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Updated: 10 जुलाई, 2022 06:50 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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देश ही दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी अपने 'मिशन साउथ' को रफ्तार देने में लगी हुई है. इस रणनीति के तहत साउथ के चार दिग्गजों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है. इन हस्तियों में उड़न परी के नाम से मशहूर एथलीट पीटी ऊषा, साउथ के संगीत सम्राट कहे जाने वाले इलैयाराजा, मशहूर राइटर-डायरेक्टर केवी विजयेंद्र प्रसाद और समाजसेवी वीरेंद्र हेगड़े का नाम शामिल है. चार हस्तियों के जरिए दक्षिण के चार राज्यों को साधने की कोशिश की गई है. इनमें केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का नाम शामिल है. बीजेपी तीन दशक से साउथ में अपना किला मजबूत करना चाह रही है, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है.

यदि कर्नाटक को छोड़ दिया जाए तो दक्षिण अन्य प्रमुख राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां ही ज्यादा हाबी हैं. साल 2014 में केंद्र में मोदी की सरकार बनने के साथ ही मोदी और शाह की जोड़ी मिशन साउथ को अंजाम देने में लगी हुई है. उसी के तहत कर्नाटक में शुरूआती सफलता भी मिली. अब बीजेपी की नजर दूसरे राज्यों पर हैं. साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी इन राज्यों से ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती हैं. इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी ने तेलंगाना में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी आयोजित की थी. इसके तुरंत बाद दक्षिण के इन दिग्गज हस्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करना उसी रणनीति का एक हिस्सा है. इन हस्तियों का अपने-अपने क्षेत्र में व्यापक प्रभाव है.

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दक्षिण के राज्यों को साधने की कोशिश

राजनीति दृष्टि से देखा जाए तो दक्षिण में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का अलग ही महत्व है. इसलिए हर राज्य की एक हस्ती को राज्यसभा भेजकर भारतीय जनता पार्टी वहां के लोगों को साधने की कोशिश कर रही है. एथलीट पीटी ऊषा केरल की रहने वाली हैं. वहीं गायक, गीतकार और संगीतकार इलैयाराजा तमिलनाडु से हैं. साउथ सिनेमा के दिग्गज निर्देशक और लेखक केवी विजयेंद्र प्रसाद आंध्र प्रदेश से आते हैं. वहीं, वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक के रहने वाले हैं. इन राज्यों में लोकसभा की 129 सीटें हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी ने इनमें से 30 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार बीजेपी का लक्ष्य 100 से अधिक सीटें पाने का है. इसके लिए कई मोर्चों पर तेजी से काम कर रही है.

साउथ सिनेमा को साधने की कोशिश

साउथ की चार प्रमुख फिल्म इंडस्ट्री तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड बहुत ही मजबूत स्थिति में है. इस वक्त बॉलीवुड के मुकाबले यहां की फिल्में पैन इंडिया धमाल कर रही हैं. साउथ सिनेमा से ताल्लुक रखने वाले इलैयाराजा और केवी विजयेंद्र प्रसाद यहां व्यापक प्रभाव है. दोनों हस्तियां न केवल लोगों के बीच बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में भी सम्मानित हैं. लोग इनको आदर के भाव से देखते हैं. इन दोनों के जरिए बीजेपी सिनेमा और समाज दोनों को प्रभावित करना चाहती है. दक्षिण के राज्यों में सिनेमा का प्रभाव कैसा है, ये हर कोई जानता है. यहां के लोग के लिए सिनेमा धर्म और कलाकार किसी भगवान की तरह होते हैं. ऐसे में सिनेमा के जरिए साउथ में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में मदद मिल सकती है.

सिनेमा के 'बाहुबली' हैं विजयेंद्र प्रसाद

साउथ सिनेमा से लेकर बॉलीवुड तक अपने बेहतरीन काम के जरिए लोगों का दिल जीतने वाले केवी विजयेंद्र प्रसाद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. उन्होंने 'बाहुबली', 'बाहुबली 2', 'आरआरआर', 'मगदधीरा', 'राउडी राठौर', 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' और 'बजरंगी भाईजान' जैसी फिल्मों की पटकथा लिखी है. इसके साथ ही अर्धांगिनी, रांझणा और श्रीवल्ली जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया है. साल 2016 में बॉलीवुड की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' के लिए उनको फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुका है. उनके बेटे एसएस राजामौली को पूरा देश जानता है. साउथ में उनकी लोकप्रियता चरम पर है. ऐसे में बाप और बेटे की जोड़ी बीजेपी के लिए साउथ में फायदे का सौदा बन सकती है.

संगीत सम्राट इलैयाराजा का प्रभाव

मुख्य रूप से साउथ सिनेमा के लिए काम करने वाले संगीतकार, गीतकार और गायक इलैयाराजा का असली नाम आर. ज्ञानथेसिकन है. सात हजार से अधिक गान लिखने और संगीतबद्ध करने वाले इलैया 20 हजार से ज्यादा म्यूजिक कॉन्सर्ट का हिस्सा रह चुके हैं. उन्होंने पहली बार साउथ सिनेमा में वेस्टर्न कल्चरल म्यूजिक को शामिल किया है. साल 1986 में आई तमिल फिल्म 'विक्रम' में कंप्यूटर के जरिए फिल्मी गाने रिकॉर्ड करने वाले वह पहले भारतीय संगीतकार हैं. संगीत के क्षेत्र में उनकी उपलब्धि को देखते हुए लोग उनको संगीत सम्राट के नाम से बुलाते हैं. उनको भारत सरकार ने पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित से सम्मानित किया है. साउथ के लोग उनको बहुत आदर-सम्मान देते हैं.

दक्षिणी राज्यों में सिनेमा का प्रभाव

यहां सवाल खड़ा हो सकता है कि मिशन साउथ के लिए साउथ सिनेमा को साधने की क्या जरूरत है? इसके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि साउथ में सिनेमा का प्रभाव कैसा है? साउथ के लोगों में सिनेमा का जबरदस्त क्रेज देखने को मिलता है. यहां हर कलाकार की एक फैन फॉलोइंग है. फिल्म रिलीज के दिन लोग मंदिरों में पूजा करते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, अपने चहेते सितारों को दूध से नहलाते हैं. साउथ फिल्म इंडस्ट्री के कई कलाकार राजनीति में आने के बाद हिट रहे हैं. कुछ तो सूबे के सीएम भी बने हैं. इन सितारों में एमजी रामचंद्रन, एनटी रामाराव, जयललिता, चिरंजीवी, विजयकांत, डॉ. राजकुमार, अंबरीश और विवेक का नाम प्रमुख है. इनमें एमजीआर, एनटीआर और जया सीएम बने थे.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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