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Updated: 18 अगस्त, 2021 05:12 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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बॉलीवुड और पॉलीवुड के बीच बहुत गहरा रिश्ता रहा है. अफगान सिनेमा 'पॉलीवुड' के नाम से जाना जाता रहा है. अफगानिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों को बहुत पसंद किया जाता है. सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसे कई वीडियोज देखने को मिल जाएंगे, जिनमें अफगानी लोग बॉलीवुड की फिल्मों की तारीफ करते हुए नजर आ जाएंगे. यही वजह है कि अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, श्रीदेवी के बाद शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान जैसे सितारे वहां बहुत मशहूर हैं. वहां के सिनेमाघरों में कई फिल्में रिलीज होती रही हैं, लेकिन जो नहीं हो पातीं उनकी पाइरेटेड सीडी और कैसेट तक खूब बिका करते थे.

अफगानिस्तान में आज भी ज्यादातर लोग बॉलीवुड फिल्में देखकर ही हिंदी सीखे हैं. अफगानिस्तान में केवल फिल्में ही नहीं बल्कि टीवी सीरियल भी मशहूर रहे हैं. साल 2001 में अमेरिकी और नाटो सेना के अफगानिस्तान आने और तालिबान शासन के खात्मे के बाद जब सिनेमा पर से पाबंदी हटी तो यहां एकता कपूर के टीवी सीरियल 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' और 'कहानी घर घर की' काफी मशहूर हो गए थे. इन सीरियल्स की पॉपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वहां के बाजारों में स्मृति ईरानी और साक्षी तंवर के किरदारों 'तुलसी' और 'पार्वती' के पोस्टर बाजारों में खूब बिका करते थे.

ab-650_081721115407.jpgअफगानिस्तान में तालिबान की सरजमीं पर शूट हुई फिल्म खुदा गवाह वहां बहुत लोकप्रिय हुई थी.

तालिबान द्वारा एक बार फिर अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कला, संस्कृति, सिनेमा और संगीत पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. अपने पहले शासन काल में भी तालिबान ने सिनेमा और संगीत पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी. हालांकि फिर भी अफगानिस्तान के लोगों के दिलों में बॉलीवुड के लिए प्यार जिंदा रहा. 20 साल पहले तालिबान पर अमेरिका के हमले के बाद अफगानिस्तान में एक बार फिर खुला माहौल नजर आने लगा. इसके बाद लोग एक बार फिर बॉलीवुड फिल्मों की तरफ आकर्षित होने लगे. तालिबान का शासन लौटने पर एक बार फिर पुराने हालात वापस आ सकते हैं.

फिल्म 'खुदा गवाह' जिसने 'अफगान' से रूबरू कराया

सही मायने में हिंदुस्तान से अफगानिस्तान का असली परिचय फिल्म 'खुदा गवाह' के जरिए हुआ था. सही के महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म 'खुदा गवाह' साल 1992 में रिलीज हुई थी. इसमें अमिताभ का किरदार 'बादशाह खान', श्रीदेवी का 'बेनजीर' और डैनी का रोल 'खुदा बख्श' अफगानी दिखाए गए थे. फिल्म की ज्यादातर शूटिंग अफगानिस्तान के शहर मजार-ए-शरीफ, कंधार, काबुल और इनके आसपास के इलाकों में हुई थी. इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी को अफगानिस्तान में हद से ज्यादा मशहूर बना दिया था. अफगानिस्तान के ज्यादातर लोग अमिताभ बच्चन को पहचानते हैं.

अफगान राष्ट्रपति ने बिग बी का खूब किया सम्मान

हालत ये थी कि अमिताभ बच्चन और डैनी डेंजोंगप्पा को देखते ही वहां लोगों ने उन्हें अपने कंधों पर बिठा लिया. फिर शहर में घुमाया. इतना ही नहीं तत्कालीन राष्ट्रपति नजीबुल्ला अहमदजई ने अमिताभ बच्चन का स्वागत किसी राष्ट्राध्यक्ष की तरह किया था. बिग बी सहित पूरी फिल्म यूनिट की सुरक्षा के लिए लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले सैन्य हेलीकॉप्टर और अपना निजी सुरक्षा दस्ता मुहैया करा दिया था. साल 1992 में सोवियत संघ के टूटते ही नजीबुल्लाह की सरकार चली गई. इसके बाद में अफगानिस्तान में गृह युद्ध छिड़ गया. साल 1996 में तालिबान ने नजीबुल्लाह को सरेआम फांसी पर लटका दिया था.

बुद्ध की प्रतिमाओं के बीच शूट हुई थी 'धर्मांत्मा'

फिल्म 'खुदा गवाह' से काफी पहले साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म 'धर्मांत्मा' अफगान‍िस्तान में शूट हुई थी. यह वहां शूट होने वाली बॉलीवुड की पहली हिंदी फिल्म मानी जाती है. इसे फिल्म एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर फिरोज खान ने बनाई थी. फिल्म में अफगान‍िस्तान की बेहद शानदार जगहों को दिखाया गया था. धर्मांत्मा का गाना 'क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो' अफगान‍िस्तान के 'बामिया बुद्धाज' में शूट किया गया था. हालांकि बाद में ताल‍िबान ने बुद्ध की प्रतिमाओं को ध्वस्त कर दिया था. फिरोज खान अफगान‍िस्तान के ही रहने वाले वहां के पठान थे, इसलिए उनको इस मुल्क से बेहद लगाव था.

फिरोज खान को अफगान की मिट्टी से लगाव था

यही वजह है कि फिरोज खान को जब अपने बेटे फरदीन खान को बॉलीवुड में लॉन्च करना था, तो उन्होंने फिल्म 'जानशीं' बनाई थी, जिसकी अधिकांश शूटिंग अफगानिस्तान में ही हुई थी. इस रोमांट‍िक थ्र‍िलर फिल्म में फरदीन खान के अपोजिट एक्ट्रेस सेलिना जेटली थी. हालांकि, जब इस फिल्म की शूटिंग के लिए फिरोज खान अफगान‍िस्तान पहुंचे तो वहां के हालात उनकी पहली फिल्म की शूटिंग के दौरान से बिल्कुल अलग थे. उस वक्त अफगान‍िस्तान सरकार और ताल‍िबान के बीच जंग का माहौल था. इतने बड़े खतरे के बावजूद फिरोज खान ने अफगान‍िस्तान में अपनी फिल्म को बनाने का फैसला ले लिया था.

मौत के साए में हुई थी 'काबुल एक्सप्रेस' की शूटिंग

90 के दशक के बाद के हिस्से में पहली बॉलीवुड फिल्म जिसकी शूटिंग अफगानिस्तान में हुई उसका नाम 'काबुल एक्सप्रेस' था. इस फिल्म में जॉन अब्राहम और अरशद वारसी मुख्य भूमिका में थे. इसका काफी हिस्सा अफगान‍िस्तान की राजधानी काबुल में फिल्माया गया था. साल 2006 में रिलीज यह फिल्म, उस समय आई थी जब अफगानिस्तान से ताल‍िबान की दहशत खत्म तो हो गई थी, लेकिन खतरा बना हुआ था. फिल्म की शूट‍िंग ग्रीन पैलेस, बाला हिस्सार फोर्ट, दारुल अमन पैलेस और पंजशीर घाटी में हुई थी. फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान को उस वक्त तालिबान से मौत की धमकियां मिली थी.

अफगानिस्तान में शूट हुई आखिरी फिल्म थी 'तोरबाज'

तालिबान दहशत कायम होने के बाद आखिरी फिल्म जो अफगानिस्तान के कुछ इलाकों में शूट हुई, उसका 'तोरबाज' नाम था. चाइल्ड सुसाइड बॉम्बर के प्लाट पर बनी इस फिल्म में संजय दत्त लीड रोल में थे. फिल्म के कुछ हिस्से अफगानिस्तान में शूट किए गए थे. साल 2017 में अफगानिस्तान में फिल्म शूट हुई थी और उसे 2019 में रिलीज होना था, लेकिन कोरोना के चलते इसे साल 2020 में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करना पड़ा था. इस फिल्म के निर्देशक गिरीश मल‍िक हैं. इसमें संजय दत्त के साथ नरगिस फाखरी और राहुल देव जैसे कलाकार नजर आए थे. फिल्म की कहानी चाइल्ड सुसाइड बॉम्बर्स पर आधारित थी.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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