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Updated: 20 मार्च, 2022 09:58 PM
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बीबीसी स्टूडियोज इंडिया के सहयोग से अप्लॉज एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित वेब सीरीज 'ब्लडी ब्रदर्स' का निर्देशन शाद अली ने किया है. इसे ब्रिटिश मिस्ट्री थ्रिलर 'गिल्ट' का भारतीय रूपांतरण बताया जा रहा है. इसमें जयदीप अहलावत और मोहम्मद जीशान अय्यूब के साथ टीना देसाई, श्रुति सेठ, माया अलग, मुग्धा गोडसे, सतीश कौशिक और जितेंद्र जोशी जैसे शानदार कलाकार मौजूद हैं. छह एपिसोड की ये वेब सीरीज दो भाईयो के इर्द-गिर्द घूमती रहती है. इसमें एक भाई धनी, तो दूसरा गरीब होता है. लेकिन वक्त का पहिया ऐसे घूमता है कि सबकुछ ऊथल-पुथल हो जाता है. वेब सीरीज में रहस्य और रोमांच के बीच मजेदार कॉमेडी का तड़का लगाया गया है. इसमें तीन मंझे हुए कलाकार जयदीप अहलावत, सतीश कौशिक और मोहम्मद जीशान अय्यूब ने अपने अपने अभिनय का बेहतरीन प्रदर्शन किया है. इसकी वजह से वेब सीरीज शानदार और दिलचस्प बन पड़ी है.

1_650_031922114201.jpgओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज 'ब्लडी ब्रदर्स' में सभी कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया है.

किसी भी विदेशी सीरीज या फिल्म के अडॉप्टेशन में मेकर्स हर बार चूक कर देते हैं. एक बाहरी संस्कृति में बनी और ढली कहानी को भारतीय परिवेश में उतारने में हर बार गलती हो जाती है. जैसे कि अजय देवगन की डेब्यू वेब सीरीज 'रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस' के साथ हुआ. ये सीरीज ब्रिटिश शो 'लूथर' का हिंदी रीमेक है. लेकिन लेखन टीम की गलती से ये सीरीज अपना प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही है. इसके ठीक विपरीत 'ब्लडी ब्रदर्स' एक ब्रिटिश शो का रीमेक होते हुए भी अपना गहरा प्रभाव छोड़ती है. इसके लिए कलाकारों की बेहतरीन परफॉर्मेंस और कसी हुई कहानी को श्रेय जाता है. निर्देशक शाद अली शुरूआती एपिसोड में थोड़ा लखड़ाते जरूर हैं, लेकिन बाद में कहानी को ऐसे परोसा गया है कि दर्शक सीट पर जमे रहने के लिए मजबूर हो जाएंगे. उपर से इसकी स्टारकास्ट भी बेहतरीन है. बड़े स्टार की गैरमौजूदगी के बावजूद जयदीप अहलावत, मुग्धा गोडसे, सतीश कौशिक और मोहम्मद जीशान अय्यूब जैसे कलाकारों ने ऐसी सधी हुई अदाकारी की है, जिसने वेब सीरीज को बिंज वॉच बना दिया है. होली के मौके पर वीकेंड में इसे देखा जा सकता है.

''जिसे हम सांप समझ बैठे तो वो रस्सी निकली और रस्सी में जहर नहीं होता''...''लेकिन रस्सी से फांसी जरूर लग सकती है''...वेब सीरीज 'ब्लडी ब्रदर्स' का ये डायलॉग उसकी पूरी कहानी को बयां करता है. दरअसल होता है ये है कि दो सगे भाई होते हैं. जगजीत (जयदीप अहलावत) और दलजीत (मोहम्मद ज़ीशान आयूब). दोनों के बीच बहुत अंतर होता है. एक अमीर तो दूसरा गरीब. दोनों का स्वभाव भी एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत होता है. जगजीत वकील है. वो अपनी लॉ फर्म चलाता है. लेकिन इसकी आड़ में बहुत कुछ कर रहा है. वहीं दलजीत एक बुक स्टोर चलाता है. एक रात दोनों भाई एक ही कार में घर की तरफ जा रहे होते हैं. रास्ते में एक बहुत बड़ा हादसा हो जाता है. एक अधेड़ शख्स की मौत उनकी कार के नीचे आने से हो जाती है. दोनों भाई उसे वहीं छोड़कर भाग जाते हैं. लेकिन छोटे भाई दलजीत को वो हादसा भूलता नहीं है. वो बार-बार गिल्ट में आकर अपने भाई को फोन करता है. बड़ा भाई जगजीत उसे समझाता है कि इस घटना को किसी ने देखा नहीं है, इसलिए वो शांत रहे, इस मामले में बातचीत न करे. इस बीच पुलिस मामले की जांच करने लगती है.

दलजीत अपने भाई जगजीत को बताता है कि उसका पर्स उस घर में छूट गया है, जहां वो आखिरी बार गए थे. बदकिस्मती मरने वाला भी उसी घर का मालिक होता है. उसकी बेटी अपने पिता के कातिलों तक पहुंचना चाहती है. जगजीत अपने भाई को कहता है कि वो चुपके जाए, वहां से अपना पर्स लेकर आ जाए, ताकि आखिरी निशान भी वहां से खत्म हो जाए. लेकिन जब दलजीत उस घर में पहुंचता है, उसके साथ कई घटनाएं घटती हैं, जिसकी वजह से वो अपना पर्स नहीं खोज पाता. इसी बीच कई नए किरदारों की कहानी में एंट्री होती है, जिसकी वजह से मामला धीरे-धीरे दिलचस्प होता जाता है. इसमें सबसे दिलचस्प किरदार हांडा साहब का होता है, जिसे सतिश कौशिक ने निभाया है. हांडा साहब की हरकत और बातों सीरीज में समां बांधती चली जाती है. एक जगह वो कहता है, ''ये इश्क बड़े कमाल की चीज है, और अगर एक औरत को दूसरी औरत से हो जाए, और भी कमाल की चीज है''...दरअसल, ओटीटी युग समलैंगिग संबंधों को सामान्य मानकर दिखाया जाने लगा है. वेब सीरीज मेकर्स को लगता है कि ये समाज का सच है, जिसे दिखाया जाना चाहिए.

निर्देशक शाद अली (जिन्होंने पहले 'कॉल माय एजेंट बॉलीवुड' का निर्देशन किया है) ने अपने लेखन टीम सिद्धार्थ हिरवे, अनुज राजोरिया, रिया पुजारी, नवनीत सिंह राजू के साथ इस डार्क कॉमेडी पर शानदार काम किया है. दो भाइयों के बीच बनते-बिगड़ते संबंध, डार्क कॉमेडी, ट्विस्ट और वन-लाइनर्स कहानी को सफल बनाने में अहम योगदान देते हैं. शुरूआती एपिसोड में कॉमेडी ज्यादा है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, यह गंभीर होकर रोमांच पैदा करती है. जहां तक कलाकारों के अभिनय प्रदर्शन की बात है, तो हर किसी ने अपना अहम योगदान दिया है, लेकिन जयदीप अहलावत और सतीश कौशिक शो के स्टार हैं. उनका अभिनय प्रदर्शन सबसे ज्यादा संतुलित है. मोहम्मद जीशान अय्यूब भी दलजीत के किरदार के साथ पूरा न्याय करते हैं. श्रुति सेठ और मुग्धा गोडसे ने अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाई, लेकिन उनकी कहानी थोड़ी जल्दबाजी और अपरिष्कृत लग रही है. दुष्यंत के रूप में जितेंद्र जोशी शानदार हैं. टीना देसाई और माया अलघ ने भी अपनी भूमिका बखूबी निभाई है. कुल मिलाकर, ये वेब सीरीज इस संडे को देखी जा सकती है.

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