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Updated: 22 मार्च, 2021 10:01 AM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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उत्पीड़न उम्र, जाति, शहर और जगह नहीं देखता. वजूद, रसूख और शिक्षा-दीक्षा तक नहीं देखता. सिर्फ शिकार देखता है. शिकार किसी भी क्लास या वर्ग विशेष का हो सकता है. इसे गरीबी और अमीरी से फर्क नहीं पड़ता. फिल्म इंडस्ट्री की कोई एक्ट्रेस हो या घर की चारदीवारी में बंद कोई महिला, उत्पीड़न किसी का, कहीं भी हो सकता है. जैसा कि बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता के साथ हुआ. बकौल तनु करीब 13 साल पहले उनका यौन उत्पीड़न हुआ. वह भी फिल्म के सेट पर, जहां सैकड़ों लोग मौजूद थे. इस घटना ने एक्ट्रेस को ऐसा तोड़ा कि वो डिप्रेशन में चली गई. फिल्मों में काम बंद कर दिया. शहर क्या देश छोड़ दिया. लेकिन 10 साल बाद आध्यात्मिक उर्जा से उनके अंदर जोश आया. लौट के भारत आई. बॉलीवुड सहित पूरे देश को झकझोर दिया.

डर इंसान को कमजोर कर देता है. आत्मबल खत्म कर देता है. नकारात्मकता को बढ़ावा देता है. इसी डर का शिकार तनुश्री हुई थीं, साल 2008 में. उस वक्त फिल्म हॉर्न ओके प्लीज के सेट पर उनके साथ एक गाने की शूटिंग के दौरान छेड़छाड़ हुई. उन्हें गलत तरीके से छूने की कोशिश भी की गई. तनु ने इसके लिए नाना पाटेकर को जिम्मेदार ठहराया. फिल्म के प्रोड्यूसर सामी सिद्दिकी, डायरेक्टर राकेश सारंग और कोरियोग्राफर गणेश आचार्य आदि सेट पर मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी तनुश्री का साथ नहीं दिया. तनुश्री ने जब अपनी आवाज बुलंद की तो उनकी गाड़ी पर हमला किया गया. यहां तक कि शिकायत के बाद भी सिने ऐंड टीवी आर्टिस्ट असोसिएशन ने कोई कार्रवाई नहीं की. इस तरह के हालात को देख तनुश्री टूट गईं. डिप्रेशन में चली गईं.

1_650_031921065328.jpgआदित्य दत्त निर्देशित 'आशिक बनाया आपने' से तनुश्री दत्ता ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था.

तनुश्री ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया. आध्यात्म की राह पर चल पड़ीं. डिप्रेशन से उबरने में मदद के लिए भारत के कई आश्रमों का रुख किया. उन्होंने कोयम्बटूर स्थित जग्गी वासुदेव के आश्रमों में भी काफी वक्त बिताया था. लद्दाख यात्रा के दौरान उन्होंने अपने बाल तक मुंडवा लिए थे. लद्दाख में बुद्दिष्ट मेडिटेशन सेंटर में उन्हें सिंपल ब्रीदिंग तकनीक से ही बहुत राहत मिली. स्ट्रेस से उभरने में उन्हें इससे इतनी मदद मिली कि मानो जैसे जिंदगी वापस मिल गई हो. काफी सालों तक ऐसी ही लाइफ जीने के बाद तनुश्री अमेरिका चली गईं. लेकिन वह वहां भी आध्यात्म से जुड़ी रहीं. एक सेलिब्रिटी होने की वजह से उन्हें यूएस में कई इवेंट्स में सेलिब्रिटी गेस्ट, जज, परफ़ॉर्मर और प्रेजेंटर के रूप में आमंत्रित किया जाता रहा. जॉब्स के ऑफर भी मिले.

अपने साथ हुए अन्याय की मन में कसक लिए जी रहीं तनुश्री आध्यात्म की वजह से मजबूत हो चुकी थीं. अमेरिका में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और शोषण के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक आंदोलन चलाया गया था, जिसका नाम था मीटू मूवमेंट. #MeToo के साथ महिलाएं अपने साथ हुए जुल्म की कहानी को बयां किया करती थीं. इसका अमेरिका में बहुत ही ज्यादा प्रभाव था. अमेरिका की सोशल ऐक्टिविस्ट और कम्युनिटी ऑर्गेनाइज़र तराना बर्क ने सबसे पहले 2006 में 'माइस्पेस' नाम के सोशल नेटवर्क पर #MeToo का इस्तेमाल किया था. तनुश्री दत्ता भी मीटू मूवमेंट से बहुत प्रभावित हुईं और अपने साथ हुए अत्याचार के खिलाफ जंग की शुरुआत के लिए मुंबई चली आईं. 25 सितंबर 2018 को भारत में #MeToo की शुरूआत हुई.

भारत में तनुश्री दत्ता ने शुरू किया था मीटू मूवमेंट

तनुश्री दत्ता ने एक्टर नाना पाटेकर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया तो हर तरफ सनसनी फैल गई. नाना की छवि को देखते हुए किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वो ऐसा कर सकते हैं. इसके बाद फिल्म इंडस्ट्री में मीटू मूवमेंट इस कदर तेज हुआ कि रोज नए-नए खुलासे होने लगे. महिला कलाकारों ने अपने साथ वर्षों पहले हुई घटनाओं को सोशल मीडिया के जरिए शेयर करना शुरू कर दिया. इस दौरान एक्टर आलोक नाथ पर राइटर और प्रोड्यूसर विंता नंदा ने रेप का आरोप लगाया. डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और स्क्रीनराइटर विकास बहल पर एक्ट्रेस कंगना रनौत और नयनी दीक्षित सहित कई अभिनेत्रियों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. एक्टर और म्यूज़िक डायरेक्टर पीयूष मिश्रा पर एक महिला पत्रकार ने छेड़खानी का आरोप लगाया.

पीड़ित महिलाओं की आवाज बन गया मीटू मूवमेंट

मीटू मूवमेंट के जरिए शुरू हुईं मुट्ठी भर आवाजों की एक लहर ने देश की उन लाखों-करोड़ों दबी हुई आवाज़ों को हिम्मत दी, जो कभी सामाजिक लांछनों तो कभी निजी डर से ये मान बैठी थीं कि बर्दाश्त करना और चुप रहना बचाव का इकलौता रास्ता है. कम से कम पहली बार हमने ये स्वीकार किया कि वर्कप्लेस हैरेसमेंट एक सच्चाई है. ये तो माना कि ये एक छोटा-मोटा मुद्दा नहीं बल्कि सुरसा का मुंह है. महिलाएं बराबरी के अधिकारों को लेकर जितना सचेत होती जा रही हैं, उनके सामने की चुनौतियां और बढ़ती जा रही हैं. अपने अधिकार के लिए लड़ती औरतों के सामने खड़ी चुनौतियों के कई रूप हैं. लेकिन जड़ में एक ही बीज है. आधी आबादी की आवाज़ तो मुखर कर दि गया, लेकिन पुरुषों को इस बदलाव के लिए जरा भी तैयार नहीं किया गया.

'आशिक बनाया आपने' फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू

19 मार्च, 1984 को जमशेदपुर, झारखंड में जन्मी तनुश्री ने पुणे यूनिवर्सिटी से स्नातक किया है. साल 2004 में उन्होंने फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और मिस इंडिया यूनिवर्स का ताज हासिल किया. मिस इंडिया का ताज अपने सर पर सजाने के बाद तनुश्री दत्ता ने हिंदी फिल्मों की ओर रुख किया और आदित्य दत्त निर्देशित 'आशिक बनाया आपने' से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इसके बाद उन्होंने चॉकलेट, रकीब: राइवल्स इन लव, ढोल, रिस्क, गुड ब्वॉय, बेड ब्वॉय और स्पीड जैसी फिल्में की, लेकिन कोई भी पहली फिल्म की तरह नहीं चल सकी. वह अंतिम बार जग मुंद्रा की थ्रिलर फिल्म अपार्टमेंट में नजर आई थीं जो कि 2010 में रिलीज हुई थी. इसके बाद तनुश्री बॉलीवुड से गायब हो गई थीं. लेकिन एक लंबे संघर्ष के बाद एक बार फिर तनुश्री बॉलीवुड में कमबैक करने जा रही हैं. उनके पास कई फिल्मों और वेब सीरीज के ऑफर हैं.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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