अजय देवगन की Runway 34 रिलीज होने से पहले पायलट्स की ये 3 कहानियां जरूर देखें
बॉलीवुड के लिहाज से देखें तो यह विषय बिल्कुल नया और ताजा नजर आ रहा है लेकिन हॉलीवुड या दूसरे देशों में इस तरह की कहानियां बनती रही हैं. आइए ऐसी ही तीन चर्चित फिल्मों के बारे में बताते हैं.
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अजय देवगन की फिल्म रनवे 34 एक थ्रिलर ड्रामा है जिसकी कहानी का केंद्र एविएशन है. आज ही फिल्म का ट्रेलर आया है. फिल्म की कहानी सच्ची घटनाओं पर आधारित है. साल 2015 में जेट एवरवेज का यात्री विमान खराब मौसम में फंसने के बाद ब्लाइंड लैंडिंग में क्रैश हो गया था. प्लेन ने सात बार लैंडिंग की कोशिश की थी लेकिन आख़िरी लैंडिंग में दुर्घटनाग्रस्त हुआ. बॉलीवुड के लिहाज से देखें तो यह विषय बिल्कुल नया और ताजा नजर आ रहा है लेकिन हॉलीवुड या दूसरे देशों में इस तरह की कहानियां बनती रही हैं. आइए ऐसी ही तीन चर्चित फिल्मों के बारे में बताते हैं.
#1. सली
सली साल 2016 में आई बायोग्राफिकल ड्रामा है, फिल्म एक ऐसे अनुभवी पायलट की सच्ची कहानी है जिसने हवा में दुर्घटना का सामना करने के बाद यात्रियों से भरे विमान को औचक एक नदी में लैंड कराया था. सली असल में उम्रदराज पायलट का नाम है. फिल्म की कहानी कुछ यूं है कि सली अपने क्रू के साथ न्यूयॉर्क से टेकऑफ़ करता है. हालांकि ठीक तीन मिनट बाद आसमान में 2800 फीट की उंचाई पर हादसे का शिकार हो जाता है. होता यह है कि पक्षियों का एक समूह प्लेन से टकरा जाता है. इस वजह से प्लेन के दोनों इंजन खराब हो जाते हैं.
सली में टॉम हैंक्स. फोटो- sully/IMDb से साभार.
क्रू कंट्रोल रूम को तुरंत घटना की जानकारी देता है. सली को वापस रनवे पर आने को कहा जाता है. हालांकि सली की निगाह में वापस आना मुश्किल है. वह कंट्रोल रूम को हडसन नदी पर लैंड करने की बात कहता है. हडसन नदी पर कभी किसी ने पायलट ने लैंड नहीं किया था. इस बीच सली का कंटोल रूम से संपर्क टूट जाता है. हवा में तमाम मुसीबतों का सामना करते हुए सली एक तेज झटके के साथ प्लेन को नदी पर लैंड करवा देता है. बाद में रेस्क्यू टीम सभी पैसेंजर्स को सुरक्षित बचा लेती है. यात्रियों को यकीन नहीं होता कि वे जिंदा बच गए हैं. इस काम के लिए मीडिया सली की तारीफ़ करता है दूसरी तरफ जांच कमेटी बैठती है जिसमें सली पर कंट्रोल रूम की बात नहीं मानने और मनमानी के आरोप लगाए जाते हैं.
कमेटी का मानना है प्लेन वापस रनवे पर आ सकता था लेकिन सली ने ऐसा नहीं किया. सली का तर्क है कि यह संभव नहीं था और उसने वही फैसला लिया जो उस वक्त सबसे सही था. सली और क्रू से पूछताछ होती है. पूरे मामले की कम्प्यूटराइज जांच भी होती है. यानी पूरी घटना को कम्प्युटर की मदद से री क्रिएट किया जाता है. जिसमें सली गलत साबित होता है. सली इस बात से निराश है कि उसके 40 साल के काम को कुछ सेकेंड के फैसलों के आधार पर जज किया जा रहा. सली का करियर खतरे में है. वह कमेटी के तर्कों को मानने के लिए तैयार नहीं है. सली अपने तरीके में फिर से कम्यूटराइज ट्रायल की गुजारिश करता है और साबित करता है कि कैसे उसका फैसला सही था. सली की मुख्य भूमिका टॉम हैंक्स ने निभाई थी.
#2. फ्लाइट
फ्लाइट साल 2012 में आई थ्रिलर ड्रामा है जिसकी कहानी के केंद्र में एविएशन ही है. यह एक ब्लैक एयरपायलट की कहानी है जो अय्याशी मिजाज का है. पायलट की भूमिका डेंजेल वाशिंगटन ने निभाई है. पायलट ड्रग और शराब का लती है. वह एक प्लेन लेकर उड़ता है. लेकिन टेकऑफ़ के बाद प्लेन का सामना खराब मौसम से होता है. आसमान में विमान का संतुलन बिगड़ने की वजह से अचानक अफरा तफरी मच जाती है. हालांकि क्रू चीजों को संभाल लेता है. मुख्य पायलट ड्यूटी पर जूस में वोदका डालकर पीता है. और कॉकपिट में सोता नजर आता है.
घटना के कुछ ही देर बाद विमान फिर मुश्किल में फंस जाता है. पैसेंजर चिल्लाने लगते हैं. इसके बाद मुख्य पायलट प्लेन को उतारने की बहुत कोशिश करता है. लेकिन उसे कोई उम्मीद नजर नहीं आती और यह मां लेता है कि अब विमान को बचाना असंभव है. कॉकपिट के सीवीआर में वह कुछ मैसेज भी रिकॉर्ड करता है कि उसकी आख़िरी आवाज घरवालों तक पहुंच जाए. हालांकि इसके साथ ही वह लैंडिंग के लिए एक सुरक्षित जगह तलाशता रहता है.
आखिर में पायलट जमीन पर ही लैंडिंग का जोखिम उठाता है. लैंडिंग के वक्त विमान बीच से टूट जाता है. विमान में 102 यात्री सवार थे. जिसमें सिर्फ 6 लोगों की मौत हुई. लोगों को बचाने के लिए पायलट की तारीफ़ होती है. हालांकि जांच कमेटी को यात्रा के दौरान पायलट के नशे में होने की बात पता चलती है. इसके लिए उसे आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. पायलट कैसे बचता है इसे ही फिल्म की कहानी में दिखाया गया है. यह फिल्म भी सच्ची घटना से प्रेरित है.
#3. द कैप्टन
साल 2019 में आई यह चाइनीज फिल्म भी सच्ची घटना पर आधारित है. यह कहानी उस पायलट की है जिसका क्रू 190 यात्रियों को लेकर सिचुवान से ल्हासा के स्पेशल रूट से गुजरता है. मौसम के लिहाज से यह बेहद खतरनाक रूट है. चूंकि मुख्य पायलट अनुभवी है और कई बार इस रूट से विमान लेकर जा चुका है तो टेकऑफ़ से पहले चिंता की कोई बात नहीं थी. रूट इसलिए खतरनाक था कि यह बर्फीले उंचे पहाड़ों के ऊपर से था. समुद्रटल से बहुत उंचाई की वजह से यहां काफी तेज हवाएं और कभी अक्सर तूफ़ान उठते हैं और ज्यादा उंचाई पर उड़ने से हवा का दबाव भी खतरनाक साबित होता है. जबकि कम उंचाई पर पहाड़ों में क्रैश होने और बर्फीले तूफ़ान का खतरा बना रहता है.
टेकऑफ़ के बाद सबकुछ ठीक ठाक है. लेकिन अचानक हवा का दबाव बढ़ने लगता है. कॉकपिट के दाएँ तरफ का विंग ग्लास क्रैक होकर टूट ही जाता है. को पायलट खिड़की में फंस जाता है. सीट बेल्ट की वजह से उसकी जान बचती है. उधर, प्लेन के अंदर अफरा तफरी का माहौल है. इस बीच एक दरवाजा भी हवा के दबाव में खुल जाता है. विमान का संतुलन बिगड़ रहा है और लोगों को ऑक्सीजन कम होने की वजह से सांस लेने में जूझना पड़ता है. प्लेन की स्थिति क्या होगी यह बताने की जरूरत नहीं है. प्लेन से लेकर कंट्रोल रूम तक अफरा-तफरी है. लोग ऑक्सीजन मास्क लगाते हैं. क्रू पैसेंजर्स को संभालता है जबकियो मुख्य पायलट अनुभव के आधार प्लेन को किसी तरह बचाने में कामयाब होता है. झांग हानयु ने मुख्य भूमिका निभाई है.
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