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Updated: 19 फरवरी, 2022 01:28 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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एक कहावत आपने जरूर सुनी होगी, 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया'. ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज 'बेस्टसेलर' को देखने के बाद कुछ ऐसा ही महसूस हो रहा है. क्योंकि आधे-आधे घंटे के आठ एपिसोड देखने के बाद यदि मनोरंजन की जगह सिरदर्द शुरू हो जाए, तो ऐसा महसूस होना लाजिमी है. उसमें भी इस वेब सीरीज में श्रुति हासन, अर्जन बाजवा, गौहर खान, मिथुन चक्रवर्ती, सत्यजित दुबे और सोनाली कुलकर्णी जैसी भारी भरकम स्टारकास्ट है, जिनसे दर्शकों को हमेशा बेहतर उम्मीदें होती है.. अंग्रेजी के चर्चित उपन्यासकार रवींद्र सुब्रमणियन के नॉवेल 'द बेस्टसेलर शी रोट' पर आधारित इस सायकोलॉजिकल थ्रिलर का निर्देशन मुकुल अभ्यंकर ने किया है. पटकथा एल्थिया कौशल और अन्विता दत्त ने लिखी है.

650_021822032907.jpgवेब सीरीज 'बेस्टसेलर' ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है.

वेब सीरीज 'बेस्टसेलर' की कहानी के केंद्र में एक हिंदी उपन्यासकार है, जो चेतन भगत की तरह सेलिब्रिटी भी है. मुंबई में रहने वाले इस हिंदी उपन्यासकार ताहिर वजीर (अर्जन बाजवा) की जिंदगी में अचानक उथल-पुथल शुरू हो जाती है. दस साल पहले उसके लिखे एक चर्चित उपन्यास की लोकप्रियता कायम है, लेकिन दूसरे उपन्यास के लिए उसे कोई कहानी नहीं मिलती है. इस कहानी की तलाश के दौरान एक दिन कैफे में उसकी मुलाकात मीतू माथुर (श्रुति हासन) नामक एक लड़की से होती है. मीतू उसे देखते ही एक्साइटेड हो जाती है. उसके पास जाकर खुद को फैन बताती है. बातचीत के दौरान मीतू अपनी जिंदगी की कहानी सुनाती है. इसे सुनकर ताहिर को लगता है कि उसके दूसरे उपन्यास की कहानी मीतू की जिंदगी की दास्तान हो सकती है.

ताहिर वजीर मीतू माथुर से इतना प्रभावित होता है कि उसे अपने साथ काम करने का ऑफर दे देता है. उसके लिए नया फ्लैट दिलाता है. इधर ताहिर की पत्नी मयंका (गौहर खान), जो कि एक एड फिल्म मेकर है, अपनी कंपनी में एक नए इंटर्न पार्थ आचार्य (सत्यजीत दुबे) को रखती है. दोनों धीरे-धीरे एक-दूसरे के करीब आने लगते हैं. इस तरह शुरू होता है पति और पत्नी के रिश्ते के बीच बेवफाई का खेल, जिसमें ताहिर-मीतू और मयंका-पार्थ अपनी अलग-अलग जिंदगी जीने लगते हैं. इसी बीच ताहिर के आसपास के लोगों को टारगेट करके एक रहस्मयी व्यक्ति हमला करने लगता है. खुद को 'वजीर इज गॉड' बोलने वाला वो शख्स कभी मीतू पर तो कभी मयंका पर हमला करता है. सोशल मीडिया पर ताहिर को ट्रोल करता है. इन सबसे तंग आकर ताहिर पुलिस के पास जाता है.

इसके बाद एसीपी लोकेश प्रमाणिक (मिथुन चक्रवर्ती) की एंट्री होती है, जो ताहिर के रहस्यमयी दुश्मन की तलाश में लग जाते हैं. हालांकि, दुश्मन कौन ये एसीपी को तो नहीं पता, लेकिन दर्शकों को पता चल जाता है. अब वो दुश्मन कौन है? उसकी ताहिर वजीर से क्या दुश्मनी है? ये सब जानने के लिए वेब सीरीज देखनी होगी. लेकिन इतना बताया जा सकता है कि इन सवालों के जवाब लेने के लिए दर्शकों को अपने कीमती चार घंटे बर्बाद करने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि नाम बड़े और दर्शन छोटे जैसा मामला है. इस वेब सीरीज में भले ही मिथुन चक्रवर्ती और गौहर खान जैसे सितारे हैं, लेकिन सस्पेंस के नाम पर टोटल सियापा है. इसकी सबसे बड़ी वजह खराब निर्देशन और कमजोर पटकथा है. इसके निर्देशक मुकुल अभ्यंकर ने टीवी इंडस्ट्री के लिए लंबा काम किया है. कई सीरियल निर्देशित किए हैं. साल 2018 में रिलीज हुई मनोज बाजपेयी और तब्बू की फिल्म 'मिसिंग' को भी निर्देशित किया है, लेकिन इस बार वो चूक गए हैं.

अभिनय के स्तर पर भी कई नामचीन कलाकारों के होने के बावजूद कोई उभर कर सामने नहीं आया है. कलाकारों ने अपने किरदारों को किसी तरह से निभाने की कोशिश की है. श्रुति हासन, अर्जन बाजवा, गौहर खान, सत्यजित दुबे और सोनाली कुलकर्णी का अभिनय सामान्य है. हां, मिथुन चक्रवर्ती के किरदार एसीपी लोकेश प्रमाणिक की एंट्री के बाद थोड़ी रूचि बढ़ती है, लेकिन कहानी का सस्पेंस खत्म हो जाने की वजह से वो रोचकता भी खत्म हो जाती है. कुल मिलाकर, मिथुन चक्रवर्ती की डेब्यू वेब सीरीज 'बेस्टसेलर' खराब निर्देशन की बलि चढ गई है. इसे देखना समय की बर्बादी है.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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