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Updated: 15 नवम्बर, 2021 07:32 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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ओवर द टॉप यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, जी5 और डिज्नी प्लस हॉटस्टार की वजह से भारतीय सिनेमा में तेजी से बदलाव हो रहा है. पिछले कुछ समय से वेब सीरीज ने हमारे कंटेंट के कंज्यूम करने के तरीके को भी बदला है. अधिकांश वेब सीरीजों में जिस तरह कंटेंट, कास्टिंग और कहानियों के ट्रीटमेंट किया जाता है, वो बॉलीवुड फिल्मों से बिल्कुल अलग और बेहतर है. यही वजह है कि दर्शकों को अधिक मनोरंजन करने में कामयाब भी है. इनके सबसे बीच यह भी सच जरूर है कि वेब सीरीज और बॉलीवुड फिल्में पूरी तरह एक जैसी नहीं हो सकती, लेकिन बॉलीवुड फिल्म मेकर्स वेब सीरीज से बहुत कुछ सीख सकते हैं.

2_650_111521064457.jpgवेब सीरीज की बढ़ृती हुई डिमांड को देखते हुए बड़े फिल्मी सितारे भी ओटीटी का रुख कर चुके हैं.

1. स्टार की जगह एक्टर को अहमियत

बॉलीवुड फिल्में अक्सर बड़े सुपरस्टारों जैसे सलमान खान, शाहरुख खान, अक्षय कुमार और अजय देवगन के भरोसे चलती रही हैं. फिल्म मेकर्स इन्हीं एक्टरों को केंद्र में रखते हुए कहानी तैयार करके फिल्में बना देते हैं. उनकी नजर में फिल्म के हीरो और हिरोइन की अहमियत ज्यादा रहती है. लेकिन इसके ठीक विपरीत वेब सीरीज में सुपरस्टार की जगह एक एक्टर को अहमियत दी जाती है. वेब सीरीज का नायक पहले से महानायक नहीं होता है, लेकिन कंटेंट की बदौलत सुपरस्टार बन जाता है. ऐसे कई कलाकार हैं जो बॉलीवुड फिल्मों में दोस्त, पिता, माता और भाई-बहन के किरदार में दिखाई देते रहे, उन्होंने वेब सीरीज में अपने अभिनय की बदौलत आज स्टारडम हासिल कर लिया है. वेब सीरीज 'द फैमिली मैन' में मनोज बाजयेपी, 'मिर्जापुर' में पंकज त्रिपाठी, 'दिल्ली क्राइम' में शेफाली शाह ने अपने दमदार परफॉर्मेंस की बदौलत फिल्म इंडस्ट्री में एक नया मुकाम हासिल कर लिया है. वरना एक वक्त था जब मनोज बाजपेयी के पास कोई काम नहीं था, पंकज त्रिपाठी साइड रोल किया करते थे और शेफाली शाह मां का किरदार किया करती थीं. ऐसे ही सुष्मिता सेन जैसे कई कलाकार जो सिनेमा से गायब हो गए थे, वेब सीरीज के जरिए कमबैक कर चुके हैं.

2. बेवजह संगीत से परहेज

एक वक्त था जब गीत-संगीत हिंदी फिल्मों की जान हुआ करती थी. याद कीजिए 70 से लेकर 90 के दशक तक का दौर, एक से बढ़कर एक गाने बना करते थे. लता मंगेशनकर, मो. रफी, किशोर कुमार और मुकेश जैसे गायकों के गाने आज भी लोग खूब सुनते हैं. अलका याज्ञनिक, कविता कृष्णमुर्ती और उदित नारायण के गाए हुए गानों का जादू आज भी लोगों के सिर चढ़कर बोलता है. लेकिन बाद के दौर में फिल्मों के अंदर गाने बोझ से नजर आने लगे. जबरदस्ती संगीत को ठूसा जाने लगा. आइटम नंबर तो सबसे ज्यादा बेड़ा गर्क किया है. भले ही इससे कुछ लोगों का मनोरंजन होता होगा, लेकिन फिल्म की कहानी से इनका कोई सरोकार नहीं होता है. यही वजह है कि ये रिलीज होने के साथ ही आते हैं और फिर हमेशा के लिए गायब हो जाते हैं. वहीं, वेब सीरीज में बेवजह संगीत से परहेज किया जाता है. बहुत ज्यादा जरूरी है या फिर कहानी की डिमांड है, तो ही गानों को शामिल किया जाता है. बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी के अनुसार ही तैयार किए जाते हैं, जो अच्छे लगते हैं.

3. दमदार कास्टिंग, कहानी के हिसाब से कलाकारों का चयन

फिल्म या वेब सीरीज के लिए कास्टिंग सबसे महत्वपूर्ण काम माना जाता है. यदि कहानी के हिसाब से बेहतर कलाकारों का चयन हो गया, तो समझिए सिनेमा के सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. फिल्मों और वेब सीरीज में एक बुनियादी फर्क है. अक्सर फिल्म मेकर्स अपनी फिल्मों के लिए पहले किसी सुपरस्टार का नाम तय करते हैं, उनके अनुसार कहानी तैयार करते हैं, फिर फिल्म निर्माण करते हैं. वहीं वेब सीरीज में कंटेंट को किंग माना जाता है. यहां पहले कहानी तय होती है. उसके हिसाब से कलाकारों का चयन किया जाता है. ऐसे कलाकार लिए जाते हैं, जो कहानी के हर किरदार में बिल्कुल फिट बैठ जाएं. यही वजह है कि फिल्मों में सिर्फ हीरो, हिरोइन और अधिक से अधिक खलनायक दर्शकों को याद रह पाते हैं, लेकिन वेब सीरीज में किरदार से कलाकार की पहचान होती है, जो दर्शकों के दिलों में बैठ जाती है.

4. रियलिस्टिक सिनेमा

रियलिस्टिक या यथार्थवादी सिनेमा वो होता है, जो हमें सच्चाई से रूबरू करवाता है. जैसे एक यथार्थवादी रोमांटिक फिल्म आपको यह नहीं बताती कि आप किसी के साथ कितना ही खराब बर्ताव क्यों न करें, कितने ही भयानक क्यों न हों, वो आपके लिए उतने ही अच्छे बनें रहेंगे, उतना ही प्यार करेंगे. बल्कि रियलिस्टिक सिनेमा में आपको देखने को मिलेगा कि कैसे आपके शब्द, आपका व्यवहार और आपके काम मायने रखते हैं. इस दौर में सिनेमा में ख्वाबों की जगह हकीकत ले रही है. फिल्म मेकर्स सपनों की सौदागरी के स्थान पर देश-काल की सच्चाई को प्राथमिकता दे रहे हैं. यही वजह है कि बड़े बैनरों समेत कम जाने पहचाने निर्माता-निर्देशक भी ऐसी कहानियां ला रहे हैं. इन दिनों सिनेमा देसी जमीन में जड़े जमा रहा है. निर्देशक नए विषय खोज रहे हैं और कंटेंट को कहानियों में पिरोया जा रहा है. राष्ट्रीय के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर का घटनाक्रम भी फिल्मी कहानियों का आधार बन रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति से लेकर खूंखार आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन तक फिल्मों के विषय बन चुके हैं.

5. इनोवेटिव ओपनिंग क्रेडिट सीन

बॉलीवुड फिल्मों की तुलना में वेब सीरीज में ओपनिंग क्रेडिट सीन को बहुत ज्यादा इनोवेटिव बनाया जाता है. उदाहरण के लिए नेटफ्लिक्स की मशहूर वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स के ओपनिंग क्रेडिट सीन पर गौर कीजिए. इसे मंडाला आर्ट के जरिए बहुत ज्यादा आकर्षक बनाया गया है. इसी तरह वेब सीरीज 'लिटिल थिंग्स' में क्यूट ग्राफिक्स और 'मेड इन हेवन' में रियल वेडिंग वाले ओपनिंग क्रेडिट सीन शानदार लगते हैं. हालांकि, पहले कुछ फिल्मों में भी ऐसे प्रयोग किए गए हैं, लेकिन इसकी संख्या बहुत कम है. बॉलीवुड फिल्म मेकर्स को वेब सीरीज को सफल बनाने वाली इन प्रमुख बातों से सीख लेकर हिंदी सिनेमा को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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