ट किया अथा बावजूद फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हो गई. ठीक इसी तरह लाल सिंह चड्ढा में आमिर खान ने नागा चैतन्य को लिया था और यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर हादसा साबित हुई. ब्रह्मास्त्र में भी नागार्जुन थे पर फ़िल्म के बॉक्स ऑफिस को लेकर अब तक कुछ भी आधिकारिक रूप से साफ़ नहीं हो पाया है.

यश बॉलीवुड के दोनों प्रोजेक्ट में हों या ना हों, लेकिन चर्चाओं से इतना पता चलता है कि बॉलीवुड के गलियारे में अब किसी हिंदी प्रोजेक्ट के किए दक्षिण के दमदार सितारों के विकल्प पर गंभीरता से मंथन तो चल रहा है. हो भी क्यों ना? हिंदी बेल्ट में प्रभास, धनुष, राम चरण, जूनियर एनटीआर, अल्लू अर्जुन, यश और हाल ही में ऋषभ शेट्टी ने बहुत बड़ी पहचान हासिल की है. हिंदी बेल्ट के दर्शक उन्हें चाहते हैं. और बॉलीवुड फिल्मों की बजाए उनकी फिल्मों को देखने के लिए सिनेमाघर जाते नजर आ रहे हैं.

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